उन्होंने उनके तरफ कुछ कदम आगे बढ़ाएं और वह तभी अचानक से गायब हो गए और वह उन सैनिकों के बीच में प्रकट हो गए यह देखकर तो वह सैनिक एकदम से भौचक्के रह गए वह इससे पहले कुछ भी समझ पाते उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने उनके एक-एक हड्डियों को तोड़ना चालू कर दिया वहां पर उस राज्यसभा में उनके हड्डियों की टूटने की आवाज गूंजते जा रही थी और साथ ही उनकी चीखे भी उस राज्यसभा में गूंजती जा रही थी वह तो भरतपुर राज्य के सैनिक उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत के सामने कुछ भी नहीं कर पा रहे थे वह तो उनके बालो तक को छू नहीं पा रहे होते हैं वह उन सारे सैनिकों के बीच में किसी भूत की तरह इधर-उधर जा रहे होते हैं और वह उन सैनिकों की एक एक हड्डियों को तोड़ते जा रहे थे और साथ ही उनकी एक एक हड्डियों को तोड़ते तोड़ते उनसे वह यह भी पूछते जा रहे थे कि क्या तुम्हें सबूत चाहिए क्या तुम्हें सबूत चाहिए उनकी इतनी सारी हड्डियों के टूटने के बावजूद भी वह लगातार कहते जा रहे थे हां हमें सबूत चाहिए हां हमें सब कुछ चाहिए उनका गर्व के ऊपर बहुत ज्यादा भरोसा था वह कुछ भी हो जाए और वह गर्व के इज्जत के ऊपर आच भी नहीं आने देंगे उनके लिए तो गर्व की इज्जत ही सब कुछ होती है उन सारे सैनिकों के पैरों की हड्डियों को उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने तोड़ कर रख दिया और वह सारे के सारे जमीन पर नीचे गिरे थे गर्व को तो अब यह सब देखा नहीं जा रहा था माना कि उसका इस जीवन का लक्ष्य सिर्फ अपने पिछली जिंदगी की सच्चाई को जानना होता है फिर भी उन भरतपुर राज्य के सैनिकों का उसके ऊपर बहुत ही ज्यादा भरोसा होता है उनको अपने लिए ऐसे तड़प तड़प कर मरता हुआ देखकर उससे रहा नहीं जा रहा था उनको देखकर उसकी आंखों में आंसू आते जा रहे थे वह आगे बढ़ पड़ा और अपनी नहीं की हुई गलती को मानने के लिए मुख्य अधिकारी विश्वजीत की तरफ बढ़ने लगा वह उनके पास पहुंच गया इससे पहले कि वह उनसे कुछ भी कह पाता उससे पहले ही उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने उसको एक जोरदार थप्पड़ मार दिया है इसके कारण तो उसका पूरा दिमाग ही हिल गया और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा कुछ सेकंड बाद उसने अपनी आंखें खोली तो वह अपने सैनिकों से 20 मीटर की दूरी पर जमीन पर नीचे गिरा हुआ होता है और उनके थप्पड़ के कारण उसका पूरा सर चकराते जा रहा था वह उनके थप्पड़ के कारण हवा में उड़ कर 20 मीटर की दूरी पर जाकर गिर गया था उसका सिर इस वक्त इतना चकराता जा रहा था कि उसके शरीर में इस वक्त बिल्कुल भी ऊर्जा नहीं बची थी और वह अपने पूर्ण शरीर को हिला पाने में असमर्थ था वह इस वक्त शरीफ सिर्फ अपने सर को ही हिला पाने में समर्थ था वह जमीन पर लेटे-लेटे सिर्फ अपनी आंखों को बंद या चालू कर सकता था और वह उसी स्थिति में अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों को तड़प तड़प कर मरता हुआ देखते जा रहा था वह इस वक्त चाह कर भी कुछ भी कर पाने में असमर्थ था और भरतपुर राज्य के सैनिकों को गर्व के ऊपर काफी भरोसा होता है गर्व ना चाहते हुए भी इस वक्त उनकी मदद करना चाहता था उनको ऐसे तड़प-तड़प पर मरता हुआ देखकर उसकी आंखों में आंसू आते जा रहे थे यह सब उसी की गलती का नतीजा होता है जो इस वक्त ऐसे मरते जा रहे हैं उसे तो इतना बुरा अपने पिछले जिंदगी में भी कभी भी नहीं लगा था जितना कि उसे आज इस वक्त लगते जा रहा है वह इस वक्त जोर जोर से रोना चाहता था पर उसके गले में इतनी शक्ति भी नहीं होती है कि वह आवाज भी निकाल सके गर्व ने मन ही मन में निश्चय कर लिया कि कुछ भी हो जाए वह मुख्याधिकारी विश्वजीत कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों ना हो उसको अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों के खून का बदला लेना ही होगा और उसे मुख्याधिकारी विश्वजीत को भी ऐसे ही तड़पा तड़पा कर मारना है जैसे कि वह इस वक्त उसके भरतपुर राज्य के सैनिकों को मारते जा रहा है इस वक्त भरतपुर राज्य के सैनिकों की पैरों की पूरी हड्डियां टूटी हुई होती है और वह जमीन पर अपने घुटनों के बल पर गिरे हुए होते हैं और उनके हाथों में अभी भी अपने अपने हथियार होते हैं अपने पैरो की पूरी हड्डियों के टूटने के बावजूद भी उनके अपने हथियारों के ऊपर पकड़ जरा भी कमजोर नहीं हुई थी यह गर्व उनके हाथों को देखकर साफ-साफ देखकर बता सकता है था यह देखकर तो उसके अपने ऊपर शर्म आने लगी वह अपने पैरों की हड्डियां टूटने के बावजूद भी अपने हथियारों पर अपनी पकड़ को बनाए रख सकते हैं तो इस वक्त तो उसका सिर्फ शरीर ही सुन्न पड़ चुका है उसकी तो हालत उनसे भी अच्छी है उसे तो कुछ भी करके उठना ही होगा नहीं तो वह खुद की ही नजरों में गिर जाएगा उसने तुरंत ही अपने गति मंत्र का इस्तेमाल किया और अपने शरीर को उठाने का प्रयास किया वह अपने गति मंत्र का इस्तेमाल करने के बावजूद भी उसका शरीर अपनी जगह से 1 सेंटीमीटर भी नहीं हिला यह देख कर उसको अपने ऊपर शर्म आ रही थी गर्व तुझे उठना ही होगा तुम्हें कुछ भी कर के उठना ही होगा और अपने भरतपुर के सैनिकों की जान को बचाना ही होगा उसने अपने मन ही मन में खुद से कहा और वह अपने मन ही मन में खुद के गालों पर हजारों चांटे मार रहा था और खुद को अपने पैरों पर वापस खड़े होने के लिए कह रहा था वह जब एक गति मंत्र को क्रियान्वित करने के बाद भी जब उठ नहीं पाया तो फिर उसने तुरंत दूसरे गति मंत्र को कार्यान्वित कर दिया जैसे ही उसने अपने दूसरे गति मंत्र को कार्यान्वित कर दिया वैसे उसकी आंखों से एक चिंगारी निकली और वह हवा में फैल गई यह देख कर उसकी खुद के ऊपर से उम्मीदें बढ़ गई अब उसे पूरा यकीन हो गया कि वह अब अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों की मौत का बदला ले सकेगा और वह उस अधिकारी विश्वजीत को भी मार पाएगा पर तभी वह चिंगारी उसके आंखों से बाहर निकली और हवा में गायब हो गई और उसका शरीर उसकी जगह से 1 सेंटीमीटर भी नहीं पाया दिल नहीं पाया उसकी सारी जादुई शक्ति इस कमरे में जो जादुई शक्ति होती है उसने अपने अंदर सोख लिया होता है इस बात को गर्व अच्छी तरह से समझ गया था पर उसने अभी भी हार नहीं मानी थी उसे अच्छी तरह से पता था कि एक साथ बहुत सारे गति मंत्र को कार्यान्वित करने के बाद उसके शरीर पर इसका विपरीत परिणाम पड़ सकता है फिर भी उसने एक बार फिर अपने तीसरे गति मंत्र को कार्यान्वित किया अगर वह दो से ज्यादा बार गति मंत्र को एक के बाद एक कार्यान्वित करता है तो इसका उसके शरीर पर विपरीत प्रभाव पढ़कर उसके शरीर के कुछ अंग निकामी भी हो सकते हैं और अगर उसने एक के बाद एक चार गति मंत्र को कार्यान्वित कर दिया तो उसको लकवा आने की शक्यता भी 80% होती है फिर भी उसने किसी की भी बात की परवाह किए बिना अपने चारों गति मंत्रो को एक साथ चालू कर दिया जिसके कारण उसके शरीर से आश्चर्यजनक रूप से बिजलिया दौड़ने लगी जिसके कारण उसके शरीर के ऊपर के कपड़े फट गए और वह धीरे धीरे करते हुए वापस जमीन पर बैठ गया पर तभी वह सारी बिजलीया उसके शरीर के बाहर निकल गई और वह राज्यसभा की हवा में जाते हुए गायब हो गई यह देखकर तो उसकी पूरी हिम्मत ही टूट गई उसके पास अपने सामने का नजारा देखने के अलावा कोई चारा नहीं था जब उसके शरीर की शारीरिक शक्ति वापस आ गई थी तभी उसको अपने स्टोरेज रिंग का प्रयोग करना चाहिए था पर तब तक वक्त भी निकल चुका था गर्व स्टोरेज रिंग का प्रयोग करते हुए खुद के साथ-साथ अपने भरतपुर राज्य के सैनिकों की जान को भी आसानी से बचा सकता था जब वह आश्चर्यजनक रूप से नीचे बैठ गया था तब वहां पर मौजूद सारे अधिकारियों की आश्चर्य के कारण आंखें चौड़ी हो गई थी और मुख्याधिकारी विश्वजीत की नजर उसके ऊपर नजर चली गई थी उसको देख कर उनके चेहरे पर एक बिभत्स मुस्कान आ गई थी तभी उन्होंने अपनी जादुई शक्ति का उपयोग किया और गर्व की सारी जादुई शक्तियों को उसके शरीर से बाहर निकाल दिया और अपने शरीर में समा लिया वह गर्व के शरीर से जो बिजलीया बाहर निकली वह सीधा जाकर उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत की तरह बढ़ि फिर उन्होंने अपना दाया हाथ उन बिजलीयो के तरफ किया और वह बिजलिया उनके दाएं हाथ के अंगुलियों में प्रवेश करने लगी और वह पूरी शक्ति उनके शरीर के अंदर समा गई तो यह होती है एक मुख्य अधिकारी की ताकत और इसी के बाल पर वह पूरी दुनिया में राज करते जा रहे हैं और इसी बात का उन्हें इतना घमंड है मैं 1 दिन इन लोगों का सारा घमंड उतार दूंगा गर्व ने अपने मन ही मन से उस मुख्याधिकारी विश्वजीत की तरफ देख कर सोचा वह जादुई शक्ति जैसे ही मुख्य अधिकारी विश्वजीत के शरीर में समा गई उन्होंने एक लंबी सांस ली और उन्होंने गर्व की तरफ देखते हुए कहा अरे वाह तुम इतने छोटे से राज्य से होते हुए भी तुम्हारे पास इतनी कमाल की शक्तियां है यह तो मैंने सोचा ही नहीं था पर अफसोस तुम अपनी शक्तियों को आज के बाद कभी उपयोग नहीं कर सकते इसके बाद उन्होंने गर्व के शरीर पर अपनी जादुई शक्ति का प्रयोग किया और इस वक्त गर्व जिस जगह नीचे बैठा हुआ था उसके नीचे से प्रकाश निकलने लगा और वह गर्व के शरीर के चारों तरफ फैल गया उस प्रकाश ने उसको उसी जगह पर बंदी बना लिया इस वक्त गर्व को उस मुख्याधिकारी विश्वजीत को देखकर काफी बहुत ज्यादा गुस्सा आते जा रहा था पर वह इस वक्त उनका कुछ भी नहीं कर सकता था इस वक्त गर्व के आंखें गुस्से से पूरी लाल हो चुकी थी उसने मन ही मन में उस मुख्याधिकारी विश्वजीत से बदला लेने का ठान लिया गर्व की जादुई शक्तियों को अपने शरीर में सोखने के बाद वह उसके भरतपुर राज्य के सैनिकों की तरह बढ़ते हुए उनके तरफ जा रहा था