जय श्री कृष्णा जी
वहीं श्रुति जिसे किस करनी नहीं आ रही थी और ना ही वो समझ पा रही की कैसे अपने होठों को हिलाना । वो तो बस रिद्धांश जैसे जैसे उसके होठों को सिकोड़कर अपने मुंह में ले रहा । बस वैसे ही उसका साथ देने लग रही
वहीं इस लगातार किस में खोई श्रुति अपना एक हाथ रिद्धांश के सीने से नीचे सरकाती हुई उसके पेट पर से नीचे सरकाती हुई अपना हाथ रिद्धांश की पेंट के बटन पर रख जैसे ही उस बटन को खोलने की कोशिश करती की
" स्टॉप... " तभी रिद्धांश होश में आता हुआ श्रुति का हाथ अपनी पेंट पर पकड़कर उसे रोकते हुए अपने होठों को श्रुति के होठों से दूर कर कुछ हांफता हुआ सा बोलता
तो वहीं रिद्धांश के रुकते ही श्रुति भी हल्का मुंह खोले तेज तेज सांसे लेती हुई रिद्धांश के सीने पर सिर रख लेती । जहां श्रुति को खुद से चिपके देखकर रिद्धांश बहुत बेचैन हो जाता । क्योंकि उसका नीचे का बहुत हार्ड हो चुका और श्रुति के इस तरह गोद में बैठने से वो अपना होश खो रहा था
जहां इस हार्डनेस को महसूस कर रिद्धांश जैसे ही श्रुति को दूर करने के लिए श्रुति को कमर से पकड़कर हल्का सा ऊपर उठाता की
तभी उसे ध्यान आता की श्रुति इतनी ड्रिंक में अब बेहोश होने जैसी हालत में है और क्या पता घर में किसी ने श्रुति को ऐसे देख लिया तो क्या क्या उसके बारे में बात बन जाएगी और फिर पार्टी ना जाने खत्म हो ?
अब ना तो वो श्रुति को ऐसे नशे में डूबे घर भेज सकता और ना खुद ही श्रुति को ले जा सकता और ना ही ऐसे में श्रुति को अकेले छोड़ सकता । बस यहीं सोचते हुए रिद्धांश श्रुति को वापस गोद में बिठा लेता पर इस बार रिद्धांश अपनी थाई पर श्रुति को बैठाता
जहां श्रुति के दोनों हाथ रिद्धांश की पीट पर लिपटे होते और श्रुति इस वक्त रिद्धांश से बंदर जैसे चिपकी होती । पर रिद्धांश ने इस बार श्रुति को नहीं पकड़ा होता
एक घंटा हो जाता श्रुति इस वक्त तक बहुत गहरी नींद में जा चुकी होती । पर अब श्रुति की पकड़ रिद्धांश से ढीली होने लगती । जहां इस पकड़ के ढीली होते श्रुति रिद्धांश के बदन से फिसलकर लुढ़कने लगती
ओर ये देखते ही रिद्धांश उसी पल श्रुति की कमर में एक हाथ लपेटकर अपना दूसरा हाथ श्रुति की पीट पर रख उसे खुद से चिपका लेता
सुबह का वक्त
श्रुति की नीद भरी बंद पल्खे हल्की सी हिलती की सिर दर्द से कराहती हुई वो अपना एक हाथ सिर पर रख लेती
" आ... मम्मा.... मेरा सर " वहीं दर्द से कराहती हुई श्रुति आंखों को मिच मिची कर खोलती हुई बिस्तर पर बैठती हुई अपने सिर को दोनों हाथों से पकड़ लेती
इस पल श्रुति को अपने सिर में दर्द और उल्टी दोनों हो रही । जहां जी मचलने की वजह से श्रुति अपना मुंह बिचका लेती और तभी श्रुति की नज़रे अपने बिस्तर के पास टेबल पर रखे पानी से भरे ग्लास पर जाती
जहां पानी देखते हुई श्रुति उस ग्लास को लेती हुई जैसे ही एक घुट पानी पीती की नींबू के खट्टे पन से श्रुति होठों को आपस में सिकुड़ती हुई मुंह बिचकाती हुई एक नजर ग्लास में भरे पानी को देखकर फिर से उस पानी को पी जाती
जहां आधा ग्लास पीते ही श्रुति को अब उल्टी जैसा महसूस होना बंद सा हो जाता । पर सिर में उतना ही दर्द रहता । जहां इस सिर दर्द को महसूस कर श्रुति कुछ सोचती हुई बिस्तर से उठकर खिड़की के पास जाती हुई । खिड़की के पर्दे हटाती हुई जैसे ही खिड़की खोलती की
श्रुति की नज़रे गार्डन में फावले से मिट्टी खोदते रिद्धांश पर जाती । जहां रिद्धांश को देखते ही श्रुति तो बस सब भूलकर रिद्धांश को ही देखती रह जाती
वहीं तभी मिट्टी खोदते हुए रिद्धांश रुकते हुए जैसे ही निगाहे घुमाता कि तभी उसकी नजर ऊपर खिड़की पर खड़ी श्रुति पर जाती । जहां रिद्धांश की नजरों का अपनी नज़रों से मिलते ही श्रुति उसी पल हड़बड़ाकर दीवार से पीट लगाती हुई छिप जाती
जहां रिद्धांश से इस तरह खुद को छिपते देख श्रुति खुद की बचकानी हरकत पर अपना माथा पीट लेती । वहीं दो पल बाद ही श्रुति धीरे से फिर से खिड़की पर आती हुई रिद्धांश को देखने लगती
" ये ले.... " तभी एक आवाज रिद्धांश को आती
जहां इस आवाज को सुनते रिद्धांश दूसरी तरफ देखता तो एक नौकर हाथ में कागज के छोटे से कप में चाय लिए रिद्धांश के के सामने खड़ा था
जहां चाय खुद को देते देखकर रिद्धांश जैसे ही उस नौकर की तरफ अपना हाथ चाय लेने को बढ़ाता कि तभी वो नौकर चाय को उसके हाथ में देने से पहले ही चाय का ग्लास नीचे गिरा देता
जहां ग्लास के गिरते रिद्धांश एक कदम पीछे हो जाता । पर उसके पीछे होने से पहले ही गर्म चाय के कुछ छिटे रिद्धांश के पैर पर आ चुके थे
जहां नीचे गिरी चाय को देखकर रिद्धांश अपनी नज़रे नौकर पर कर लेता और नौकर के चेहरे पर आई मुस्कुराहट देखकर । वो समझ जाता कि उस नौकर ने जानबूझकर ऐसा किया
जहां नौकर की हरकत समझकर रिद्धांश कुछ ना बोलता हुआ फावला लिए गड्ढा खोदने लगता । पर ऊपर खिड़की पर खड़ी श्रुति उसकी आंखों में दर्द आता हुआ चेहरे पर नौकर के लिए बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता
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