"रांझना with सफर"- 14

रीतिका की आँखों में अब सवाल थे, और वह अपनी माँ को घूरती रही, उसकी बातों में अविश्वास और धुंधलापन था। "तो तुमने माया के परिवार को क्यों खत्म किया?" रीतिका ने चुपके से पूछा, उसके मन में उथल-पुथल चल रही थी।

"मैंने माया के परिवार को खत्म किया क्योंकि मुझे यह लगने लगा था कि यही एकमात्र तरीका था, जिससे मैं सुधीर के पास आ सकती थी। मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी, रीतिका, और तुमसे कभी भी सच नहीं छुपाना चाहती थी, लेकिन उस समय मेरा दिल इस दर्द में डूबा हुआ था कि सुधीर सिर्फ माया से प्यार करता था।"

रीतिका की माँ के शब्दों ने एक भयावह सत्य को उजागर किया। उसकी पापी योजना और आंतरिक संघर्ष ने माया के परिवार को खत्म कर दिया, और इस दुखद सच के परिणामस्वरूप आज माया की आत्मा भटक रही थी, बदले की आग में जल रही थी। रीतिका अब समझ चुकी थी कि उसकी माँ ने अपनी चाहत को हासिल करने के लिए कितना बड़ा कदम उठाया था, लेकिन उस फैसले के खतरनाक परिणामों को अब वह पूरी तरह से महसूस कर रही थी।

"तुमने गलत किया," रीतिका की आँखों में आँसू थे, लेकिन गुस्सा भी था, "तुमने माया की जान ले ली, उसका परिवार तोड़ा, और तुमने मुझे भी इस जाल में फंसाया।"

रीतिका की माँ ने सिर झुका लिया, अब वह बस अपनी बेटी के सामने खुद को छोटा और अपराधी महसूस कर रही थी। "मुझे माफ कर दो, रीतिका। मुझे माया को उसके बदले से शांति दिलानी चाहिए थी, लेकिन मैंने अपने प्यार के लिए उसके और उसके परिवार के साथ अन्याय किया।"

अब रीतिका को यह समझ में आ रहा था कि माया की आत्मा का गुस्सा और दर्द कितना गहरा था। लेकिन क्या अब माया की आत्मा को शांति मिल पाएगी, और क्या रीतिका अपनी माँ को माफ कर पाएगी? यह सवाल अब रीतिका के सामने था।

रीतिका के शरीर में जैसे ही माया की आत्मा ने फिर से प्रवेश किया, उसकी आँखों में एक खौ़फनाक बदलाव आ गया। उसकी आँखें अब सामान्य नहीं थीं—वे खौ़फ और गुस्से से जल रही थीं। उसकी पूरी शख्सियत में एक अजीब सी कंपन थी, जैसे पूरी कायनात की सर्दी और अंधकार उसके अंदर समा गए हों।

माया की आत्मा ने रीतिका के शरीर से बाहर आकर एक भयावह आवाज में कहा, "तुमसे बदला लेना मेरा अधिकार है!"

रीतिका की माँ, जो अभी भी अज्ञानी और व्यथित थी, चौंकी, जैसे ही उसने देखा कि उसकी बेटी का चेहरा बदला हुआ था। रीतिका की आँखें अब पूरी तरह से काली हो गई थीं, जैसे कोई काली गहरी खाई हो जिसमें कोई रास्ता न हो। उसके होठों पर मुस्कान थी, लेकिन यह मुस्कान किसी राक्षस की थी।

"नहीं!" रीतिका की माँ कांपते हुए बोली, "बेटा, तुम ये क्या कर रही हो?"

माया की आवाज गहरी, गुस्से से भरी और भयावह थी, "तुमने मेरी दुनिया छीन ली, अब मैं तुम्हारी दुनिया छीन लूंगी!"

उसके बाद, रीतिका ने अपने हाथों को माँ की ओर बढ़ाया, और जैसे ही रीतिका की माँ ने उसे रोकने की कोशिश की, रीतिका का शरीर अचानक ताकतवर हो गया। उसका चेहरा अब एक खौ़फनाक राक्षसी चेहरा बन चुका था, और उसकी आँखों में नफरत का आग जल रहा था।

रीतिका की माँ भय से कांपने लगी, उसकी सांसें तेज हो गईं, वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा था। "रीतिका! यह तुम नहीं हो!" उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा, "कृपया मुझे माफ कर दो!"

माया की आत्मा ने फिर से तीव्र गुस्से में चिल्लाया, "तुझे माफ करने की बात नहीं! तुमने मेरी जिंदगी छीन ली, अब तुम अपनी जिंदगी से हाथ धोओगी!"

एक पल में रीतिका की माँ को एहसास हुआ कि वह अब केवल मौत के कगार पर खड़ी थी। रीतिका के हाथ उसके गले के पास जा पहुंचे और धीरे-धीरे उसे कसने लगे। रीतिका की माँ चीखने लगी, लेकिन उसकी आवाजें चारों ओर गूंजने के बजाय गहरे अंधेरे में समा गईं। जैसे ही रीतिका की माँ का चेहरा लुप्त होने लगा, माया की आत्मा ने एक बार फिर से घना अंधकार फैलाया और सब कुछ शांत हो गया।

रीतिका की माँ का शरीर अब बेहोश होकर गिर पड़ा, और कमरे में एक गहरी शांति का माहौल था। माया की आत्मा का खौ़फ अब भी हवा में लहराता था, जैसे वह किसी और को भी अपनी पकड़ में लेने का इंतजार कर रही हो।

माया का गुस्सा अब और भी विकराल हो चुका था। उसकी आत्मा, जो अब पूरी तरह से रीतिका के शरीर में समा चुकी थी, जैसे आग के पैरों पर चल रही थी। उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी, और उसकी आँखों में एक ऐसी नफरत थी जो सब कुछ खा जाने की शक्ति रखती थी। कमरे का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था, जैसे चारों ओर से सर्द हवाएँ और शून्य जैसी चुप्प हो गई हो।

फादर, जो अब इस भयानक मंजर को देख चुका था, धीरे-धीरे रीतिका के पास आए और घबराए हुए स्वर में कहा, "माया, अब तूने अपना बदला ले लिया है। अब तुझे अपनी दुनिया में लौट जाना चाहिए। ये जो कुछ भी हुआ है, वो पुलिस देखेगी। तेरे गुस्से का अब कोई फायदा नहीं।"

लेकिन माया, जो अब पूरी तरह से एक राक्षसी रूप में बदल चुकी थी, फादर की बातों को अनसुना कर दिया। उसकी आँखों में अब और भी गहरा गुस्सा था। उसने पूरी तरह से संकल्प कर लिया था कि वह सबको खत्म कर देगी। उसकी दहाड़ भरी आवाजें अब घर के हर कोने में गूंज रही थीं। उसकी आवाज़ में इतनी तड़प और गुस्सा था कि जैसे वह अब किसी भी कीमत पर अपना बदला पूरा करना चाहती हो।

फादर ने फिर से कोशिश की, और इस बार उसकी आवाज में कुछ दया और उम्मीद थी, "सोफिया को छोड़ दो, माया। वह एक छोटी लड़की है, उसे अपना जीवन जीने का मौका दो।"

 

लेकिन माया ने किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया। उसकी सारी क्रोध और नफरत अब एक असहनीय रूप में सामने आ रही थी। जैसे ही माया ने अपनी सारी ऊर्जा को एकत्रित किया, उसकी दहाड़ की आवाज़ इतनी तेज हो गई कि पूरे घर की दीवारें कांपने लगीं। सोफिया डर के साए में और आंसू नहीं रुक रहे थे, वह महसूस कर रही थी कि माया की आत्मा अब तक उसे नहीं छोड़ने वाली।

फिर अचानक, एक जोरदार झोंका आया। ठंडी हवा के थपेड़े ने सबको घेर लिया, और माया की आत्मा ने रीतिका के शरीर को छोड़कर एक आखिरी बार सबको देखा। माया की आँखों में अब कोई एहसास नहीं था, सिर्फ एक खोखला गुस्सा और दुख था। फिर, जैसे ही हवाएँ तेज़ हो गईं, माया की आत्मा अपने साथ सबको लेकर उड़ गई और रीतिका के सामने का दृश्य पूरी तरह से बदल गया।

घर में अब शांति थी, लेकिन वह शांति भय और काले साये से घिरी हुई थी। रीतिका और सोफिया दोनों कांपते हुए एक-दूसरे के पास खड़ी थीं, जबकि उनके माता-पिता बेहोश पड़े थे। फादर भी अपनी पूरी ताकत से माया के जाने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर वह जान चुके थे कि यह कहानी अब खत्म नहीं हुई थी। माया की आत्मा शायद अब शांति पा चुकी थी, लेकिन उसके पीछे जो दर्द और रहस्य था, वह हमेशा के लिए बाकी था।

कहरती हुई आवाज में रीतिका की माँ ने माया को याद किया, उसकी दर्दभरी चीखें और भयानक अतीत अब रीतिका की आँखों के सामने थे। जैसे ही पुलिस की गाड़ी घर के बाहर रुकी, पूरे घर में सन्नाटा छा गया। पुलिस के अधिकारी मामले को सही तरीके से समझने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सब कुछ बहुत उलझा हुआ था। माया की आत्मा ने एक अनजान और डरावनी घटना को जन्म दिया था, लेकिन अब जब माया के अधूरे बदले का केस खुल चुका था, तो सब कुछ धीरे-धीरे साफ होने लगा।

रीतिका की माँ ने अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा राज़ अब पुलिस के सामने रखा। उसका दिल भले ही टूट चुका था, लेकिन उसने साहस किया और सच का सामना किया। उसने बताया कि माया के परिवार को खत्म करने की वजह उसका अपने प्यार को पाने की तड़प थी। उसने अपने पति, सुधीर से प्यार किया, और जब माया का प्यार उसे दूर करता गया, तो उसने बदला लेने की ठान ली।

अब पुलिस सबूत जुटा रही थी और माया की आत्मा की यात्रा का रहस्य भी खत्म हो रहा था। रीतिका की माँ ने कहा, "मुझे अपने किए पर पछतावा है, लेकिन मैं क्या करती? जब इंसान प्यार में पागल होता है, तो वो किसी भी हद तक जा सकता है।" उसकी आवाज़ में अफसोस और दर्द था, लेकिन अब उसे यह महसूस हुआ कि जो कुछ भी हुआ, उसकी परिणति अब सामने थी।

इतना समय बीत चुका था कि अब रीतिका के दिल में भी सुकून की एक हल्की सी आहट आई। माया की आत्मा ने अपना बदला ले लिया था, और अब वह शांति पा सकती थी। माया की आत्मा को सच्चाई की राह मिल गई थी, और रीतिका की जिंदगी में भी अब उम्मीद की एक किरण थी।

यह कहानी अब खत्म हो रही थी, लेकिन उसके पीछे का दर्द और रहस्य हमेशा के लिए रीतिका और उसके परिवार के साथ रह जाएगा।

पूरे हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार, रीतिका, सोफिया और सुधीर ने मिलकर माया की आत्मा का अंतिम सफर समाप्त किया। भारतीय परंपराओं के अनुसार, आत्मा को शांति की प्राप्ति के लिए पवित्र क्रियाओं और संस्कारों का पालन किया जाता है, जिससे वह मोक्ष की प्राप्ति कर सके और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा सके।

हिंदू धर्म में माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा का शरीर से बिछड़ने के बाद एक नया सफर शुरू होता है। आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इसे शुद्धि की आवश्यकता होती है। रीतिका और उसके परिवार ने माया की आत्मा को शांति देने के लिए तमाम धार्मिक अनुष्ठान किए। यज्ञ, हवन, पूजा और अन्य विधियाँ पूरी श्रद्धा के साथ संपन्न की गईं, ताकि माया की आत्मा को शांति मिल सके और वह इस संसार से मुक्त हो सके।

इन सभी धार्मिक क्रियाओं का उद्देश्य यही था कि माया की आत्मा को शांति मिले, और वह अगले जन्म की यात्रा के लिए तैयार हो सके। रीतिका और उसके परिवार ने शांति और समर्पण के साथ इस यात्रा को पूरा किया।

सभी विधियाँ पूरी होने के बाद, रीतिका ने महसूस किया कि माया की आत्मा अब शांति पा चुकी थी। उसकी आखिरी यात्रा समाप्त हो चुकी थी, और वह अपने परिवार के साथ अब नयी शुरुआत की ओर बढ़ रही थी, जिसमें उम्मीद और सुकून था। इस तरह, हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आत्मा का सफर समाप्त हुआ और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

कुछ महीनों बाद, रीतिका धीरे-धीरे अपने जीवन को फिर से संजीवित करने की कोशिश कर रही थी। माया के परिवार के साथ जो हुआ, वह रीतिका के दिल में हमेशा एक गहरी चोट बनकर रहेगा। वह अब अपनी ज़िंदगी को सामान्य बनाने की कोशिश में लगी थी। 

सुधीर, जो पहले खुद को कभी माफी के काबिल नहीं मानता था, अब हर महीने रीतिका की माँ से मिलने जेल जाता था। उसने अपनी सारी ज़िंदगी में जो किया था, उसका पछतावा उसे भीतर से कचोटता था। लेकिन सच्चाई यह थी कि उसने जो किया था, उसका कोई बदला नहीं था, और माया का परिवार अब कभी वापस नहीं आ सकता था। सुधीर ने अपने अतीत से पीछा छुड़ाने और अपनी गलती की भरपाई के लिए बहुत कोशिशें की, लेकिन उसे एहसास हुआ कि पछतावा कभी भी उस नुकसान को भर नहीं सकता जो उसने दूसरों को दिया।

साहिर, जो रीतिका का सच्चा साथी था, अपने वादे के अनुसार केस के खत्म होने के बाद रीतिका की ज़िंदगी से दूर चला गया। उसने रीतिका से अपना वादा निभाया और अपना रास्ता चुना, क्योंकि वह जानता था कि रीतिका को अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए अकेलेपन का सामना करना होगा। उसका प्यार और समर्थन हमेशा रीतिका के लिए था, लेकिन उसे यह भी समझ था कि रीतिका को अपनी जंग अकेले लड़ने का मौका मिलना चाहिए।

रीतिका अब माया के परिवार को खोने के ग़म और अपनी माँ की गलती के पछतावे के साथ अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से जीने की कोशिश कर रही थी। उसने खुद से यह वादा किया कि वह अपनी ज़िंदगी को इस हादसे के प्रभाव से बाहर निकालेगी और एक नई शुरुआत करेगी, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो। उसकी आत्मा में अब एक नई उम्मीद थी, लेकिन साथ ही वह जानती थी कि यह सफर अब भी जारी था।

 रीतिका की ज़िंदगी में जो कुछ भी हुआ, वह एक दर्दनाक यात्रा थी, लेकिन साथ ही साथ यह एक मजबूत इरादे और आत्म-खोज का भी सफर था। महीने गुज़रने के बावजूद, रीतिका ने साहिल को याद करना कभी नहीं छोड़ा। हर दिन, हर रात, उसे लगता जैसे साहिल की उपस्थिति उसकी ज़िंदगी में खो गई हो, लेकिन उसकी यादें और उसका प्यार उसकी आत्मा से चिपक गए थे।

 

 

क्या रीतिका अपनी माँ को माफ कर पाएगी, या माया की आत्मा का बदला हमेशा उसे पीछा करेगा? 😱 माया की आत्मा की अंतिम यात्रा के बाद, क्या रीतिका और उसका परिवार अब सच्ची शांति पा सकेंगे? 🔥 क्या सुधीर और रीतिका के बीच अब कभी कोई रास्ता जुड़ सकेगा, या उनका अतीत उन्हें हमेशा अलग रखेगा? 💔

 

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........