जय माता दी
" हमने नहीं .... आप खुद अपनी शर्त को तोड़ रही " वहीं नंदिनी की भीगी पलकों को देखते हुए अभिजीत बोलते हुए घर की तरफ बढ़ जात
जहां अभिजीत की शर्त की बात सुनकर नंदिनी शर्म और घबराहट से अपनी पलखे झुका लेती । क्योंकि उसे याद आता की उसने खुद कहां था अभिजीत उसे नहीं छुएंगे । पर वो इतनी डर गई कि बस बिना कुछ सोचे अभिजीत से ही लिपट गई
वहीं अभिजीत को यूं नंदिनी को अपनी गोद में लाते देखकर दरवाजे पर आरती की थाल लिए खड़ी रेखा जी मुस्कुरा जाती
" क्या अब हम आपको उतार सकते हैं ? " वहीं दरवाजे की चौखट पर खड़े होते हुए अभिजीत नंदनी से पूछता
जहां अभिजीत के ऐसे पूछने पर नंदिनी शर्म और घबराहट से बहुत धीरे से हां में सिर हिला देती । जहां नंदिनी के हिलते सिर को देखकर अभिजीत नंदिनी को नीचे खड़ा कर देता
वहीं इस पल नंदिनी की बिल्कुल हिम्मत नहीं हो रही थी एक बार भी नज़रे ऊपर करने की । उसकी शर्म और घबराहट उसे हिम्मत तक नहीं दे रही थी कि एक बार वो नज़रे ऊपर कर देख भी ले की हैदर की लाल गुस्से से भरी आँखें उस पर ही टिकी है
जहां हैदर ने आज पटाखे जलाए । नंदिनी को याद दिलाने के लिए.... वो दिन जब उसके साथ शादी कर ऐसे ही पटाखों के साथ उसका स्वागत हुआ था । पर हैदर ने अपने मजे के लिए पटाखो को नंदिनी के कदमों के आस पास जलाया । जिससे नंदिनी के पेरो पर बहुत जख्म हो गए थे
करने को हैदर आज भी नंदिनी के साथ ऐसा ही स्वागत करता । पर रुक गया । वो रुका अभिजीत की सोचकर । क्योंकि अगर एक चिंगारी भी अभिजीत को छू जाती तो फिर शायद वो अपने गुस्से में उसके घर को ही आग लगा देता
वहीं हैदर के अलावा उसके मां , पापा और दादा सबकी नफरत भरी निगाह इस पल सिर्फ नंदिनी पर थी
वहीं रेखा जी अभिजीत और नंदिनी की आरती उतारती हुई नंदिनी को कलश गिराने को बोलती । जहां रेखा जी की बात सुनकर नंदिनी पैर से कलश गिराती हुई लाल रंग के पानी से भरे थाल में पैर रख आगे रखे एक सफेद कपड़े पर अपने दोनों पेरो की छाप छोड़ती हुई अभिजीत के कदम से कदम मिलाती हुई घर में आ जाती
जहां पहली बार अभिजीत की आँखें नंदनी के गोरे मुलायम पेरो पर ठहर जाती । जहां लहंगा हल्का सा उठाकर चलने से नंदिनी के नाजुक से पैर आज अभिजीत की आंखों के सामने थे । जहां उन गोरे पेरो में लगा वो लाल रंग अभिजीत की नजरों को नंदिनी के पेरो से हटने ही नहीं दे रहा था
तभी परी के रोने की आवाज आती । जहां इस आवाज को सुनते अभिजीत अपनी नज़रे हॉल में पालने की तरफ करते हुए उसी पल पालने की तरफ तेज कदमों से बढ़ जाता
" लगता हैं परी को भूख लगी । जाइए पायल जल्दी से परी के लिए दूध लाइए " वहीं परी को रोते देखकर रेखा जी बोलती
जहां रेखा जी की बात सुनते पायल दौड़ती हुई रसोई की तरफ बढ़ जाती । तो वहीं अभिजीत पालने को हिलाते हुए परी के सीने पर हल्की हल्की थपकी देते हुए शांत करने लगता
पर आज पहली बार नंदिनी की नज़रे नन्हीं सी परी पर जाती । जहां परी की छोटी छोटी आँखें , उसकी बहुत छोटी सी नाक और उसका गोल चेहरा देख नंदिनी का दिल थम जाता प्यारी सी बच्ची परी को देखकर
लेकिन अभिजीत उसके चेहरे पर धीरे धीरे गुस्सा बढ़ रहा था क्योंकि अभी तक उसकी परी की दूध नहीं आया था । लेकिन अभिजीत को कौन समझाए कि दूध हल्का सा गर्म होता फिर मीठा भी देखते वक्त तो लगता हैं
लेकिन अभिजीत का गुस्सा इतना बढ़ जाता कि उसी पल अभिजीत खड़े होते हुए गुस्से से तेज कदमों से रसोई की तरफ बढ़ जाता । जहां रसोई की तरफ जाते ही उसे रसोई से निकलती पायल दिखती जिसके हाथ में दूध की बोतल थी
जहां दूध को बोतल को अभिजीत उसी पल गुस्से से पायल से छीनते हुए पीछे पलटता की उसी पल परी के रोने की आवाज बंद हो जाती
जहां अब परी के रोने की आवाज ना सुनकर अभिजीत धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए अपनी नज़रे पालने के पास दोनों घुटनों को फर्श पर टिकाए बैठी नंदनी पर टीका लेता
" वो... वो ये रो रही थी । आ.... आप चले गए । तो हम बस इन.... इन्हें चुप करने आए । पर... " वहीं अभिजीत को खुद को देखते पाकर घबराई सी नंदिनी अटक अटक कर बोलती हुई चुप सी हो जाती
जहां नंदिनी की चुप्पी देखकर अभिजीत पालने से आधा कदम दूर खड़ा होता । तो उसकी नज़रे पालने में आँखें बंद करे परी पर जाती । जहां परी अपने छोटे छोटे दोनों हाथ में नंदिनी का एक हाथ पकड़े नंदिनी की एक उंगली मुंह में लेती हुई चूस रही थी
जहां परी की इस हरकत को देखकर अभिजीत कुछ ना बोलते हुए पालने के पास झुकते हुए नंदिनी की उंगली परी के मुंह से निकालते हुए बोतल की निप्पल परी के मुंह से लगा देता
जहां अब परी कच्ची नींद में सोती हुई दूध पीने लगती । वहीं नंदिनी उसकी नज़रे अपनी उस उंगली पर होती । जो अभी नन्ही सी परी के मुंह में थी । जहां उसे अपनी उस उंगली में बहुत अजीब सी गुद गुदी सी महसूस सी हो रही थी
" शिखा..... आप नंदिनी को अभिजीत के कमरे में ले जाइए वहीं रेखा जी एक नौकरानी से बोलती
" नंदिनी..... " जहां नंदिनी अभिजीत के कमरे में जाएगी ये सुनकर ही हैदर का गुस्से से इतना खून खोल उठता की हैदर उसी पल गुस्से से बहुत बुरी तरह नंदिनी का नाम चीखते हुए आगे कुछ बोलता की
" अभी रसम कहां खत्म हुई हैं पति पत्नी की । अभी तो पूजा होगा फिर कुछ रस्में । तभी तो पति पत्नी साथ रह सकते " तभी बात संभालती हुई गायत्री जी खिसियानी सी हंसी हंसते हुए बोलती
" जी भाभी.... आप सही कह रही हैं । पायल जाइए भाभी को आप अपने कमरे में ले जाइए " तभी रेखा जी कुछ सोचती हुई बोलती
जहां पायल इस बात को सुनती हुई नंदिनी को पकड़कर उसे खड़ा करती हुई सीढ़ियों की तरफ बढ़ती हुई ऊपर चली जाती
" आपकी सुहागरात सिर्फ मेरे साथ होगी नंदनी । पिछली बार की सुहागरात पर कसर जो भी हमने छोड़ दी थी । इस बार ..... हर वो कसर पूरी होगी.... " वहीं चेहरे पर हैवानियत भरी मुस्कुराहट लिए हैदर मन में सोचते हुए खुद में बोलता
" भाभी..... भाभी हैं वो आपकी । तो आइंदा से उन्हें नंदिनी पुकारने की गलती भी मत करना आप " वहीं हैदर को तभी कुछ सख्त आवाज अभिजीत की आती
जहां इस आवाज को सुनकर हैदर की नज़रे अभिजीत पर चली जाती । जहां अभिजीत के चेहरे पर आया गुस्सा उसे महसूस करा रहा था कि बेशक उसका नंदिनी बोलना किसी ने ना सुना लेकिन अभिजीत ने सुना था और अभिजीत को हैदर का नंदिनी बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था
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