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उसको अपने तरफ आता हुआ देखा कर वहां नीचे जो सैनिक बैठे हुए होते हैं उनमें से एक सैनिक ने अपनी तलवार की नोक को उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत की तरफ करते हुए कहा तुम्हें अपने पापों का फल जल्द ही मिलेगा तुम मुख्याधिकारी हो इसका मतलब यह नहीं है कि तुम कुछ भी कर सकते हो तुम कोई भगवान नहीं हो भगवान तुम्हें तुम्हारे पापो के लिए जल्द ही सजा देंगे तभी वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत उसके तलवार की नोक की तरफ आ गए उन्होंने अपने हाथ का पंजा तलवार की नोट की तरफ रख दिया वह तलवार की नोक जैसे ही उनके हाथ के पंजे पर टकराई तभी लोहे की लोहे से टकराने की आवाज आई मानो उनका पूरा शरीर किसी धातु का बना होता उन्होंने उस नोक पर अपने हाथ के पंजे से दबाव बनाकर आगे की तरफ बढ़ना चालू किया यह देखकर तो गर्व की आंखें हैरानी की वजह से चौड़ी हो गई गर्व को पता था कि उस तलवार का वजन 50 किलो से भी ज्यादा है और वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत उस तलवार के धातु की नोक पर ऐसे दबाव बनाकर आगे की ओर बढ़ते जा रहे थे कि जैसे वह कुछ भी ना हो वह तलवार तो किसी कागज के पन्ने की तरह पीछे की तरफ अपना आकार बदलते खिसकते जा रही थी जिसके कारण जिस सैनिक ने उस तलवार को पकड़ा हुआ था उसके हाथों पर बहुत ज्यादा दबाव बन चुका था पर फिर भी वह अपनी तलवार को सीधा पकड़े हुए था उसके हाथों पर इतना दबाव बढ़ गया था कि उसके हाथों की नसें मोटी हो गई और वहां अचानक से फट गई फिर भी उसने उस पूरे दबाव को झेल कर रखा था और उसने वह तलवार अभी भी पूरी सीधी पकड़ी हुई थी आखिर में उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने उस तलवार को किसी कागज की तरह पीछे खिसका दिया और आखिर में उन्होंने अपनी म्यान से अपनी तलवार को बाहर निकाल दिया और उन सैनिकों की तरफ देखते हुए कहा सौ सुनार की एक लोहार की इतना कहकर उन्होंने उन सैनिकों के सिर पर अपनी तलवार को घुमा दिया और उन पाचो के पाचो सैनिकों के सिर काटकर अलग हो गए अब गर्व के भरतपुर राज्य के सारे के सारे सैनिक मारे जा चुके थे और उसके पास कुछ भी नहीं था वहां पर वह सिर्फ अकेला था और वह गुस्से से मुख्याधिकारी विश्वजीत की तरफ देखे जा रहा था इसके बाद मुख्याधिकारी विश्वजीत ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया और गर्व के शरीर को अपने तरफ बुलाया उन्होंने जैसे ही गर्व की तरफ देख कर कहा इधर आओ प्रकाश की किरणें जिन्होंने गर्व के पूरे शरीर को जकड़ रखा था वह गर्व के शरीर को उठाकर मुख्य अधिकारी विश्वजीत के तरफ लेकर गए इस वक्त वह मुख्य अधिकारी विश्वजीत भरतपुर के सैनिकों के तरह ही गर्व को भी मार डालने वाले थे और गर्व इस वक्त कुछ भी नहीं कर सकता था गर्व तो इस वक्त अपने जिंदगी के लक्ष्य तक को भूल चुका था इस वक्त उसके मन में सिर्फ एक ही बात चल रही होती है और वह है कि उसके भरतपुर राज्य के सैनिकों के मृत्यु का बदला लेना वह उस मुख्याधिकारी विश्वजीत के शरीर के टुकड़े टुकड़े करना चाहता था उसका शरीर जैसे ही उस विश्वजीत के तरफ आया उसके गर्दन और सिर के तरफ जो प्रकाश किरने होती है वह अपने आप गायब हो गई इस वक्त गर्व आधे मूर्छित अवस्था में होता है और उसका पूरे शरीर का खून खौल रहा होता है वह इस वक्त इतना कमजोर हो चुका होता है की वह अपने जादुई शक्ति का भी इस्तेमाल नहीं कर सकता है वह जैसे ही विश्वजीत के पास आ गया उस विश्वजीत ने गर्व के गर्दन पर अपनी पकड़ को कस दिया और उसके शरीर को अपने तरफ लाकर उन्होंने उस से कहा तुम्हें क्या लगा तुम दो टके के छोटे राज्य के लोग मेरी बेटी के ऊपर हाथ डालोगे और तुम ऐसे ही बचकर चले जाओगे उनकी आवाज इतनी ऊंची थी की वह पूरी राज्यसभा मैं मौजूद लोग उस आवाज को साफ साफ सुन सकते थे उनके आवाज के कारण गर्व के शरीर में जो बची कुची ऊर्जा होती है वह भी खत्म हो गई और वह अधमरा हो गया उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने आगे कहा तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें इतनी आसान मौत दूंगा तो तुम गलत सोचते हो मैं दुनिया को दिखा दूंगा कि मेरे परिवार के तरफ आंख उठाने वाले का क्या हश्र होता है इतना कहकर उन्होंने गर्व को उस राज सभा में मौजूद खिड़की की तरफ फेंक दिया गर्व उड़ते हुए सीधा जाकर उस खिड़की से टकरा गया वह खिड़की 1 फीट मोटी थी गर्व उस एक फीट मोटी कांच की दीवार को तोड़कर उस राज्यसभा के बाहर चला गया यह देखकर उस राज सभा में मौजूद सारे लोग सन्न रह गए वह सारे के सारे अपनी जगह पर खड़े हो गए और वह सारे के सारे उस खिड़की की तरफ जाने लगे उस काच के खिड़की के कुछ कांच के टुकड़े इस वक्त गर्व के शरीर के अंदर तक चले गए थे उन्होंने गर्व के मांसपेशियों और शरीर के नसों को चीर के रख दिया था पर फिर भी गर्व अभी तक बेहोश नहीं हुआ था उसके दिमाग में अब बदले का जुनून सवार हो गया था उसके जगह पर इस वक्त कोई दूसरा मौजूद होता तो वहां कब का मारा जाता उसके गुस्से की आग ने उस अभी तक जिंदा रखा था पर गर्व की आंखें इस वक्त गुस्से के मारे पूरी लाल हो चुकी थी इस वक्त गर्व 2 किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे की तरफ गिर रहा होता है और उसके चेहरे पर मरने का खौफ नहीं होता है उसे तो बस उस मुख्याधिकारी विश्वजीत से बदला लेना होता है यह तो तय था कि गर्व जैसे ही जमीन से टकराएगा वह तुरंत ही मारा जाएगा गर्व के पीछे पीछे उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने भी उसी खिड़की से नीचे की तरफ छलांग लगा दी उसके पास हवा में उड़ने की काबिलियत होती है वह हवा में उड़ते हुए गर्व के पीछे पीछे जा रहा था इस वक्त वह गर्व के सिर्फ 5 फीट की दूरी पर रहते हुए नीचे की तरफ आ रहा था गर्व जैसे-जैसे नीचे की तरफ गिरते जा रहा था मुख्याधिकारी विश्वजीत भी पाच फीट की दूरी बनाए रखते हुए नीचे की तरफ जा रहे थे इस वक्त इस वक्त वह गर्व के चेहरे पर मौत के खौफ को देखना चाहता था पर इस वक्त गर्व के आंखों में बदले की भावना के अलावा कुछ भी नहीं होता है यह देखकर तो उस मुख्याधिकारी विश्वजीत को भी गुस्सा आ गया उन्होंने नीचे गिरते हुए गर्व से दूरी और कम कर ली और 2 फीट की दूरी पर रहते हुए वह गर्व कि आंखों की तरफ देखे जा रहे थे फिर भी उन्हें गर्व की आंखों में मौत के खौफ का कोई भी भाव दिखाई नहीं दे रहा था इस वक्त गर्व राज्यसभा के बाहर आ चुका था इसलिए वह इस वक्त अपनी जादुई शक्ति का इस्तेमाल कर सकता था पर इस वक्त उसके शरीर में इतनी भी ऊर्जा नहीं होती है कि वह अपने जादुई शक्ति का इस्तेमाल कर सके उन दोनों को ऐसे नीचे गिरते हुए देखकर उस इमारत में जो भी लोग मौजूद थे वह सारे के सारे बालकनी में आ गए और वह नीचे गिरते हुए विश्वजीत और गर्व के तरफ देखे जा रहे थे यहां पर जो केंद्रीय अधिकारी के परीक्षा के उम्मीदवारों के रिश्तेदार और दोस्त यहां पर जमा हुए थे वह भी इन दोनों की तरफ से हैरानी से देखे जा रहे थे उन्हें समझ में नहीं आ रहा होता है कि यहां पर यह क्या हो रहा है उस अधिकारी विश्वजीत ने जैसे ही देखा की उस गर्व की आंखों में उसके लिए मौत का कोई भी खौफ नहीं है तो फिर उन्होंने हवा में ही गर्व के शरीर को पकड़ लिया और वह उसको पकड़ कर जमीन पर उतर गए उन्होंने गर्व को नीचे जमीन पर गिरने नहीं दिया अगर गर्व नीचे जमीन पर गिर जाता तो वह तुरंत ही मारा जाता उनका तो गर्व को बचाने का तो कोई भी इरादा नहीं होता है बल्कि उनका तो गर्व को और ज्यादा तड़पाने का इरादा होता है उस इमारत के नीचे अब तक लोगों की हजारों की तादाद में भीड़ लगी हुई थी और वह सब लोग गर्व को ऐसे तड़पते हुए देखे जा रहे थे उस इमारत के आजू-बाजू बहुत बड़ी 6 किलोमीटर लंबी खाली जगह होती है जहां पर युद्ध पोतों को रखा जाता है और वहां पर ऐसे ही बहुत सारी खाली जगह होती है मुख्य अधिकारी विश्वजीत गर्व को ऐसे ही एक खाली जगह के तरफ लेकर चले गए और उन्होंने गर्व को वहां पर नीचे जमीन पर रख दिया इस वक्त उन लोगों की आजू-बाजू कई सारे हजारो लोगों की भीड़ जमा हुई थी और वह यह सारा तमाशा देखे जा रहे थे और वह उन लोगों के पास जाने की कोशिश करते जा रहे थे और वह सारा माजरा समझना चाहते थे उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने जैसे ही उन लोगों को अपने पास आते हुए देखा उनको गुस्सा आ गया उन्होंने उन लोगों की तरफ गुस्से भरी निगाहों से देखा और ऊंची आवाज में कहा खबरदार अगर किसी ने हमारे तरफ आने की कोशिश की तो वह अपनी जगह पर ही मारा जाएगा फिर उन्होंने गर्व की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा अगर यहां पर किसी ने उसको छूने तक की कोशिश की तो वह अपनी जगह पर ही मारा जाएगा यह सुनकर वह सारे के सारे लोग डर गए और वह उन दोनो के 30 मीटर की दूरी पर चले गए वहां पर जो केंद्रीय सत्ता के सैनिक मौजूद थे उन सैनिकों ने उनको वहां से दूर कर दिया उन्हे उस वक्त समझ में नहीं आ रहा होता है कि वह मुख्याधिकारी विश्वजीत उसके साथ आखिर करने के हवाले है तभी उन्होंने अपने पीठ की तरफ अपना हाथ घुमाया और उन्होंने अपने पीठ से एक लकड़ी से बना डंडा निकाल दिया तो फिर इससे वह मुझे सबसे सामने मारने वाले हैं गर्व ने अपने मन ही मन में उस लकड़ी से बने डंडे को देखकर सोचा वहां मौजूद केंद्रीय सत्ता के सैनिक इस डंडे को देखकर डर गए इसको देखकर उनकी आंखें बड़ी हो गई गर्व समझ गया कि अधिकारी विश्वजीत इसी डंडे से उसको मारने वाले हैं