ziddi

जितनी जल्दी हो सके मुझे पता लगाना ही होगा कि जो इंसान एक बार जानवी को ड्रग्स दे सकता है, तो वह दोबारा भी उसे ज़रूर ड्रग्स देने की कोशिश करेगा। जानवी ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। मैं जानवी को दोबारा... नहीं-नहीं... मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा। मुझे पता लगाना ही होगा।

ऐसे ही वक़्त निकलता जा रहा था, और आंश को अभी तक कोई क्लू नहीं मिला था। जिससे आंश परेशान हो रहा था। मुझे पता क्यों नहीं चल रहा कि आखिर मैं कौन इस सब के पीछे था? क्या कोई मेरे घर से... नहीं-नहीं, मेरे घर में से तो कोई नहीं हो सकता क्योंकि मेरी मॉम-डैड को कोई प्रॉब्लम नहीं है। बाकी बच्चे, दादी... उन्हें तो पता ही नहीं है। कुछ तो है जो मुझसे छूट रहा है। यह सब कर कौन सकता है? यह सब सोच-सोच आंश का दिमाग फटता जा रहा था। आज आंश सुबह से लगभग 10 कॉफ़ी पी चुका था।

कि तभी आंश का एक बॉडीगार्ड ऑफ़िस में आता है और आंश को एक पेन ड्राइव देते हुए कहता है, "सर, शायद इससे आपको कुछ पता चल जाए।"

आंश पेन ड्राइव को लेते हुए कहता है, "ठीक है, तुम जाओ, मैं देखता हूँ।" यह कह आंश अपना लैपटॉप लेता है, उसमें पेन ड्राइव लगाकर देखने लगता है।

कि तभी आंश का लैपटॉप स्विच ऑफ़ हो जाता है। लैपटॉप स्विच ऑफ़ होने की वजह से आंश चिढ़ता है। इस लैपटॉप को अभी ही बंद होना था, और वह लैपटॉप को लेकर ऑफ़िस से घर के लिए निकल जाता है क्योंकि आज काफ़ी रात हो गई थी। ऊपर से इतने दिनों से काम का प्रेशर होने की वजह से उसका मूड भी काफ़ी ख़राब रहता था। और ऊपर से उसे यह भी पता नहीं लगा था कि यह सब कर कौन रहा है और क्यों, क्योंकि उसे अब भी नहीं पता था कि वह ड्रग्स किसके लिए था: जानवी के लिए या फिर आलिया के लिए।

और इधर जानवी को भी हॉस्पिटल से आए लगभग 5-6 दिन बीत चुके थे, और यहाँ दादी भी काफ़ी ठीक हो गई थी। अब जानवी यहाँ से इंडिया जाने का प्लान बना रही थी क्योंकि उसका मक़सद तो यही था कि वह आंश को उसी की नज़रों में गिरा दे, जो उसने कर दिया था। लेकिन अब उसे तकलीफ़ हो रही थी जिससे वह जितनी जल्दी हो सके यहाँ से अपने घर वापस जाना चाहती थी।

लेकिन उसने आंश द्वारा दिए गए कॉन्टैक्ट पेपर पर भी साइन कर दिया था कि वह सिर्फ़ एक महीना यहाँ रुकेगी, जिससे वह चाहकर भी 1 महीने से पहले यहाँ से इंडिया वापस नहीं जा सकती थी। अब उसके पास केवल 20 दिन ही रह गए थे यहाँ से इंडिया जाने में। लेकिन उसे बहुत डर लग रहा था कि वह इंडिया जाकर अपने भाई को क्या जवाब देगी कि उसने आंश से कॉन्टैक्ट मैरिज पर शादी क्यों की।

उसने गुस्से और ईगो में आकर शादी तो कर ली, लेकिन अब उसके पास अपने भाई को जवाब देने के लिए कोई शब्द नहीं था। उसे डर लग रहा था कि अगर उसके भाई को पता चलेगा कि आंश ने उसे धोखा दिया है, तो वह आंश का क्या हाल करेंगे, क्योंकि उसे अपने भाई के गुस्से का पता था कि उसका भाई कितना डेंजर है।

अरे यार, उसका भाई शेर तो होगा ही! जब जानवी खुद ही इतनी गुस्सैल थी, तो उसका भाई क्यों नहीं होगा? लेकिन वह यह सब रैता फैला चुकी थी, तो वही इसे समेटेगी भी।

और वही दूसरी तरफ़ आंश घर की तरफ़ आ रहा था कि तभी कोई एक लड़की आंश के कार के सामने आ जाती है। और इधर आंश अपने कार के सामने किसी को आता देख जल्दबाज़ी में कार की ब्रेक लगा देता है और फिर जल्दी से कार से बाहर निकल उस लड़की को उठाने लगता है, जिस लड़की को हल्की-हल्की चोट लग गई थी।

आंश लड़की को उठाते हुए कहता है, "तुम ठीक तो हो? तुम्हें ज़्यादा चोट तो नहीं आई?"

वह लड़की अपनी आँखें खोलते और बंद करते हुए कहती है, "नहीं-नहीं सर, मैं ठीक हूँ।" और वह उठने की कोशिश करने लगती है कि तभी वह लड़खड़ा जाती है।

कि तभी आंश उस लड़की को सहारा देते हुए कहता है, "तुम्हें डॉक्टर को दिखाने की ज़रूरत है।" यह कह आंश उस लड़की को अपनी कार में बैठा लेता है और फिर अपनी कार हॉस्पिटल की तरफ़ ड्राइव करने लगता है।

हॉस्पिटल में उस लड़की का चेकअप कराकर उसे उसके घर तक छोड़ने को कहता है।

वह लड़की भी आंश की बात मानकर उसके साथ चली जाती है। वह लड़की आंश को जहाँ-जहाँ जाने को कहती है, आंश कार उसी साइड लेकर जाता है कि तभी उसे लड़की को कोई कॉल आता है, जिससे वह लड़की कॉल पिक करती है और बात करने के बाद फ़ोन कट करते हुए कहती है, "आप मुझे यहीं उतार दीजिए, मैं चली जाऊँगी।"

आंश उस लड़की की बात सुनकर कहता है, "नहीं, मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ। तुम बस अपना घर बताओ, मैं वहाँ पर तुम्हें ड्रॉप कर दूँगा।"

वह लड़की कहती है, "इट्स ओके सर, लेकिन मुझे यहाँ काम है, तो आप मुझे यहीं छोड़ दीजिए, मैं चली जाऊँगी।"

लड़की के ज़्यादा कहने पर आंश कहता है, "ठीक है।" और उस लड़की को वहीं छोड़कर अपने घर की तरफ़ चल जाता है।

और आंश घर आकर, बिना खाना खाए, अपने कमरे में चला जाता है और फिर बिना जानवी की तरफ़ देखे शॉवर लेता है, अपने स्टडी रूम में चला जाता है। क्योंकि उसने जो जानवी के साथ किया है, उसके बाद वह जानवी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। उसने जानवी को, जाने-अनजाने में ही, उसके साथ बहुत बुरा किया था। उसने उसका रेप किया था। उसे तो यह सब सोचते हुए भी खुद पर गुस्सा आ रहा था कि वह कब इतना घटिया बन गया? वह कब से इतना सेल्फ़िश हो गया था कि उसे किसी का दर्द दिखाई नहीं दिया?

वह तो हमेशा उसकी केयर करती थी। जैसी मर्ज़ी हो, वह थोड़ी घमंडी थी, लेकिन दिल की बहुत ही अच्छी थी। उसे अफ़सोस हो रहा था कि उसने पहले क्यों नहीं उसके दिल को देखा? शायद वह पहले ही उसे समझ लेता तो इतनी बड़ी ग़लती ना करता, जिससे वह हॉस्पिटल से आने के बाद से ही जानवी के सामने नहीं जाता था।