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यह देखकर तो वहां मौजूद हर एक आदमी की आवाज ही उनके गले में अटक गई उनका इतना भयानक रूप देखकर किसी के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी इसके बाद उन्होंने फिर से ऊंची आवाज में कहा यहां पर और किसी को सबूत चाहिए तो वह मेरे पास आ सकता है मैं उसे अच्छे से सबूत दूंगा इस वक्त गर्व के साथ वहां पर सात की संख्या में सैनिक मौजूद थे जिनमें से एक तो अभी अभी मारा गया है और दूसरे सैनिक ने यहां पर अपने एक हाथ को गवा दिया है वो अभी अधमरा होकर पड़ा हुआ था और उसके टूटे हाथ से खून निकलते जा रहा था और वह भी जल्द ही मरने वाला था जैसे ही उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने कहा कि यहां पर किसी को सबूत चाहिए तो वह एक हाथ गवाया हुआ सैनिक अपनी जगह पर अपनी पूर्ण शक्ति लगा खड़ा हो गया उसके दाएं हाथ से अभी भी खून निकलते जा रहा था खड़े होते ही उसने कहा हां मुझे अपने गर्व भैया पर पूरा भरोसा है वह कभी भी बलात्कार जैसे चीज अपने सपने में भी नहीं कर सकते हैं और हां मुझे सबूत चाहिए इतना कहकर वह लड़खड़ा गया और वह वापस जमीन पर गिर पड़ा क्योंकि उसके शरीर से लगातार खून निकलते जा रहा था वह जैसे ही नीचे गिरा वह तुरंत ही मर गया अब गर्व के पास सिर्फ 5 ही सैनिक बच गए थे गर्व उन्हें बचाना चाहता था और वह इस वक्त कुछ खास नहीं कर सकता था उसने अपने जादुई शक्ति से यहां पर अपनी स्टोरेज रिंग को प्रकट करके उन सैनिकों की जान को बचाना चाहता था पर वह कुछ भी करके अपने स्टोरेज रिंग को प्रकट नहीं कर पा रहा था इसका उसे बहुत ज्यादा आश्चर्य हो रहा था यहां पर उसके ऊपर एक जादुई शक्ति का दबाव बना होता है जिसके कारण ही वह यहां पर अपने जादुई शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा था वह जो उसके साथ भरतपुर राज्य के सैनिक थे उनका गर्व के ऊपर पूरा भरोसा होता है कि वह कभी भी इतना गलत काम नहीं कर सकता है भले ही पूरी दुनिया उसके खिलाफ हो जाए पर वह फिर भी वह उसका अपने आखिरी सांस तक साथ देते रहेंगे उनकी तरफ देखकर गर्व को अपने ऊपर काफी गर्व हो रहा था क्योंकि उसने उनका भरोसा जीत लिया था उनका उसके ऊपर का भरोसा देखकर उसे आश्चर्य हो रहा था और साथ ही उसे उनके बारे में बुरा भी लग रहा था क्योंकि वह यहां पर बेवजह मारे जा रहे थे यहां पर इस राज सभा में मौजूद सारे लोग उस मुख्याधिकारी की हैवानियत को देखकर उसके तरफ आंखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे उन्हें तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह मुख्याधिकारी विश्वजीत ऐसा भी कर सकते हैं अधिकारी आकाश सिंह और राज्यवर्धन सिंह के साथ साथ सुकेश सिंह और वीर सिंह अभी भी नीचे जमीन पर पड़े हुए थे विश्वजीत का सिर्फ धक्का लगने के कारण वह जमीन पर घायल अवस्था में पड़े हुए होते हैं इससे ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह सच में कितने ज्यादा ताकतवर हो सकते हैं कोई भी उन को छू भी नहीं सकता है और यह तो सिर्फ उनकी शारीरिक शक्ति की बात हो गई उनके जादुई शक्ति के बारे में तो वह अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि वह क्या हो सकती है और वह क्या-क्या कर सकते हैं भरतपुर राज्य के सैनिकों को गर्व के ऊपर पूरा भरोसा होता है वह अपने दो साथियों को ऐसे पल भर में मरता हुआ देख कर भी वह तनिक भी घबराए नहीं और वह जरा सा भी विचलित नहीं हुए उन्होंने उनके तरफ देखा तक नहीं उन्हें तो बस गर्व के ऊपर लगे आरोप की चिंता होती है वह बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे की गर्व ऐसा भी कोई काम कर सकता है फिर उनमें से एक ने ऊंची आवाज में कहा इस वक्त गर्व उनको कुछ भी बोलने से रोकना चाहता था पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी उन लोगों में से एक ने उसके रोकने से पहले ही बोल दिया उन्होंने कहा मुख्य अधिकारी विश्वजीत जी आप यह गलत कर रहे हैं आप बिना सबूत के किसी को कैसे आरोपी मान सकते हैं यह आपको बिल्कुल भी शोभा नहीं देता उसके ऐसा बोलते हि मुख्य अधिकारी विश्वजीत 1 सेकंड के हजारवे हिस्से के भीतर उसकी तरफ पहुंच गए अब उस सैनिक के साथ क्या होगा यह किसी को भी बताने की जरूरत नहीं थी उसे तो अपने मुंह खोलने का दंड तो मिलने ही वाला होता है और इसका दंड था मृत्युदंड और हुआ भी वही उस मुख्याधिकारी विश्वजीत ने अपने दोनों हाथों के दोनों अंगूठे को उसके दोनों आंखों के अंदर डाल दिए और उसी अवस्था में उसके सर को पकड़कर उन्होंने उसे हवा में उठा दिया वह सैनिक दर्द के मारे जोर जोर से तड़पते जा रहा था मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने सिर्फ उसके दोनों आंखों फोड़ दिया था और उस सैनिक को मारा नहीं था मुख्याधिकारी विश्वजीत ने उसे वैसे ही हवा में उठाते हुए उससे पूछा क्या तुम्हें अभी भी सबूत चाहिए फिर उसने वैसे ही तड़पते हुए उनसे कहा हां मुझे सबूत चाहिए इसके बाद उन्होंने उसकी आंखों में अपनी अंगूठो को और अंदर डाल दिया और उन्होंने अपने अंगूठे से उसके दिमाग की नसों को पकड़ दिया और फिर से पूछा क्या तुम्हें अभी भी सबूत चाहिए दिमाग को झटका लगने की वजह से उस सैनिक का पूरा शरीर अकड़ गया था उसके शरीर की एक उंगली भी हिल नहीं रही थी फिर भी उसने तोतली आवाज में बोलते हुए कहा हां मुझे सबूत.... पर इससे पहले कि वह कुछ बोल पाता उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने झट से उसके दिमाग की नसों को उसकी आंखों से अपनी अंगूठे के सहारे बाहर निकाल दिया वहां पर मौजूद सारे लोग उसकी आंखों में से उसके दिमाग की नसों को बाहर निकलते हुए साफ-साफ देख सकते थे इसके बाद उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने उसको जमीन पर फेंक दिया वहां पर मौजूद सारे लोग उस सैनिक को देख सकते थे वह दृश्य बहुत ही घिनौना लग रहा था वहां पर जो भी बाकी के अधिकारी थे उन्हें एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि वह भरतपुर राज्य के सैनिकों को उस गर्व के ऊपर इतना भरोसा कैसे हैं साथ ही उनके भरोसे को देखकर उन्हें आश्चर्य भी हो रहा था इतना भरोसा तो उनके घर वालों को भी उनके ऊपर नहीं होता है वह सोचने लगे क्या सच में गर्व निर्दोष भी हो सकता है क्या उसने सच ऐसा कुछ भी नहीं किया है जैसा कि अवनी ने कहा है इतने बुरे परिस्थिति में वह सैनिक कैसे गर्व पर भरोसा कर सकते हैं ऐसा तो सिर्फ सच के साथ रहने वाले लोग ही कर सकते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि वह लोग सच के साथ में है इसलिए उन्हें दुनिया के किसी भी चीज और ताकत का डर नहीं लगता है झूठ का साथ देने वाले लोग इतना नहीं कर सकते हैं वह तो ऐसी परिस्थिति को देखकर वहां से पहले ही भाग जाएंगे ऐसा जिगर तो सिर्फ सच का साथ देने वाले लोगों में ही होता है वह सैनिक जैसे ही नीचे गिरा उसको उस मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने फिर से पूछा बोलो क्या तुम्हें सबूत चाहिए इस वक्त उसके दिमाग की नसें उसकी आंखों से बाहर की तरफ आ गई थी जिसके कारण उसको लकवा आ गया था वह अपने दाएं हाथ और बाएं पैर को बिल्कुल भी नहीं हिला पा रहा था पर उसकी जान अभी भी गई नहीं थी उसके मुंह के आधे हिस्से को ही वह इस्तेमाल कर पा रहा था जैसे ही मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने उससे पूछा कि क्या तुम्हें अभी भी सबूत चाहिए उसने फिर से अपनी पूरी शारीरिक शक्ति एकत्रित की और अपने हाथों का ही इस्तेमाल करते हुए आवाज हा हा हा हा हा मुझे मुझे मुझे तभी थप्पड़ की जोरदार आवाज आई मुख्य अधिकारी विश्वजीत ने उस सैनिक के सिर को अपने पैरो से दबा दिया था और उसका सिर किसी खरबूजे की तरह जमीन पर फैल गया था और उसके सर की हड्डियां नसे और दिमाग किसी कीचड़ की तरह उसके शरीर के आजू-बाजू फैल गया था फिर उस विश्वजीत ने अपने पैरों को गर्व के तरफ बढ़ाते हुए कहा चाटो इसे इस वक्त उनके पैरों के जूते पर उस सैनिक के सर की हड्डियों का चूरा लगा हुआ था और वह इसी गंदे चीज को गर्व को चाटने के लिए कह रहा था यह देखकर तो वहां मौजूद हर एक अधिकारी को आश्चर्य हो रहा था कि यह महा अधिकारी विश्वजीत किसी के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने पहले कभी भी उनका ऐसा रूप नहीं देखा था साथ ही वहां पर जो भरतपुर राज्य के सैनिक थे उन्हें काफी गुस्सा आने लगा था वह दुनिया में कुछ भी हो जाए वह किसी भी कीमत पर गर्व की बेज्जती बिल्कुल भी नहीं देख सकते थे यह देखकर उनके अपने हथियारों के ऊपर अपने हाथ चले गए उनमें से एक सैनिक ने अपनी एक तलवार को बाहर निकाल दिया और अपने तलवार की नोक को मुख्य अधिकारी विश्वजीत की तरफ करते हुए कहा तुम तो एक महा अधिकारी कहने के लायक नहीं हूं किस मूर्ख ने तुम्हें महा अधिकारी बनाया है तुम्हें तो इतना भी दिमाग नहीं है कि किसी भी गुनाह के लिए सबसे पहले सबूत देखा जाता है और फिर उस पर फैसला किया जाता है तुम सिर्फ एक अधिकारी ही हो कोई भगवान नहीं अपने आप को तुम भगवान समझने की गलती मत करो उसको देखकर तो बाकी के सैनिकों ने भी अपने-अपने हथियार निकाल दिए इस वक्त अधिकारी आकाश सिंह के साथ-साथ राज्यवर्धन सिंह मुकेश सिंह सुकेश सिंह वीर सिंह भी होश में आ गए थे और वह अपने सामने का नजारा देखकर हक्के बक्के रह गए थे उन्हें तो यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी आखों के सामने यह सब चल क्या रहा है वह वहां पर थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गए थे उन्हें तो पता भी नहीं चला कि वह वहां पर कैसे बेहोश हो गए उन्हें तो सिर्फ मुख्य अधिकारी विश्वजीत की तरफ से उनके तरफ एक रेखा में आते हुए देखा था उसके बाद क्या हुआ उन्हें कुछ भी मालूम नहीं चला और उन्होंने जैसे ही अपनी आंखें खोली तो यहां का सारा नजारा ही बदल चुका था वह सब हैरानी से गर्व के तरफ और मुख्याधिकारी विश्वजीत की तरफ देखे जा रहे थे गर्व तो इस वक्त अपने सैनिकों को अपने हथियारों को निकालने से रोकना चाहता था पर उसको बहुत ज्यादा देर हो गई वह उनसे कुछ बोल पाता है इसके पहले ही उन्होंने अपने हथियारों को निकाल दिया इस वक्त उसकी परेशानी लगातार बढ़ती जा रही थी जैसे ही वहां पर गर्व के भरतपुर राज्य के सैनिकों ने अपने हथियारों को निकाला मुख्य अधिकारी विश्वजीत के चेहरे पर एक बेरहम मुस्कान आ गई