जय माता दी
अभी तक उसे बहुत उम्मीद थी अभिजीत से । शायद वो तो सोच चुकी थी कि ये अजनबी उसके लिए शायद फरिश्ता हैं । पर.... पर फिर उसे इसी अजनबी ने उसकी औकात दिखा दी । जहां अभी तक दूसरे उसे अपने बिस्तर के लिए खरीदते थे । तो आज इस अजनबी ने उसे अपनी बेटी के लिए ही खरीद लिया
जहां अभिजीत इतना बोलते ही गुस्से में बौखलाया हुआ घर की तरफ बढ़ जाता । पर नंदिनी वो वहीं सिर झुकाए होठों को आपस में कसकर भींचे सिसक जाती । नंदिनी ना चाहकर उम्मीद कर चुकी थी अभिजीत से । पर आज वो उम्मीद और नंदिनी खुद फिर टूट गई थी
शाम हो गई
" आप हमे बताएंगे कि आप करना क्या चाहते हैं अभिजीत । शादी को अभी एक दिन भी नहीं हुआ और.... आ.... आपने तलाक के लिए भी तैयारी कर ली " हाथों में अभिजीत और नंदिनी के तलाक के कागजों को गुस्से से पकड़े रेखा जी सोफे पर बैठे लैपटॉप पर काम करते हुए अभिजीत से बेहद गुस्से से चीखती हुई बोलती
पर अभिजीत अपनी मां की हर बातों को नजर अंदाज़ कर अपने लैपटॉप पर काम करते रहता । जहां अभिजीत की इस चुप्पी को देखकर रेखा जी का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था
" अभिजीत .... जवाब दीजिए हमें " तभी एक बार फिर रेखा जी बेहद गुस्से से अभिजीत से बोलती कि
" ...... हमने ये शादी सिर्फ परी के लिए कि और जिस दिन परी की सारी जरूरत खत्म हो जाएगी । उस दिन हम हर रिश्तों से आजाद कर देंगे उस नौकरानी को... " वहीं अभिजीत एक गहरी सांस लेते हुए बोलते हुए अपनी बात पूरी कर रुकता की
" नौकरानी नहीं हैं वो.... वो आपकी बीवी हैं । इस घर की बहु.... " तभी रेखा जी बेहद गुस्से से अभिजीत को आगे बोलने से टोकती हो बोलती
जहां रेखा जी की इस बात पर अभिजीत अपनी निगाहे लैपटॉप पर कर लेता । पर रेखा जी उनकी आंखों में आंसू भर चुके थे । वो अब तक खुश थी कि अभिजीत किसी को तो लाया अपनी ज़िंदगी में । पर आज उन्हें खुद से नफरत हो रही थी कि क्यों वो अभिजीत से जिद करते रहती थी कि कर ले अभिजीत शादी
काश ये शादी ना होती तो आज नंदिनी की जिंदगी यूं बर्बाद ना होती । लेकिन अब रेखा जी कुछ भी नहीं बोल पाती क्योंकि अभिजीत के चेहरे पर साफ था कि नंदिनी उसके लिए सिर्फ परी की नौकरानी है
पर वहीं दरवाजे पर खड़ी नंदिनी जिसकी आंखों में आंसू और चेहरे पर खुद की जिंदगी के लिए धिक्कार था । आज उसे एक बार फिर खुद से बहुत नफरत हो रही । उसकी आंखों से बहता आंसू बस यहीं सवाल उससे कर रहा था कि क्या बस वो दूसरों की जरूरत के लिए ही बनी हैं
रात हो गई
नंदिनी इस वक्त छत पर एक दम कोने में नीचे फर्श पर बैठी अपने घुटनों को मोड़कर सीने से लगाए पीट को दीवार के सहारे टिकाए बेहद खामोश सी बैठी थी । जहां नंदिनी का चेहरा भी बिल्कुल खामोश था और वजह थी अभिजीत .... जिसने पल भर में उसकी बनती उम्मीद और उसे खुद को भी खत्म कर दिया
तभी अचानक नंदिनी के चेहरे के आगे कोई अपना फोन लगाता । जहां उस फोन स्क्रीन पर निगाह जाते ही फोन में चलती वीडियो को देखकर नंदिनी घिन से अपनी दोनों मुट्ठियों को बेदर्दी से कसकर भींच लेती
" देख बिचारा तेरे लिए कितना तड़प रहा हैं ..... पहली बार रवि ने.... अपने इस शैतान भगवान से कुछ मांगा हैं । तो बता .... कब चलेगी अपने इस नए शिकारी के पास " वहीं हैदर होठों पर घिनौनी मुस्कुराहट लिए बोलते हुए पेरो को मोड़ते हुए नंदिनी के पास बैठ जाता
जहां हैदर के हर शब्द को सुनकर और फोन में रवि को यूं अपने कमरे में बिना कपड़ो के उसके कपड़ो को खुद के सीने से बेदर्दी से रगड़ते देखकर नंदिनी के चेहरे पर घिन और उसकी आंखों में आंसू भर जाते
" ये मत सोच लियो की आज के जैसे वो अभिजीत तुझे कल भी बचा लेगा ... बता दे उसे...... हैदर कितना बड़ा राक्षस हैं ...... तैयार रहियो .... क्योंकि कल तुझे खुद मैं ले जाऊंगा । तेरे नए शिकारी के पास ....... " वहीं नंदिनी के चेहरे पर निगाह रखे गुस्से से अभिजीत को याद कर दांत भींचकर बोलते हुए हैदर गंदी सी हंसी हंसने लगता
" तेरी सबसे बड़ी गलती की.... तू खुद ही मेरे पास आ गई नंदिनी और अब तू फिक्र मत कर । तेरा एक ग्राहक..... भी कम नहीं होने दूंगा और ना तुझे तेरे वेश्यापन से कभी भी मुक्ति दूंगा । सिर्फ मैं.... हूं तेरा पति और..... तेरी जिंदगी के आज भी फैसले सिर्फ और सिर्फ ये हैदर लेगा " वहीं हैदर आंखों में नंदिनी की बर्बादी लिए जबड़े भींचकर हर एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोलता
जहां इतना बोलकर हैदर होठों पर शैतानी मुस्कुराहट लिए खड़ा होते हुए छत से नीचे चला जाता । पर हैदर के हर एक शब्द को सुनकर नंदिनी रो पड़ती । क्योंकि वो जानती हैं .... हैदर जो ठान ले वो करके ही रहता
जहां कल फिर से खुद के साथ दरिंदगी की सोच सोचकर नंदिनी रोती हुई तेज तेज सिसकने लगती । पर तभी उसे अभिजीत की याद आती और अभिजीत की उस शर्त की याद आती कि जब उसने खुद कहां था कि वो किसी को भी नहीं छूने नहीं देगा उसे
जहां बस अभिजीत के इन बोले गए शब्दों को याद करती हुई नंदिनी गुस्से से उठती हुई छत से नीचे जाती हुई गलियारे से गुजरती हुई एक बंद दरवाजे के आगे खड़ी होती हुई गुस्से से लगातार दरवाजे पीटना शुरू कर कर देती
जहां नंदिनी के अंदर गुस्सा बढ़ता ही जा रहा और इसी गुस्से में वो बेदर्दी से दरवाजा पिटती ही जा रही थी और तभी दरवाजा खोलते हुए एक शक्श नंदिनी के सामने खड़ा होता
" कहा..... कहां था आपने कि को.... कोई भी नहीं छू.... छू पाएगा मुझे । तो बताइए क्यों किए आ... आपने हमसे झूठे वादे । सब.... सब झूठ था । आप.... आपके वादे भी अभिजीत राठ.... राठौड़ " वहीं रोती हुई नंदिनी पंजों पर उचकती हुई अभिजीत के टी शर्ट के कॉलर को बेदर्दी से मुठ्ठी में भींचती हुई सिसकती हुई गुस्से से अभिजीत की आंखों में आँखें डाले बोलती
जहां नंदिनी को इस तरह खुद से गुस्से में बात करते देखकर अभिजीत की आंखों में गुस्सा उतर आता
(( क्या होगा कल ? क्या करेगा अब अभिजीत नंदिनी की इस हरकत पर ? ))
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