जिसे देख अंश ने जानवी को जमीन पर गिरने से बचा लिया। अंश को जानवी की ऐसी हालत देख शर्मिंदगी होने लगी और फिर वह जानवी को अपनी गोद में उठाकर अस्पताल के अंदर दोबारा ले चला गया।
घर में सब लोग परेशान हो रहे थे कि अब तो शाम होने को है, लेकिन यह अंश और जानवी अब तक घर क्यों नहीं आए। तभी अंश जानवी को लेकर घर पहुँचा। अंश की माँ की नज़र जानवी के हाथों पर गई जहाँ पर पट्टी बंधी हुई थी। जिसे देख जानवी की माँ ने पूछा, "यह तुम्हारे हाथ को क्या हुआ है?" तभी जानवी ने कहा, "कुछ नहीं आंटी, यह तो बस हल्की सी चोट है, जल्दी ही भर जाएगी।"
जानवी की बात सुनकर उसकी माँ ने कहा, "पर बेटा यह..."
"आंटी मैं काफ़ी थक गई हूँ। मैं अपने कमरे में आराम करने जा रही हूँ।" यह कहकर जानवी ऊपर की तरफ़ चली गई क्योंकि वह उन्हें यह सब बताकर दुःखी नहीं करना चाहती थी।
और इधर अंश को जानवी पर गुस्सा आ रहा था कि एक तो जानवी ने इतनी बड़ी गलती की और ऊपर से मेरी माँ से झूठ भी बोला। लेकिन अंश अपने गुस्से को कंट्रोल कर लेता है क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह गुस्से में जानवी को दोबारा चोट पहुँचाए। यह सोचते हुए अंश गुस्से में वहाँ से ऑफिस निकल जाता है।
और यहाँ कमरे में जाते ही जानवी, जो अब तक अपने आँसुओं को कंट्रोल किए हुए थी, कमरे में आते ही जोर-जोर से रोने लगती है। जो अपने आँसुओं को कंट्रोल करने की कोशिश करती है, लेकिन उसके दिल के दर्द की वजह से उसे कंट्रोल ही नहीं हो रहा था।
फिर जानवी रोते हुए कहती है, "तुम्हें क्या लगता है अंश, कि मुझे दर्द नहीं होता? मैं कोई पत्थर की नहीं बनी हूँ। मुझे भी दर्द होता है, मुझे रोना आता है।"
और फिर कुछ देर रोने के बाद जानवी अपने आँसू पोछ खुद को हिम्मत देते हुए कहती है, "जानवी तू कमज़ोर नहीं है। मैं इतनी जल्दी हिम्मत नहीं हार सकती।" और फिर गुस्से में अपने हाथों में बंधी हुई पट्टी को घूरते हुए कहती है, "मैंने आज ऐसा क्यों किया? क्यों मैंने आज खुद को चोट पहुँचाई? मैं इतनी कमज़ोर कैसे हो सकती हूँ? मेरे भाई ने मुझे यह सब नहीं सिखाया। मुझे तो मेरे भाई ने जीना सिखाया है, दूसरों को जिंदगी देना सिखाया है, खुद को मारना नहीं। मैं इतनी बुज़दिल कैसे हो सकती हूँ? मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ? अगर भाई को पता चला कि मैंने ऐसा कोई कदम उठाया था तो वो क्या सोचेंगे मेरे बारे में?"
और गुस्से से अपने हाथों में बंधी पट्टी को खोलकर फेंक देती है और फिर अपने आँसुओं को साफ़ कर बिस्तर पर जाकर लेट जाती है।
ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं। ना अंश ने जानवी को देखा और ना ही जानवी ने अंश को देख रही थी। क्योंकि अब तो जानवी ने ऑफिस जाना भी बंद कर दिया था और अंश भी घर लेट आता था जिससे जानवी अंश को ना देख सके और ना ही उनकी कोई बात हो। और जानवी भी अंश से कोई बात ना हो सके इसलिए अंश के उठने से पहले ही किचन में चली जाती थी और अंश के ऑफिस जाने के बाद ही किचन से बाहर निकलती थी। अब तो जानवी ने जैसे ठान ही लिया था कि वह अब अंश की शक्ल भी नहीं देखेगी। वह तो बस चाहती थी कि वह दादी की देखभाल करेगी और उनके ठीक होते ही यहाँ से चली जाएगी और फिर उसका अंश से कोई लेना-देना नहीं होगा और ना ही इन फैमिली वालों से।
ऐसे ही 5 दिन बीत जाते हैं और आज संडे था।
और इधर जानवी आज भी हर रोज की तरह किचन में थी और राज के लिए जूस बना रही थी। और इधर राज आज संडे होने की वजह से वह ऑफिस नहीं जाने वाला था जिस वजह से राज जॉगिंग से सीधा पानी पीने के लिए किचन की तरफ़ चला जाता है। तभी उसकी नज़र जानवी पर पड़ती है जो अपनी जेब से कोई मेडिसिन निकाल उस जूस के ग्लास में डाल रही थी।
जिसे देख अंश की आँखें बड़ी हो जाती हैं क्योंकि उसे पता चल जाता है कि यह जूस किसी और के लिए नहीं, उसी के लिए है। क्योंकि उसे वह सब याद आने लगता है कि कैसे उसकी माँ से हर रोज जूस पिलाती थी।
यह सब सोच अंश अपने मन में कहता है, "इसका मतलब जानवी मुझे हर रोज उस जूस में कुछ मिलाकर देती थी।"
उसे यह सब सोच गुस्सा आने लगता है और फिर गुस्से में अपने दाँत पीसते हुए खुद से कहता है, "इतना कुछ हो गया फिर भी यह लड़की सुधरी नहीं। मैं इसे अभी बताता हूँ।" यह कहते हुए अंश अपने कदम जानवी की तरफ़ बढ़ा देता है।
अंश उसके पास पहुँचकर कहता है, "क्या कर रही हो तुम?"
जानवी अपने पीछे अंश की आवाज़ सुन डर जाती है और फिर उस जूस को वहीं छोड़ पीछे मुड़ते हुए कहती है, "यह सवाल मैं पूछूँ तो कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
"ओह तुम बोल रही हो कि मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ? तो यह मेरा घर है जहाँ मैं आ जा सकता हूँ। तुम सिर्फ़ मुझे यह बताओ कि तुम इस जूस में क्या मिला रही थी?"
जानवी अंश के मुँह से यह सुनकर कि "तुम इसमें क्या मिला रही थी?" हड़बड़ा जाती है। और फिर हड़बड़ाते हुए कहती है, "कुछ कुछ भी नहीं।"
"ओह्ह तुमने इसमें कुछ नहीं मिलाया? तो साबित करो।" और फिर उस जूस को उठा जानवी को देते हुए कहता है, "पियो इसे।"
जानवी अंश के मुँह से यह सुनकर कि "पियो इसे" उसे वह पल याद आने लगता है जब डॉक्टर ने उसे कहा था कि यह दवा कोई गलती से भी वह इंसान ना खाए जिसने ड्रग्स ना लिया हो क्योंकि यह उस इंसान पर उल्टा असर कर सकता है। यह दवा सिर्फ़ उसी इंसान के लिए बनाई गई होती है जिससे ड्रग्स का हैवी डोज दिया जाता हो।
यह सोचते हुए जानवी अंश की तरफ़ देखती है और फिर एक नज़र जूस को देख उसके हाथ से वह जूस का ग्लास ले जूस खत्म करते हुए कहती है, "पी लिया ना? अब जाओ यहाँ से।"