mar jayegi

सर, अब मैम पहले से बेहतर हैं। कुछ घंटों में उन्हें होश भी आ जाएगा। अब चाहे तो जाकर देख सकते हैं।

"ठीक है," कहकर डॉक्टर वहाँ से चला गया।

अंश भी जानवी के कमरे में चला गया।

कुछ घंटे बाद जानवी को होश आने लगा। उसने अपनी आँखें खोलीं तो सामने अंश को देखा जो उसके कमरे में सोफ़े पर बैठा, अपनी आँखें बंद किए हुए था।

उसे इस तरह देख जानवी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। और फिर खुद से बोली, "मुझे पता था, अंश तुम ऐसा कुछ कभी नहीं कर सकते।"

"चाहे तुम मुझसे प्यार करते थे या नहीं, लेकिन तुम इस हद तक कभी नहीं गिर सकते थे। इसीलिए तो कहा, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।"

यह सोचते हुए जानवी ने अपने हाथों का सहारा लेकर बिस्तर पर बैठ गई। तभी वह एक आह के साथ अपने दाहिने हाथ को बाएँ हाथ से पकड़ लिया, जिस हाथ में पट्टी बंधी थी, क्योंकि वह भूल चुकी थी कि उसके हाथ में चोट लगी थी।

इधर अंश, जो अभी-अभी सोया था, जानवी की आवाज़ सुन सोफ़े से उठा और उसकी तरफ़ आ गया।

वह खुद भी उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। "अब तबीयत कैसी है?"

जानवी ने, अंश की तरफ़ देखे बिना, कहा, "थैंक यू पूछने के लिए, लेकिन इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी। और वैसे भी तुम्हारी मेहरबानी से मैं कैसी हो सकती हूँ?"

अंश ने जानवी की बात सुनी। वह सब याद आ गया—कैसे जानवी ने अपने हाथ की नस काट ली थी। याद कर अंश को गुस्सा आ गया। फिर वह गुस्से से बेड से उठा और उस पर चिल्लाया, "बेवकूफ़ लड़की! खुद को समझती क्या हो? बहुत शौक है ना तुम्हें मरने का? मरना लेकिन यहाँ पर नहीं, अपने घर जाकर! सुना तुम्हें? तुम जताना क्या चाहती हो?"

"हाँ, यह कि मुझे तुम्हारी परवाह है। मैं तुम्हें बता दूँ, मुझे तुम्हारी एक पैसे की भी परवाह नहीं है। इस तरह दोबारा ऐसा करने की सोचना भी मत। इसमें तुम्हारा ही घाटा है, मेरा नहीं। और अपना यह ज़्यादा दिमाग चलने की भी ज़रूरत नहीं है।"

अंश की बातें सुन जानवी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन जानवी ने, अंश की तरफ़ देखे बिना, अपनी नज़रें अलग किए हुए कहा, "अगर तुमने अपना प्रवचन मुझे सुना दिया हो, तो अब मुझे घर जाना है।" यह बोल जानवी बिस्तर से उठी।

इस वक़्त जानवी एक पेशेंट ड्रेस में थी क्योंकि जब जानवी को यहाँ लाया गया था, तब जानवी सिर्फ़ एक चादर में थी। इसलिए जानवी ने वह पेशेंट ड्रेस पहन रखी थी। वह कमरे से बाहर जाने लगी।

क्योंकि जानवी का काफी खून लॉस हो चुका था, जिस वजह से जानवी को काफी कमज़ोरी महसूस हो रही थी। जिससे जानवी धीरे-धीरे अपने कदम बाहर ले जा रही थी।

अंश ने जानवी की बात सुनी और उसे जाता देख खुद के गुस्से को कण्ट्रोल करते हुए खुद से कहा, "यह मैं क्या करता हूँ? उससे चोट लगी थी और मैंने उसे कितना सुना दिया। मैं उससे यह सब बाद में भी तो बोल सकता था। यहीं पर बोलने की क्या ज़रूरी थी?"

और फिर उसकी तरफ़ देखते हुए पीछे से बोला, "अच्छा, जानवी।"

और इधर जानवी, जो कमरे से बाहर जा रही थी, अंश की आवाज़ सुनकर रुक गई।

"क्या तुमने वह सब सुन लिया था? ना जो मैंने कार में कहा था? मेरा मतलब है कि कल रात तुम्हारे साथ कुछ नहीं हुआ था। मतलब तुम्हें किसी ने नहीं छुआ था।" पता नहीं क्यों, लेकिन अंश को बड़ी हिचकिचाहट हो रही थी जानवी को दोबारा यह सब बताते हुए।

लेकिन जानवी ने अंश की बातों को इग्नोर करते हुए रूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर चली गई।

वहाँ से सीधा हॉस्पिटल के काउंटर पर जाकर बोली, "मेरा बिल, मेरा बिल कितना हुआ?"

जानवी की बात सुन काउंटर वाले ने कहा, "मैम, आपका बिल अंश सर ने पे कर दिया है।"

जानवी ने उसकी बात सुन एक लंबी साँस लेते हुए अपना कार्ड निकालकर काउंटर पर रखते हुए कहा, "मेरा जितना बिल हुआ है, उसका मैं पेमेंट खुद करूँगी, कोई और नहीं।"

और इधर अंश, जो जानवी के कमरे से बाहर आया था, उसके पीछे खुद भी बाहर आ गया, क्योंकि उसे पता था कि जानवी इस वक़्त काफी कमज़ोर है और उसे उसकी ज़रूरत है। जानवी की बात सुन उसके पास जाकर बोला, "यह क्या हरकत है जानवी? जब मैंने पेमेंट कर दी है तो तुम क्यों पेमेंट कर रही हो?" लेकिन जानवी ने अंश की बातों का जवाब दिए बिना काउंटर वाले से कहा, "मैंने कहा ना, मेरा बिल मैं खुद भुगतान करूँगी, तो जल्दी करो। मैं फ्री नहीं बैठी यहाँ पर हूँ।"

जानवी की गुस्से भरी टोन सुन काउंटर वाला डर गया और जल्दी से जानवी का पेमेंट कर दिया। फिर जानवी को कार्ड वापस देते हुए कहा, "मैम, हो गया।"

कार्ड मिलते ही जानवी वहाँ से जाने लगी।

और इधर अंश को जानवी की हरकतों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पता नहीं क्यों अंश को जानवी की हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसे खुद की बेइज़्ज़ती होती हुई महसूस हो रही थी, जो उसके अहंकार को चोट पहुँचा रही थी। लेकिन अपने गुस्से को कण्ट्रोल करते हुए अंश भी जानवी के पीछे-पीछे जाने लगा। हॉस्पिटल से बाहर आ जानवी सीधा कार पार्किंग गई और कार में बैठ गई।

और अंश भी बिना कोई बात किए चुपचाप कार ड्राइव करने लगा।

कुछ देर बाद अंश अपनी गाड़ी एक मॉल के बाहर रोकता है।

जिसे देख जानवी को समझ नहीं आया कि अंश ने कार यहाँ क्यों रोकी। अंश ने जानवी को कार से बाहर निकालते हुए कहा, "बाहर निकलो, जानवी।"

जानवी ने अंश को देखते हुए कहा, "अंश, तू मुझे यहाँ क्यों लेके आया है?"

अंश ने जानवी को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा, "क्या तुम इसी तरह दादी और बाकी घरवालों के सामने जाओगी?"

अंश की बात सुन जानवी खुद को देखती है और फिर बिना अंश को कुछ और कहे चुपचाप मॉल के अंदर चली जाती है।

और फिर यहाँ भी जानवी अपने लिए एक फॉर्मल ड्रेस चुनकर ड्रेसिंग रूम में जाकर ड्रेस पहन लेती है और फिर बिल भुगतान करने के लिए काउंटर की तरफ़ जाने लगती है कि वहाँ पर अंश को उस ड्रेस की पेमेंट करते देख जल्दी से वहाँ जाती है, उसका कार्ड छीनकर खुद का कार्ड देती है और पेमेंट करती है। और पेमेंट होने के बाद जानवी उस कार्ड को लेकर मॉल से बाहर जाने लगती है कि अंश जानवी का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए कार पार्किंग एरिया ले जाने लगता है। अंश ने जानवी का वही हाथ पकड़ा था जिस हाथ में जानवी को कट लगा था।

अंश के इस तरह करने से जानवी को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वह उफ़ तक नहीं करती।

अंश जानवी को कार पार्किंग में ले जाकर उसे धक्का देकर कार के बोनट से लगा देता है और फिर उस पर चिल्लाते हुए कहता है, "तुम जताना क्या चाहती हो? तुम्हें किस चीज़ की एटीट्यूड है? हाँ, मैंने माना कि तुमने जो कल किया उसमें मेरी गलती थी, लेकिन क्या? लेकिन क्या तुमने गलती नहीं की? तुमने भी तो गलती की। मेरे ड्रिंक में ड्रग्स मिलाए, मेरी मर्ज़ी के बगैर मेरे करीब आकर। तुम्हें किसने हर्ट दिया था? मेरे आलिया की जगह लेने को? अपना घटिया रवैया ना अपने घरवालों को दिखाना, मुझे नहीं। मैंने सोचा मैं तुम्हें गुस्सा नहीं करूँगा, लेकिन तुम जानबूझकर मुझे गुस्सा दिलाती हो।"

और इधर जानवी अपने हाथों को देख रही थी जहाँ से अब हल्का खून रिसने लगा था।

अंश, जानवी के हाथों की तरफ़ देखे बिना उसे सुनाई दे रहा था क्योंकि उसे सच में बहुत गुस्सा आ रहा था कि जानवी ऐसा कैसे कर सकती है जब उसने पेमेंट कर दी थी तो जानवी को पेमेंट करने की क्या ज़रूरी थी।

और इधर खून बहने की वजह से जानवी की आँखें फिर से बंद होने लगी थीं।

तभी अंश की नज़र जानवी की आँखों पर जाती है जो कमज़ोरी की वजह से बंद हो रही थीं। जिसे देख अंश जानवी के हाथों की तरफ़ देखने लगता है जहाँ से अभी भी खून रिस रहा था।

जिसे देख अंश जानवी को ज़मीन पर गिरने से बचा लेता है।

अंश को जानवी की ऐसी हालत देख शर्मिंदगी महसूस होने लगती है और फिर वह जानवी को अपने बाहों में उठाकर अस्पताल के अंदर दोबारा चला जाता है।

आज के लिए बस इतना ही।