यह कहानी जैसलमेर मै एक छोटे से गांव जैतसर की है । जहां पर आज जोरो शोरों से जश्न था टशन था.....सभी लोगों को निमंत्रण दिया गया था ।
शामू रामू से कहते हुए : अरे!!! तू अभी तक यही है । तू गया नहीं ??
रामू : मै कुछ समझा नहीं ...
शामू: तू रह फिर भुलक्कड़ ही ....मै तोह चला बड़ी हवेली में .....दावत खाने
..
रामू: क्यों ?? उधर आज दावत है क्या ??
शामू: हां..?
रामू : क्यों कोई खास वजह??
शामू: क्युकी आज बड़ी हवेली के सबसे चहीते और सबसे बड़े बेटे ...अर्जुन सा आ रहे हैं अमेरिका से डॉक्टर की पढ़ाई करके घर वापिस । उनके आने की खुशी में आज बड़ी हवेली में दावत रखी गई है।
रामू: अरे!! वाह!! यह तोह बहुत अच्छी बात है मुझे भी जाना चाहिए फिर तोह।
शामू: हां हां!! उन्होंने सभी गांव वालों को बुलाया है दावत मै।
(हवेली मै)
अरे!! चिंटू .....किधर जा रहा है ....इधर रुक खाना खा । देख बदमाश किधर जा रहा है ....ऐसा कहते हुए चिंटू की मां उसे बुला रही होती है ।
चिंटू( अर्जुन सा का छोटा भाई .....रावत खानदान का छोटा वारिस)
चिंटू ....भाग के जा दादी सा के पास बैठ जाता है ।
दादी सा दादी सा ....मुझे खाना नि खाना .....
दादी सा : अरे !! खाएगा नि तोह दुबला पतला हो जाएगा .....चल खाना खा .... क्यों नि खाना तूने खाना ।
Chintu: दादी सा वो न मुझे यह सब्जी नहीं है पसंद ।
सुरेखा( चिंटू की मां) : चिंटू .....बेटा!! मै तुझे कहा न दुपहर मै बहुत सी दावत पकवान बनने है खा लेना .... अभी ले थोड़ा सा खाना खा ले ।
दादी सा : तू है कौन ??? मेरे और मेरे पोते के बीच मै बोलने वाली??
सुरेखा: वो कुछ नहीं मां सा बस यह खाना नहीं खा रहा था तोह बस।।।।
दादी सा सुरेखा को आंख दिखाते हुए ...तुझे हजार बारी बोला है न ....की मेरा पोता जो नहीं खाएगा वह सब्जी इस घर मै अभी बनेगी ....तुझे क्यों कुछ समझ नहीं आता है??
सुरेखा आंखे नीची करके चुप चाप मासा की बातें सुन रही होती है।
ओह !! बहस की आंख ....यह क्या फूल लगाए है और तुझे बोला किसने?? यह फूल लगाने को ?? तुझे तभी बुलाया है कि तू ऐसा काम करे ....कोई तोह ढंग का काम कर दिया कर ।
खड़ी खड़ी अब बातें ही सुनती रहेगी या गहना को भी बुलाएगी ..?? उसका बेटा आरा है आज इतने सालों बाद ....है भी है उसे कोई होश या नहीं?.
सुरेखा मासा की बात का जवाब देते हुए ....जी ! मासा जीजी इधर ही है बस पूजा की थाली तैयार कर रहे थे ।
मासा: जा बुला ल उस ने .....बोल मुझे उससे काम है ।
सुरेखा गहना को बुलाने के लिए चले जाती है ।
सुरेखा गहना को बुलाते हुए ....अरे!! जीजी मासा आपको बुला रही है । आप उनके पास जाइए ....इधर मै सब कर लेती हु ।
गहना : नहीं नहीं!! तुम बाकी का काम करो यह सब दूर्वा कर लेगी ....
गहना दूर्वा को आवाज मारते हुए कहती है: अरे !! सुनती हो दूर्वा ...पूजा की थाली तैयार करदेना ....अर्जुन आने ही वाला होगा ।
दूर्वा: जी बड़ी मां....जरूर मै सब कुछ कर लूंगी । आप निश्चिंत होकर जाइए.....मासा बुला रही है आपको ।
गहना मासा की और चल पड़ती है ।
वही दूसरी और अर्जुन भी पहली फ्लाइट से इंडिया पहुंच गया था और दूसरी फ्लाइट में बैठ ही गया था जयपुर पहुंचने के लिए।
गहना मासा की तरफ जाती है और उनसे कहती है : आपने बुलाया मासा ??
मासा गुस्से भरी आंखों से गहना को देखते हुए .... यहां आ के बैठ जा ....जैसे ही गहना सोफे पर बैठने लगती है ....मासा ऊंची आवाज़ में गहना को टोकती है ....तुझे समझ नहीं आता क्या ...?? बहुत गई अपनी औकात ....या दिलाई याद । चुप चाप जमीन पर बैठ ।
गहना बिना कुछ कहे जमीन पर बैठ जाती है ।
मासा गहना को बातें सुनने लगती है ... तुझे कहा था न कि मुझे मेरे बड़े पोते की और इस खानदान के बड़े वारिस की वापसी मै कोई कमी नहीं चाहिए .....दी थी न जिम्मेदारी तुझे ।
गहना ( धीमी सी आवाज मै ) : जिज्ज्ज....जी मासा ।
तोह करना किसने था.???? तेरे बाप ने ??
गहना चुप चाप सब सुनने लगती है । उसकी आंखों से निकलते हुए आंसू उसकी चुपी...उसके अंदर के चुप दर्द को दर्शा रही थी ।
पर वह जानती थी ....मासा दिल की बहुत अच्छी है । इसलिए वह चुप चाप उनकी बातें सुन रही थी ।
इतने मै चिंटू भागता हुआ मासा के पास आता है और उन्हें आकर बोलता है ::: मासा !!!!! मासा!!!!!! अर्जुन भाई सा एयरपोर्ट पहुंच गए है .....अब वो किसी भी समय यहां हवेली पहुंचते होंगे ।
Guys please like share and comment....yeh meri novel ka phla part h hope ap sabhi ko pasand ayega . Aur agr koi kami lge comment krke zrur btaye .
To be continued....