चिराग का जन्म

एक शांत रात… चाँदनी अपनी रोशनी बिखेर रही थी। हवाओं में हल्की ठंडक थी। हवेली के अंदर एक औरत दर्द से चीख रही थी। कमरा लालटेन की हल्की रोशनी से जगमगा रहा था। बाहर पूरा परिवार बेचैनी से टहल रहा था। इंतजार था एक नई जिंदगी के आने का।

"ज़ोर लगाओ, बहू! बस थोड़ा और! भगवान का दिया यह वरदान है!"

बूढ़ी दादी माँ बहू को हिम्मत बंधा रही थीं। कमरे के अंदर एक औरत ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी।

फिर अचानक…

बच्चे की किलकारी गूंज उठी!

"मेरा बेटा! मेरा चिराग आ गया!"

हरीश की आँखों में आँसू थे, मगर खुशी के। उन्होंने अपनी पत्नी की माँग छुई, जो पसीने से तर थी, लेकिन उनकी आँखों में सुकून झलक रहा था।

सुमित्रा ने थके हुए स्वर में कहा, "इसका नाम आरव होगा… आरव हरीश शर्मा!"

घर में खुशी की लहर दौड़ गई। मिठाइयाँ बँटने लगीं। यह सिर्फ एक बच्चे का जन्म नहीं था… यह एक कहानी की शुरुआत थी।

एक कहानी, जो सिर्फ मोहब्बत, रिश्तों और सपनों की नहीं थी…

बल्कि एक कहानी थी जिंदगी के हर मोड़ पर गिरने और उठने की…

एक कहानी थी उस चिराग की, जो आँधियों में भी जलता रहेगा…

सात साल बाद…

छोटा सा घर। अंदर से माँ-बेटे की आवाज़ें आ रही थीं।

"मुझे स्कूल नहीं जाना, मुझे डॉक्टर नहीं बनना, मुझे सिर्फ़ खेलना है!"

सुमित्रा ने उसका हाथ थाम लिया और नरम लहजे में कहा, "बेटा, तुम हमारे घर का चिराग हो। तुम्हें आगे बढ़ना है, हमारे सपने पूरे करने हैं। तुम सिर्फ़ अपने लिए नहीं, हमें गर्व महसूस कराने के लिए भी जी रहे हो!"

आरव थोड़ी देर चुप रहा, फिर धीरे-धीरे उसका चेहरा गंभीर हो गया। माँ की बातों का मतलब शायद वह पूरी तरह नहीं समझ सका, मगर इतना जरूर जान गया कि उसे कुछ बड़ा करना है।

उसे नहीं पता था कि कुछ सालों बाद वही शब्द उसकी जिंदगी का सच बन जाएंगे…

अगला दृश्य: पहली आँधी

रात का अंधेरा घना हो चुका था। बारिश की हल्की बूँदें गिर रही थीं। हरीश शर्मा एक जरूरी काम से बाहर गए थे… लेकिन वह कभी लौटकर नहीं आए।

रात के तीसरे पहर…

दरवाजे पर ज़ोर से दस्तक हुई। सुमित्रा ने घबराकर दरवाजा खोला। सामने एक पुलिस अफसर खड़ा था।

"हरीश शर्मा जी का एक्सीडेंट हो गया है… हमें उनकी लाश मिली है!"

सुमित्रा के हाथ से दरवाजे की चौखट छूट गई। उनके मुँह से एक चीख निकली।

"नहीं! यह नहीं हो सकता!"

छोटा आरव दौड़कर अपनी माँ से लिपट गया। उसे कुछ समझ नहीं आया, मगर माँ की हालत देखकर उसका दिल बैठ गया।

यह सिर्फ़ एक एक्सीडेंट नहीं था…

यह एक कहानी की असली शुरुआत थी…

एक ऐसी कहानी, जिसमें एक बेटे को अपने पिता की मौत का सच पता लगाना था…

एक ऐसी कहानी, जहाँ हर मोड़ पर उसे गिराया जाएगा… लेकिन वह फिर भी उठेगा…

एपिसोड 2 में क्या होगा?

क्या हरीश शर्मा का सच में एक्सीडेंट हुआ था या यह एक साजिश थी?

कौन थे वे लोग जो चाहते थे कि आरव का परिवार बर्बाद हो जाए?

कैसे एक साधारण लड़का, एक ताक़तवर इंसान में बदल जाएगा?

जानने के लिए पढ़िए – घर का चिराग – एपिसोड 2!