तो देखती है ,,,,कि दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था ,,,,,,और उसमें से थोड़ी-थोड़ी रोशनी आ रही थी ,,,,,जिससे वह अंदर झांक कर देखती हैं तो,,,,,,वह बहुत घबरा जाती है ,,,,, की चीक निकलने वाली थी ,,,,, की उससे पहले ही साईना अपने मुंह पर ,,,,,हाथ रख लंबी लंबी सांस ले रही थी ,,,,,,,उसे बहुत ही ज्यादा डर लग रहा था ,,,,सामने का नजारा देखा ,,,,,
उसे तो जैसे चक्कर से आने लगे हो ,,,,,,,उसकी मन घबराने लगा था,,,,,,उसको उल्टी सा फील हो रही थी ,,,,, वह यह सब देख पसीने से पूरी भीज चुकी थी
वह इतनी डर चुकी थी ,,,,,कि वह बगैर एक पल गवाए,,,, दबे पैर दौड़ते हुए,,,,,सीधा अपने कमरे में जा ,,,,खुद को कमबल,,,से कवर कर लेती है,,,,,,जैसे कोई उसे देख ना ले,,,,,
वह बहुत ही ज्यादा घबरा रही थी,,,,,जिससे उसके मुंह से,,,,सिर्फ एक ही चीज निकल रही थी,,,,वह खुनी है ,,,,,,उसने सबको मार दिया ,,,,,,वह कैसे इतना बेदर्दी हो सकता है
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अब आगे______________
और वही रुही,,,,,उस रेस्टोरेंट से चली जाती है ,,,,,,वह इस वक्त काफी रो रही थी,,,,,,उसकी नौकरी जो चली गई थी ,,,,,क्योंकि यह जोब उसे,,,,,बहुत ही मुश्किल से मिली थी,,,,जिसे उसने ,,,,एक पल में ही गवा दी
अब उसे सिर्फ रोना आ रहा था ,,,,,कि वह अब क्या करें ,,,,, कि यह मिहिर ,,,,,,उसका पीछा छोड़ क्यों नहीं देता,,,,,,क्यों वह आप भी उसके पीछे पड़ा है ,,,,,,
सब कुछ ,,,,,सब कुछ तो छिन लिया उसने ,,,उससे ,,,,
अब बच्चा ही क्या है ,,,,,,,मुजझे छिनने को
क्यों,,,,,,क्यों वो अब भी,,,मेरे पीछे पड़ा है
7 साल,,,,,,7 साल क्या उसे कम पड़ गए थे,,,,,,,,,जो अब भी ,,,,,वह मेरी जिंदगी को जहानूम बनाना चाहता है,,,
,,और उसे वह सब बात याद आने लगती है,,,,,,,जो उसे रेस्टोरेंट में मिहिर ने उससे कही थी,,,,,,,
तुम्हारी जिंदगी बची है,,,,,,जिसे मैं मौत के दहलीज तक ले जाऊंगा ,,,,,,,लेकिन मरने नहीं दूंगा,,,,,,, और जैसे तुमने मेरी आलिशा को मारा है, ,,,,, उसी तरह,,,,,,मैं भी तुम्हें मारना चाहता हूं ,,,,वह भी हर दिन, , , , ,,,, एक नई दर्द ,,,,और,,,,एक नई मौत के साथ,
यहां सब सोच रूही की रूह का काँप रही थी
उसे खुद से नफरत हो रही थी,,,,,उसे अपने दिल में ,,,,,,,इतना दर्द हो रहा था,,,,,, ,,,,दिल कर रहा था,,,, की वह कहीं दूर ,,,,इस दुनिया से चली जाए
उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे ,,,,,उसे रह रहे कर,,,,,मिहिर की बातें याद आ रही थी ,,,,,,,
जिससे रूही ,,,,आसमान की तरफ देख 👀 चीखती हुए,,,,,,,,,,मैंने नहीं मारा है अलीशा को,,,,,,,,सबको समझ क्यों नहीं आता,,,,,,,,,मैं खूनी नहीं हूं ,,,,,,,मैं किसी को नहीं मारा,,,,,,,यह कहते हुए रूही वहीं सड़क पर बीचों बीच बैठ जाती है,,,,,,वह सड़क एकदम सुनसान थी ,,,,,,,वहां पर कोई भी आ जा नहीं रहा था,,,,शिवाय रोहि के
रुही अब भी,,,,इस तरह बैठे,,,,रोते हुए ,,,,,,क्यों क्यों भगवान ,,,,,,,आपने मेरी किस्मत ऐसी लिखी,,,,,,,,,,,,,मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है,,,,,,,,
जो यह सब मेरे साथ हो रहा है,,,,,,,,,,,
मैंने ,,,,,,,,,,,,मैंने तो उसकी की सजा भुगती है,,,,,जो मैंने किया ही नहीं ,,,,,,मैंने किसी का खून नहीं किया,,,,,,,,,,फिर भी मैं 7 साल ,,,, जेल में रही,,,,,,
और फिर वहां सोचने लगती है, ,,,,,वह सोचते हुए ,,,,,अपनी आंखों में आब भी आंसू लिए हुए,,,,,,, एक-एक दिन,,,,,एक-एक पल ,,,,,,,मैंने मौत की तरह बिताया है,,,,,,,,,,,,,और मैं अपने मॉम डैड तक को खो दिया है ,,,,,,,,,,,,,,,आब भगवान ,,,,,,,,,आप मुझसे क्या चाहते हो, ,,,,,,,,, मौत से भी बत्तर जिंदगी जी है मैंने,,,,,,,,,,,,
तो अब बची हुई जिंदगी,,,,,,तो जी लेने दो,,,,,,यह कहते हुए ,,,,,,रूही जोर-जोर से रो और चिल्ला रही थी ,,,,,,,,,जैसे भगवान उसकी प्रार्थना सुन लेंगे ,,,,,,और उसके सारे दुख दर्द दूर हो
वह आप भी भगवान से शिकायतें कर रही थी,,,,,,,,,,,,,, की यह तो उसे,,,,,,इस दुनिया से कहीं दूर कर दे,,,,,,,,, या फिर दुनिया वालों को उससे दूर कर दे,,,,,,,,
वह अब बस भगवान से विनती करी जा रही थी,,,,,,,,अपनी बची हुई जिंदगी की भीख मांग रही थी, ,,,भगवान्, कुछ ही दिन सही,,,,,, लेकिन मुझे चैन की जिन्दगी जीने दो,,,,,,भगवान
ऐसे ही रूही को,,,,,,,वहां बैठे-बैठे,,,,,,,,रोते हुए शाम हो गई थी ,,,,,,,,सूरज चल लगा था और ,,,,,,,,चारों तरफ अधेरा हो गया था,,,,,,,
और अब तो रूही अपना सर अपने पैरों के बीच रख ,,,,,,,,,बस अब भी रो रही थी,,,,,,,, उससे आब सिर्फ पछतावा हो रहा था,,,,,,कि उसने मिहिर से शादी ही क्यों की ,,,,,,,,,,,,वह उसकी जिंदगी में क्यों आए,,,,,,,,,क्यों उसने उसे इतना प्यार किया ,,,,,,,उसे आज खुद से घिन हो रही थी,,,,,,,,,उसे खुद से नफरत हो रही थी ,,,,,,,काश भगवान,,,,,,, वह वक्त दोबारा आ जाए ,,,,,,,,,,और और उसे दुबारा जिंदगी जीने का मौका मिले,,,
कि तभी कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है,,,,,,,,,जिसे महसूस कर रुही,,, हड़बड़ा जाती है ,,,,,,,,,और फिर डरते हुए ,,,,,, धीरे धीरे अपना सर, ऊपर कर देखती है तो अपने सामने आयुष को खड़ा पाती है,,,,,
जिससे रूही ,,,,,,उसका हाथ ,,,,, अपने कांधे से हटा,,,,,,जमीन से खड़ी हो,,,,,उसे अपनी दूरी बना ,,,,,,अपनी आंखें नीचे कर खड़ी हो जाती है
,,,,, और वही आयुष रूही को,,,,,,इस तरह देख,,,,क्या हुआ रोहि ,,,,, क्या मैं इतना बुरा हूं ,,,,,,कि तुम मुझे ,,,,,,अपनी नज़रें भी नहीं मिला रही
जिसे सुन रूही ,,,,,,अपना सर उठा ,,,,,,,,एक नजर आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,नजरे उससे मिलाई जाती है ,,,,,,,,,जो कोई अपना हो लेकिन ,,,,,,,,,,,तुम तो कभी अपने थे ही नहीं ,,,,,,,,अगर होते तो ,,,,,,,,,तुम भी उसका साथ ना देते,,,,,,,मुझ पर भरोसा करते
और उस रेस्टोरेंट में ,,,,,,,,,मेरी बेजती ना करते, ,, ,,,,,,, मैं हमेशा तुम्हें अपना सच्चा दोस्त माना था,,,,,,,,,,,लेकिन तुमने भी ,,,,,,,और फिर उस की तरफ पीठ कर ,,,,,वहां से जाने लगती है
रूही जाने लगती है ,,,,,,,,जिसे देख आयुष ,,,,,,,,आगे आ रूही का ,,,,,पीछे से हाथ पकड़ लेता है ,,,,,,
और वही रूही ,,,,,,,आयुष के इस तरह ,,,,,हाथ पकड़ने से ,,,,,,,,वही जम जाती है,,,,,,,,,,उसे यह एहसास कुछ जाना पहचाना लग रहा था,,,,,,,,जिसे महसूस कर,,,,,,रूही की आंखें छोटी हो जाती है ,,,,,,,और रुही अपने कदम वही रोक देती है ,,,,,,,,और फिर पलट ,,,,,,,,एक नजर बड़ी गौर से ,,,,,,आयुष को देखती हैं ,,,,,,,,,,,जैसे वह पहचान की कोशिश कर रहे हो ,,,,,,,,,,और फिर अपना सर झटक ,,,,,आंखें मींच लेती है,,,,जैसे वह उन यादों को दूर भागना चाहती हो
की तभी उसे आयुष की आवाज आती है ,,,,,,,,आई एम सॉरी रोहि,,,, लेकिन मैं क्या करता ,,,,,,,,,,क्योंकि मिहिर भी मेरा दोस्त है ,,,,,,,,और मैं उसे दुखी नहीं देख सकता ,,,,,,,,,,और रही बात रेस्टोरेंट में,,,,,,,,,,तो वह सब मुझे मिहिर ने करने को कहा था ,,,,,,,,,,सच में ,,,,,,,,मैं यह सब नहीं करना चाहता था ,,,,,,,,,,और फिर अपना सर झटकते हुए ,,,,,,,,,खैर छोड़,,,,,,,और वह बात करता हूं,,,,, जिस के लिए,,,,,मैं यहां आया था,,,,तुमसे मिलने
और वही रूही आयुष की बात सुन ,,,,,,,अब भी कोई रिएक्ट नहीं करती ,,,,,,,,,,
कि तभी आयुष,,,,,,रूही मेरी बात मानो,,,,,,तो तुम यहां से बहुत दूर चली जाओ,,,,,,,,,,,क्योंकि तुम यहां पर रहोगी,,,,,,,,,तो तुम्हारी जिंदगी ,,,,,,नरक बन जाएगी,,,,,,,,,क्योंकि मिहिर पागलों की तरह तुमसे,,,,,,,,नफरत करता है
वह तुम्हें दुख दर्द देने के लिए ,,,,,कुछ भी कर सकता है ,,,,,,,,किसी भी हद तक,,,,,गिर सकता है,,,,,,,क्योंकि मैंने उसे खुद ,,,,,,,,कयी बार समझाया था,,,,,,,,की रूही के साथ ऐसा मत कर,,,,,,,,,उस पर ,,,,,,एक बार यकीन करके देख,,,,,,,,,लेकिन वह नहीं मानता ,,,,,,,,,,क्योंकि वह ,,,,,,बस तुझे हामेसा रोता हुआ देखना है
इसलिए मैं कह रह रहा हूं,,,,,,,,कि तुम मेरी बात मानो,,,,,,और यहां से बहुत दूर चली जाओ,,,,,,और फिर अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले ,,,,,,,रोहि के हाथ में रखते हुए
और वही रूही,,,,,,,,अपने हाथ में पैसे देख ,,,,,,,,,,आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,आयुष ,,,,,,, यह क्या कर रहे हो,,,,,,,,मुझे यह पैसे पैसे नहीं चाहिए,,,,,,, इसे,अपने पास ही रखो ,,,,,,और यह कहते हुए रूही ,,,,,,,,,सारे के सारे पैसे आयुष के हाथ में दोबारा रख देती है
रोहि को ऐसा करता देख ,,,,,,,,,रूही तुम क्या कर रही हो ,,,,,,,तुम्हें इस वक्त ,,,,,,पैसों की बहुत जरूरत है,,,,,चलो यह पकड़ो ,,,,,,,और यहां से कहीं दूर चली जाओ ,,,,,,,,
और फिर उसका चेहरा देखते हुए ,,,,,,मुझे पता है ,,,,,,,तुम्हें पैसा नहीं लेना चाहती ना,,,,,,,तो कोई बात नहीं ,,,,,,,जब तुम्हारे पास ,,,,,,,पैसे आ जाएंगे ,,,,,, तब तुम मुझे ,,,,, यह पैसे वापस कर देना ,,,,,,,,,
पर अभी तुम,,,,, ले लो,,,,,, और याहा से कही दुर चली जाओ ,,,,,,,क्योंकि मैं तुम्हें,,,,,,अब और दर्द में नहीं देख सकता
और मैं ना ही इससे ज्यादा तुम्हारी,,,,,,,,,,,और कोई मदद कर सकता हूं, ,,,,, क्योंकि अगर मिहिर को पता चला ,,,,,,,,,तो वह मुझे भी नहीं छोड़ेगा ,,,,,,,,और मेरे छोटे से बिजनेस को ,,,,,,,तुम्हारे दादा के बिजनेस की तरह ही बर्बाद कर देगा
जिसे सुन रुही ,,,,,आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,ठीक है ,,,,,,,मैं इस शहर से और,,,,,,तुम सबसे,,,,,, कही बहुत दूर चली जाऊंगी ,,,,,
,यह कहे रूही,,,,,,,आयुष के हाथों से पैसे ले लेती है ,,,,,,,और उन पैसों को अपनी दर्द भरी स्माइल कर,,,,,,,देखते हुए, ,,,,,,,,, तुम क्या चीज हो ,,,,,,,तुम्हें पाने के लिए लोग,,,,,,,,किसी भी हद तक चले जाते हैं ,,,,,,,और अच्छे से अच्छे लोग ,,,,,,,,,,,भिखारी बन जाते हैं
और फिर वह वहां से जाने लगती है,,,,,,,,कि तभी आयुष दौड़ता हुआ ,,,,,,,,,,रोहि के पास जा,,,,,,,उसे कागज दे,,,,,,,रोहि तुम्हे जब भी ,,,,,,मेरी जरूरत हो,,,,,,,तो इस नम्बर पर मुझे फोन कर देना ,,,,,,
, और हां ध्यान से जाना,,,,,,,क्योंकि मिहिर के आदमियों की नजर आब भी कहीं ना कहीं,,,,,तुम पर होगी,,,,,यह कह,,,,,,,,वह वहां से चला जाता है
आज के लिए बस इतना
तो क्या सच में रूही यह शहर छोड़ कर चली जाएगी ,,,,और आगे क्या होगा जाने के लिए पढ़ते रहे माय डेविल हस्बैंड आई हेट यू
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ये कहानी है दो बहनों के प्यार और दो हैवानों के हैवानियत की। जिसमें आरुषि अग्रवाल, जो देखने में बहुत खूबसूरत और मासूम है। लेकिन उसने कर दी प्यार में एक छोटी सी गलती। जिसके बदले में रुद्र अग्निहोत्री उसे देता है हर रात सज़ा। रुद्र जो किसी हैवान से कम नहीं, वो क्यों करता है आरुषि से नफ़रत? वो कौन सी गलती थी? जिसकी सजा देता है रुद्र उससे हर रात? और आरुषि किस्से करती है मोहब्बत? वही दूसरी तरफ है प्रिया अग्रवाल, जो दिखाने में बिल्कुल अपनी बहन जैसी प्यारी और खूबसूरत है। लेकिन वो फंस जाती है, कियान सिंघानिया के जाल में। तो क्या प्रिया कभी बचकर निकल पाएगी इस कैद से? या फिर फंस जाएगी उसी की मोहब्बत के जाल में? जानने के लिए पढ़िये "My Heartless Devil Husband " सिर्फ "Pocket Novel" पर।
मेरे प्यारे रीडर यह कहानी भी जरूर पड़े मुझे यकीन है आप सबको यह कहानी भी बहुत अच्छी लगेगी ओके बाय एंड गुड नाइट