जैसलमेर,
अक्षत और रुही दोनों गाड़ी में बैठकर महल से निकल गए थे रास्ते में गाड़ी जा ही रही थी कि एकदम से उनकी गाड़ी बीच रेगिस्तान में रुक जाती हैऔर थोड़ी देर में वहां पर गोलियां चलने की आवाज आती हैं कुछ ही देर में उन गोलियों की आवाज और तेज हो जाती है
गोलियों की आवाज सुनकर रूही बहुत तेज डर जाती है उसने इन सब चीजों को पहली बार ही देखा था वह बस सहमी हुई अक्षत के चिपकी जा रही थी गोलियों की आवाज सुन अक्षत भी अलर्ट हो जाता है
उदय कहता है हुकुम सा मैं बाहर जाकर देखता हूं लगता है किसी ने बहुत बड़ा हमला करवाया है हम पर इतना बोलकर उदय भी गाड़ी से निकल जाता है अक्षत रूही को पकड़े बैठा था
रूही ने कसके अक्षत को पकड़ा हुआ था रूही की आंखों में आंसू आ गए थे अक्षत रूही को कस के गले लगा लेता है वह कहता है आप डरिए मत यह छोटा सा हमला है
अक्षत का खुन is वक्त खोल रहा था पहले तो हमला फिर रूही की ऐसी हालत रूही से नहीं देखि जा रही थीं उसके दिल को ठेस पहोच रही थीं
वो बस रूही को पकडे बैठा ठा उसके हाथो की नशे साफ दिख रही थीं उसकी आँखो मे मानो खुन उत्तर आया था
थोड़ी देर में अक्षत रूही को गाड़ी में छोड़कर बाहर जा रहा होता है लेकिन रूही उसे मना कर देती है नहीं आप बाहर नहीं जाएंगे हुकुम सा और अक्षत को कस कर पकड़ लेती h बड़ी मुश्किल से अक्षत उसे समझा कर अपनी गन लेकर बाहर निकल जाता है
थोड़ी देर में सभी गुंडे मर चुके थे अक्षत के हाथों पर खून लगा हुआ था वह गाड़ी के अंदर आता है रूही उसकी हालत देखकर डर जाती है वह डर की वजह से अक्षत से दूर हो जाती है रूही अपनी आंखें कसकर बंद कर लेती है वह चिल्लाते हुए कहती है दूर प्लीज दूर हो जाइए
इतना बोल वह गाड़ी से निकल जाती है रूही अब गाड़ी के बाहर थी और अक्षत उसके कुछ दूरी पर खड़ा था अक्षत की नजर एक आदमी पर पड़ती है जिसने रूही पर गोली चला दी थी अक्षत आगे जाकर जल्दी से रूही को नीचे लेकर गिर जाता है और गोली गाड़ी में लग जाती है अचानक हुए हमले से रूही बेहोश हो जाती है रूही अक्षत के ऊपर ही बेहोश हो जाती है रूहीमे कोई हलचल ना देख कर अक्षत जल्दी से उठकर रूही को देखा है
रूही को ऐसे देख अक्षत ब्लेंक था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें रूही की ऐसी हालत उस से माहि देखि जा रही थीं अभी तो रूही उसे मिली थीं और अब अचानक से वो is हालत मे पोहच गायी
रूही के सिर पर चोट लगी हुई थी वह उसे उठाकर जल्दी से गाड़ी में बैठ कर महल की ओर निकल जाता है महल में डॉक्टर पहले से आ चुकी थी अक्षत महल पहुंचकर रूही को गोद में उठाकर महल के अंदर ले जाता है थोड़ी देर में डॉक्टर रूम से बाहर निकलती है वह अक्षत से कहती हैं हुकुम सा हुकुम रानी सा अभी ठीक है
ये डर और स्ट्रेस की वजह से बेहोश हो गई हैं सर पर ज्यादा गहरी चोट नहीं है पर इन्हें बेड रेस्ट की जरूरत है इतना बोल डॉक्टर वहां से चली जाती है
अक्षत रूम में आकर देखाता है
रूही के सिर पर पट्टी थी और वह इस वक्त सो रही थी अक्षत रूही के पास आकर बैठता है और कुछ पल उसे देखकर रूही के सर पर हाथ फेर कर वहां से निकल जाता है
इस वक्त अक्षत के चेहरे पर बहुत तेज गुस्सा नजर आ रहा था वह उदय के साथ स्टडी रूम में जाता है अक्षत उदय se कहता ह
उदय जिसने भी यह किया है उसकी
ऐसी हालत करो कि आगे से पंगा लेने से पहले हजार बार सोच आखिर ज्यादा ही हिम्मत आ गई है जो हम पर हमला करवाने की सोची औकात याद दिलाओ सबकी और महल की सिक्योरिटी बढ़ा दो दोबारा यह ना हो
रूही को अभी इन सब की आदत नहीं है कुछ दिन के लिए आप उनके दोस्त श्रेया को यहां महल ले आए इस वक्त उनका ध्यान भटकना जरूरी है अक्षत और उदय डिसकस करने लग जाते है
वही एक खंडार सी जगह पर एक आदमी अपने लोगों पर चिल्ला रहा था तुम सब किसी काम के नहीं हो तुम अक्षत प्रताप का बाल भी बाका नहीं कर पाए नालायक इतना बोलकर तोड़फोड़ करने लगता है वह कहता है दोबारा तैयारी करो वो कह
ही रहा था कि वहां जोर की गोलियां चलने की आवाज आने लगी और उसके सामने उदय आजाता है
उदय उससे कहता है मान जा जगरावत तेरे आखरी गलती samaj कर माफ कर रहे है वरना अगली बार तुझे पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा इतना बोल उदय वहा se निकल जाता है
महल मे अक्षत रूही के रूम मे ही अपना काम कर रहा था कुछ देर मे रूही नींद मे ही चिल्लाने लगती है अक्षत जल्दी se रूही के पास जाकर उसे अपने गले se लगा ता है और उसके बालो मे हाथ फेरने लगता है कुछ देर मे रूही शांत हो जाती है अक्षत उसे सुला कर वापस अपना काम करने लग जाता है
शाम का वक्त अक्षत का महल.....
रूही की नींद खुलती है वो कुछ देर बेड पर ही लेटी रहती है कुछ देर मे वो फ्रेश होने चली जाती है अक्षत भी थोड़ी देर मे रूम मे आता है वो देखता है रूही रूम मे nahi है के तभी रूही वाशरूम se निकल टी है उसने इस टाइम एक सिम्पल सी पिली साड़ी पहनी हुई थी और रूही के बाल गीले थे अक्षत उसके पास आकर कहता है किसने कहा है आपको जहा वहां जाने के लिए और आप ने इस वक्त हेयर वाश किया है आपके सिर पर चोट है फिर भी अक्षत उसे ड्रेसिंग टेबल के पास ले जाकर उसके बालो को हेयर ड्राईर सी सूखाने लगता है रूही अक्षत को गौर सी देख रही थी
अक्षत उसके बाल सूखा कर उसे खाना खिलता है वो रूही को अपने हाथ सी खाना खिलता है रूही उसे मना करती हुई कहती है आप रहने दे हुकुम सा मैं खुद खा लूंगी अक्षत उसे मना करते हुए कहता है कोई जरूरत नहीं है मैं खिल रहा हूं तब रूही बिना कुछ बोल खाना खाने लगती है कुछ देर में अक्षत रूही को खाना खिलाकर उसे दवाई दे देता है और उसे बेड पर ले जाकर बोलता है अब आप सो जाइए
रूही का बुरी तरह मुंह बन जाता है वह कहती है मैं अभी तो सो कर उठी हूं अक्षत कहता है तो क्या हुआ फिर से सो जाइए रूही उसे रहती है यह क्या मतलब हुआ जब नींद नहीं आ रही है तो मैं कैसे सोऊं
अक्षत बोलता है इस वक्त आप कहां जाएंगे क्या करेंगे आराम से सो जाइए ना रूही रहती है आप अपना काम कर लीजिए मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी नींद आएगी तब सो जाऊंगी अक्षत और रुही में बहस चल ही रही होती है कि तभी अक्षत का फोन बजता है
अक्षत अपना फोन उठाता है दूसरी तरफ से उदय बोलता है आप कहां हैं हुकुम से मुझे आपसे जरूरी बात करनी है आप स्टडी में आ जाइए अक्षत उदय से कहता है जी आप चलिए मैं वहां पहुंच रहा हूं इतना बोल अक्षत फोन रख देता है रूही अक्षत की बातें सुन रही थी..... रूही अक्षत से कहती है आप जाइए मैं यहां किताब पढ़ रही हूं..
अक्षत उसे बोलना है आप किताब पढ़ लीजिए लेकिन यहां वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है मैं थोड़ी देर में रूम में आता हूं इतना बोल अक्षत वहां से चला जाता है
रूही रूम में बोर हो ही रही थी वह जाकर अपनी अलमारी खोलती है और अपने कपड़ों को सही ढंग से जमने लगती है थोड़ी देर में वह अपनी अलमारी सही कर लेती है उसकी नजर अक्षत की अलमारी पर जाती है
जैसे ही रूही अक्षत की अलमारी खोलती है कपड़ों का एक बड़ा सा देर नीचे आकर गिरता है रूही की तो आंखें खुली की खुली रह जाती है
वह खुद से बोलता है वह क्या हालत मचा रखी है वैसे मुझे भाषण देकर गए हैं और खुद के अलमारी की क्या हालत बना रखी है कपड़ा भी ढंग से नहीं रख रखा इतना बोल वह अक्षत के कपड़ों को सलीखे से लगने लगती है करीब 1 घंटे बाद रूही सारा कमरा ढंग से समेत देती है
रूही अब थक चुकी थी वह किचन में जाकर खुद के लिए चाय बनती है और अक्षत के लिए काफी बनाकर अक्षत की स्टडी रूम में चली जाती है रूही स्टडी रूम का दरवाजा नोक करती है अक्षत बैठा अपना काम कर रहा था वह रूही को देखकर जल्दी से खड़ा होता है और उसके पास आकर कहता है आप यहां क्या कर रही है मैंने आपको बोला है ना कि आप यहां वहां नहीं जा सकती रूही मासूम सी शक्ल बनाकर रहती है मैं तो आपके लिए काफी लेकर आई थी इतना बोल वह काफी का कप अक्षत के आगे कर देती है अक्षत उसे स्टडी रूम के अंदर लाकर एक सोफे पर बैठा देता है और खुद उससे काफी का कप लेकर काफी पीने लगता है रूही स्टडी रूम को बड़े गौर से देख रही थी रूही कभी कुछ छेड़ रही थी कभी कुछ छेड रही थी अक्षत उसे यह सब करते हुए देख रहा था.. थोड़ी देर में रूही एक किताब पढ़ती हुई सोफे पर सो जाती है अक्षत उसे देखा है और उसे उठाकर रूम में ले जाता है...
थोड़ी देर में अक्षत अपनी बालकनी में खड़ा था वह खुद से ही कहता है न जाने आप में क्या है रूही जब से आपसे मिला हूं एक अलग सा ही खिंचाव आपकी तरफ महसूस होता है आज जब आपको गोली लगने वाली थी तो मानो मेरे दिल में जलन हुई और आज आपको छेड़छाड़ कर रही थी तो मुझे आप पर गुस्सा नहीं आया कुछ तो है आपने जो मुझे आपकी और खींच रहा है....
ऐसा सोचते हुई वो रात को महसूस कर रहा था
आज के लिये इतना ही
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