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पर वहां पर मौजूद सैनिक अभी भी जोर जोर से हसे जा रहे थे उनको तो पता भी नहीं चला कि वहां पर असल में हुआ क्या है उन्हें कोई भी पता चलता इससे पहले उन्होंने देखा कि गर्व अपनी जगह पर खड़ा हो गया है और उसने उस हंसी की गूंज के बीच में से अधिकारी अग्निमित्र की तरफ देख कर ताली बजाना चालू कर दिया है यह देखने बहुत ही बच्चो जैसी हरकत लग रही होती है पर उन अधिकारी अग्नि मित्र को देखकर गर्व का अपने भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहा और उसने खड़े होकर ताली बजाना शुरू कर दिया उन्हें समझ में नहीं आ रहा होता है कि यह ऐसा क्यों कर रहा हैं क्या वहां अचानक से पागल तो नहीं हो गया है पर तभी उनकी गर्व के सामने रखे पानी के प्याले पर नजर चली गई वह प्याला अपनी जगह पर एकदम सुरक्षित होता है जैसा कि उसे कुछ हुआ ही नहीं यह देखकर उन्होंने अपनी दात पीस लिए इस वक्त राज्यवर्धन सिंह की भी अग्नि मित्र के तरफ पूरी नजर होती है उसे भी पता चल गया होता है कि वहां पर आखिर असली में क्या हुआ है इस वक्त वह गर्व अधिकारी अग्निमित्र की तारीफ कर रहे होते हैं और वह सारे हंसते हुए उनकी युद्ध कला की बेज्जती करते जा रहे थे उन लोगो ने पूरा एक घंटा अधिकारी अग्नि मित्र जी को अपने वीरता का बखान किया पर एक झटके में ही उनके पूरी मेहनत पर पानी फिर गया अधिकारी अग्निमित्र ने अपनी पलक झपकने से पहले अपनी तलवार के पातो की मदद से उस प्याले को हवा में ऐसा घुमाया की हवा में ही वह पानी उस प्याले के अंदर के अंदर चला गया और उन्होंने उस प्याले को गर्व के सामने की मेज पर रख दिया और वहां पर वह चीज किसी को दिखाई भी नहीं दी उसको देखकर वहां पर मौजूद बाकी के लोगों ने भी तालियां बजाना शुरू कर दी यह थोड़ा बचकाना लग रहा होता है पर फिर भी अपनी तारीफ होते हुए अधिकारी अग्निमित्र थोड़े से शर्मा गए और वह गर्व की तरफ गए और उन्होंने गर्व के कंधों को थपथपाते हुए उससे कहा बस बस बस करो अब मैं तुम्हारी भावनाओं को अच्छी तरह से समझ गया हूं ठीक है अब नीचे बैठ जाओ और उन्होंने वहां पर बाकी के लोगों को भी ताली बजाना बंद करते हुए नीचे बैठने को कहा गर्व तो सच में अधिकारी अग्निमित्र के कौशल को देखकर प्रभावित हो गया था उसे तो शक होता है कि वह अपनी गति मंत्र का उपयोग करते हुए भी इस चीज को कर सकता है या नहीं और वह भी इतनी सफाई से उस प्याले में मौजूद पानी की एक भी बूंद वहां पर नीचे नहीं गिरी होती है यह देख कर ही पता लगाया जा सकता है कि उनकी अपनी तलवार चलाने का हुनर कितना जबरदस्त होता है इस वक्त वहां पर राज्यवर्धन सिंह को छोड़कर बाकी के लोग गर्व की तरफ नफरत की नजर से देखे जा रहे थे अगर उनका बस चलता तो वहीं पर गर्व के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर डालते हैं उन्होंने पूरे 1 घंटे तक अधिकारियों को अपनी वीरता से भरी हुई बातों के जरिए उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया और एक पल में उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया गया इस वक्त अधिकारी अग्नि मित्र गर्व को देख कर मुस्कुराए जा रहे थे वह गर्व से काफी प्रभावित होते हैं पर गर्व को पता होता है कि उनकी मुस्कुराहट की वजह उससे प्रभावित होने की नहीं बल्कि वह तो अब गर्व से सबसे कम के और गर्व के नजरिए से कठिन सवाल पूछने वाले होते हैं फिर अचानक ही उनके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई और उन्होंने अपने चेहरे पर गंभीर भाव को बनाकर गर्व से सवाल पूछा क्या तुम हमें बता सकते हो कि तुम और तुम्हारे सैनिकों ने उन सिंह मानवों के बनाए हुए किले के बाहर रहकर अपनी सुरक्षा कैसे की इसके पीछे का राज क्या है यह सवाल सुनकर वहां पर गर्व से ज्यादा बाकी के लोगों के कान खड़े हो गए थे इसका मतलब सीधा सीधा होता है कि वहां पर उन लोगों में ज्यादा वीरता का प्रदर्शन गर्व और उसके सैनिकों ने किया होता है यह सुनकर राज्यवर्धन सिंह के भी कान खड़े हो गए थे उसे भी बहुत देर से गर्व से यही सवाल पूछना होता है कि वहां पर गर्व के साथ उन सैनिकों ने उन हत्यारों का अंधेरे में कैसे सामना किया था यह तो उनकी युद्ध मंडल को देखते हुए नामुमकिन होता है यह सवाल सुनकर गर्व ने लंबी सांस ली और उसने वहां पर मौजूद अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों की तरफ उंगली दिखा कर कहा जैसे कि आप देख सकते ही हैं कि मुझको छोड़ कर मेरे पास कुल 15 सैनिक थे पर अब आप देख सकते हैं कि मेरे पास अभी सिर्फ सात ही सैनिक बचे है यह कहते हुए उसकी आंख भर आई उसने अपनी आंखों के आंसू को पोछने का नाटक करते हुए कहा जंग में आपके कई सारे साथी मारे जाते हैं हम लोगों ने वहां पर उस अंधेरे में हत्यारों के साथ में कड़ी लड़ाई की क्योंकि मेरे पास वहा पर बर्फीली तलवार होती है इसलिए मैंने वहां पर जमीन पर बर्फीली सतह को बनाया था और उस सतह का रंग सफेद होता है और उसके ही रंग की मदद से हमने उस अंधेरे में हत्यारों से लड़ते-लड़ते अपनी जान की बाजी लगा दी और वहां पर मुझे लगा कि हमारी वहां पर कोई मदद भी कर रहा है और वहां कोई सैनिकों के समूह नहीं होते हैं वह तो उनके ही तांडव कबीले के गद्दार होते हैं जो कि वहां पर अपने ही लोगों को मारते जा रहे थे जिससे हम लोगों की वहां पर मदद हो गई उन हत्यारे ने तो एक पल में मेरी भी हाथों से मेरी तलवार को और उसकी जादुई शक्ति को भी छीन लिया था पर मैंने वहां पर बिल्कुल भी हार नहीं मानी और मैंने खुद अपनी जान को खतरे में डालकर अपनी तलवार को वापस से छीन लिया और उस बर्फीली जगह से उन हत्यारों को पूरी तरह से खदेड़ दिया और वहां पर उस रात में मेरी बनाई हुई बर्फीली सतह का सहारा लेकर आज यहां पर मौजूद सारे लोगों की जान बच गई यह सुनकर वहां मौजूद कोई कोई सैनिकों ने अपने हाथों को मेज पर पिट लिए यह तो साफ-साफ उनके श्रेय को अपनी तरफ खींच रहा होता है उसकी बातों को सुनकर राज्यवर्धन सिंह ने भी अपना सिर हिला दिया उसने अधिकारी अग्निमित्र से कहा यह सच बात है कि गर्व बिल्कुल सच बोल रहा है क्योंकि उस रात वहां पर चारों तरफ अंधेरा होता है इसलिए वहां पर किसी भी किले का कोई भी उपयोग नहीं होता है उन हत्यारों का असली हथियार तो वहां पर मौजूद अंधेरा होता है अगर गर्व ने वहां पर बर्फ की सतह नहीं बनाई होती तो हम सारे लोग ज्यादा देर तक टिक नहीं पाते और जल्द ही वहां पर मारे जाते यहां सुनकर तो वहां पर मौजूद बाकी के सैनिक तो अधिकारी अग्निमित्र से कुछ भी कहे नहीं पा रहे होते हैं पर तभी वहां पर एक सैनिकों का मुखिया खड़ा हो गया और उसने ऊंची आवाज में अधिकारी अग्नि मित्र से कहा पर यह भी सच है कि वहां पर सारे सैनिकों ने मिलकर उस बर्फीली सतह पर उन हत्यारों का सामना किया था और वहां पर हमारे भी कई सारे लोग मारे गए थे अगर हमने साथ में मिलकर उन हत्यारों का सामना नहीं किया होता तो गर्व और उसके सैनिक अकेले ही उन हत्यारों का सामना नहीं कर पाते और वह मारे जाते यहां पर गर्व को ही सारा श्रेय मिलता हुआ देखकर उससे रहा नहीं गया और उसने वापस पूरे श्रेय को अपने पास खींचने का प्रयत्न किया तभी दूसरे पल में वहां पर हवा में बाल उड़ते हुए दिखाई दिए यह उस आदमी के मुछे होती हैं जो कि अपनी जगह से पूरी साफ होकर हवा में उड़ गई होती है उसकी पूरी की पूरी मूछों को ही अधिकारी अग्नि मित्र ने एक पल में ही साफ कर दिया और वह भी उसको पता लगे बिना यह देख कर उसकी आंखें बड़ी हो गई फिर अधिकारी अग्निमित्र ने उस मुखिया की तरफ देखा कर उसके आंखों में आंखें डाल कर थोड़ी ऊंची आवाज में कहा क्या तुम्हें पता है मैंने 1 सेकंड में 100 लोगों की चाटी बनाने का विश्व विक्रम किया है दुनिया में आज तक मेरे इस विक्रम को कोई तोड़ नहीं पाया है अगर तुम्हें आगे और भी कुछ कहना है तो बताओ यह सुनकर वहां पर मौजूद सारे के सारे लोग जोर-जोर से हंसने लगे फिर उन सब को शांत कर के अधिकारी अग्नि मित्र ने उस खड़े हुए आदमी से कहा मैं जब तक यहां हूं मेरी बात करने के बीच में यहां पर मौजूद कोई भी व्यक्ति बोलेगा नहीं नहीं तो उसकी चाटी के साथ-साथ हजामत भी हो गई समझो यह सुनकर वह जो भी हंसते जा रहे थे वह एकदम से चुप हो गए और तुम भी राज्यवर्धन सिंह अधिकारी अग्निमित्र ने राज्यवर्धन सिंह की तरफ से देखकर कहा उनकी बातों को सुनकर राज्य वर्धन सिंह ने भी अपने सिर को हिला दिया फिर अधिकारी अग्निमित्र ने गर्व के तरफ देख कर गंभीर भाव से कहा क्या तुम यह कहना चाहते हो की उन तांडव कबीले के हत्यारों में कोई ऐसा गद्दार है जिसने उस रात तुम्हारी मदद की थी और तुम दोनों ने मिलकर उन लोगों से सामना किया हां गर्व ने अपना सिर हिलाते हुए कहा फिर थोड़ी देर तक गर्व के चेहरे की तरफ देखकर अधिकारी अग्निमित्र ने फिर से सवाल पूछा और तुम्हारी तलवार का क्या वह तो तुम्हारे नियंत्रण में है ना तो फिर दूसरा कैसे कोई उसका इस्तेमाल कर सकता है उस अधिकारी अग्निमित्र का सवाल पूछने का तरीका ऐसा होता है कि गर्व को लग रहा था कि उन्हें उस पर शक हो रहा है फिर भी उनके सवालों से तनिक भी ना घबराते हुए और अपने चेहरे के भाव को पूरी तरह से नियंत्रित रखते हुए गर्व ने उनसे कहा मुझे लगता है कि उन तांडव कबिले के हत्यारो के पास मेरे जादुई शक्ति को नियंत्रित करने की शक्ति हो सकती है इसी वजह से वह वापस थोड़ी देर के लिए मेरी तलवार को अपने नियंत्रण में कर पाए मैं खुद भी इस बात से बहुत आश्चर्य चकित हु पर मैने वहां पर बिल्कुल भी हार नहीं मानी और अपनी जान को खतरे में डाल कर मैंने फिर से उनसे अपनी तलवार वापस ले ली और इसी के कारण हमारे वहां पर कुछ सैनिक भी मारे गए यह सुनकर अधिकारी अग्नि मित्र ने अपना सिर हिला दिया गर्व को बार-बार ऐसा लग रहा था उस अधिकारी अग्निमित्र को उस पर शक हो गया है वह भले ही गर्व से कुछ बोल नहीं रहे हो पर उनके शारीरिक भाषा और चेहरे के भाव से ऐसा ही लग रहा होता है कि उनको उस पर शक हो गया है पर वह खुलकर गर्व से कुछ भी बोल नहीं रहे हैं वहां पर मौजूद राज्यवर्धन सिंह के साथ-साथ बाकी के सैनिकों की मुखिया लोगों को भी यह समझ में नहीं आ रहा होता है कि अधिकारी अग्निमित्र गर्व से इतना खोद खोद कर सवाल क्यों पूछते जा रहे हैं