नंदिनी किसकी पत्नी अभिजीत या हैदर

जय माता दी

" हम.... हमने कुछ नहीं किया । वो.... वो गलती से .... हमें मा...फ कर दो । ह....म फिर से गल....लती न....हीं करेंगे " वहीं अभिजीत को अपने से दो कदम दूर देखते ही नंदिनी रोती हुई उसी पल अपने घुटनों पर बैठती हुई डरी हुई सिसकती हुई अपनी हथेली को अभिजीत की तरफ बढ़ा देती

जहां दूर खड़ी मीनाक्षी नंदिनी को इस तरह रोते हुए अपनी हथेली अभिजीत की तरफ करे देखकर उसकी भी आँखें नम हो जाती । क्योंकि ऐसे ही तो होता था इस मासूम के साथ उस चॉल में छोटी सी गलती पर ही बहुत बुरी तरह मारा जाता । उसे यूं घुटनों पर बिठाकर उसकी मुलायम सी नाजुक हथेली पर गर्म गर्म सरिया से मारा जाता

तो वहीं अभिजीत वो तो एक पल समझ ही नहीं पा रहा था कि नंदिनी इतनी क्यों रो रही और क्यों वो अपनी हथेली उसकी तरफ बढ़ाए हैं ? पर वहीं बहुत रोने से नंदिनी की तेज तेज हिचकियां शुरू हो गई । जहां नंदिनी को इतना रोते देखकर रेखा जी की आँखें नम हो जाती और वो उसी पल अभिजीत की तरफ बढ़ती की

" खड़ी होइए.... " तभी अभिजीत आंसुओं से भीगे नंदिनी के चेहरे को देखते हुए बोलता

जहां अभिजीत की इस बात को सुनकर भी नंदिनी का रोना और उसकी हिचकी बिल्कुल बंद नहीं होती

" सुना नहीं आपने .... रोना बंद कीजिए और अभी मंडप में चलिए " और इस बार अभिजीत काफी गुस्से से नंदिनी से बोलता

जहां अभिजीत की इस गुस्से भरी आवाज को सुनकर नंदनी का रोना हल्का सा कम सा हो जाता और नंदिनी खड़े होने लगती । पर लहंगा दोनों घुटनों में दबे होने से नंदिनी खड़ी ही नहीं हो पा रही । एक तो लहंगा इतना भारी ऊपर से वो लहंगे को घुटनों में दबाए नीचे बैठी । जिससे नंदिनी चाहकर भी नहीं उठ पा रही थी

जहां नंदिनी की इस लगातार उठने की कोशिश को देखकर अभिजीत एक लंबी सांस छोड़ते हुए अपनी हथेली नंदिनी की तरफ बढ़ा देता

जहां पहली बार किसी की हाथ अपनी मदद के लिए बढ़े देखकर नंदिनी लगातार हिचकी लेती हुई एक निगाह आंसू से भरी अभिजीत को देखती हुई दूसरे पल अपनी निगाह अभिजीत की अपनी ओर बढ़ी हुई हथेली पर कर लेती

" इतना वक्त नहीं हैं मेरे पास ..... " वहीं नंदिनी को अभी भी वैसे ही नीचे बैठे देखकर इस बार बेहद सख्ती से अभिजीत बोलते हुए रुकता की

उसी पल नंदिनी अभिजीत के हाथ को हल्के हाथों से पकड़ लेती । जहां नंदिनी की हथेली अपनी हथेली में आते ही अभिजीत नंदिनी के उस हाथ को कसकर थामते हुए नंदिनी को हल्का सा ऊपर की तरफ खींचता

जहां नंदिनी भी कोशिश करती हुई कुछ झटके से सीधी खड़ी होती हुई अभिजीत के कुछ करीब खड़ी हो जाती

" देख रही हैं आप अपने पापा को । उन्हें ये भी नहीं पता कि आपकी मम्मा को मदद कैसे करते ? अभी उठाने के चक्कर में वो गिर जाती तो " वहीं अभिजीत की बेवकूफी पर रेखा जी गुस्से से बड़बड़ाती हुई परी को अभिजीत और नंदिनी की तरफ दिखाती हुई बोलती

जहां नन्ही सी परी टुकुर टुकुर अभिजीत और नंदिनी को देखकर हंसने लगती । जहां परी की इस प्यारी सी आवाज को सुनकर रेखा जी भी मुस्कुरा जाती

वहीं नंदिनी से खुद को आधा कदम दूर देखकर अभिजीत उसी पल नंदिनी का हाथ छोड़ते हुए मंडप की तरफ बढ़ जाता । वहीं नंदिनी भी बमुश्किल से लहंगा संभाले धीरे धीरे अभिजीत के पीछे चल देती

वहीं मंडप में आते ही अभिजीत जलती अग्नि के सामने बैठ जाता । तो वहीं नंदिनी भी अभिजीत के पास बैठ जाती । लेकिन मंडप में बैठते नंदिनी उस पल में खो जाती जब सिर्फ चौदह साल की उमर में उसे ऐसे ही मंडप में हैदर के साथ बिठाया गया

उस वक्त जब उसने मां पापा से कहां की ये क्या हो रहा ? तो उन्होंने इतना ही कहां की उसे हमेशा के लिए हैदर को सौंपा जा रहा हैं । जहां हैदर उसका मालिक होगा । हैदर जो कहेगा बिना किसी ना नुकुर के उसे उसकी हर एक बात माननी हैं

वहीं दूसरी तरफ

" वो हमारी पत्नी हैं .... कैसे ही मेरी पत्नी से वो अभिजीत शादी कर सकता .... डैड " वहीं गुस्से से हॉल में टेबल पर रखे सामान को फेंक फेंक कर फर्श पर मारते हुए गुस्से से चीखते हुए हैदर सोफे पर बैठे अपने मां और पापा से कहता

जहां हैदर के इस गुस्से को देखकर उसके मां पापा दोनों ही सहम से जाते । पर हैदर उसका गुस्सा तो पल पल बढ़ता ही जा रहा था इतना की उसने पूरे हॉल के समान को अपने गुस्से से तोड़कर जमीन बिखेर दिए थे

" मेरी पत्नी..... मुझे वापस चाहिए मोम.... " वहीं गुस्से से बहुत बुरी तरह चीखते हुए हैदर रुकता ही की

" वहीं पत्नी जिसे तुम खुद अपना पैसा कमाने का जरिए लेकर । उसे हैवानों से भरे अड्डों पर छोड़कर आए थे " तभी दरवाजे के अंदर घुसता 70 साल की उमर का आदमी बोलते हुए हाथ में चढ़ी लिए उसके सहारे चलते हुए चेहरे पर तंज भरी मुस्कुराहट लिए हैदर के नजदीक जाते

जहां इस आवाज को सुनकर उस शक्श को देखते हुए हैदर गुस्से से अपनी आँखें तरेड़ लेता

" क्या हुआ बताओ ? " वहीं हैदर के चुप होते वो आदमी सोफे पर बैठे हैदर के पापा रमेश जी से पूछते

".... मेरी बहन उस नंदिनी को आज अपने घर ला रही हैं अभिजीत की पत्नी बनकर पापा । आज अभिजीत उस नंदिनी से शादी कर रहा " वहीं सांस छोड़ते हुए रमेश जी अपने पापा देवेंद्र जी से बोलते

जहां इतना सुनकर देवेंद्र जी गहरी सोच में कुछ पल के लिए डूब जाते । क्योंकि उनका ही नातिन अभिजीत नंदिनी से शादी कर रहा । जहां नंदिनी पहले से ही उनके पोते हैदर की पत्नी हैं

" अगर अभिजीत को नंदिनी का सब राज बता दे । तो हमें नहीं लगता अभिजीत नंदिनी को एक पल भी अपने पास रखेगा " वहीं कुछ सोचते हुए रमेश जी बोलते हुए चुप होते की

" आपने ही कहां था कि हम अपनी पत्नी के साथ कुछ भी कर सकते हैं । हम मालिक हैं उनके । हमारा उन पर पूरा अधिकार हैं । तो बताइए आज कैसे ही मेरी पत्नी किसी ओर से शादी कर सकती बाबा... " तभी गुस्से से हांफते हुए हैदर आंखों में बेपनाह गुस्से लिए अपने दादा पर चीखता

" इस शादी का कोई भी मोल नहीं हैं हैदर । वो सिर्फ आपकी पत्नी हैं और हमेशा रहेगी । आप उनके साथ आज भी सब कुछ कर सकते हैं और आपको कोई भी नहीं रोक सकता अभिजीत भी नहीं " तभी दादा जी हैदर की आंखों में आँखें डालकर बोलते

" पर वो अभिजीत राठौड़ हैं भूलिए मत पापा । हमने नंदिनी के साथ जो किया उसे जानकर बेशक हैदर की पत्नी सोचकर अभिजीत नंदिनी को खुद से दूर कर देगा । पर कभी नंदिनी पर आंच भी नहीं आने देगा और क्या पता हमारे साथ वो क्या क्या कर बैठे ? " वहीं अभिजीत के खतरनाक औरे को सोचती हुई हैदर की मां गायत्री जी गहराई से सोचती हुई कुछ घबरा सी जाती

जहां गायत्री जी की बात सुनकर दादा जी गहरी सोच में डूब जाते । ये सोचते हुए कि बेशक सच्चाई जानकर अभिजीत नंदिनी से कोई रिश्ता ना रखे । पर उसके बाद उन सब की जिंदगी पूरी तरह बर्बाद करके तबाह कर देगा

" तैयारी शुरू करिए । अब बहु को हम साथ ही लाएंगे " वहीं दादा जी गहराई से कुछ सोचते हुए बोलते

जहां दादा जी की बात सुनकर सब के दिमाग में कुछ अलग अलग खेल चलने लगता । पर वहीं हैदर उसके दिमाग में तो सिर्फ नंदिनी को तड़पा तड़पा कर रुलाने की आग लग रही थी

(( क्या होगा जब फिर एक बार नंदिनी के सामने उसका बीता कल आयेगा ? जहां वो ऐसे बंधन में बंध गई जिसका कोई भी मतलब ही नहीं ? आखिर क्या होगा इस शादी का ? ))

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