नंदिनी के जिस्म की बोली लगना

जय माता दी

" भाभी..... भाभी हैं वो आपकी । तो आइंदा से उन्हें नंदिनी पुकारे की गलती भी मत करना आप " वहीं हैदर को तभी कुछ सख्त आवाज अभिजीत की आती

जहां इस आवाज को सुनकर हैदर की नज़रे अभिजीत पर चली जाती । जहां अभिजीत के चेहरे पर आई नाराजगी उसे महसूस करा रही थी कि बेशक उसका नंदिनी बोलना किसी ने ना सुना लेकिन अभिजीत ने सुना था और अभिजीत को हैदर का नंदिनी बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था 

जहां अभिजीत की इस सख्त आवाज को सुनते हैदर अपने गुस्से को अपने चेहरे पर ना आने देते हुए धीरे धीरे से हां में सिर हिला देता और हैदर की हां देखकर अभिजीत पालने में सोई परी को गोद में लिए ऊपर चला जाता

" आप फिक्र मत कीजिए । कल आप जो चाहे नंदिनी के साथ कर सकते हैं । तब कोई भी आपके और नंदिनी के बीच नहीं आएगा " वहीं हैदर के गुस्से को महसूस कर दादा जी चेहरे पर गहरी मुस्कुराहट लिए बोलते

जहां दादा जी का ये बोलना हैदर समझ नहीं पाता । पर दूसरे पल हैदर मुस्कुरा जाता । क्योंकि कल नंदिनी उसके बिस्तर पर उसके बहुत नजदीक होगी

सुबह हो गई

नंदिनी इस वक्त गिले बालो में कंधे पर नेट का लाल रंग का दुपट्टा डाले , घेर वाला नेट का मोतियों से जड़ा बेहद खूबसूरत लाल रंग का अनारकली सूट पहने थी । जहां दोनों हाथों में उसने लाल छुड़ा पहना था

उंगली में सिर्फ एक अंगूठी जो रात में रेखा जी उसे देकर गई और पेरो में बिछुआ और पायल जो तब तक छम छम करती । जब जब नंदिनी अपना पैर हल्का सा ही हिलाती चाहे । वहीं पायल नंदिनी को लिए नीचे हॉल में आती

" आ गई आप । ये देखिए आपके भाई आए हैं पग फेरे के लिए " वहीं सीढ़ियों से नीचे आती नंदिनी को देखकर सोफे से खड़ी होती हुई रेखा जी बोलती

जहां भाई सुनकर असमंजस में नंदिनी रेखा जी को देखती हुई जैसे ही रेखा जी के सामने सोफे पर बैठे रवि को देखती घबराकर नंदिनी एक कदम पीछे हो जाती

" आप भी आइए कुछ खा लीजिए । फिर आप चली जाना घर " वहीं रेखा जी नंदिनी से बोलती हुई रुकती की

" नहीं..... वो क्या हैं कि काकी का मन नहीं लगा नंदिनी के बिना और आज काकी ने सब खाना नंदिनी के पसंद का पहले ही तैयार रखा । आप बस हमें जाने दे । इनका अच्छे से ध्यान रखने के लिए बहुत इनका इंतेज़ार कर रहे " वहीं रेखा जी को रोकते हुए रवि बेहद गंदी नजरों से नंदिनी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोलता

जहां रवि की बात रेखा जी ज्यादा नहीं समझ पाती । पर नंदिनी की सांसे डर से भारी हो जाती

" जी अब हम चलते हैं " वहीं नंदिनी पर से नज़रे हटाकर बोलते हुए रवि घर से बहार चला जाता

" जल्दी आना भाभी हम सब आपका इंतजार करेंगे " वहीं पायल नंदिनी को गले लगाती हुई बोलती

पर नंदिनी उसकी आंखों में आंसू भर चुके थे । दो दिन से उसे एक दर्द भी नहीं मिला था । तो अब फिर से दर्द की सोचकर ही नंदिनी कांप सी गई थी । पर नंदिनी जानती थी कि वो कभी उस जगह से और अपने वेश्या होने से खुद को कभी भी आजाद नहीं कर सकती

वहीं नंदिनी आंसू से भरी आंखे नीचे कर धीमे धीमे आगे बढ़ती हुई घर से बहार चली जाती । पर चौखट पार करने से पहले उसे अभिजीत की बात याद आती । जिसने उससे कहां था कि नहीं जाने देना वो उसे अपने उस घर कभी भी । नहीं मिलने देगा उसे अपने परिवार से

जहां ये सोचकर नंदिनी पीछे चेहरा कर उम्मीद भरी नजरों से घर में अभिजीत को ढूंढने लगती । पर अभिजीत को कहीं भी ना देखकर नंदिनी सिसक जाती और इन सिसकियों को धीमे धीमे लेती हुई खुद में टूटती हुई नंदिनी घर से बहार आती हुई गाड़ी में पीछे बैठ जाती

जहां नंदिनी को गाड़ी में बैठते देखकर रवि गाड़ी घर से बहार निकाल देता और अब गाड़ी को घर से बहार जाते देखकर नंदिनी के दिल में बहुत दर्द सा होने लगता ।

" जानती हैं कौन तेरा इंतेज़ार कर रहा । हैदर.... " वहीं रिव्यू मिरर से पीछे बैठी नंदिनी को देखते हुए रवि होठों पर गंदी सी मुस्कुराहट लिए बोलता

पर हैदर सुनते ही नंदिनी का डर से रोना ओर बढ़ जाता । जहां हैदर के साथ अभिजीत के वो झूठे वादों को सोच सोचकर उसे खुद पर गुस्सा आने लगता कि क्यों उसने सोचा भी कि इस अंजान के होते कभी कोई उसे तकलीफ नहीं दे पाएगा ?

आधे घंटे बाद

" ये ले काकी । ले आया .... पर मेरी ही नियत फिसल रही हैं इस पर काकी । आज उस हैदर से पहले सिर्फ मुझे मौका दे दे । इसके जिस्म को चखने का " वहीं रवि बोलते हुए हॉल में आते हुए काकी से बोलते हुए दरवाजे से अंदर घुसती नंदिनी को ऊपर से नीचे तक अपनी गंदी नजरों से देखते हुए बोलता

जहां नंदिनी को देखकर तो काकी की भी आँखें उस पर ही थाम जाती । आखिर इतनी ज्यादा खूबसूरत जो लग रही थी वो

" अगर तुझे चाहिए ये ..... तो कीमत लगानी होगी तुझे । आखिर इसके चीख और इसके सहने की भी की कोई कीमत मिलनी चाहिए इसे " वहीं रवि की बात याद कर काकी बोलती

जहां नंदिनी बीच चौक में चेहरा नीचे करे खड़ी धीरे धीरे सुबक रही थी । इस पल सिर्फ उसे अभिजीत का खयाल आ रहा था । वो बहुत टूट रही थी । ये सोचती हुई कि क्यों उसने अभिजीत पर भरोसा किया ? क्यों वो ये सोच बैठी थी कि अब वो कभी किसी के बिस्तर की वेश्या नहीं बनेगी

" तो पूरे दस हजार दूंगा इसके " वहीं रवि नंदिनी के सीने पर नज़रों को गड़ाए बोलकर रुकता ही की

" पच्चीस हजार ... तभी एक आवाज ओर आती

जहां नंदिनी की पैसे की बढ़ती बोली देखकर काकी के चेहरे पर गंदी सी मुस्कुराहट आती हुई और उनकी आंखों में लालच बढ़ती जाती

" तीस हजार ... " तभी एक ओर बोली लगाता

जहां लगातार बोली लगती ही जा रही और इस बढ़ती बोली को सुनकर होठों को दबाए रोती हुई नंदिनी का डर से पूरा शरीर कांपने लगा था । क्योंकि जितनी ज्यादा कीमत जो उसके देगा उस हिसाब से उसके जिस्म को भी वो इतना ही भयंकर तरीके से नोचेगा

वहीं काकी की लालच भरी आँखें तो इंतजार कर रही कि कब उसके हाथ में भरकर पैसा आयेगा । वहीं आस पास खड़ी लड़कियां इस तरह नंदिनी की बोली लगती देखकर कुछ तो नंदिनी से जल रही । तो कुछ को बहुत बुरा लग रहा था

" पचास हजार.... " जहां इस बोली के लगते ही बोली रुक जाती

(( क्या आयेगा अभिजीत ? और अगर अभिजीत आ गया तो नंदिनी की सच्चाई जानकर क्या फैसला लेगा ? ))

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