जब वहां पर लोगों ने देखा कि मुख्य अधिकारी विश्वजीत को भी गर्व की बातों से कोई तकलीफ नहीं है तो उन्होंने भी गर्व की तरफ से अपनी नजरें हटा ली यह सभा पूरे 2 घंटे तक चली गर्व को समझ में नहीं आ रहा था कि यहां पर सिर्फ युद्ध की रणनीतियों पर ही चर्चा की जानी है या फिर यहां पर उन लोगों को अधिकारी बनने का भी चयन किया जाने वाला है और आखिर में 2 घंटे बाद वहां के उद्घोषक ने अधिकारी आकाश सिंह के नाम की घोषणा की अब वहां पर आकाश सिंह को सामने जाकर मुख्याधिकारी विश्वजीत से चर्चा करनी होती है यह देख कर गर्व के जान में जान आई उसे यह 2 घंटे किसी 200 साल की कम नहीं लगे वह तो इस वक्त एक केंद्रीय अधिकारी बनने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक था उसे तो सब्र ही नहीं हो रहा था जल्द ही अधिकारी आकाश सिंह मुख्य अधिकारी विश्वजीत के सामने आ गए इस वक्त इस राज्यसभा के बीच में जो खुली जगह होती है वहां पर अधिकारी आकाश सिंह खड़े होते हैं और वह विश्वजीत से ऊंची आवाज में चर्चा करते जा रहे थे वह उनको पहाड़ियों में मौजूद हत्यारों के बारे में बताते जा रहे थे और साथ ही उन्होंने विश्वजीत जी को गर्व के बारे में और वहां पर जो भी हत्यारों से बच कर आए थे उन सब के बारे में भी बताना चालू किया उन्होंने यह बताया कि यह कितनी आश्चर्य की बात है कि वहा उन हत्यारों के जो कोई भी गुलाम बने वह आज तक वहां से वापस नहीं आए पर गर्व के साथ जो बाकी के सैनिक होते हैं वह आश्चर्यजनक रूप से बाहर आ गए यह सुनकर वहा पर मौजूद सारे लोग गर्व के साथ जो बाकी राज्यों के सैनिक उन हत्यारो के चंगुल से छूट कर बाहर आ गए थे उनके तरफ आश्चर्य के भाव से देखे जा रहे थे बिना कोई खास हथियार होते हुए भी वह उन हत्यारों से बचकर बाहर निकल गए यहां काफी बड़ी बात थी वह सोच रहे थे कि इसमें कोई बड़ी बात है जो कि उन्हें दिखाई नहीं दे रही है फिर ऐसा भी हो सकता है कि वह सारे के सारे तांडव कबीले के साथ मिले हुए हो सकते हैं और वहां पर केंद्रीय अधिकारियों की जासूसी करने के लिए यहां पर आए हुए हो पर अधिकारी आकाश सिंह ने जैसे कि बताया कि उन लोगों ने खुद उस तांडव कबीले के रहस्यमई हत्यारे से मुकाबला करते हुए उन सब को छुड़ाया है तो फिर उनका शक थोड़ा कम हो गया फिर वहां पर अधिकारी आकाश सिंह ने जिन जिन का उन्होंने केंद्रीय अधिकारी बनने के लिए चयन किया था उनके नामों की भी घोषणा की उन नामों में बेशक गर्व का नाम भी शामिल था यह गर्व के लिए उसकी पिछली जिंदगी को जानने के लिए पहला कदम था तभी गर्व को वहा पर मौजूद लोगों के बीच में एक जाना पहचाना चेहरा दिखाई दिया यह चेहरा उसे पहले भी दिखाई दिया था यह उस नर्स का चेहरा होता है जो कि उसे पहले भी उसे दिखा था और बाद में उसका चेहरा फिर से बदल गया था यह वही एक किशोर युवती का चेहरा था गर्व ने फिर उस व्यक्ति की तरफ देखा जहां पर उसे वह चेहरा दिखा था पर जैसे ही गर्व ने उस चेहरे की तरफ देखा वह चेहरा फिर से बदल चुका था गर्व को लगा की यह उसके साथ क्या हो रहा है कहि यह उसके काले ध्यान शक्ति का कोई दुष्परिणाम तो नहीं है फिर उसने अपने मन में आ रहे नकारात्मक विचारों को बाहर कर दिया क्योंकि जल्द ही अधिकारी आकाश सिंह ने जिन जिन का केंद्रीय अधिकारी बनाने के लिए चयन किया जाने वाला था उनके नामों की घोषणा की उन नामो में बेशक गर्व का नाम भी शामिल था यह गर्व के लिए उसकी पिछली जिंदगी के सच को जानने के लिए पहला कदम था अधिकारी आकाश सिंह ने गर्व के साथ साथ राज्यवर्धन सिंह और सुकेशसिंग और वीरसिंह के नामों की घोषणा की गर्व को छोड़कर यह जो भी बाकी के 3 लोग थे यह सब बड़े राज्यों से ताल्लुक रखते थे उनका केंद्रीय अधिकारी के लिए चयन होना स्वाभाविक था आमतौर पर बड़े राज्यों के लोगों को ही केंद्रीय अधिकारी के चयन के लिए प्राधान्य दिया जाता था क्योंकि उनके ही पास से केंद्रीय अधिकारियों को काफी सारी धनदौलत और साधनसंपत्ती दी जाती थी और पर छोटे राज्य के लोगों का केंद्रीय अधिकारी के लिए चयन न के बराबर किया जाता था जैसे ही गर्व का केंद्रीय अधिकारी के लिए चयन हो गया गर्व के वहा पर जो सैनिक थे उन्होंने एक ही जल्लोष किया वह लोग खुशी में आपस के गले मिलने लगे क्योंकि यहां पर पहले ही एक युद्ध के लिए योजना की जा रही थी इसलिए यहां पर गर्व को जल्लोष करना ठीक नहीं लग रहा था और उसने अपने सैनिकों की तरफ देखकर उन्हें इशारे से शांत रहने को कहा गर्व का इशारा मिलते ही गर्व के सारे सैनिक शांत हो गए यहां पर जिसका केंद्रीय अधिकारी के लिए चयन हो गया था इस वक्त वह अधिकारी आकाश सिंह के पास खड़े हो गए थे गर्व भी वहां पर खड़ा हो गया था वहां पर जो कोई भी बाकी के अधिकारी लोग मौजूद थे वह उनकी खुशी को समझ सकते थे जब उनकी भी केंद्रीय अधिकारी के लिए चयन हुआ था वह भी ऐसे ही खुश हो गए थे उन्होंने जैसे ही देखा कि उनके सैनिकों ने जल्लोष करना बंद कर दिया है उन लोगों ने उनसे कहा कोई बात नहीं तुम खुशियां मना सकते हो आखिर तुम केंद्रीय अधिकारी बन गए हो यहां पर खुशियों को मनाना पाप नहीं है फिर यह सुनकर उन्होंने गर्व की तरफ देखा था गर्व ने भी उनको देखकर अपना सिर हिला दिया यह देखकर वह सैनिक खुश हो गए और उन्होंने वापस से गगर्व के नाम का जल्लोष करना चालू कर दिया दरअसल वहां पर जो कोई भी अधिकारी मौजूद थे उनकी नजर में वह तांडव के हत्यारे कुछ भी नहीं थे वह उनके सामने एक चींटी के बराबर थे जिन्हें वह कभी भी मसल कर रख सकते हैं इसीलिए उन्होंने गर्व के सैनिकों को इस गंभीर समय में भी जल्लोष करने की छूट दे दी गर्व भी यह समझ गया कि वह अधिकारी लोग क्या सोच रहे हैं इसलिए उसने भी अपने सैनिकों को जल्लोष करने की छूट दे दी पर यहां पर गर्व भी जानता था कि वह तांडव कबीले के हत्यारे कितने खतरनाक होते हैं उनकी गहराईयां का पता तो उसको भी नहीं है कि वह कितने घिनौने और खतरनाक हो सकते हैं और वह क्या-क्या कर सकते हैं उसके सैनिकों के जल्लोष मनाने से उसे कोई भी फर्क नहीं पड़ता था उसे तो बस एक केंद्रीय अधिकारी बनने का लक्ष्य होता है और उसके जरिए अपनी पिछली जिंदगी की सच्चाई को जानने की चाहत रखता था और अब वह अपने लक्ष्य की ओर पहली सीडी को चढ़ चुका होता है और उसके सामने अब सीडीओ का पूरा पहाड़ होता है और वह उसके सामने के पहाड़ की चोटी को देख सकता था इस वक्त वहां पर राज्यवर्धन सिंह के साथ-साथ सुकेश सिंह और विराज सिंह भी खुशियां मना रहे थे वह एक दूसरे के गले मिलने लगे इस वक्त वह गर्व के भी गले लगने वाले थे पर इस वक्त गर्व को उसके सैनिकों ने चारों तरफ से घेर लिया होता है और वह गर्व के जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे उनको जल्लोष मनाता हुआ देखकर वहां पर मौजूद मुख्य अधिकारी विश्वजीत के साथ-साथ बाकी के अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उन सब को अपने केंद्रीय अधिकारी की परीक्षा के दिन याद आ गए उन्होंने भी इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद ऐसा ही जल्लोष करके खुशियां मनाई थी तभी वहां पर किसी के रोने की आवाज आने लगी यह किसी लड़की की रोने की आवाज थी यहां देखकर गर्व आश्चर्यचकित हो गया यहां अचानक कैसे रोने की आवाज आने लगी और साथ ही वहां पर मौजूद लोग भी इस लड़की के रोने की आवाज के कारण आश्चर्यचकित हो गए इतनी खुशी के माहौल में कौन है जो कि यहां पर रोए जा रहा है इस वक्त गर्व को उसके भरतपुर राज्य के सैनिकों ने अपने कंधों पर उठाया हुआ था वह भी उस लड़की के रोने की आवाज की तरफ देखने लगे इसके बाद उन्होंने अपने कंधों पर से गर्व को नीचे उतार दिया वहां एक लड़की थी जिसने अभी अभी राज सभा में प्रवेश किया था और वह रोते हुए सामने की तरफ दौड़ते जा रही थी यह देखकर गर्व चौकन्ना हो गया उसे वहा पर कुछ गडबड होने का अहसास होते जा रहा था वह एक किशोर लड़की होती है और वह रोते-रोते पिताजी मुझे बजाइए मुझे बचाइए कहकर मुख्याधिकारी विश्वजीत के तरफ भागे जा रही थी गर्व को समझ में आ गया वह लड़की मुख्याधिकारी विश्वजीत की बेटी होती है उसको वहां पर किसी ने परेशान किया होता है इसलिए वह अपने पिताजी की तरह रोते हुए आई थी इसका तो उसको कोई खतरा नहीं होता है पर इस राज्यसभा में जो कोई बाकी के लोग मौजूद होते हैं वह सब उस लड़की को देखकर हैरान हो गए थे वह विश्वजीत जी की भी बेटी होती है पर वह इस बात से हैरान थे कि वहां पर किसकी इतनी हिम्मत है कि वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत जी की बेटी को तंग कर सके और साथ ही वह लड़की भी इतनी ताकतवर और शुरवीर थी कि वह अकेले ही किसी भी खतरे का सामना कर सकती है फिर उस पर हमला करने की गलती यहां पर कौन कर सकता है वह भागते भागते विश्वजीत जी के पास जा रही थी उस राजसभा के बीच में जो अधिकारी आकाश सिंह और गर्व के साथ बाकी के सैनिक खड़े थे उनके ऊपर उसने तनिक भी ध्यान नहीं दिया और वहां विश्वजीत जी के पास चली गई उसको देखकर गर्व को ऐसा लग रहा था इसको उसने पहले भी कहीं पर देखा हुआ है उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था कि उसको उसने पहले कहां पर देखा है उसकी शारीरिक बनावट को उसने पहले कहीं पर देखा है तभी उसे याद आया कि इसे तो उसने पिछली रात को ही देखा था जब उसने अपनी बालकनी से सबसे ऊपर की मंजिल पर देखा था उसने वहां पर ऐसी ही शारीरिक बनावट की लड़की को उसने देखा था जो कि लगातार उसके ही तरफ देखे जा रही थी इसके बाद वह अपने कमरे में वापस आ गया था विश्वजीत जी अपने आसन पर से खड़े हो गए थे और उन्होंने अपनी बेटी को अपने सीने से लगा दिया अरे बेटी क्या हुआ तुम्हें किसने तुमको तकलीफ पहुंचाई है और ऐसा कौन है जिसमें इतनी हिम्मत है कि वह तुम को चोट पहुंचा सके वह लगातार रोते ही जा रही थी वह चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी विश्वजीत जी उसके माथे को अपने हाथों से थपथपा रहे थे थोड़ी देर बाद जब वह शांत हो गई तो उसने रोते हुए ही उनसे कहा पिताजी मेरी इज्जत लूटी गई है मेरा बलात्कार हुआ है यह सुनकर उस राज्यसभा में खलबली मच गई