जय माता दी
" कहा..... कहां था आपने कि को.... कोई भी नहीं छू.... छू पाएगा मुझे । तो बताइए क्यों किए आ... आपने हमसे झूठे वादे । सब.... सब झूठ था । आप.... आपके वादे भी अभिजीत राठ.... राठौड़ " वहीं रोती हुई नंदिनी पंजों पर उचकती हुई अभिजीत के टी शर्ट के कॉलर को बेदर्दी से मुठ्ठी में भींचती हुई सिसकती हुई गुस्से से अभिजीत की आंखों में आँखें डाले बोलती
जहां नंदिनी को इस तरह खुद से गुस्से में बात करते देखकर अभिजीत की आंखों में गुस्सा उतर आता । वहीं नंदिनी की आँखें रोने से लाल हो चुकी थी अब तक और नंदिनी उसी गुस्से में भरी सिसकती हुई आगे बोलने के लिए अपने होठों को खोलती की
"...... एक शब्द ओर नहीं । अगर परी उठ गई इस शोर से । तो आपके लिए.... बिल्कुल भी अच्छा .... नहीं होगा नंदनी " तभी नंदिनी के खुले होठों पर अपनी हथेली रख अपनी हथेली से एक दवाब के साथ नंदिनी का मुंह बंद कर गुस्से से अभिजीत बोलता
जहां अभिजीत की इस बात को सुनकर नंदिनी की आंसू से भरी आँखें एक पल अभिजीत पर ठहरती हुई । वो अपनी निगाहे हल्की सी टेढ़ी पर बिस्तर के पास पालने में सोती हुई परी पर दो पल अपनी नज़रों को थाम लेती
जहां परी पर नज़रे जाते ही नंदिनी अपने जज्बातों को अंदर दबाए उसी पल अभिजीत से दूर होते हुए पीछे पलटती हुई कमरे से बहार की तरफ बढ़ जाती
पर तभी जाती हुई नंदिनी की कलाई को कसकर थामे अभिजीत नंदिनी को अपनी ओर खींचता । जहां यूं अचानक खींचने से दबी दबी सिसकी लेती हुई नंदिनी आंसू से भरी सवालियों नजरों को अभिजीत पर टिक लेती । मानो पूछ रही की क्यों रोका उसने उसे ?
" किसने..... छुआ... आपको.... ? " वहीं अभिजीत हर एक शब्द पर दबाव डालते हुए नंदिनी की आंखों में आँखें डाले सवाल करता
जहां एक पल अभिजीत के इस सवाल को सुनती नंदिनी की आंखों के सामने हैदर , रवि और ना जाने कितने शक्श के चेहरे घूम जाते । जिन्होंने दिन , रात उसका रेप किया । उसे वेश्या बना दिया । वरना थी तो वो भी एक मासूम सी लड़की । जिसके ढेरों सपने थे । पर सब खत्म होते गए । हर मर्द की हैवानियत में
" जवाब दीजिए.... हमें .... " वहीं नंदिनी की आंसू से भरी आंखों में बेपनाह भरे दर्द को देखकर अभिजीत फिर सवाल करता
" और क्या कर लेंगे आप जानकर.... बताइए क्या करेंगे ? " तभी नंदिनी अभिजीत की आंखों में आँखें डाले सवाल करती
जहां नंदिनी की आंखों से उसका चेहरे पर भरी दर्दनाक तकलीफ अभिजीत को साफ महसूस करा रहा था कि बहुत कुछ दबाए रखी हैं ये मासूम सी जान अपने अंदर । पर उसे भरोसा नहीं अभिजीत पर कि अगर वो बता भी देगी तो कुछ कर भी पायेंगा अभिजीत । जहां नंदिनी को उस पर भरोसा नहीं ये महसूस कर अभिजीत को अंदर अंदर ही गुस्सा आ रहा था
" नाम बोलिए..... " वहीं अभिजीत अपने गुस्से को अंदर दबाए नंदिनी की आंखों में देखते हुए सवाल करता
" रवि..... " तभी नंदिनी एक नाम बोलती
जहां रवि सुनकर अभिजीत इस नाम को याद करने लगता और तभी उसे याद आता की रवि तो नंदिनी का भाई । बस भाई सोचते ही अभिजीत के माथे पर सिलवटें आ जाती क्योंकि यहीं तो कहां रेखा जी ने उससे की रवि नंदिनी का भाई हैं । और नंदिनी की सिर्फ एक काकी हैं जिसने उसे पाला
" कुछ नहीं कर सकते आप साहाब... फिक्र मत कीजिए कल से आपकी बेटी की ये नौकरानी चौबीस घंटे आपकी बेटी की देखभाल करेगी " वहीं अभिजीत को इतना सोचते देखकर नंदिनी होठों पर तंज भरी मुस्कुराहट लिए बोलती हुई अभिजीत के हाथ से अपनी कलाई छुड़ा लेती
जहां इतना बोलते नंदिनी दूसरी तरफ बढ़ जाती । पर नंदिनी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर गुस्से से अभिजीत का जबड़ा भींच जाता । पर तभी परी की हल्की सी आवाज अभिजीत को आती । जहां इस आवाज को सुनते ही अभिजीत उसी पल कमरे में चला जाता
सुबह हो गई
नंदिनी इस वक्त सोफे पर बैठी हैदर का इंतेज़ार कर रही थी । आज पहली बार हैं जब खुद नंदिनी अपने दिमाग से तैयार हैं कि उसे खुद जाना हैं क्योंकि नंदिनी समझ चुकी थी कि उसे नहीं मिलेगी आजादी । कब तक रोएगी या भागेगी । वो जानती हैं कि हैदर की दरिंदगी की आगे अभिजीत क्या कोई भी कभी नहीं जीत सकता
" मार.... दिया.... उसे..... " तभी नंदिनी को अपने कानो के बेहद नजदीक ये गहरे शब्द सुनाई देते
जहां इन गहराई से बोले गए शब्दों को सुनकर नंदिनी अपना चेहरा टेढ़ा करती । तो इस पल अभिजीत उसके पीछे खड़ा दोनों हाथों को सोफे के सिराने टिकाए हल्का सा नंदिनी के ऊपर झुके हुए अपने चेहरे को उसके चेहरे के बेहद नजदीक करे था
" मार दिया उसे.... पर ये मत सोचिएगा कि उसके मरने की वजह से आपको उस घर जाने भी दिया जाएगा " वहीं अभिजीत नंदिनी की आंखों में देखते हुए बोलता
जहां एक पल तो अभिजीत का एक शब्द भी नंदिनी को बिल्कुल समझ नहीं आता । पर दूसरे पल इस ख्याल से की अभिजीत ने रवि को मार दिया । बस ये सोचकर ही नंदिनी की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती
" आ.... आप झूठ बो.... बोल रहे... " वहीं अभिजीत ने रवि को मार दिया इस बात पर बिल्कुल ना भरोसा करती हुई नंदिनी अटक अटक कर बोलती
लेकिन नंदिनी की आंखों में अपने लिए भरोसा ना देखकर अभिजीत के बदन में गुस्से की आग लग जाती और उसी पल अभिजीत नंदिनी के सिर पर पीछे हाथ लगाते हुए नंदिनी के हल्के से खुले कांपते हुए होठों पर अपने होठ रख देता
जहां अभिजीत के होठों को अपने होठों पर महसूस कर नंदिनी सिहर उठती । तो वहीं अभिजीत जो गुस्से में नंदिनी के बोले गए शब्दों की सजा नंदिनी के होठों को देना चाहता था
पर नंदिनी के मुलायम होठों को अपने कुछ सख्त होठों पर महसूस कर अभिजीत सब कुछ भूलता हुआ नंदिनी के होठों को अपने होठों से सहलाने लगता
" भाई...... " और तभी एक बेहद गुस्से से भरी आवाज नंदिनी और अभिजीत को सुनाई देती
(( क्या हैदर के होते हुए अभिजीत और नंदिनी कभी करीब आ पाएंगे ? अभिजीत और नंदिनी की इन नजदीकियों को जानकर क्या करेगा हैदर ? ))
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