जय माता दी
जहां गायत्री जी की बात सुनकर दादा जी गहरी सोच में डूब जाते । ये सोचते हुए कि बेशक सच्चाई जानकर अभिजीत नंदिनी से कोई रिश्ता ना रखे । पर उसके बाद उन सब की जिंदगी का हर दिन बत्तर बना देगा
" तैयारी शुरू करिए । अब बहु को हम साथ ही लाएंगे " वहीं दादा जी गहराई से कुछ सोचते हुए बोलते
जहां दादा जी की बात सुनकर सब के दिमाग में कुछ अलग अलग खेल चलने लगता । पर वहीं हैदर उसके दिमाग में तो सिर्फ नंदिनी को तड़पा तड़पाकर रुलाने की आग लग रही थी
वहीं दूसरी तरफ
नंदिनी का लहंगा पकड़े उसकी मदद करती हुई पायल नंदिनी को गाड़ी से बहार निकालती । जहां गाड़ी से बहार आते इस पल नंदिनी की पलके ऊपर उठती । तो बस घर पर ही ठहर जाती । पहली बार तो उसने देखा ही नहीं कि वो किसी मामूली शक्श से नहीं बल्कि बहुत अमीर शख्सियत से शादी कर रही थी
वहीं गार्डन को इस वक्त लाइटों और रंग बिरंगे पर्दा से बहुत खूबसूरत सजाया गया । जहां कतार में बॉडीगार्ड सिर झुकाए खड़े थे । जहां इस तरह पहली बार अपना स्वागत देखकर आज पहली बार नंदिनी महसूस कर रही थी कि आज से वो इस घर की शान और इज्जत हैं
वहीं अभिजीत और नंदिनी साथ साथ चल रहे थे । तो वहीं रेखा जी अपनी गोद में सोई परी को लिए अभिजीत से कुछ आगे पायल के साथ चल रही थी
" जल्दी बहु के स्वागत की तैयारी करिए " तभी एक नौकरानी से रेखा जी बोलती
" तैयारी सब हो चुकी हैं जीजी " तभी वो नौकरानी रेखा जी से बोलती
जहां सब तैयारी हो गई ये सुनकर रेखा जी कुछ हैरान हो जाती । क्योंकि अचानक हुई शादी में वो कुछ तैयारी कर ही नहीं पाई थी । तो फिर घर में किसने बहु के स्वागत की तैयारी कर दी ?
" गायत्री जी आई हैं उन्होंने ही सब तैयारी करी हैं जीजी " वहीं वो नौकरानी बोलकर रुकती की
" क्या भाभी आई है ? " तभी बहुत खुशी से रेखा जी बोलती
" आपके भाई रमेश जी और आपके पिता देवेंद्र जी भी आए हैं और .... " वहीं नौकरानी आगे कुछ बोलती कि
" क्या पिता जी आए हैं ? " वहीं हैरानी लिए खुशी से बोलती हुई उसी पल रेखा जी घर की तरफ बढ़ जाती
वहीं नाना आए ये सुनते पायल भी घर की तरफ बढ़ जाती । पर गायत्री , रमेश और देवेंद्र नाम सुनकर चलते चलते नंदिनी के कदम रुक जाते । इस पल कुछ पुराने दर्द भरे दिनों को याद कर नंदिनी का बदन इतना कांपने लगता कि उसकी सांसे काफी तेज सी हो जाती
वहीं नंदिनी को रुके महसूस कर अभिजीत अपने कदमों को रोकते हुए पीछे पलटकर देखता । तो उसकी निगाह अपने से खुद से तीन कदम दूर नंदिनी पर जाती । जो खुद में खोई बहुत घबराई सी खड़ी थी
" वापस नहीं जा सकती अब आप यहां से " वहीं नंदिनी को रुके देखकर उसे कुछ खोए देखकर अभिजीत तेज आवाज में बोलता
जहां अभिजीत की इस तेज आवाज से नंदिनी अपने होश में आती हुई डरी सी पलकों को तेज तेज झपकाती हुई अभिजीत के चेहरे को देखकने लगती । जहां अभिजीत के चेहरे पर आया गुस्सा उसे महसूस करा रहा था कि उसका यूं चलते चलते रुकना अभिजीत को ये लग रहा था कि शायद नंदिनी फिर से इस कॉन्ट्रैक्ट की सोचना चाहती हैं
पर नहीं था कुछ ऐसा बल्कि नंदिनी डर गई उन लोगों के नाम सुनकर । जहां से उसकी जिंदगी के बहुत बुरे दिन शुरू हुए थे । जहां उस हर नाम के शक्श ने उसकी जिंदगी का हर दिन नरक बना दिया । हर दिन उसे इतने जख्म दिए कि.....
" चलिए.... " वहीं नंदिनी आगे कुछ ओर सोच पाती कि तभी अभिजीत की भारी आवाज आती
जहां इस आवाज को सुनकर नंदिनी अपने ख्यालों से बहार आती हुई धीमी धीमी आगे बढ़ती जाती । तो वहीं अभिजीत वहीं खड़ा नंदिनी के आने का इंतेज़ार करने लगता । मानो अगर वो फिर चल दिया आगे अकेले । तो हो ना हो नंदिनी गायब ही हो जाएगी उसके पीछे से
वहीं नंदिनी अभी अभिजीत से एक कदम दूर थी कि तभी आसमान में पटाखे फूटने लगते । जहां अचानक पटाखों के शोर से उसी पल नंदिनी घबराई सी सहमकर अभिजीत के सीने से लगती हुई अपनी आंखों को कसकर मिचती हुई अपना चेहरा अभिजीत के सीने में गढ़ा लेती
जहां अचानक नंदिनी को खुद से इस तरह लिपटे देखकर दो पल के लिए अभिजीत के शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते । पर तभी अभिजीत को अपनी पीट पर नंदिनी के नाखून गड़ते हुए महसूस होते । जहां इन गड़ते नाखून से अभिजीत महसूस करता की इन पटाखों के लगातार शोर से नंदिनी बहुत ज्यादा डर रही हैं
जहां नंदिनी को इस तरह इतना ज्यादा डरा देखकर अभिजीत एक सख्त निगाह दूर खड़े अपने बॉडीगार्ड पर डालता
" वो बॉस.... हैदर सर " तभी अभिजीत की नजरों से घबराकर वो बॉडीगार्ड बोलता हुआ डर से आगे बोलने की हिम्मत ही नहीं कर पाता
जहां बॉडीगार्ड के अधूरे शब्द सुनकर अभिजीत समझ जाता कि इन पटाखों के लगातार शोर होने के पीछे हैदर का ही हाथ हैं
जहां ये समझकर अभिजीत का गुस्से से माथा सिकुड़ जाता । पर तभी उसे बहुत धीमी धीमी डरी हुई सी सिसकियों की आवाज आती । जहां इस आवाज को सुनकर अभिजीत की नज़रे नीचे अपने सीने में मुंह धंसाए नंदिनी पर जाती
" .... चलिए घर चले " वहीं बोलते हुए अभिजीत हल्का सा पीछे होने को होता कि
" नहीं.... नहीं.... में... मेरे पैर जल... जल जाएंगे " तभी डरी सी नंदिनी अभिजीत के ओर नजदीक होती हुई अपने दोनों पेरो को अभिजीत के पेरो के ऊपर रख लेती
जहां इस तरह अपने पैरों पर नंदिनी के पेरो को महसूस कर और नंदिनी को इस तरह खुद से चिपके देखकर अभिजीत तो कुछ समझ ही नहीं पा रहा था । वो क्या करे ? ना तो नंदिनी को दूर करने की अब हिम्मत कर पा रहा था और ना ही नंदिनी को थामने के लिए अपने हाथों को नंदिनी की तरफ बढ़ा पा रहा था
" भाई.... मां बुला रहीं हैं " तभी पायल की एक आवाज आती
जहां इस आवाज को सुनकर अभिजीत एक नजर घर की तरफ देखते हुए दूसरी नजर खुद से लिपटी डरी हुई नंदिनी को देखकर एक लंबी सांस छोड़ते हुए उसी पल एक हाथ नंदिनी की कमर पर रख खुद हल्का सा झुकते हुए नंदिनी को अपनी गोद में उठा लेता
जहां अचानक खुद को अभिजीत की गोद में देखकर सिसकती हुई नंदिनी खामोश सी होती हुई भीगी पलकों से हैरानी से अभिजीत का चेहरा देखना लगती
" हमने नहीं .... आप खुद अपनी शर्त को तोड़ रही " वहीं नंदिनी की भीगी पलकों को देखते हुए अभिजीत बोलते हुए घर की तरफ बढ़ जाता
जहां अभिजीत की शर्त की बात सुनकर नंदिनी शर्म और घबराहट से अपनी पलखे झुका लेती । क्योंकि उसे याद आता की उसने खुद कहां था अभिजीत उसे नहीं छुएंगे । पर वो इतनी डर गई कि बस बिना कुछ सोचे अभिजीत से ही लिपट गई
कृपया अपनी समीक्षा और रेटिंग जरूर दीजियेगा.... और फोलो भी करे....