"रांझना with सफर"- 16

✨ साहिल और रीतिका की शादी की तैयारियाँ – एक जादुई माहौल ✨

शादी की तारीख तय हो चुकी थी, और अब घर में सिर्फ खुशियों की गूँज थी। हर कोने में सजावट चल रही थी—रंग-बिरंगी झालरें, चमचमाती लाइट्स, फूलों की महक और संगीत की मधुर ध्वनि ने पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया था। हर कोई तैयारियों में व्यस्त था, लेकिन चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि उत्साह और उमंग झलक रही थी।

घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। दीवारों पर फूलों की लटकती मालाएँ थी, और हवा में गुलाब, चंदन और मोगरे की सुगंध घुली हुई थी। प्रवेश द्वार पर सुंदर तोरण लगे थे, और रंगोली से फर्श सजा था। हर तरफ रंग-बिरंगी लाइट्स टिमटिमा रही थीं, जिससे पूरी हवेली किसी स्वप्नलोक जैसी लग रही थी।

बड़ा सा आँगन, जहाँ शादी की रस्में होनी थीं, उसे लाल और सुनहरे कपड़ों से ढका गया था। कोने-कोने में दीयों की रोशनी थी, जो शाम ढलते ही माहौल को और जादुई बना देने वाली थी।

आज शादी से पहले की पूजा थी—एक शुभ आरंभ का प्रतीक। घर के बड़े-बुज़ुर्ग, पंडित जी के साथ मंडप के पास बैठे थे। हवन कुंड में अग्नि जल चुकी थी, और मंत्रों के उच्चारण से पूरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा फैल गई थी।

रीतिका ने गुलाबी और सुनहरे रंग की साड़ी पहनी थी, माथे पर हल्की बिंदी और हाथों में चूड़ियाँ खनक रही थीं। वहीं, साहिल हल्के क्रीम रंग की शेरवानी में बेहद आकर्षक लग रहा था। दोनों जब पूजा में बैठे, तो ऐसा लगा जैसे खुद देवता भी उन्हें आशीर्वाद देने आए हों।

रिश्तेदारों और दोस्तों की चहलकदमी पूरे घर में थी। महिलाएँ मेहंदी और संगीत की तैयारियों में लगी थीं, और बच्चों की खिलखिलाहट माहौल में मिठास घोल रही थी। कुछ लोग रस्म की बातें कर रहे थे, तो कुछ खाने-पीने की व्यवस्थाओं में व्यस्त थे।

बाहर, हलवाई घी में पकवान तल रहे थे—गुलाब जामुन, जलेबी, कचौरी और तरह-तरह की मिठाइयों की खुशबू हवा में घुल रही थी। चारों तरफ उल्लास का वातावरण था, जहाँ हर कोई बस इस खुशी को जी भर कर महसूस करना चाहता था।

पूजा खत्म होने के बाद, जब साहिल ने रीतिका की ओर देखा, तो उसकी आँखों में चमक थी। मानो वह कह रहा हो—"अब बस कुछ ही दिन और, फिर हम हमेशा के लिए एक हो जाएँगे।" रीतिका भी मुस्कुरा दी, उसकी आँखों में खुशी, प्यार और हल्की शरारत थी।

पूरा माहौल खुशियों से भरा था, पर यह सिर्फ शुरुआत थी—अभी तो संगीत, हल्दी, मेहंदी और शादी की असली धूम बाकी थी! 🎊💖

शादी का माहौल पूरे शबाब पर था, और अब वो घड़ी आ गई थी, जिसका हर किसी को बेसब्री से इंतज़ार था—संगीत सेरेमनी! यह सिर्फ एक रस्म नहीं थी, बल्कि यह वो रात थी, जब खुशियाँ अपने चरम पर थीं, रिश्तों की गर्माहट हर दिल में थी और प्यार अपने सबसे खूबसूरत रूप में खिल रहा था।

बड़ा सा गार्डन रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था। चारों तरफ सुनहरी और लाल फेयरी लाइट्स टिमटिमा रही थीं, जिससे पूरा माहौल सपनों जैसा लग रहा था। गुलाब, मोगरा और रजनीगंधा की खुशबू हवा में घुली हुई थी। बीच में बना बड़ा सा स्टेज फूलों और झालरों से सजा था, जहाँ कुछ ही देर में ठुमकों की बरसात होने वाली थी।

म्यूजिक सिस्टम पूरी ताकत से बज रहा था, ढोल वाले तैयार खड़े थे, और हर कोई बस इस रात को यादगार बनाने के लिए बेताब था।

रात की शुरुआत बड़े-बुज़ुर्गों के आशीर्वाद और हल्के-फुल्के मज़ाक से हुई। रीतिका के मामा ने मुस्कुराते हुए कहा—

 "आज तो लड़कियों की टीम जीतने वाली है, साहिल बेटा, संभल जाओ!"

और फिर स्टेज पर लड़कियों की टीम ने धमाल मचा दिया!

 "मेरा पिया घर आया ओ राम जी…" बजते ही, सारी लड़कियाँ झूम उठीं। उन्होंने मस्ती भरे ठुमके लगाए और दूल्हे की टीम को चिढ़ाने लगीं।

फिर लड़कों ने भी कमर कसी और मजेदार एंट्री मारी—

 🎶 "आज मेरे यार की शादी है!" पर लड़कों ने स्टेज पर कदम रखा और झूमकर डांस किया।

सभी रिश्तेदारों ने बारी-बारी से नाच-गाना किया, और माहौल पूरी तरह से जश्न में डूब गया।

अब बारी थी इस रात के असली सितारों की—साहिल और रीतिका!

म्यूजिक धीमा हुआ, लाइट्स हल्की हो गईं, और स्टेज पर हल्का सा धुंध का इफ़ेक्ट दिया गया।

🎶 "रंग दे तू मोहे गेरुआ…" बजते ही, साहिल ने रीतिका का हाथ थाम लिया। उसने धीरे से उसे अपनी बाहों में खींचा, और दोनों की आँखें जैसे एक-दूसरे में डूब गईं।

रीतिका हल्के से मुस्कुराई, और साहिल ने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा—

 "आज से हर धड़कन मेरी सिर्फ तुम्हारे नाम की होगी।"

दोनों ने रोमांटिक अंदाज़ में डांस किया—धीमे-धीमे कदम, हल्के घुमाव, और गहरी नज़रें… यह सिर्फ एक परफॉर्मेंस नहीं थी, बल्कि यह उनके प्यार का इज़हार था।

फिर अचानक… म्यूजिक बदला!

 🎶 "लंदन ठुमकदा" बजते ही, दोनों ने एकदम एनर्जेटिक भंगड़ा शुरू कर दिया! 🎉

पूरी महफ़िल झूम उठी, रिश्तेदारों ने तालियाँ बजाईं, और स्टेज पर सभी लोग आ गए। अब यह सिर्फ साहिल और रीतिका का डांस नहीं था, बल्कि पूरी फैमिली का जश्न बन गया था।

डांस के बाद, परिवार के सभी बड़े-बुज़ुर्ग स्टेज पर आए और दोनों को आशीर्वाद दिया।

रीतिका के चाचा ने प्यार से उसके सिर पर हाथ रखा—

 "तुम्हारी माँ यहाँ नहीं है, लेकिन उसका प्यार हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।"

साहिर, जिसने बचपन से ही परिवार की कमी महसूस की थी, उसके लिए यह सब नया था। पहली बार, उसने किसी को "अपना" महसूस किया।

उसने धीरे से रीतिका का हाथ थामा और मन ही मन सोचा—"अब मेरी ज़िंदगी अधूरी नहीं रहेगी, अब हमारे पास एक-दूसरे का साथ है।"

यह संगीत की रात सिर्फ गानों और डांस की रात नहीं थी—यह एक नई कहानी की शुरुआत थी। यह एक अधूरे रिश्ते को पूरा करने का जश्न था, यह दो दिलों का मिलन था, यह उन ज़ख्मों को भरने की कोशिश थी, जो ज़िंदगी ने अब तक दिए थे

—वो रस्म जहाँ प्यार के रंग हल्दी के रंगों में घुल जाते हैं, जहाँ शरारतें और मस्ती हर कोने में गूँजती हैं, और जहाँ हर हंसी, हर छींटा, हर हल्का सा धक्का यादों में हमेशा के लिए बस जाता है।

सुबह की हल्की धूप जैसे आज कुछ ज्यादा ही सुनहरी लग रही थी। पूरा घर गेंदे और मोगरे के फूलों से सजाया गया था। चारों तरफ पीले और हरे रंग की झालरें लटक रही थीं, और बीच में एक बड़ा सा मंडप बना था, जहाँ हल्दी की रस्म होने वाली थी।

फूलों से सजे झूले पर बैठी थी रीतिका, पीले रंग की खूबसूरत साड़ी में, उसके चेहरे पर हल्की सी शर्म और आँखों में चमक थी। उसके चारों ओर उसकी सहेलियाँ थीं, जो उसे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थीं।

दूसरी तरफ, साहिल अपने दोस्तों के साथ बाहर खड़ा था, उसे अंदर बुलाने की तैयारी हो रही थी, लेकिन उससे पहले…

जैसे ही साहिल अंदर आने लगा, लड़कियों की टोली रास्ता रोककर खड़ी हो गई।

 "अरे अरे! ऐसे ही नहीं आ सकते साहिल बाबू! पहले शगुन देना पड़ेगा!"

साहिल हँस पड़ा—"क्या चाहिए तुम्हें?"

सहेलियों ने इशारों में कहा—"चॉकलेट, गिफ्ट, और थोड़ा-सा केश… यानी कैश!" 

साहिल ने झूठ-मूठ का ड्रामा किया—"अरे, इतना महंगा सौदा? मुझे लगता है, मैं बिना हल्दी के ही चला जाता हूँ!"

इतना सुनते ही सब लड़कियाँ हँस पड़ीं और उसके दोस्त बोले—"यार, दे दे ना, वर्ना आज तेरी हालत बहुत बुरी होने वाली है!"

आखिरकार, साहिल ने मुँह माँगी रकम दी, और तब जाकर लड़कियों ने उसे अंदर आने दिया।

जैसे ही साहिल और रीतिका हल्दी के मंडप में पहुँचे, सबसे पहले बुजुर्गों ने रस्म शुरू की। हल्दी की पहली चुटकी उनके माथे और गालों पर लगाई गई। सबने प्यार से आशीर्वाद दिया, लेकिन असली हल्दी की धूम तो अभी शुरू होने वाली थी!

पहले तो हल्दी सिर्फ गालों तक थी, लेकिन फिर…

🎉 "छपाक!" किसी ने एक कटोरी हल्दी सीधा साहिल के सिर पर डाल दी!

"अरे ये क्या कर दिया!" साहिल चौंका, लेकिन यह तो बस शुरुआत थी।

इसके बाद तो जैसे हल्दी की बारिश शुरू हो गई। किसी ने रीतिका के गालों पर इतनी हल्दी लगा दी कि वो नाराज होने का नाटक करने लगी, तो किसी ने साहिल की नाक और ठुड्डी पर हल्दी पोत दी।

फिर अचानक, सहेलियों ने प्लान बना लिया—"दूल्हे को पकड़ो!" .

चार-पाँच लड़कियाँ आगे आईं और देखते ही देखते साहिल का पूरा चेहरा, बाल, हाथ-पैर सब हल्दी से रंग दिया!

"अरे रुको! इतना भी नहीं!" वह हँसते हुए बचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था।

उधर, लड़कों ने भी बदला लेने की ठानी! उन्होंने रीतिका को घेर लिया और उसकी सहेलियों को हटाकर हल्दी से नहला दिया।

"अरे-रे! अब मेरी शादी की तस्वीरें कैसी आएँगी!" रीतिका मुँह बना रही थी, लेकिन उसकी आँखों में सिर्फ खुशी थी।

तभी, अचानक लड़कों की टोली ने मिलकर कुछ और सोचा—

"सिर्फ हल्दी लगाने से मज़ा नहीं आएगा, दूल्हा-दुल्हन को नहलाना भी पड़ेगा!" 😆

पलक झपकते ही, दोनों को पकड़कर हल्दी से भरी बाल्टी उड़ेल दी गई! पूरा मंडप हँसी-ठिठोली से गूँज उठा।

रीतिका चिल्लाई—"साहिर! देखो ना, ये क्या कर रहे हैं!"

साहिल मुस्कुराया—"अब बदला तो बनता है!" और उसने भी हल्दी उठाकर दोस्तों पर फेंकनी शुरू कर दी।

अब कोई नहीं बचा! पूरे घर में हल्दी उड़ रही थी, हर कोई पीले रंग में रंग चुका था—मंडप, कपड़े, बाल, सब कुछ! 

हल्दी की मस्ती के बीच, अचानक साहिल ने हल्के से रीतिका का हाथ थामा।

"आज से हर खुशी, हर तकलीफ में तुम्हारे साथ रहूँगा।"

रीतिका ने हल्की सी मुस्कान दी और बोली—"अब जब तुमने इतना हल्दी लगा ही दिया है, तो पक्का करना कि ये प्यार भी जिंदगीभर इसी तरह बना रहे!"

साहिल मुस्कुराया—"हमेशा!"

हल्दी की रस्म सिर्फ एक परंपरा नहीं थी, बल्कि यह वो पल था, जहाँ हँसी, मस्ती और शरारतें यादों का हिस्सा बन गईं। पूरे घर में खुशी का शोर था, रिश्तेदारों की हँसी थी, और सबसे बढ़कर, दो दिलों का प्यार था।

सूरज ढल चुका था, और पूरा घर पीली और हरी रोशनी से जगमगा रहा था। हर तरफ फूलों की सजावट थी, हवा में चंदन और मोगरे की भीनी-भीनी खुशबू थी। आँगन में बड़े-बड़े झूले लगाए गए थे, जिस पर रंग-बिरंगे रेशमी पर्दे लहरा रहे थे। बीच में एक बड़ा सा स्टेज था, जहाँ होने वाली दुल्हन रीतिका बैठी थी, हाथों में मेहंदी लगवाने के लिए तैयार।

चारों तरफ गूंज रही थी ढोलक की थाप, और औरतें पारंपरिक गीत गा रही थीं—

🎶 "मेहंदी है रचने वाली, हाथों में गहरी लाली…" 🎶

रीतिका हल्के गुलाबी रंग के लहंगे में किसी परी से कम नहीं लग रही थी। उसके गालों पर हल्की लाली थी, और उसकी आँखों में सिर्फ एक ही नाम झलक रहा था—साहिर।

जैसे ही मेहंदीवाली ने उसकी हथेलियों पर डिजाइन बनाना शुरू किया, उसकी सहेलियों ने उसे छेड़ना शुरू कर दिया—

"अरे रीतिका! साहिल से इतना प्यार है कि पूरी हथेली पर उसका ही नाम लिखवा लो!" 

रीतिका शरमाते हुए बोली—"नहीं! नाम तो छोटा-सा और छुपा कर लिखवाऊँगी, फिर साहिल को ढूँढना पड़ेगा!"

"ओहो, रोमांस देखो! लेकिन सुनो, कहते हैं ना कि अगर मेहंदी गहरी चढ़े, तो पति बहुत प्यार करता है!" 

"हाँ हाँ, और अगर मेहंदी काली हो जाए तो समझो, प्यार तो इतना गहरा है कि जनमों तक साथ रहेगा!"

रीतिका बस शर्म से लाल हुए जा रही थी और उसकी सहेलियाँ हँस रही थीं।

तभी हल्का-सा शोर हुआ और सबकी नज़रें साहिल पर चली गईं।

साहिल ने जैसे ही उसे देखा, उसकी आँखें चमक उठीं। वह सफेद कुर्ते में बेहद हैंडसम लग रहा था, और जैसे ही उसकी नज़र रीतिका की मेहंदी लगे हाथों पर पड़ी, वह मुस्कुरा दिया।

उसकी एक दोस्त ने छेड़ा—"देखो, साहिल को बस रीतिका की हथेली दिख रही है! नाम ढूँढने का इतना बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है!"

साहिल मुस्कुराया और मज़ाक में बोला—"नाम तो दिल पर लिखा है, हाथ पर ढूँढने की क्या जरूरत?" 

रीतिका ने झट से अपने हाथ छुपा लिए—"पहले ढूँढो, फिर कुछ कहना!"

साहिल हँस पड़ा—"ठीक है, लेकिन अगर मैं जल्दी ढूँढ लूँ, तो एक शर्त होगी!" 

"क्या?"

"अगर मैं तुम्हारे हाथ में लिखा अपना नाम ढूँढ लूँ, तो तुम मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाओगी!"

सहेलियों ने तालियाँ बजाईं—"वाह! क्या रोमांटिक शर्त है!" 

कुछ ही देर में, जब मेहंदी सूखने लगी, तो सहेलियों ने चिल्लाना शुरू कर दिया—

"अरे, देखो देखो! रीतिका की मेहंदी तो काली हो रही है!" 

"मतलब साहिल का प्यार बहुत गहरा है!"

साहिल ने धीरे से रीतिका की हथेली पकड़ ली और फुसफुसाया—"अब यकीन हुआ?"

रीतिका ने मुस्कुराकर कहा—"हाँ, और ये रंग बस जनमों-जनमों तक यूँ ही बना रहे!"

साहिल ने धीरे से उसके माथे पर एक हल्का सा स्पर्श किया और बोला—"रंग तो चढ़ चुका है, अब ये कभी नहीं उतरेगा!" 

इसके बाद सबने ठुमके लगाए, ढोल की थाप पर नाचना शुरू किया—

🎵 "मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले…"

रीतिका की सहेलियों ने उसे घेर लिया और मज़ाक में कहा—

 "अब तेरी शादी हो रही है, अब तो साहिल के अलावा किसी से बात मत करना!"

साहिल हँसकर बोला—"वैसे भी, मुझे कोई और नज़र ही नहीं आता!"

सभी ने सीटियाँ बजाईं, और माहौल हँसी-ठिठोली से भर गया।

हल्दी की मस्ती और मेहंदी की गहरी लाली के बाद, अब वो पल आ चुका था, जिसका इंतज़ार सिर्फ साहिल और रीतिका ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को था—शादी का शुभ दिन! 🎊✨

यह सिर्फ एक शादी नहीं थी, यह दो आत्माओं का मिलन था, यह प्यार की परिभाषा थी, यह अधूरे रिश्तों को पूरा करने का जश्न था!

शादी के मंडप को दुल्हन की तरह सजाया गया था—हर तरफ फूलों की महक, झूमती झालरें, और चमचमाती रोशनी। बड़ा सा स्टेज, जहाँ सात वचनों की गवाही होने वाली थी, लाल और सुनहरे कपड़ों से ढका था। चारों तरफ दीयों की रोशनी थी, जिससे पूरा माहौल किसी राजमहल जैसा लग रहा था।

बड़े से गेट पर सुनहरी रोशनी की लड़ी लटक रही थी, और जैसे ही हवा चलती, वो किसी सपनों की दुनिया जैसी लग रही थी। फूलों की बरसात के लिए एक खास व्यवस्था की गई थी—जैसे ही दूल्हा-दुल्हन मंडप में आएँगे, पूरा आँगन फूलों से भर जाएगा।

और फिर… वो घड़ी आ गई, जब रीतिका ने मंडप में कदम रखा।

🎶 पृष्ठभूमि में एक मधुर संगीत बजने लगा…

✨ "दिलबरों… दिलबरों…" 🎶

 

 

क्या साहिल और रीतिका की शादी की रस्में कोई रहस्य छिपाए हैं? 🤔💍क्या रीतिका की मेहंदी में सचमुच साहिल का नाम छिपा है? 🧐💖क्या हल्दी की मस्ती से साहिल और रीतिका का प्यार और गहरा हो जाएगा? 🤭✨

 

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........