21 मील का श्राप भाग-1

रात के सन्नाटे में सिर्फ़ इंजन की धीमी आवाज़ सुनाई दे रही थी। अर्जुन मेहरा ने कार के शीशे से बाहर देखा—चारों ओर गहरा अंधकार फैला था। सड़क के दोनों किनारे ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, जिनकी परछाइयाँ हिलती हुई लग रही थीं, जैसे कोई उन्हें देख रहा हो।

"क्या यह सही फैसला है?" अर्जुन ने खुद से सवाल किया।

कुछ घंटों पहले तक वह मुंबई में था, लेकिन अब वह इस सुनसान, रहस्यमयी रास्ते पर था। "21 मील रोड"—यह नाम उसने पहली बार एक पुराने अख़बार में पढ़ा था। इस सड़क के बारे में कहा जाता था कि जो भी इसे पूरा करने की कोशिश करता है, वह या तो मर जाता है या फिर... गायब हो जाता है।

जैसे ही अर्जुन ने कार आगे बढ़ाई, उसने महसूस किया कि घड़ी की सुइयाँ धीमी हो रही हैं। उसकी घड़ी 12:30 AM पर अटक गई थी। वह जानता था कि यह उसका वहम भी हो सकता है, लेकिन मन के किसी कोने में अजीब-सा डर बैठ गया था।

कुछ दूर आगे बढ़ने पर, सड़क के किनारे एक पुराना बोर्ड नज़र आया—"WELCOME TO THE 21 MILE ROAD. TURN BACK IF YOU CAN."

अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और कार बढ़ा दी। रास्ता अब तक सामान्य लग रहा था।

लेकिन फिर...

अचानक कार के आगे कोई आकृति आई। अर्जुन ने झट से ब्रेक मारा, लेकिन जब उसने ध्यान से देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। "क्या यह मेरी आँखों का धोखा था?"

अर्जुन मेहरा, 32 साल का एक सफल बिजनेसमैन था। लेकिन उसकी ज़िंदगी में सबकुछ सही नहीं था।

पाँच साल पहले, उसने आहना से बेइंतहा प्यार किया था। वे दोनों शादी करने वाले थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने अर्जुन की पूरी दुनिया हिला दी।

आहना की मौत...

अर्जुन को अब भी याद था वह दिन जब उसने उसे आखिरी बार देखा था। वह बारिश की रात थी... आहना उसे किसी ज़रूरी बात के लिए बुलाने आई थी, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, एक तेज़ गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी।

वह सड़क पर गिरी, उसकी आँखों में आखिरी दर्द था... और अर्जुन कुछ भी नहीं कर सका।

उसके बाद अर्जुन की ज़िंदगी में सिर्फ़ अकेलापन और पछतावा बचा।

अर्जुन ने अपने विचारों को झटका और कार आगे बढ़ाई। लेकिन जैसे ही उसने कुछ मीटर की दूरी तय की, उसके कार के रेडियो से एक धीमी आवाज़ आई।

"तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था, अर्जुन... वापस जाओ... जब तक वक्त है..."

अर्जुन का खून जम गया। रेडियो बंद था। फिर यह आवाज़ कहाँ से आई?

कार की हेडलाइट के सामने, कुछ मीटर दूर एक औरत खड़ी थी—सफ़ेद कपड़ों में, बाल बिखरे हुए, उसकी आँखें सीधी अर्जुन की ओर देख रही थीं।

"आहना...?" अर्जुन के मुँह से धीमी आवाज़ निकली।

अर्जुन की साँसें तेज़ हो गईं। क्या वह सच में आहना थी? या यह सिर्फ़ इस श्रापित रास्ते की एक और चाल थी?

अर्जुन का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसकी आँखें उस सफ़ेद कपड़ों में खड़ी औरत पर टिकी थीं। वह धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। उसके कदमों की आवाज़ खामोशी में गूंज रही थी।

"आहना...?" अर्जुन ने कांपती आवाज़ में कहा। लेकिन जवाब नहीं आया। औरत की आँखें स्थिर थीं, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।

अर्जुन ने धीरे से कार का दरवाजा खोला और बाहर कदम रखा। एक अजीब सिहरन उसकी रीढ़ से नीचे उतर गई।

"कौन हो तुम?" उसने एक बार फिर पूछा। लेकिन इस बार, हवा में एक ठंडी सरसराहट उठी, जैसे किसी ने उसके कान में फुसफुसाया हो

"भागो..."

अर्जुन की साँसें तेज़ हो गईं। अचानक, औरत ने अपनी गर्दन को एक अजीब कोण पर मोड़ा और अपने काले, खाली आँखों से उसकी ओर घूरने लगी।

फिर एक तेज़ चीख गूंज उठी।

अर्जुन को अचानक अपने पुराने दिन याद आ गए। आहना उसकी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत याद थी। लेकिन उसने हमेशा महसूस किया कि वह कुछ छिपा रही थी।

उनकी आखिरी मुलाकात से कुछ दिन पहले, आहना ने अर्जुन से कहा था, "अगर कभी कुछ अजीब हो, अगर मैं अचानक गायब हो जाऊँ, तो मेरी तलाश मत करना।"

अर्जुन ने सोचा था कि यह सिर्फ़ एक मज़ाक था। लेकिन अब, इस अंधेरी सड़क पर, वह उस शब्दों के पीछे छिपे सच को महसूस कर सकता था।

अर्जुन ने अपने होश संभाले और धीरे-धीरे कार की ओर पीछे हटने लगा। लेकिन तभी, औरत हवा में तैरने लगी। उसके पैर ज़मीन से ऊपर उठ चुके थे, और उसके होंठों से कोई अजीब-सा मंत्र निकल रहा था।

"तुम बच नहीं सकते... यह रास्ता तुम्हारा अंत है..."

अर्जुन ने झट से कार का दरवाजा खोला और भीतर कूद गया। इंजन स्टार्ट किया, लेकिन कार हिल नहीं रही थी। स्टेयरिंग जाम हो चुका था।

औरत अब उसकी खिड़की के पास थी। उसकी आँखों से काले आँसू गिर रहे थे।

"तुम्हें नहीं आना चाहिए था, अर्जुन..." उसकी आवाज़ में एक गूंज थी।

अर्जुन ने पूरी ताकत से कार को स्टार्ट करने की कोशिश की, और तभी, कार अपने आप आगे बढ़ने लगी। औरत अचानक ग़ायब हो गई।

लेकिन यह अभी अंत नहीं था...

अर्जुन ने अपनी घड़ी की ओर देखा। 12:30 AM। घड़ी अब भी वहीं अटकी हुई थी।

सामने सड़क पर एक और संकेत दिखाई दिया—

"मील 2 – स्वागत है अंधेरे में..."

अर्जुन की साँसें तेज़ थीं। उसके हाथ स्टेयरिंग पर कसकर जमे हुए थे। घड़ी अब भी 12:30 AM पर रुकी हुई थी। कार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी, और सामने सड़क के किनारे एक और संकेत दिखाई दिया

"मील 2 – स्वागत है अंधेरे में..."

अर्जुन ने अपने होंठ भींच लिए।

"यह सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है?" उसने खुद से बुदबुदाया।

अचानक, कार के भीतर ठंडक बढ़ गई। ऐसा लगा जैसे कोई उसके पीछे वाली सीट पर बैठा हो। रियर-व्यू मिरर में उसने झाँककर देखा—कुछ नहीं था।

लेकिन तभी...

"अर्जुन..."

एक फुसफुसाती हुई आवाज़ आई। ठंडी और खौफनाक।

अर्जुन का दिल जोर से धड़क उठा। उसने झट से पीछे देखा—

पीछे वाली सीट पर कोई सफेद साड़ी में बैठा था। उसके बाल बिखरे हुए थे, चेहरा अधेरा था, लेकिन उसकी आँखें जल रही थीं।

फ्लैशबैक- अर्जुन और आहना का आखिरी दिन

"तुम मुझसे कोई बात छुपा रही हो, है ना आहना?" अर्जुन ने आहना का हाथ पकड़ते हुए कहा था।

आहना ने नजरें चुराईं। उसकी आँखों में एक अजीब सा डर था।

"अर्जुन, कुछ चीजें जितनी गहराई से खोजोगे, उतनी ही डरावनी होंगी। कभी-कभी सच्चाई जानने से अच्छा होता है कि इंसान अज्ञानी ही बना रहे।" उसने धीमे से कहा।

अर्जुन ने तब इसे मज़ाक समझा था। लेकिन अब उसे एहसास हो रहा था कि आहना ने उसे किसी बड़े खतरे से आगाह करने की कोशिश की थी।

वर्तमान में,

"अर्जुन... तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए था..." पीछे बैठी औरत ने धीरे से कहा।

अर्जुन ने पूरी ताकत से ब्रेक मारा। कार घिसटती हुई रुकी।

वह काँपता हुआ सीट से उतरा और सड़क पर आ गया। चारों ओर घना अंधेरा था।

फिर, अचानक दूर से किसी के पैरों की घसीटने की आवाज़ आई। कोई सड़क के किनारे खड़ा था।

अर्जुन ने ध्यान से देखा। वहाँ एक आदमी था, अध-जला हुआ, उसकी आँखें गहरी काली थीं। उसके हाथ में एक पुरानी किताब थी।

"तुम्हें इसे पढ़ना होगा, अगर तुम बचना चाहते हो..." उस आदमी ने ठहरी हुई आवाज़ में कहा।

अर्जुन ने डरते हुए किताब की ओर देखा। उसके कवर पर लिखा था—

"21 मील का श्राप – जीवित बचने के नियम"