सुबह का उजाला धीरे-धीरे मोहल्ले की गलियों को रोशन कर रहा था। आरव की आँखें नींद से भरी थीं, लेकिन मन पूरी तरह जाग चुका था। कमरे के कोने में रखी अपनी स्कूटी की चाबी को उठाते हुए उसने माँ को आवाज़ दी,
आरव: "माँ, मैं कॉलेज जा रहा हूँ। दोपहर में थोड़ा लेट आऊँगा, Economics Fest की तैयारी है।"
सरस्वती देवी (रसोई से): "ठीक है बेटा, ध्यान से जाना। और कुछ खाकर ही निकलना।"
आरव (स्कूटी स्टार्ट करते हुए): "आपने जो पराठे बनाए थे, खा चुका हूँ। अब बस Presentation जीतना है।"
स्कूटी की गूंजती आवाज़ मोहल्ले की सुबह को और ज़िंदा कर रही थी। रास्ते में आरव के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक थी। पहले जैसा डर, घबराहट और confusion अब कहीं नहीं था। वो जानता था कि उसे क्या करना है और कैसे करना है।
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कॉलेज कैंपस – सुबह 9:00 बजे
स्कूटी पार्क करते ही आरव को प्रिया, कनिका और बाकी टीम मेंबर्स दिखाई दिए जो पहले से कैंटीन के सामने उसका इंतज़ार कर रहे थे।
प्रिया (हँसते हुए): "Finally Rockstar आ ही गया! चलो मीटिंग शुरू करें?"
आरव (हेलमेट उतारते हुए): "Rockstar नहीं, टीम का Working Star कहो। चलो, आज की तैयारी को फिनिश करते हैं।"
सभी हँसते हुए लाइब्रेरी की तरफ बढ़े, जहाँ उनका प्रेजेंटेशन फाइनल होना था।
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लाइब्रेरी में टीम मीटिंग
टेबल पर लैपटॉप्स, नोटपैड्स, और कुछ पुराने रिपोर्ट्स बिखरे हुए थे। प्रिया ने एक Whiteboard पर Markers से काम बाँटना शुरू किया।
प्रिया: "ठीक है, कनिका Visuals पर काम करेगी। मीरा और भव्या डेटा एनालिसिस में हेल्प करेंगी, और आरव... तुम्हारी टेक्निकल स्लाइड्स amazing हैं, बस उसे और Interactive बनाओ।"
आरव (नज़र मिलाते हुए): "Done. और हाँ, मैंने कुछ graphs animation के साथ डाले हैं। इससे Judges को explain करना आसान होगा।"
कनिका (इम्प्रेस होकर): "अबे तू तो सच में Entrepreneur बन गया है।"
आरव (मुस्कुराते हुए): "Entrepreneur नहीं, Responsible Student बनना पहला टारगेट है। उसके बाद जो होगा देखा जाएगा।"
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Break Time – कॉलेज कैंटीन
सभी टीम मेंबर्स कुछ देर आराम करने कैंटीन आ गए। आरव ने चाय का कप लिया और एक कोने में बैठ गया। प्रिया उसके बगल में आकर बैठी।
प्रिया: "पता है, आरव... जब पहली बार मिले थे तो तुम बहुत चुपचाप और खोए-खोए रहते थे। अब तुम्हें देखकर लगता है जैसे तुमने खुद को फिर से पा लिया हो।"
आरव (थोड़ा गंभीर होकर): "शायद कभी-कभी ज़िंदगी हमें मौका देती है खुद को फिर से बनाने का। और मैं वो मौका मिस नहीं करना चाहता।"
प्रिया: "तुम्हारी ये जर्नी... inspirational है। तुम्हें देख कर मुझे भी खुद पर भरोसा करना आया है।"
आरव ने उसकी आँखों में देखा, कुछ कहने को था लेकिन उसने शब्दों को मुस्कान में बदल दिया।
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कॉलेज ऑडिटोरियम – Economics Fest प्रेजेंटेशन
जजेस सामने बैठे थे, ऑडिटोरियम हॉल लगभग पूरा भर चुका था। टीम स्टेज पर पहुँची और कनिका ने प्रेजेंटेशन शुरू किया। मीरा ने मार्केट स्कोप समझाया, प्रिया ने Legal factors, और अब बारी थी आरव की।
आरव (Confidence के साथ): "हमने छत्तीसगढ़ के Small Cap Businesses पर फोकस किया है। ये ऐसे बिजनेस हैं जिनमें कम रिस्क के साथ ग्रोथ की भारी संभावना है। आप जो ग्राफ्स देख रहे हैं वो पिछले पाँच वर्षों के रुझानों पर आधारित हैं..."
जजेस उत्सुकता से उसकी बात सुन रहे थे। एक Judge ने नोटपैड पर कुछ पॉइंट्स लिखे।
जज 1: "Your analysis is sharp and realistic. Well done."
जज 2: "Loved the coordination and segmentation of the topic. Team effort clearly reflects."
सभी टीम मेंबर्स ने एक-दूसरे को देखा और सिर हिलाया। पहला राउंड जबरदस्त रहा।
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शाम – वापसी घर की ओर स्कूटी पर
आरव स्कूटी से घर लौट रहा था। रास्ते में हवा उसके बालों से खेल रही थी, और मन शांत था। आज उसने कुछ हासिल किया था, खुद के अंदर की जीत।
घर पहुँचते ही माँ दरवाज़े पर मिलीं।
सरस्वती देवी: "आ गया बेटा? कैसा रहा दिन?"
आरव: "बहुत अच्छा। Teamwork, मेहनत और कुछ छोटे-छोटे चमत्कार भी हुए।"
माँ (हँसते हुए): "अच्छा है। चमत्कार वो ही होते हैं जिनके पीछे मेहनत छुपी हो।"
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रात – कमरे में अकेले
आरव फिर से Mirror के सामने खड़ा था। अब वो उसमें एक लड़का नहीं, एक सोचता, समझदार और दृढ़ इंसान देख रहा था।
आरव (मन में): "मिरर अब कोई रहस्य नहीं है। मैं ही अपना भविष्य हूँ, और मैं ही अपनी कहानी का लेखक।"
Mirror की सतह हल्की सी चमकी, जैसे वो भी आरव की बात से सहमत हो।
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"सपनों की आग और रिश्तों की छांव"
रात के साढ़े दस बजे थे। घर में हर कोना शांत था, लेकिन आरव के कमरे में हल्की रोशनी जल रही थी। वो अब भी आईने के सामने खड़ा था। खुद को ध्यान से देखते हुए, जैसे अपने ही चेहरे में बीते हुए वक़्त के निशान पढ़ रहा हो।
आरव (मन में सोचते हुए):
"मैं अब वो नहीं हूँ जो कुछ हफ्ते पहले था... हर दिन कुछ नया सीख रहा हूँ, और हर सीख एक इंट्रेस्ट की तरह मेरी ज़िंदगी में इनवेस्ट हो रही है।"
उसी समय, उसका फोन बजा। स्क्रीन पर नाम चमक रहा था — "Priya"
आरव ने फौरन कॉल उठा लिया।
प्रिया (धीमी आवाज़ में):
"सो गए थे?"
आरव (हँसते हुए):
"नहीं... बस अपने आपसे मीटिंग चल रही थी — Mirror के सामने।"
प्रिया (मुस्कुराते हुए):
"तुम्हारी ये self-talk sessions मुझे काफ़ी interesting लगते हैं। पता है? कभी-कभी मुझे लगता है तुम्हें किसी podcast की शुरुआत करनी चाहिए — ‘InvestMind with Aarav’"
आरव:
"वो दिन भी आएगा। पर फिलहाल तो तेरी आवाज़ ही मेरा daily podcast है।"
प्रिया (थोड़ा झेंपते हुए):
"Shut up… वैसे बात ये थी कि कल Economics Fest के लिए हमारी practice session है न? तुम free हो न दोपहर में?"
आरव:
"हाँ हाँ, पूरा समय तेरे नाम reserve है madam analyst. और कल तो कनिका भी join करेगी, competition level up होने वाला है।"
प्रिया (थोड़ा रुक कर):
"तुम्हें कोई problem तो नहीं उसके साथ काम करने में?"
आरव:
"नहीं यार… पुराने perception को upgrade करना भी तो growth का हिस्सा है न? और वैसे भी… तू साथ है तो कौन क्या फर्क डालता है?"
प्रिया (धीमी आवाज़ में):
"तुम्हारी ये बातें न… दिल छू जाती हैं।"
दोनों कुछ सेकंड चुप रहे — लेकिन उस चुप्पी में भी एक connection था, जो शब्दों से ज़्यादा बोलता था।
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अगले दिन – कॉलेज कैंपस, दोपहर 1:00 बजे
कॉमन रूम में प्रिया, आरव और कनिका एक टेबल पर बैठे थे। लैपटॉप खुला था, चार्ट्स और ग्राफ्स स्क्रीन पर चमक रहे थे।
कनिका:
"Presentation को थोड़ा crisp बनाते हैं। पहले problem statement — Indian Youth की financial literacy low क्यों है — फिर solution में स्टॉक मार्केट simulation introduce करते हैं।"
प्रिया:
"और बीच में आरव explain करेगा risk vs reward को — अपने analogy वाले अंदाज़ में।"
आरव:
"Cool… मैं सोच रहा हूँ एक analogy यूज़ करूं — स्टॉक्स को relationships से compare करने की।"
कनिका (हँसते हुए):
"Relationships? अब ये interesting होगा। सुनाओ ज़रा।"
आरव:
"देखो — Small cap stocks वही होते हैं जैसे नए रिश्ते — थोड़़े unpredictable, लेकिन अगर सच्चा विश्वास किया तो return भी बहुत high मिल सकता है। Large cap stocks पुराने रिश्तों जैसे होते हैं — भरोसेमंद, steady और थोड़ा boring भी।"
प्रिया (हँसते हुए):
"Wow… अगर ये analogy Fest में मारी न, तो तुम Best Speaker बन जाओगे!"
कनिका:
"Agree… तुम्हारी ये सोच वाकई अलग है, Aarav। Glad तुम Team में हो।"
आरव मुस्कुरा दिया — पर उसकी नज़र थोड़ी देर प्रिया के चेहरे पर ठहर गई। उसकी आँखों में आज एक अजीब सी चमक थी — जैसे वो कुछ कहना चाहती थी, पर रुक गई।
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शाम – कैंटीन में
Practice के बाद तीनों साथ बैठ कर चाय पी रहे थे। लेकिन अचानक कनिका को अपने घर के लिए निकलना पड़ा।
अब टेबल पर बस आरव और प्रिया थे।
प्रिया (धीरे से):
"Aarav… तुम कभी-कभी मुझे बहुत अजीब लगते हो… एक ही इंसान कैसे इतने calm और passionate एक साथ हो सकता है?"
आरव:
"शायद क्योंकि मेरा दिमाग़ market को देखता है और दिल तुझमें invest हो चुका है।"
प्रिया (आँखें नीचे करते हुए):
"तुम हर बार कुछ ऐसा बोल जाते हो जिससे बात मज़ाक लगती है… पर दिल कहीं गहरे छू जाता है।"
आरव (गंभीर होकर):
"मैं सच कहता हूँ प्रिया… मैं मज़ाक नहीं करता जब तुम सामने होती हो। शायद इसीलिए तुम्हारे सामने मैं Aarav नहीं, बस एक इंसान बन जाता हूँ — जो अच्छा बनना चाहता है, बस तुम्हारे लिए।"
प्रिया (धीरे से):
"Aarav… तुम बदल गए हो… और ये change बहुत सुंदर है।"
आरव थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला:
आरव:
"बदलाव तब आता है जब ज़रूरत होती है… और तेरी दोस्ती, माँ की आँखें, और भविष्य की ज़िम्मेदारी — यही सब मेरी सबसे बड़ी ज़रूरतें बन गई हैं।"
प्रिया (आँखें भीगते हुए):
"कभी सोचो, अगर हम साथ ना होते…?"
आरव (धीरे से उसका हाथ पकड़ते हुए):
"तो शायद मैं कभी mature ना होता। तू मेरी ज़िंदगी का वो part है जिसने मुझे responsible बनाया।"
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रात – घर पर, माँ के साथ बैठा आरव
सरस्वती देवी चुपचाप आरव के पास बैठीं थीं। उनके हाथ में वो पुरानी तस्वीर थी — जिसमें आरव, उसके पापा और माँ साथ थे।
सरस्वती देवी:
"कल रात तुझे सुन रही थी… मोबाइल पे किसी से बात कर रहा था तू…"
आरव (थोड़ा शरमाते हुए):
"माँ… प्रिया थी।"
सरस्वती देवी (मुस्कुराकर):
"अच्छी लड़की है। उसकी बातों में ठहराव है… और तेरे साथ उसकी chemistry भी ज़्यादा natural है।"
आरव:
"माँ… मैं कुछ बनने से पहले अच्छा इंसान बनना चाहता हूँ… ताकि अगर कभी मैं उसके पास कुछ ना भी ला सकूँ, तो भी खुद को शर्मिंदा ना महसूस करूं।"
सरस्वती देवी (बाल सहलाते हुए):
"तू अगर खुद को इतना सच्चा रखेगा… तो तुझे खोने की हिम्मत किसी में नहीं होगी बेटा।"
आरव उनकी गोद में सिर रख देता है। आँखें बंद करते हुए सिर्फ एक चीज़ सोचता है —
"मैं हर दिन उस इंसान के करीब जा रहा हूँ जो मुझे देख कर मेरी माँ मुस्कुराए और प्रिया खुद पर proud महसूस करे।"