जानवी फिर से बिस्तर की तरफ़ जाने लगी कि अंश उसका हाथ पकड़, दोबारा खींचते हुए बोला, "व्हाट यूअर मीन? तुम्हारे कहने का क्या मतलब है? कि मैं तुम्हें बताना ज़रूरी नहीं समझती। क्या तुम भूल गई हो कि तुम मेरे साथ रहती हो, मेरी बीवी बनकर? सो तुम मुझे नहीं बताओगी तो किससे बताओगी?"
तभी जानवी अंश की आँखों में देख कुछ ऐसा बोली, जिसे सुन अंश के होश उड़ गए।
फिर जानवी अंश की आँखों में आँखें डाल, देखते हुए बोली, "क्यों अंश? तुम्हारे कहने का क्या मतलब है कि मैं तुम्हारी बीवी हूँ?"
थोड़ा रुककर बोली, "शायद तुम भूल गए हो कि मैं तुम्हारी बीवी नहीं, तुम्हारी दादी को ठीक करने वाली मशीन हूँ, जिसे तुमने धोखे से अपने प्यार के जाल में फँसाया था। और क्या? और क्या? एक ही रट लगा रखा है कि मैंने तुम्हें क्यों नहीं बताया? क्यों नहीं बताया? क्या तुमने मुझसे पूछा था ये सब कैसे हुआ? मुझे किसने ड्रग्स दिया? क्यों दिया?"
और फिर थोड़ी देर रुककर बोली, "नहीं ना! अरे, तुम पूछते ही कैसे? तुम्हें तो भरोसा ही नहीं था मुझ पर। अगर भरोसा होता ना तो तुम मुझ पर इल्ज़ाम ना लगाते।"
और फिर जानवी को वह सब याद आने लगा कि कैसे वह अंश के बीमार होने के बाद उसके कमरे में उसे देखने गई थी कि वह ठीक है कि नहीं, लेकिन अंश ने उल्टा उसी के साथ वो सब किया और साथ में उस पर झूठा इल्ज़ाम भी लगाया कि वो ड्रग्स मैंने दिया, मैंने खुद अपना रेप करवाया।
फिर अपने सोच से बाहर आते हुए बोली, "हाँ बोलो अंश, अब क्या हुआ? तुम्हारे पास शब्द नहीं रहे मुझे कुछ कहने को?"
और इधर अंश तो जानवी की आँखों में ही देख रहा था जहाँ उसे बेशुमार दर्द नज़र आ रहा था। जिसे देख अंश के भी दिल में दर्द सा उठने लगा था। उसे नहीं पता ये सब क्यों हो रहा है, लेकिन उसे बहुत तकलीफ़ हो रही थी और जानवी की बातें सुन उसे काफ़ी बुरा लग रहा था।
और ऐसे ही जानवी अंश की आँखों में देखते-देखते अंश के बिलकुल करीब आ जाती है। फिर उसकी आँखों में देखते हुए बोली, "क्या हुआ? जवाब नहीं है तुम्हारे पास? बोलो! क्या तुम्हें ये पता था कि वो ड्रग्स तुम्हारे लिए नहीं, मेरे लिए था? या शायद आलिया के लिए? क्योंकि सबकी नज़रों में तो मैं ही आलिया हूँ और यहाँ मेरा कोई दुश्मन भी नहीं है। मैं तुम्हें बता दूँ कि तुम्हारे किसी दुश्मन ने मुझे ड्रग्स देना चाहा था।"
"लेकिन तुम्हें क्या? तुम्हें तो बस मुझ पर इल्ज़ाम लगाना था जो तुमने लगा दिया। अब खुश? और कुछ जानना चाहते हो? और रही बात तुम्हें कुछ बताने की तो क्या फ़ायदा? तुम तो जैसे भरोसा करते मेरे..."
थोड़ा रुककर और सोचकर बोली, "और वैसे भी तुम इतने काबिल नहीं कि मैं तुम्हें कुछ बताऊँ। या यूँ कहूँ तो मैं तुम्हें कुछ बताना ज़रूरी नहीं समझती। ये मेरी लाइफ़ है, मेरी मर्ज़ी।" यह कह जानवी अंश से दूर हो जाती है क्योंकि उसकी अब हिम्मत नहीं हो रही थी अंश की आँखों में देखने की।
अंश को जानवी की बातें सुन काफ़ी बुरा लग रहा था, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता क्योंकि जानवी ने उसे जो भी कहा वह सब सच ही तो था। उसने ही तो बिना सोचे-समझे जानवी पर इल्ज़ाम लगाया था जो कि उसकी कोई गलती नहीं थी।
ये सब सोच अंश जाने की तरफ़ कदम बढ़ाते हुए बोला, "जानवी, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो बस..."
अंश ने इतना ही कहा था कि जानवी अपना हाथ आगे करते हुए बोली, "प्लीज़ अंश, मैं अभी आपसे कोई बात नहीं करना चाहती तो प्लीज़ आप यहाँ से चले जाइए।"
अंश जानवी की बात ना मानते हुए अब भी उसी की तरफ़ कदम बढ़ाते हुए बोला, "देखो जानवी, एक बार मेरी बात तो सुनो।"
जानवी उसी तरह अंश को जवाब देते हुए बोली, "देखो अंश, तुम भी मेरी बात सुनो। तुम अभी इसी वक़्त यहाँ से चले जाओ वरना मैं खुद ही यहाँ से चली जाऊँगी।" यह कह जानवी वहाँ से जाने लगती है कि तभी अंश जानवी का हाथ पकड़ रोकते हुए बोला, "मैं जा रहा हूँ। तुम यहीं रुको।" यह कह अंश वहाँ से चला जाता है।
अंश के कमरे से जाते ही जानवी दौड़कर दरवाज़े के पास आती है और अंश को जाते हुए देखने लगती है। अंश को इस वक़्त जाते देख जानवी को बहुत दुःख लग रहा था, लेकिन अपने गुस्से और ईगो की वजह से उसने खुद ही उसे यहाँ से जाने को कहा था जिस वजह से अब उसे रोना आ रहा था।
जिसे जानवी अपने आँसू पोछती है और वह दोबारा कमरे में आ बिस्तर पर बैठ जाती है और फिर खुद से ही अपने आँसू पूछते हुए बोली, "नहीं जानवी, मैं बहुत स्ट्रांग हूँ। भाई ने कहा था कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए और मैं आज भी हिम्मत नहीं हारूँगी।" यह कह जानवी दोबारा लेट जाती है।
और वहीं दूसरी तरफ़ अंश अपनी कार में बैठा। आज उसका दिल बहुत दुख रहा था। उसने बिना सोचे-समझे जानवी को बहुत ही दुःख दिया था जो उसे नहीं देना चाहिए था। एक तो पहले से ही उसने उसके साथ चीट किया था और ऊपर से मैंने ही उस पर इल्ज़ाम लगाया जो कि वह मेरी ही हेल्प कर रही थी। आज उसे सच में बहुत बुरा लग रहा था। वह सच में जानवी का गुनेहगार था।
आज अंश का दिल कह रहा था कि वह जानवी को गले से लगा ले, उसे अपनी बाहों में समेट उसे संभालना चाहता था। आज उसे जाने की तरफ़ से एक अलग खिंचाव महसूस हो रहा था जो वह नहीं चाहता था।
जिससे अंश अपनी आँखें बंद कर 5 मिनट बाद दोबारा खोलते हुए बोला, "नहीं-नहीं, मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ आलिया को प्यार करता हूँ और उसी को करूँगा। मैं उसे धोखा नहीं दे सकता।" यह सोच अंश हॉस्पिटल से सीधा घर आ जाता है क्योंकि अब उसे ऑफ़िस जाने का बिलकुल मन नहीं कर रहा था।
और यहाँ अंश अपने कमरे में आ बालकनी में चला जाता है और वह उस दिन पार्टी वाली रात के बारे में सब कुछ सोचने लगता है।
जिसे सोच अंश बोला, "इसका मतलब जानवी सच कह रही थी कि वो ड्रग्स मेरे लिए नहीं, जानवी के लिए था। लेकिन जानवी को ड्रग्स देना कौन चाहता था? जितनी जल्दी हो सके मुझे पता लगाना ही होगा कि जो इंसान एक बार जानवी को ड्रग्स दे सकता है तो वह दोबारा भी उसे ज़रूर ड्रग्स देने की कोशिश करेगा। जानवी ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। मैं जानवी को... नहीं-नहीं..."
"मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा। मुझे पता लगाना ही होगा।"