तभी उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने उस लकड़ी के डंडे को अपने हाथ में पकड़ कर उसको एक झटका दिया उसको झटका देते ही वह लकड़ी के डंडे ने अपने आकार को बदलना चालू किया वह तो पहले सिर्फ एक ही फिट का होता है और वह झटका देते ही अचानक ही बड़ा होने लगा और वह एकदम से 8 फीट का हो गया फिर उन्होंने उस 8 फीट के डंडे को गर्व के शरीर के छाती पर चिपका दिया वह डंडा जैसे ही गर्व की छाती पर चिपक गया उस डंडे ने अचानक अपने आकार को बदलना चालू कर दिया और उस डंडे से कई सारे लकड़ी से बने हाथ निकलने लगे और वह गर्व के पूरे शरीर पर लिपट गए वह हाथ गर्व के हाथ से लेकर उसके पैरों पर चिपक गए और उनके अंदर से सुइया निकालने लगी और वह सुईया गर्व के शरीर के अंदर चली गई वह लगातार गर्व को तकलीफ पहुंचा रही थी पर आश्चर्य की बात यह होती है कि इतना तकलीफ देने के बावजूद भी गर्व ने से अपने मुंह से आह तक की आवाज नहीं निकाल रहा था उसके दिमाग में इस वक्त बदला लेने का भूत सवार हो गया था वह लगातार मुख्य अधिकारी विश्वजीत की आंखों में आंखें डालकर उन्हें देखे जा रहा था वह भले ही मुंह से कोई आवाज नहीं निकाल रहा हो और उसको उन सुइयो के कारण ऐसे लग रहा था कि उन सुई के कारण उसके प्राण उसके शरीर से लगातार अंदर बाहर होते जा रहे हैं उसको उस लकड़ी के डंडे से लिपट कर ऐसे शांत रहते हुए देखकर वहां पर मौजूद सैनिकों की आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गई थी एक सैनिक ने कहा है आखिर यह किस मिट्टी का बना है पहले तो कोई भी अपनी चीखे बंद नहीं कर पाता था यह तो ऐसा है कि जैसे कि उसे कुछ महसूस ही नहीं हो रहा है फिर उस उस दूसरे सैनिक ने कहा पहली बात तो यह है कि उसने ऐसा किया क्या जो उसे ऐसी खतरनाक सजा मिली है आजतक उन्हीं को यह सजा मिली है जो कि हमारे इमारत में जासूसी करते हुए पकड़े गए पर इस किशोर जैसे दिखने वाले युवक को तो हमने पहले कभी देखा तक नहीं इसका नाम भी नहीं सुना फिर इस बेचारे गरीब बच्चे को ऐसी सजा क्यों दी जा रही है तभी वहां पर मौजूद तीसरे सैनिक ने कहा अरे वह सब छोड़ो यह देखो कि इस वक्त उसके चेहरे पर दर्द की एक लकीर तक नहीं है पहले तो जिस किसी को भी यह सजा मिली थी वह तो दर्द के मारे से चीखना बंद नहीं करते थे वह तो उस मुख्याधिकारी विश्वजीत के तरफ ऐसे देखे जा रहा है कि वह उसके हाथ खुलते ही उनको खा ही जाएगा फिर थोड़ी देर तक वह मुख्याधिकारी विश्वजीत भी गर्व की तरफ देखते हुए वहीं पर खड़े रहे फिर वह उसको देखते हुए कुछ कदम तक पीछे गए और उन्होंने गर्व को देखकर एक कुटिल मुस्कान दी और उन्होंने अपने सिर को ऊपर किया और तुरंत ही वह ऊपर की तरफ हवा में उड़ गए वह लगातार हवा में आवाजों की तरंगों को पीछे छोड़ते हुए ऊपर उड़ गए और देखते ही देखते वह उस इमारत के सबसे ऊंची मंजिल की तरफ चले गए वह जैसे ही वहा पर गए उन्होंने पलटकर वापस गर्व की तरफ एक नजर देखा और वह उस मंजिल के अंदर चले गए उन्होंने जैसे ही गर्व को एक कुटिल मुस्कान थी गर्व समझ गया कि वह उससे क्या कहना चाह रहे थे वह उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुका है और वह चाह कर भी कुछ भी नहीं कर सकता है उनके साथ उनकी जो बेटी है अवनी उन्होंने यह सब जानबूझकर नाटक रचा है उनको गर्व को यहां पर फसाना था अगर उन्होंने ऐसे ही गर्व पर और उसके सैनिकों पर हमला कर दिया होता तो उनको बाकी के अधिकारियों को जवाब देना पड़ता पर उनकी बेटी ने उस पर बलात्कार का आरोप लगाया होता है और जब भी कोई लड़की किसी लड़के पर बलात्कार या जबरदस्ती करने का आरोप लगाती है तब हमेशा ही जिस पर आरोप लगता है उसको कुछ भी ना सोचे समझे हुए उसे आरोपी मान लिया जाता है उन्होंने यहां पर वही किया है और वहां पर सारे के सारे अधिकारी गर्व के सैनिक कीड़े मकोड़ों की तरह मरते हुए देखते रह गए थे वहां पर एक ने भी सामने आकर उस मुख्याधिकारी विश्वजीत को रोकने का प्रयास नहीं किया इस वक्त गर्व के गुस्से का पारा सातवें आसमान पर पहुंचा हुआ था उसे तो सिर्फ एक ही चीज दिखाई दिए जा रही थी अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों के निर्घुन हत्या का बदला उस मुख्याधिकारी विश्वजीत की हत्या से लेना क्योंकि गर्व उस कमरे के बाहर आ गया था इसलिए उस पर इस वक्त किसी दूसरे शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ रहा होता है क्योंकि यह रात का समय होता है इसीलिए गर्व को इस वक्त मारना मुख्य अधिकारी विश्वजीत को ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह कल सुबह होते ही गर्व को सबके सामने मार डालने वाले थे यह बात गर्व अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि इस वक्त उसके शरीर पर किसी भी दूसरे जादुई शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ रहा होता है इसलिए इस वक्त वह अपने काले ध्यान शक्ति का उपयोग कर सकता था उसे इस वक्त किसी भी बात का कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा होता है उसे अगर नकारात्मक शक्ति का भी उपयोग करना पड़े तो इसे बेझिझक करेगा और उस अधिकारी विश्वजीत के सिर को उसके धड़ से अलग कर देगा उसके पास कल सुबह तक का समय होता है तब तक उसे अपने ध्यान शक्ति से अपनी ताकत इतनी बढ़ानी होगी कि वह उस मुख्याधिकारी विश्वजीत का सामना कर सके भले ही इस वक्त उसके शरीर में कुछ भी शक्ति ना हो इस वक्त अपनी शक्ति का प्रयोग करने में भी सक्षम ना हो पर वह अपने ध्यान शक्ति के बल पर फिर से ताकतवर होने की क्षमता रखता है उसने तुरंत ही काले ध्यान शक्ति की साधना करना चालू कर दिया उसने पहले तो अपने सिर को थोड़ा नीचे झुका कर उसको एक जगह पर स्थिर कर दिया है जिसके कारण उसके शरीर की किसी भी अंग की हलचल ना हो पर यह बात अलग होती है कि इस वक्त उसके शरीर में कई सारी सुईया अंदर बाहर होते जा रही थी पर फिर भी गर्व ने अपने दर्द को नजरअंदाज करते हुए एक जगह स्थिर हो गया था और उन सुइयो को उनका काम करने देते जा रहा था पर वह खुद से अपने शरीर को 1 सेंटीमीटर भी नहीं हिला रहा था वह 1 सेकंड के भीतर गहरे काले ध्यान की अवस्था में चला गया उसने जैसे ही अपने सर को नीचा किया वहां पर पहरा दे रहे जो सैनिक थे उन्हें ऐसा लगा कि वह इस दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाया और वह स्वर्गवासी हो गया है फिर एक सैनिक ने उसके पास जाकर उसके नाक के सामने अपने एक उंगली को रखा वह यह देख रहा था कि गर्व अभी तक जिंदा है या नहीं वह उसकी सांस की गति का निरीक्षण कर रहा था उसने जैसे ही देखा कि गर्व के सांस की गति सामान्य गति से चल रही है तब उसकी आंखें आश्चर्य के कारण बड़ी हो गई वह वैसे ही वहां पर थोड़ी देर तक खड़ा रहा उसको वहां पर ऐसे खड़ा रहता हुआ देखकर जो दूर पर केंद्रीय सत्ता के सैनिक खड़े थे उन्होंने उसे थोड़ी ऊंची आवाज में कहां अरे क्या हो गया बच्चा मर तो नहीं गया नही तो वहां पर ऐसे भूत की तरह क्यों खड़े हो ज्यादा देर मत करो नही तो हम अभी जाकर उच्चाधिकारियों से बात करके उसके अंतिम संस्कार की बात करते हैं वैसे भी वह आखिर कब तक सह सकता था यह सुनकर वह सैनिक बड़ी बड़ी आंखों से उनकी तरफ देखने लगा उसकी बड़ी-बड़ी आंखों को देख कर वह सैनिक भी हड़बड़ा गए फिर उसने ऊंची आवाज में उनसे कहा यह बच्चा अभी तक मरा नहीं है वह अभी भी जिंदा है यह सुनकर उन सैनिकों की भी आंखें आश्चर्य के कारण बड़ी हो गई उन्हें भी उस सैनिकों की बात पर यकीन नहीं हो रहा था उन्हें तो लगा कि वह उन सबके साथ कोई मजाक कर रहा है पर उसकी बड़ी-बड़ी आंखों को देखकर नहीं लगा कि वह सच में वह उनसे मजाक कर रहा है फिर भी उन्होंने उस सैनिक से कहा अरे मजाक मत करो वह तो अपने मुंह से एक आवाज तक नहीं निकल रहा है वहां पर लटक के तो अच्छे अच्छे लोगों की चीखे निकल चुकी है पर तुम कह रहे हो कि वह बच्चा इतने दर्द को सहते हुए भी अभी तक जिंदा है यह सुनकर उसने अपने सिर को हां कहते हुए हिला दिया यह सुनकर तो उन्हें भी काफी आश्चर्य हुआ उन्हें भी उस सैनिक की बात पर यकीन नहीं हो रहा था फिर उन्होंने भी बारी-बारी उसकी सांसों का परीक्षण किया उसकी सांसे तो सामान्य गति से चल रही थी यह देखकर तो उन्हें आश्चर्य का धक्का ही लग गया उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे कैसे कोई किशोर युवक इतनी ज्यादा दर्द को इतने आराम से सह सकता है आमतौर पर जिसके भी शरीर को तकलीफ पहुंचाई जाती है उसकी सांसों की गति बहुत ज्यादा बढ़ जाती है पर आश्चर्य की बात तो यह थी कि गर्व को इतनी ज्यादा तकलीफ रहते हुए भी उसके सांसों की गति एकदम ही सामान्य होती है वह तो ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई ध्यान साधना कर रहा है तभी उन सैनिकों में से एक ने कहा कही यह बच्चा ध्यान साधना को नहीं करते जा रहा है यह सुनकर उन सारे सैनिकों की आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गई और वह सारे के सारे बड़े-बड़े आंखों से गर्व के तरफ देख कर उसे घूरे जा रहे थे वह सैनिक साफ-साफ देख सकते थे कि कैसे वह लकड़ी के डंडे में लगी हुई सुईया उसके शरीर के अंदर बाहर होते जा रही है फिर भी वह अपने शरीर के किसी भी अंग की तनिक भी हलचल नहीं कर रहा होता है गर्व तो इस वक्त उन सबसे बेखबर होता है वह इस वक्त अपने ध्यान साधना में पूरी तरह से लीन हो चुका होता है वह तो गहरे ध्यान के अवस्था में चला गया था कि उसे किसी भी चीज की कोई आवाज नहीं आ रही थी भले ही उसके कान सही सलामत काम कर रहे होते हैं उसकी स्मृति और ध्यान किसी दूसरी जगह पर चली गई होती है जहां से वह लगातार शक्ति को अपने शरीर में सोखे जा रहा था और वह पूरी शक्ति उसकी नसों से लगातार तेज गति से बहती जा रही थी उसे अब अपने शारीरिक आकार को नियंत्रित करने की शक्ति आ चुकी थी