उदयपुर, रात का वक्त....
अक्षत रूही को डिनर लाने का बोलता है रूही थोड़ी देर में अक्षत के लिए खाना ले आती है अक्षत हाथ मुंह धो कर आता है वह देखता है रूही टेबल पर खाना लगा रही है वह आता है और खाने की टेबल पर बैठ जाता है रूही जाने लगती है कि तभी अक्षत को एकदम से खांसी आने लगती है रूही भाग कर आती है और अक्षत की पीठ सेहराने लगती है और वह कहती है क्या कर रहे हैं आप हुकूमसा सा आराम से खाइये इतनी भी क्या जल्दी है और उसे पानी पिलाती है
वह कुछ ना कुछ बोले जा रही थी अक्षत बस उसे लगातार देखे जा रहा था और न जाने क्यों वह सब सुन भी रहा था कुछ देर में रूही को एहसास होता हैकी वो हुकूमसा से ये सब क्या बोले झा रहिये है
वो एकदम से दूर हटती है और सॉरी बोल वहां से चली जाती है चलती हुई वह खुद से ही कहती है क्या करती है रूही इतनी देर से पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी कुछ देर में मैं सारे ख्याल झटक कर नीचे चली जाती ह
ै वहीं अक्षत भी खाना खाते हुए रूही के बारे में सोच जा रहा था वह खुद से कहता है पता नहीं ऐसा क्या था मिस रूही की डांट में जो मैं कुछ बोल नहीं पाया
मैमतलब अक्षत प्रताप सिंह कुछ ना बोल सका
वो बहोत गंभीर लगा रहा था
अक्षत ने बहोत छोटी उमर मे सब कुछ हासिल किया था जैसे हुकूमसा का पद हो य एक बड़े बिज़नेस मेन का टाइटल और फिर वो एक खतरनाक जिद्दी और सनकी इंसान के नाम से जाना जाता था
जल्दी से koi उसके सामने जाने की हिमत नहीं करता था koi
और आज रूही का भेजीझक सब कुछ कह जाना उसे खटक रहा था
कुछ देर में वो अपना खाना खत्म कर सोने चला जाता है..
अगली सुबह, उदयपुर,
आज सुबह-सुबह ही अक्षत जल्दी जॉगिंग के लिए निकल गया था और वह झील के पास पहुंच गया था जहां इस वक्त रूही उगते हुए सूरज की लालिमा को देख रही थी जिससे पूरा आकाश लाल हो रहा था
ठंडी ठंडी हवाएं बह रही थी तभी अक्षत की नजर रूही पर पड़ती है जो झील के किनारे बैठे कुछ सोचा जा रही थी उसके हवा में लहराते हुए बाल और उगते सूरज की लाली उसके चेहरे पर पड़ रही थी वह इस वक्त बेहद प्यारी लग रही थी अक्षत भी खड़ा पता नहीं कब तक उसे देखता रहा उसका ध्यान टूटा जब,
उदय उसके पास आकर बोला हुकुम सा वो लोग जमीन देने से मना कर रहे हैं वह जमीन खाली नहीं कर रहे हैं क्या करें..
अक्षत अब गुस्से में आ गया था वह कहता है ऐसा कौन पैदा हो गया है जो राजस्थान में खड़ा होकर मुझे मना कर रहा है और अक्षत वहां से निकल जाता है
आज सुबह से ही अक्षत गुस्से में था रूही भी तैयार होकर होटल पहुंचती है रूही अपने कामों में लगी हुई थी कि तभी उसे किसी की चिल्लाने की आवाज आती ह
ै वह बाहर जाकर देखती हैं जहां अक्षत एक बूढ़े नौकर को कॉलर से पकड़े खड़ा था अक्षत बस उस बूढ़े नौकर उसे ज्यादा बूढ़ा भी नहीं कहे गे करिब 55साल का होगा वो नौकर अक्षत बस हाथ उठाने ही वाला था की रूही बीच में आकर अक्षत का हाथ पकड़ लेती है और एक कस के थप्पड़ अक्षत के गाल पर जड़ देती है
अक्षत की आंखों में मानो खून उतर आया हो अक्षत के बॉडीगार्ड भी अब गन तान लेते हैं
रूही उसे कहती है आपमे जरा तमीज नहीं है होने को आप हुकुम सा है पर अकल नहीं है जरा भी
Jअपने गुरूर के आगे छोटे बड़े का लिहाज कर लेते माना आप हुकुम सा है पर इसका मतलब यह नहीं है कि जो मन आएगा वो करेंगे
अब अक्षत का भी गुस्सा हद से पार हो गया थ
अक्षत रूही की कलाई पकड़ कर कहता है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर अक्षत प्रताप सिंह पर हाथ उठाने की आज तक किसी ने सर उठाकर बात नहीं की है और तुम मामूली सी लड़की मुझे ज्ञान दोगी
तुम अब देखोगी अक्षत प्रताप सिंह का गुस्सा इतना अक्षत रूही का हाथ पकड़ कर उसे घसीटते हुए अपने रूम में ले जाकर धक्का देता है और रूही सीधा बेड पर जाकर गिरती है
अक्षत रूही को बेड पर छोड़ रूम लॉक कर बाहर निकल आता है रूही भी अब लगातार दरवाजा पीट रही थी और वह रोती रोती वहीं दरवाजे के पास बैठ जाती है... अब अक्षत दूसरे रूम में था वह लगातार सारा सामान इधर-उधर फेंक रहा था उसका गुस्सा मानो कंट्रोल ही नहीं हो रहा हो रहा..
वह अपना हाथ शीशे में दे मारता है और खुद से ही कहता है रूही शेखावत
ये तुम ने ठीक नहीं करा इस वक्त सिर्फ तुमने मुझे थप्पड़ नहीं मारा बल्कि एक शैतान को जगाया है
तैयार हो जाओ अब मैं तुम्हारी जिंदगी नरक से भी बुरी कर दूंगा... और वही पड़ी चेयर पर बैठ जाता है कुछ देर में उदय भागता हुआ रूम में आता है.. उदय देखता है अक्षत के हाथ से खून बह रहा है वह जल्दी से फर्स्ट एड बॉक्स उठाकर अक्षत की पट्टी करना शुरू कर देता है कहता है क्या किया हुकुम आपने ये अक्षत उदय से कहता है अक्षत बिना भाव के बोलता हैं
उदय बाहर जाओ मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला रहना है.. उदय इतना सुन बाहर चला जाता है
अक्षत के चेहरे पर अब तिरछी मुस्कराहट तैर गई वह खुद से ही कहता है रूही शेखावत अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं इस थप्पड़ का बदला मैं तुमसे रोज लूंगा...
आज के लिए इतना ही,
अब क्या करेगा अक्षत रूही के साथ,
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
चेतना