जय श्री कृष्णा जी
" धनुष क्या तुम्हे शर्म नहीं आई । अभी तक तुम्हारी पहली पत्नी जिंदा हैं और तुम्हारी खुद की बेटी जो सिर्फ सत्रह साल की हैं । इन सब के होते भी तुमने बहार नाजायज संबंध रखे और अब तुम चाहते हो कि मै तुम्हारे नाजायज बच्चे को पोता मानू.... कभी नहीं " एक 70 साल की उम्र का शक्श गुस्से से जमीन पर हाथ में पकड़ी छड़ी को लगातार मारते हुए सामने खड़े 50 साल के अपने बेटे पर भड़कते हुए बोलता
" क्यों किया आपने हमारे साथ ऐसा बोलिए । श्रुति.... सोचा हैं श्रुति को पता चलेगा । तो क्या होगा ? " तभी एक औरत रोती हुई अपने पति धनुष से बोलती
" आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं हैं । श्रुति का बाप हूं मैं और उसका अच्छा भला सब जानता हूं । आप सब सुन लीजिए वो कोई नाजायज नहीं । मेरा ही बेटा .... मेरे प्यार की निशानी हैं और आज से वो यहीं इस घर में रहेगा और थोड़ी देर में वो बस यहीं आने वाला हैं " धनुष जी अपने सामने खड़े गुस्से में अपने पापा मिस्टर हर्षवर जी से बोलते हुए बिना किसी भाव के दूसरी तरफ खड़ी रोती हुई अपनी पत्नी देविका से बोलते
" और हमें ये फैसला नहीं मंजूर " तभी हर्षवर जी बहुत गुस्से से चीखते हुए रुकते की
" तो मैं अभी इस घर को छोड़कर चला जाऊंगा । अगर नहीं मंजूर तो मुझे भी नहीं रहना इस घर " तभी धनुष जी भी अपने पापा की आंखों में आँखें डालकर गुस्से से बोलते
जहां इस बात को सुनते हर्षवर जी खामोश हो जाते और अपने पापा की खामोशी की देखकर धनुष जी के होठ पर तंज भरी मुस्कुराहट आ जाती । आखिर वो जानते हैं कि उनके बाप को सबसे ज्यादा अपना नाम , अपनी इज्जत और अपना पैसा ही प्यारा हैं । जिसको अपने पास रखने के लिए वो सब कुछ दाव पर लगा सकते हैं
तो वहीं बदनामी के डर से हर्षवर जी खामोश होते हुए जलती निगाहों से बस धनुष को ही देखते रह जाते । वहीं सफेद शर्ट को नीचे घुटनों तक पहनी स्कर्ट में दबाए लड़की वहीं फर्स्ट फ्लोर खड़ी हॉल में होते सब ड्रामे देख रही थी
जहां इस वक्त श्रुति ने अपनी स्कूल ड्रेस पहनी थी और वो मुंह में लाल रंग की लाली पॉप को चुस्ती हुई कभी अपने दादा को देखती जो बहुत गुस्से में थे । तो कभी अपनी रोती और बेबस मां को , तो कभी अपने पापा को जिनके चेहरे पर जीत भरी मुस्कुराहट थी
" क्या आपको ये सब बुरा नहीं लग रहा ? " वहीं श्रुति के पास उसकी उम्र से दो साल बड़ा खड़ा लड़का श्रुति से पूछता
पर श्रुति कुछ बोलती कि तभी धनुष जी का फोन बजता । जहां फोन की आवाज सुनकर धनुष जी कॉल उठाते हुए फोन कान पर लगा लेते
" ठीक हैं..... भेजो उसे अंदर " वहीं सामने से कुछ सुनते हुए धनुष जी इतना बोलकर कॉल कट कर देते
वहीं कॉल कट कर धनुष जी सबको नजर अंदाज़ कर मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे दरवाजे की तरफ कर लेते
" लगता हैं आपका सौतेला भाई आ रहा हैं " वहीं धनुष जी के चेहरे पर आई खुशी देखकर फर्स्ट फ्लोर पर खड़ा लड़का अपने पास खड़ी श्रुति से बोलता
" कुछ नहीं हो वो मेरा रोहन .... उसे मेरा सौतेला भाई कहना बंद करो " वहीं रोहन की बात पर श्रुति मुंह में लाली पॉप डाले गुस्से से आंखे छोटी कर बोलती
जहां श्रुति की बात खत्म होते ही एक शक्श घर के अंदर कदम रखता । जहां उस लड़के को देखकर श्रुति की निगाहे उस लड़के को ऊपर से नीचे तक देखने लगती । जहां लड़के ने एक काली लोवर पहनी थी जो पेरो से ढीली थी पर थाई से काफी कसी हुई । उसके ऊपर उसने एक सफेद फुल बाजू गोल गले की टी–शर्ट पहनी थी । जो उसके सीने से काफी कसी हुई थी
वो गोल गाला ऐसा था कि काफी अंदर तक उस शक्श का सख्त सीना श्रुति को दिख रहा था । तो वहीं उस शक्श की बड़ी बड़ी आँखें , लंबी नाक और वो हल्के से मोटे होठ
" आइए रिद्धांश.... " घर के अंदर आते शक्श को देखकर धनुष जी उसे अपने पास पुकारते
जहां धनुष जी की आवाज पर रिद्धांश उनकी तरफ कदम बढ़ा देता । पर तभी चलते हुए रिद्धांश की नज़रे ऊपर होती हुई फर्स्ट फ्लोर पर खड़ी श्रुति के होठों पर चली जाती
जहां लॉली पॉप को चुस्ती हुई श्रुति के पतले होठ काफी लाल होते हुए उसके होठों पर स्लाइवा आ रहा था । जहां अपने होठों के स्लाइवा को लीक करती हुई श्रुति लगातार होठों को गोल कर लोप पॉप को चूस रही थी
(( श्रुति का सौतेला भाई रिद्धांश ? आखिर क्या होगा इनका ये रिश्ता ? जहां दोनों ही सिर्फ देखकर ही कुछ अलग सा एहसास कर रहे खुद में ? ))
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