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aksat and ruhi wedding

उदपुर, रात का वक्त...

रूही रोती हुई room में सो गई थी रात करीब 1:00 बजे अक्षत रूही के room में आता है वह देखता है रूही सोई हुई थी अक्षत के हाथ लगने से रूही की नींद एकदम से खुल जाती है रूही जल्दी से अक्षत से दूर खड़ी हो जाती है

अक्षत उसके पास आता है और उसकी कलाई पकड़ कर उसे अपने पास खींचता है अक्षत के ऐसे खींचने पर रूही सीधा उसके सीने से जा टकराती है रूही सर उठा कर देखती है अक्षत उसे घूरे जा रहा था कुछ पल रूही को घूर ने के बाद उसे छोड़कर वो वहां रखे सोफे पर बैठ जाता है

अक्षत रूही से चेहरे को देखते हुऐ बड़े ठन्डे लाहज

से रूही से कहता है 

तो रूही शेखावत आपको एक खुशखबरी देनी थ

ये बोलते हुई उसके चहरे पर एक कुटिल मुसकान आ जाती है

रूही कन्फ्यूजन से अक्षत को देख रही थी

 अक्षत कहता है खुशखबरी यह है की मैं यानी अक्षत प्रताप सिंह आपसे शादी कर रहा हूं और आप भी अपनी मर्जी से मुझसे शादी कर रही हैं

उसके ऐसे कहने पर रूही उसे अजीब नजरों से देखते हुए कहती है

उसके पास जाकर कहती हैं

हुकूमसा लगता हैं मेरे थप्पड़ का असर आपके दिमाग़ पर पड़ा हैं और उस थप्पड़ की वजह से आप

पागल हो गए हैं

-- मतलब कुछ भी बोल रहे हैं आप और किसने कहा कि मैं आपसे शादी करूंगी? 

जरा किसी अच्छे से डॉक्टर से अपना इलाज करवाइए mr प्रताप इतना बोल कर वो अक्षत को काफ़ी गुस्से मे घूर रहि थी

और अक्षत पर गुस्सा करने की वजह से रूही का पूरा चेहरा लाल हो गया था...

अक्षत उसकी बात सुन के हल्का सा मुस्कुराते हैं और कहता है किसी की कुछ कहने की क्या जरूरत है

मैं यानी अक्षत प्रताप सिंह कह रहा हूं कि मैं आपसे शादी कर रहा हूं और यह काफी हैऔर यह बात अपने दिमाग में बैठा ले

तो ज्यादा अच्छा होगा वरना तकलीफ तुम्हे ही होंगी

तो सुबह 6:00 पंडित जी आ जाएंगे रेडी रहना

उसके इतने कहने पर रूही भी गुस्से में कहती है यह शादी आपके सपने में होगी

रूही के इतना कहने पर अक्षत उसे अपने पास खींचता है

अक्षत का गुस्सा लगभग बेकाबू हो रहा था

आज तक अक्षत ने इतनी बात किसी से नहीं करी थी

वह बहुत ही शांत रहने वाला इंसान था

उदय उसकी हर बात उसकी आंखों के इशारे से ही समझ जाता था

लेकिन आज रूही उससेे लगातार जिद

रही थी

अक्षत अपनी जेब में से फोन निकाल कर उसमे एक वीडियो ऑन करता है

जिसमें रूही की दोस्त श्रेया को एक कुर्सी पर बांद रखा था और उसके सिर पर बंदूक तान रखी थी

श्रेया बस रोए जा रही थी यह वीडियो देखकर रूही की आंखों में भी आंसू आ गए थे

वह बस रोए जा रही थी

रूही अक्षत के सीने पर मारे जा रही थी वह रोते हुए कहती है

 कैसे? कैसे आप इतनी घटिया हरकत कर सकते हैं शर्म नहीं आती जरा भी प्लीज छोड़ दीजिए मेरी दोस्त को उस की kay गलती ह इस मे

अक्षत उसके हाथों को पड़कर उसकी कमर से लगाकर कहता है

हां नहीं आती मुझे शर्म 

आपने जो हरकत की है उसकी सजा आपको मिलकर रहेगी इतना बोल अक्षत उसे वही छोड़कर निकल जाता है

अक्षत रूही के रूम से निकलकर सीधा अपने रूम में चला जाता है

न जाने क्यों उससे रूही का रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा था

उसकी जिंदगी में आज तक कोई लड़की नहीं आई थी जिसके अक्षत इतना करीब गया हो वो हमेसा सिक्योरिटी मे रहता था

उसे यहाँ टक लड़िकियो की खुसबू का भी नहीं पता था उसने अपनी जिंदगी मर्दो के बिच गुजारी थी

ना ही अक्षत से लड़कियों से बात करना aata tha

उसे समझ नहीं आ रहा था की रूही को रोता हुआ देखा उसे क्यों अजीब सा लग रहा था अक्षत उसके आंसू नहीं देख पा रहा था

लेकिन उसनेे गुस्से के चक्कर में अक्षत ने जैसे ठान ही लिया था कि वह रूही को चोट पहुंचा कर ही रहेगा

उसने जब से रूही को देखा था उसे कुछ अलग सा ही खिंचाव महसूस हुआ था

अक्षत को ऐसा खिंचाव आज तक किसी भी लड़की को देखकर महसूस नहीं करा था

कहीं ना कहीं उसके दिल में एक जिद थी रूही को अपने पास लाने की एक दीवानापन था..।...

अक्षत अपने रूम में जाकर खिड़की के पास खड़ा होकर सिगरेट जलाकर बस सिगरेट पिए जा रहा था

उसके दिमाग में अभी रूही के कमरे के सारे सीन घूम रहे थे

रूही का रोना उसका चिल्लाना उसका वो लाल चेहरा सब कुछ उसके दिमाग़ मे घूम रहा था

रूही वही रोती हुई फर्श पर बैठ जाती है सुबह करीब 5:00 बजे 2 लड़िकिया रूम मे आती में है

वह रूही से कहती है mam हम आपको रेडी करने के लिए आए हैं हुकुम सा का आर्डर है इतना बोल-बोल वो रूही को रेडी करने लगती हैं

रूही को जैसे koi होश ही नहीं था

उसकी उसकी आंखें रोने की वजह से हल्की सी सज गई थी और लाल भी हो गायी थी

सुबह 6:00 बजे महादेव का प्राचीन मंदिर

यहां अक्षत और रूही की शादी चल रही थी पंडित जी लगातार मंत्र पढ़ रहे थे रूही बस जो पंडित जी कह रहे थे वह बिना किसी होश के किया जा रही थी

पंडित जी के कहने पर अक्षत रूही की मांग में सिंदूर भरता है और मंगलसूत्र पहना कर फेरे लेता है करीब 2 घंटे में शादी हो जाती है रूही को जैसे कोई होश ही नहीं था

अक्षत रूही से कहता है मुबारक हो हुकुम रानी अब आप रूही अक्षत प्रताप सिंह है

और हां आपकी दोस्त को छोड़ दिया है बिल्कुल सही सलामत इतना बोल अक्षत उसका हाथ पकड़ उसे खुद की गाड़ी में ले जाकर बैठ देता है

अक्षत उदय से कहता है उदय महल तैयार करवा दो हम जैसलमेर जा रहे

हैं उदय बस जी हुकूमसा हो जाये गा बोल वहां से निकल जाता है और अक्षत रूही के साथ गाड़ी में बैठकर जैसलमेर की ओर निकल जाता है.. रूही ने अबतक एक शब्द nahi बोला tha वो बस चुप चाप गाड़ी मे बैठी थी

अक्षत की नज़र रह रह कर रूही के चेहरे पर पड़ रही थी

उसे रूही का यूं खामोश रहना अंदर-अंदर काटे जा रहा था

मगर अपने घमंडी के चक्कर में वह रूही से कुछ भी नहीं कह रहा था.....

उसे लग रहा था जैसे उसने रूही से अपना बदला ले ही लिया था....

आखिर

अब आगे क्या होगा रूही और अक्षत की जिंदगी में जानने के लिए पढ़ते रहिए .. ☺️☺️

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चेतना ☺️