अभिजीत का नंदिनी पर बेहद गुस्सा करना

जय माता दी

जहां लगातार बोली लगती ही जा रही और इस बढ़ती बोली को सुनकर होठों को दबाए रोती हुई नंदिनी का डर से पूरा शरीर कांपने लगा था । क्योंकि जितने ज्यादा पैसा जो उसके देगा उस हिसाब से उसके जिस्म को भी वो इतना ही भयंकर तरीके से नोचेंग

वहीं काकी की लालच भरी आँखें तो इंतजार कर रही कि कब उसके हाथ में भरकर पैसा आयेगा । वहीं आस पास खड़ी लड़कियां इस तरह नंदिनी की बोली लगते देखकर कुछ तो नंदिनी से जल रही । तो कुछ को बहुत बुरा लग रहा था

" पच्चीस हजार.... " जहां इस बोली के लगते ही बोली रुक जाती

" काकी..... काकी ..... वो अभिजीत........ आ रहा " तभी घबराया सा डर से चीखते हुए एक आदमी दरवाजे से अंदर आता

जहां अभिजीत सुनते ही नंदिनी पीछे मुड़ती हुई रोना बंद कर आंखों में कुछ हैरानी लिए दरवाजे की तरफ नज़रे कर लेती

" ए सारी छोरियों को कमरे में भेज और हटा इन सब को जल्दी से " वहीं डरी सी काकी तेज चिल्लाती

जहां काकी के चिल्लाते सब लड़कियां कमरे में घुसती हुई दरवाजे बंद कर लेती । वहीं जितने भी वहां आदमी थे सबको किसी ना किसी कमरे में बंद कर दिया जाता

तभी नंदिनी की नज़रे बेहद गुस्से से दरवाजे से अंदर आते अभिजीत पर जाती । जहां अभिजीत की जलती निगाहों को खुद की ओर ही देखकर नंदिनी डरी सी खुद में सिकुड़कर खड़ी हो जाती

" मना किया था आपसे । कहीं नहीं जाएंगी आप । तो...

हिम्मत भी कैसे की आपने यहां आने की ? " तभी बेहद गुस्से से चीखते हुए अभिजीत नंदिनी से एक कदम दूर रुक जात

जहां अभिजीत की गुस्से भरी आवाज को सुनकर सहमी सी नंदिनी सिर नीचे कर खड़ी हो जाती

" हमारी बेटी सिर्फ हमसे मिलने आई थी दामाद जी.... " वहीं अभिजीत की गुस्से भरी बात सुनकर काकी घबराई सी बोलती हुई रुकती की

" नहीं आयेंगी.... उसका आज से घर और परिवार सब वो हैं । कुछ नहीं हैं नंदिनी का यहां और ना ही आप लोगो से उसका कोई रिश्ता हैं " तभी अभिजीत गुस्से से काकी से बोलता

जहां अभिजीत के ऐसे बोलने पर काकी डर से अब कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाती । पर रवि को गुस्सा आ जाता क्योंकि वो आज नंदिनी के जिस्म के लिए पागल हो रहा था

" नंदिनी का घर हैं ये । आप कैसे रोक सकते हैं उसे यहां आने से ? " तभी रवि कुछ गुस्से से बोलता हुआ रुकता की

" पत्नी हैं मेरी ये ... ये कहां आएंगी , कहां जाएंगी । इसका फैसला सिर्फ मै करूंगा । आइंदा से मुझसे बिना इजाजत लिए मेरी बीवी को कहीं भी ले जाने की गलती भी मत कर देना " वहीं गुस्से से काफी तेज चीखते हुए अभिजीत रवि को धमकी देते हुए बोलता

जहां अभिजीत की धमकी से रवि बहुत घबरा जाता । तो वहीं अपने लिए इतने हक से पत्नी सुनकर नंदिनी की आंसू से भीगी पलखे ऊपर उठती हुई अभिजीत पर ठहर जाती

वहीं अभिजीत एक गुस्से भरी निगाह काकी और रवि पर डाल नंदिनी की कलाई कसकर थामे उसे बहार ले जाते हुए गाड़ी की तरफ बढ़ जाता । वहीं गाड़ी के पास आते हुए अभिजीत गाड़ी का पीछे का दरवाजा खोलते हुए खुद दूसरी तरफ से गाड़ी में पीछे बैठ जाता

जहां दरवाजा खुला देखकर नंदिनी गाड़ी में बैठ जाती और नंदिनी के गाड़ी में बैठते ही तेजी से ड्राइवर गाड़ी आगे बढ़ा देता । जहां गाड़ी में इस वक्त बेहद शांति होती । जहां यहीं शांति इस वक्त नंदिनी के लिए दिल में भी होती और उसी शांति के साथ नंदिनी के होठों पर बहुत हल्की सी मुस्कुराहट

मुस्कुराहट की आजाद हो ही गई वो वहां से । अब कभी भी नहीं जा पाएंगी वो वहां । क्योंकि अब उसका पति ही कभी जाने नहीं देगा

वहीं आंधे घंटे बाद घर के सामने गाड़ी रुकती । जहां गाड़ी के रुकते नंदनी जैसे ही गाड़ी का दरवाजा खोलकर अपना एक कदम बहार निकालने को होती की

" मना किया था.... कोई वास्ता नहीं रखेगी आप अपने परिवार से । तो क्यों गई वहां ? " तभी गुस्से से अभिजीत नंदिनी की एक बाजू को अपने हाथ में कसकर पकड़ते हुए नंदिनी को गाड़ी से बहार खींचते हुए बोलता

जहां अचानक खुद के खींचने से नंदिनी लड़खड़ाए कदमों से गाड़ी से बहार निकल आती । पर अपने सामने बेहद गुस्से से खड़े अभिजीत को देखकर डर से नंदिनी की सांसे रुकती हुई वो हल्की सी कांप सी जाती

" भूलिए मत आप यहां सिर्फ परी के लिए हैं.... । याद रखिएगा... मैने आपको खरीदा हैं अपनी परी के लिए.... तो आइंदा से ये भी बात अपने जहन में बिठा लीजिए की आप का वजूद सिर्फ मेरी परी से हैं " तभी बेहद गुस्से से जबड़ों को भींचे बोलते हुए अभिजीत ओर बुरी तरह नंदिनी की बाजू पर अपनी पकड़ कस लेता

जहां अभी तक अभिजीत की अपनी बाजू पर कसती पकड़ से नंदिनी की आंखों में डर से आंसू भर चुके थे । लेकिन ये आंखों में भरे आंसु भी बह जाते अभिजीत के हर शब्द को सुनकर जहां ये सुनकर की इस अंजान शक्श ने भी उसे खरीदा ही हैं । ये सुनकर नंदिनी के दिल के हर जख्म फिर उभर जाते

अभी तक उसे बहुत उम्मीद थी अभिजीत से । शायद वो तो सोच चुकी थी कि ये अजनबी उसके लिए शायद फरिश्ता हैं । पर.... पर फिर उसे इसी अजनबी ने भी उसे उसकी औकात दिखा दी । जहां अभी तक दूसरे उसे अपने बिस्तर के लिए खरीदते थे । तो आज इस अजनबी ने उसे अपनी बेटी के लिए ही खरीद लिया

जहां अभिजीत इतना बोलते ही गुस्से में बौखलाया हुआ घर की तरफ बढ़ जाता । पर नंदिनी वो वहीं सिर झुकाए होठों को आपस में कसकर भींचे सिसक जाती । नंदिनी ना चाहकर उम्मीद कर चुकी थी अभिजीत से । पर आज वो उम्मीद और नंदिनी दोनों ही टूट गई

(( क्या होगा अभिजीत और नंदिनी के इस रिश्ते का । जहां एक ने सिर्फ अपनी बच्ची के मोह में किसी को खरीद लिया ? तो दूसरी तरफ एक झूठी उम्मीद लगाई नंदिनी फिर टूट गई ? ))

कृपया अपनी समीक्षा और रेटिंग जरूर दीजियेगा आप मुझे

उम्मीद करती हूं कि जो पढ़ रहे । कृपया फॉलो भी करे