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इस वक्त भले ही उसकी शारीरिक शक्ति बढ़ती जा रही हो पर उसके नसों और मांसपेशियों का आकार वैसे का वैसा ही था उसका आकार तनिक भी घटा या बड़ा नहीं था यह सब उसके काले ध्यान साधना के अभ्यास के कारण ही होते जा रहा था अचानक उसकी कानों में एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई पड़ी और उसकी आंखें अचानक से खुल गई उसकी आंखे जैसे ही खुली उसकी आंखों में से बाहर की तरफ काला खून उछलकर बाहर की तरफ गिर गया और वह जहां पर गिरा उस जगह का धातु गर्मी के कारण जलने लगा तभी वह अचानक होश में आया उसे अपनी शक्ति का उपयोग ऐसे ही नहीं करना है उसे अपनी शक्ति को एक खास समय के लिए बचा कर रखना है और उसे जैसे ही वक्त मिले वह मुख्याधिकारी विश्वजीत के सर को उसके धड़ से अलग कर देगा यह सब उसके काले ध्यान की साधना में डूब जाने से हुआ था इस वक्त उसके शरीर का सारा खून पूरा काला हो गया था और साथ ही उसकी आंखों की पुतलियां भी पूरी काली हो गई थी फिर उसने तुरंत ही लंबी लंबी सांसो को लेना चालू कर दिया और अपने काले ध्यान शक्ति को नियंत्रित किया फिर उसकी आंखें वापस से सामने सामान्य स्थिति में आ गई जिस कारण से उसने अभी अपनी आंखें खोली थी इसलिए उसने आसमान की तरफ देखा वहां ऊपर आसमान में बादलों के बीच में इस वक्त और कोई नहीं बल्कि कालीचरण का पक्षी मौजूद था जो कि पिछले बार की लड़ाई में उसके हाथों से बच निकला था क्योंकि वहां पर उनके लड़ाई के बीच में अधिकारी आकाश सिंह आ गए थे उनको देखकर ही वह वहां से भाग गया था नहीं तो गर्व उसी दिन उसको अपनी खतरनाक योजनाओं से मार डालता आज उसे फिर से उसको मारने का एक और मौका हाथ लगा है और वह इस बार उससे बिल्कुल भी चुकेगा नहीं गर्व तो मानो इस वक्त अपने होश में ही नहीं होता है उसके आखों में बदले की धधकती ज्वाला देखी जा सकती थी आसमान में वह कालीचरण का पक्षी घूम रहा होता है पर यहां पर नीचे सब कुछ सामान्य होता है यहां पर तो केंद्रीय सत्ता के सैनिक होते हैं वह गर्व की सुरक्षा करते जा रहे थे वह गर्व की सुरक्षा इसलिए नहीं करते जा रहे थे क्योंकि वहां कोई बहुत बड़ा आदमी हो वह उसकी सुरक्षा इसलिए कर रहे होते हैं क्योंकि वहां एक हलाल होने वाला बकरा है और वह जल्द ही हलाल होने वाला था वहा तो राहत की बात तो यह थी कि वहां पर किसी ने भी उस धातु में लगी आग को देखा नहीं था वह जहा पर गर्व की आंखों से काला खून निकला था उस काले खून को गर्व ने अपनी शक्ति के उपयोग से उसको वापस अपने शरीर के अंदर भेज दिया वह खून की बंद जमीन पर से उठ कर उसके पैरों की उंगलियों की तरफ चली गई क्योंकि वहां पर किसी को पता नहीं चले कि वहां पर क्या हुआ था गर्व वहा पर देखता है कि वहां पर तमाशा बीन लोगों की भीड़ लगना चालू हुई है वह सारे के सारे इस तमाशे को देखने के लिए यहां पर इकट्ठा होते जा रहे थे वह सारे के सारे हजारों की संख्या में थे वह वही लोग थे जो सैनिकों के रिश्तेदार और दोस्त थे जिनको गर्व ने अपनी जान पर खेलकर उन तांडव कबीले के हत्यारों की गुलामी से छुड़ाया था और वह सारे के सारे आज उसी के मौत के तमाशे को देखने के लिए यहां पर इकट्ठा हुए हैं गर्व तो उनके तरफ देखकर थूकना चाहता था पर गर्व ने उन सब से तरफ से अपना ध्यान हटा दिया इस पिरामिड की इमारत में जो बालकनिया होती है वहां पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई होती है वह सारे के सारे इस तमाशे के खेल को देखने के लिए यहां पर इकट्ठा हुए थे गर्व तो उनके सिर भी नहीं गिन पा रहा था और आसमान में केंद्रीय सत्ता के युद्धपोत भी मंडराने लगे थे वहां पर इस तमाशे में कोई अनहोनी ना हो इसके लिए वह यहां की सुरक्षा करते जा रहे थे और उन्हें तो पता भी नहीं कि यहां पर क्या होने वाला है वहां आसमान में बहुत ज्यादा ऊंचाई पर बादलों के बीच में से गर्व कालीचरण के पक्षी की चीखने की आवाज को साफ-साफ सुन सकता था वह वहां पर बादलों के बीच में से लगातार उड़ते जा रहा था और वह वहां पर जो युद्धपोत थे वह उस पक्षी के तरफ दुर्लक्ष करते जा रहे थे क्योंकि आसमान में बहुत ज्यादा पक्षी उड़ते रहते हैं और वह हर एक के तरफ शक नहीं कर सकते हैं और उन पर हमला नहीं कर सकते है और ऐसा भी हो सकता है कि वह युद्ध पोत में जो सैनिक या अधिकारी लोग सवार हो वह भी उस मुख्याधिकारी विश्वजीत की तरह तांडव कबीले से मिले हुए हो सकते हैं इसलिए वह उनके तरफ दुर्लक्ष करते जा रहे हैं तभी अचानक तुतारी बजने की आवाज आने लगती है वह जो पिरामिड का लंबा चौड़ा दरवाजा होता है अचानक से खुल जाता है और उस दरवाजे से मुख्य अधिकारी विश्वजीत के साथ-साथ और बाकी के अधिकारी लोग उसके तरफ बड़े चले आ रहे थे उनके रास्ते के दोनों बाजू पर केंद्रीय सत्ता के सैनिक खड़े हुए थे और उनमें से कुछ कुछ सैनिकों ने तूतारी पकड़ी हुई थी और वह सैनिक तुतारी बजाते हुए उनका स्वागत कर रहे थे उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने उसके हलाल होने को एक कार्यक्रम का रूप दे दिया था वह इसका भांडवल बनाते हुए खुद के नाम को ऊंचा बनाना चाहते थे वह जल्द ही गर्व के पास आ गए उनके साथ और भी बाकी के केंद्रीय सत्ता के उच्च अधिकारी मौजूद थे वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत जैसे ही गर्व के पास आए और गर्व ने सोचा यही यही समय है जा और जाकर उसके सिर को उसके धड़ से अलग कर दो तभी वह अपनी जगह पर रुक गए वह गर्व के 3 मीटर की दूरी पर खड़े थे और इतनी दूरी पर गर्व उनके ऊपर जानलेवा वार नहीं कर सकता था इसलिए उसे अपनी योजना को रद्द करना पड़ा वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत जैसे ही वहां पर एक जगह पर रुके वहां मौजूद एक सैनिक ने उनको एक ध्वनि क्षेपक लाकर दिया पर उन्होंने वह ध्वनि क्षेपक नहीं लिया और वह गर्व की तरफ पीठ करके पिरामिड की दिशा में खड़े हो गए उन्होंने वहां मौजूद लोगों की तरफ देख कर कहा भाइयों और बहनों आज हमें एक जरूरी माजरा सुलझाना है उनकी आवाज इतनी बड़ी थी कि उन्हें किसी भी ध्वनि क्षेपक की जरूरत ही नहीं थी उनकी आवाज बहुत ही बड़ी होती है वह पूरे इमारत के परिसर में चारों तरफ फैलती जा रही थी उनकी बातों को वहां मौजूद सारे लोग अपने कान देकर सुनते जा रहे थे अब तक तो यह बात पूरे इमारत में हर लोगों की तरफ पहुंच गई होती है कि गर्व ने उस मुख्याधिकारी विश्वजीत की बेटी अवनी के ऊपर बलात्कार किया था और उसी के कारण उसको वहां पर एक लकड़ी के डंडे पर लटकाया गया था वहां पर जो कोई भी लोग मौजूद होते हैं वह सभी एक तमाशे को देखने के लिए वहां पर मौजूद होते हैं उन्हें तो सही या गलत से कोई भी फर्क ही नहीं पड़ता था उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने अभी तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि उसकी बेटी अवनी के पास ऐसा कौन सा सबूत है जिससे साबित हो सके की गर्व ने ही उस पर बलात्कार किया है उसको वहां पर सिर्फ एक आरोप के चलते ही दंड दिया जा रहा था उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने आगे कहा हमारी दुनिया में किसी बलात्कारी को क्या सजा दी जाती है उन्होंने उनके सामने खड़े लोगों से सवाल पूछा तभी उनमें से एक ने ऊंची आवाज में जवाब दिया उसे हाथियों के पैर के नीचे कुचल कर रखना चाहिए दूसरे ने कहा उसके सिर को अपनी जगह पर ही उसके धड़ से अलग कर देना चाहिए तीसरे ने कहा उसे केन्द्रीय सत्ता की पिरामिड की ऊंचाई से नीचे फेंक देना चाहिए यह सुनकर वहा मौजूद सारे के सारे लोग जोर-जोर से हंसने लगे वह किसी के मौत के तमाशे को देखकर हंसते जा रहे थे उसकी बातों को सुनकर मुख्य अधिकारी विश्वजीत जोर से ठहाका मारते हुए हस पड़े गर्व उन सारे हंसते हुए लोगों की तरफ ध्यान से देखे जा रहा था यह वही लोग थे जिनको उसने गुलामी से बचाया था और यह आज उसके मौत के तमाशे को देखकर मजे लेते हुए हंसते जा रहे थे फिर अचानक आसमान में पक्षियों के चिलाने की आवाज आने लगी गर्व को यहां पर इसी बात की उम्मीद थी कि यहां पर यही होने वाला है वह तांडव कबीले के पक्षी आसमान में चारों तरफ आने लगे और उन्होंने वहां पर अचानक ही हमला कर दिया उन पक्षियों ने जैसे ही वहां पर हमला किया मुख्याधिकारी विश्वजीत की भी नजर उनके तरफ चली गई और उन्होंने अपनी म्यान से अपनी तलवार निकाल दी और उन्होंने उस आसमान में उड़ रहे पक्षियों की तरफ छलांग लगा दी गर्व उनके तरफ ध्यान से देखे जा रहा था उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने अपनी तलवार को इतनी कम गति से निकाला था जैसे वह कोई युद्ध के लिए नहीं जा रहे हो उनकी गति को उसने पहले भी देखा था यह कोई उनकी असली गति नहीं होती है वह तो 1 सेकंड हजारवे हिस्से में अपनी प्रतिक्रिया करने में सक्षम थे पर यह गति तो उनके 1 सेकंड के पूरे 1 हिस्से की भी गति नहीं थी उनोहने अपनी तलवार को निकालकर आसमान की तरफ छलांग लगा दी और वह आसमान में उड़ते हुए उन पक्षियों का मुकाबला करते जा रहे थे उस आसमान में अचानक लाखों की तादाद में तांडव कबीले के पक्षी जमा हो गए उन्होंने आसमान में सूरज को पूरी तरह से ढक दिया और यहां पर नीचे चारों ओर अंधेरा हो गया यह नीचे कुछ भी दिखाई नहीं दिए जा रहा था जो आसमान में पहले से ही युद्धपोत मंडरा रहे थे उन्होंने भी अपना निशाना पक्षियों की तरफ कर दिया और वह उन पर हजारों की तादाद में मौजूद पक्षियों पर ऊर्जा की गोलियों की बरसात करते जा रहे थे उन पक्षियों के पीठ पर तांडव कबीले के हत्यारे बैठे हुए थे वह अब जमीन पर नीचे उतर गए और केंद्रीय सत्ता के सैनिकों से लड़ाई करते जा रहे थे साथ ही उस केंद्रीय सत्ता की इमारत की दीवारों से तोपे अपने आप ही बाहर निकली और वह उन हत्यारों की तरफ तोपगोलों की बारिश करते जा रहे थे