where is avinash !?

 अब तक अपने पढ़ा कि।।

   अब वेद अपने साथी को इशारा करता है तो वह मेज पर रखा नोटों से भरा बृफकेश  खोल देता है !!

वेद - क्या अभी आप मना कर देंगे !!

अविनाश की मां - लेकिन वह ,वह !!

अब वह इतने सारे पैसों को देखकर शॉकद् रह जाती है !! अब वेद अपनी जेब से रिवॉल्वर निकाल कर मेज पर रख देता है !!अगर आप इन पैसों को नहीं रखना चाहते हैं तो कोई बात नहीं हमें और भी तरीके आते हैं आपको मनाने के !!

लीला जी - लेकिन मैं तो मान जाऊंगी मेरा बेटा नहीं मानेगा !!

वेद - वह आपके ऊपर है आप चाहे उसे कैसे भी मनाये !! और इस शादी से मना कर दीजिए !!

अब वेद ब्रीफकेस बंद करके अविनाश की मां को दे देता है और वहां से वेद और उसके साथी चले जाते हैं !!

अब आगे .....!!

तभी अविनाश अपने घर आ जाता है ।रास्ते से बह  उस गाड़ी को जाते देख लेता है जिसमें वेद और उसके साथी थे ।

अबिनाश - मा कौन लोग थे ये लोग।।।

लीला जी - अरे कोई नहीं तेरी शादी में कुछ सामान मंगवाया था वही देने आए थे !

अब अविनाश की नजर उस ब्रिफ़कैस पर जाती है जो कि  बंद है और नोटों से भरा है ।।

अविनाश - यह क्या है उर क्या है बेग में ।मां।

लीला जी - कुछ नहीं बेटा यह उन इलेक्ट्रीशियन लोगों का समान है वे लोग आकर ले जाएंगे !!

अरे तू छोड़ ना चल तैयार हो ।।।

अविनाश - लेकिन माँ  यह लोग थे कौन ।।

लीला जी - बेटा जल्दी से तैयार हो ले प्रोफेसर साहब का कई बार फोन आ चुका है !!

इधर गौरी के घर पर गौरी ने रेड साड़ी और रेड चुन्नी ओढ़ रखी है ।

तनु जी गौरी के  काला टीका लगाते हुए - कहीं  मेरी गोरी को किसी की नजर ना लग जाए।।

सिया - सारा प्यार अपनी बड़ी बेटी परी लूटा देना ।।ठीक है मां ।।

गौरी - जल्कुक्दी कहीं  की ।।

अभी योगी जी गौरी के रूम में आते हैं गौरी को देखकर आंसू भर जाते हैं बेटा मेरा बहुत मन था कि तेरी शादी धूमधाम से करने का लेकिन इस वक्त में ऐसे ही शादी कर सकता हूं मुझे माफ कर देना ।

गौरी -    मैं समझती हूं पापा आप इस बात की चिंता मत कीजिए कि मुझे बुरा लग रहा है मेरे लिए तो आप लोगों की इज्जत ही सब कुछ है।

 योगी जी गौरी को गले लगा कर कहते हैं मेरा समझदार बच्चा। सिया भी  योगी जी के गले लग जाती हैं मैं भी तो समझदार हूं ना पापा ।।

योगी जी - हां मेरे दो-दो समझदार बच्चे !!

तनु जी - अब बस कीजिए काफी देर हो गई है अविनाश और उनकी मां मंदिर पहुंच गए होंगे !

योगी जी - देेेखा आपने देर कर दी तनु जी आप ।।

सभी लोग हंस पड़ते हैं ।।

तनु जी - तुम लोगों के पापा भी ना मेरे ही ऊपर इल्जाम लगा देते हैं !!

इधर राय सिंह फैमिली में -

रामू मधु जी को दवा देने आया है !

मधु जी - रामू चलें क्या गोरी बिटिया की शादी में !!

रामू -:आप क्या कहते हैं मां जी क्या जाना ठीक रहेगा !!

मधु जी - हां बेटा हमें जाना चाहिए आखिरी उम्मीद है मेरा दिल कह रहा है की कुछ ना कुछ रास्ता जरूर निकलेगा !!

अब देव और शिव मधु जी के रूम में आते हैं !

क्या हुआ रामू काका आप और दादी में क्या खिचड़ी पक रही है देव हंसता हुआ कहता है !

मधु जी - कुछ नहीं बेटा मुझे शिव मंदिर जाना है लेकिन रामू के पास समय ही नहीं है तू चलेगा !!

अब शिव अपने ही आप बोल पड़ता है - मैं चलूं दादी काफी दिन से मैं मंदिर भी नहीं गया हूं !!

देव - हां बहुत अच्छी बात है! शिव तू चले जा क्योंकि मुझे टाइम नहीं है मुझे एक जरूरी मीटिंग से दिल्ली जाना पड़ रहा है !

अब शिव और मधु जी शिव मंदिर के लिए जा रहे होते हैं तभी राज जी उन्हें पीछे से आवाज देते हैं कहां जा रहे हैं आप लोग।

शिव - दादी कह दीजिये अपने बेटे से कि हम जब कहीं जा रहे हैं तो हमें रोक ना करें ।।

राज -:देखा मां हर वक्त उलटी बातें ही करता रहता है !

मधु - चल छोड़ना मैं बताती हूं हम लोग शिव मंदिर जा रहे हैं !!

राज चौक कर - शिव मंदिर क्यों !?

मधु जी - दर्शन करने है। इसीलिए शिव को मंदिर ले जा रही हूं !

अब राज् - मां मुझे भी मंदिर जाना !! 

शिव -  उनके साथ चले जाइए !!

मधु जी - नहीं मैं तेरे ही साथ जाऊंगी जिसके साथ पहले बोल दिया जाता है उसी के साथ मंदिर जाया जाता है।

अव् शिव मधु जी की बात तो टाल नहीं सकता था इसीलिए वह कहता है दादी अगर मिस्टर राय सिंह दूसरी कार में मंदिर जाएंगे तभी मैं जाऊंगा ।।

उनके साथ एक कार में मैं नहीं बैठ सकता ।।

मधु जी - अच्छा बाबा ठीक है !!

प्रीति जी - अगर आप लोग मंदिर ही जा रहे हैं तो मेरी तरफ से थोड़ा प्रसाद चढ़ा दीजिएगा ।

राज् - आप भी चले ना प्रीति जी !!

प्रीति जी - नहीं मुझे घर में थोड़ा सा काम है मैं फिर कभी हो आऊंगी!

अब शिव और मधु जी एक कार में और राज दूसरी कहानी मंदिर के लिए जाते हैं ।

11:00 बज गए हैं मंदिर में अविनाश और उसकी मां का इंतजार करते-करते योगी जी - प्रीति जी फोन लगाओ अविनाश को !

सिया - मैं बहुत बार फोन लगा चुकी हूं अविनाश भाई को !

तनु जी - और उनकी मां को !

सिया -  हां आंटी जी को भी कई बार फोन लगा चुकी हूं उठा ही नहीं रहे हैं !!

अब गौरी मंदिर में एक बेंच पर बैठी रो रही है!

तनु जी - बेटा घबराओ मत कोई काम में फंस गए होंगे !! हो सकता है ट्रैफिक में फंस गए हो !!

पंडित जी - शुभ मुहूर्त निकाला जा रहा है प्रोफेसर साहब गोरी बिटिया की शादी का !! अविनाश कहां है !!

अभी योगेश जी अपने फोन से अविनाश और उसकी मां को फोन लगाते हैं उन लोगों का फोन स्विच ऑफ जा रहा होता है !!

योगी जी - आप लोग घबराये मत मैं उनके घर जाकर देख कर आता हूं ।।

कुछ देर बाद मधु जी शिव और राज शिव मंदिर पहुंच जाते हैं वे लोग पूजा करते हैं तभी शादी के पंडाल में मधु जी।तनु जी गौरी और सिया परेशान दिखते हैं।साथ हि कुछ पड़ोसी और मंदिर मे आने जाने वाले लोग भी है ।

शिव मधु से दादी चलइये। अब तो पूजा हो गई ।

वेद जो की राज के पास खड़ा है।

बह राज से कान में कहता है कि यही है गौरी और वह पंडित जी मेरे पिता हैं।

राज - ठीक है अब हम लोग थोड़ी देर यहीं खड़े होकर तमाशा देखते हैं तुमने काम तो ठीक से कर दिया था ना !

वेद - हां मैंने काम कर दिया था और पैसे देखकर अच्छे अच्छो का ईमान डोल जाता है ।।

थोड़ी देर बाद मधु जी शिव को लेकर तनु जी और उनकी फैमिली के पास पहुंचती हैं क्या हुआ ।।सिया बेटा आप परेशान क्यों हैं ।

सिया - कुछ नहीं दादी जी ऐसे ही।

तभी योगेश जी मंदिर में अकेले ही आते हैं!!

गौरी - पापा अविनाश नहीं आए !!

योगी जी मुह लटकाये खड़े हैं।

तनु जी - क्या हुआ प्रोफेसर साहब कुछ बोलते क्यों नहीं है आप !!

योगेश जी परेशान होते हुए - पता नहीं अविनाश और उसकी मां कहां चले गए हैं उनके घर पर ताला पड़ा है और आसपास के लोग बता रहे हैं कि वह घर छोड़कर चले गए हैं !!

अब गौरी को चक्कर आ जाता है और वह वहीं बेंच पर बैठ जाती है सिया उसे संभाल रही होती है!!

शिव मधु जी के पास खड़े होकर यह सब देख रहा होता है !!

तभी मंदिर में आसपास की औरतें कहती हैं कितना गलत हुआ बेचारी के साथ ।।

मंडप से ऐसे ही लौटना पड़ेगा गौरी को बिना ब्याह हुए ही ।। बहुत दुख होता है जब एक दुल्हन दूल्हे का इंतजार कर रही हो और दूल्हा आए ही ना ।

शिव यह सब बातें सुन रहा होता है उसे गलत बर्दाश्त नहीं होता है वह चिल्ला पड़ता है चुप कीजिए ।।

आप सभी लोग कैसी बातें कर रहे हैं तभी भीड़ में से एक लेडिस बोल पड़ती है अरे यह तो वही लड़का है जो गोरी बिटिया के साथ लिफ्ट में था।।

अब शिव गौरी की तरफ देखा है वह पहचान जाता है कि यह वही लड़की है जिसके साथ वह लिफ्ट में था ।

फिर दूसरी लेडिस बोलती है - अरे अविनाश और उसकी मां जाए भी तो क्यों न जाए ।।

जिसके साथ इसकी बदनामी हुई है उसी के साथ तो गौरी की शादी होगी ।

अब छोड़ी हुई लड़की से कौन शादी करना चाहेगा किसी को अपने खानदान की नाक काटने का शौक थोड़े ही है ।।

तभी भीड़ में से एक लेडिस और बोलती है ।।

अरे रे बेचारी अब जीवन भर कुंवारी बैठी रहेगी। कौन करेगा इससे शादी!?

तभी राज दूर से तमाशा देख रहे होते है ।वो मुक खोलते हि है।

कि मधु जी की आवाज आ जाती है मैं बनाऊंगी गोरी बिटिया को अपने घर की बहू मेरा शिव शादी करेगा ।। गोरी बिटिया से।।