"रांझना with सफर-17

रीतिका लाल जोड़े में किसी परी से कम नहीं लग रही थी। उसकी आँखों में हल्की नमी थी, लेकिन चेहरा एक नई ज़िंदगी की खुशी से दमक रहा था। उसकी हर एक ज्वेलरी उसके शाही रूप को और भी निखार रही थी—माँग टीका, नथ, भारी कंगन और लंबी चूड़ियाँ, पैरों में पायल की छनक…

जैसे ही वह मंडप की ओर बढ़ी, उसकी सहेलियाँ धीरे-धीरे उसके पीछे चल रही थीं। हर कोई मंत्रमुग्ध था, कोई भी नज़रें हटा नहीं पा रहा था।

लेकिन एक शख्स था, जिसकी आँखों में सिर्फ प्यार था—साहिर।

 

साहिल पहले से ही मंडप में खड़ा था, लेकिन जैसे ही उसने रीतिका को आते देखा, उसकी आँखें नम हो गईं।

"आज तक मैं सिर्फ तुम्हारे साथ जिंदगी बिताने के बारे में सोचता था, लेकिन आज यह सपना हकीकत बन रहा है।" साहिल ने मन ही मन सोचा।

उसकी आँखें कह रही थीं—"आज से तुम्हारी हर तकलीफ मेरी होगी, हर खुशी तुम्हारी मेरी होगी, और यह रिश्ता जनमों तक रहेगा।"

जैसे ही रीतिका और साहिल आमने-सामने आए, पूरे हॉल में गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश शुरू हो गई।

🎶 बैकग्राउंड में "तू ही मेरी शब है, सुबह है…" गाना बजने लगा।

रीतिका ने कांपते हाथों से वरमाला उठाई और धीरे से साहिल के गले में डाल दी। सभी ने तालियाँ बजाईं, और सहेलियाँ चिल्लाईं—"जीजू जीत गए!" 😂

फिर साहिल ने मुस्कुराते हुए उसके गले में माला डाल दी।

यह सिर्फ एक रस्म नहीं थी, यह उनके प्यार की पहली जीत थी।

मंडप के चारों ओर मंत्रों का उच्चारण शुरू हो गया। पंडित जी ने अग्नि प्रज्वलित की, और दोनों ने पहला फेरा लिया।

🎶 "ओ रे पिया…" गाना बजने लगा, और हर किसी की आँखों में नमी थी।

 पहला फेरा – "हम जीवनभर एक-दूसरे का सम्मान करेंगे।"

दूसरा फेरा – "हम हर सुख-दुख में साथ देंगे।"

 तीसरा फेरा – "हम अपने परिवार और रिश्तों की इज्जत करेंगे।"

 चौथा फेरा – "हम हर मुश्किल को साथ मिलकर पार करेंगे।"

 पाँचवाँ फेरा – "हम सच्चे मन से एक-दूसरे को अपनाएँगे।"

 छठा फेरा – "हम हमेशा एक-दूसरे का सहारा बनेंगे।"

 सातवाँ फेरा – "यह रिश्ता सिर्फ इस जन्म का नहीं, अगले सात जन्मों तक रहेगा।"

जैसे ही सात फेरे पूरे हुए, रीतिका की आँखों से आँसू छलक पड़े। साहिल ने हल्के से उसका हाथ थामा और धीरे से फुसफुसाया—"अब से हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

शहनाइयों की मधुर धुन अब धीमी पड़ चुकी थी। मंडप में कुछ ही देर पहले गूँज रही हँसी-ठिठोली, ढोल-नगाड़ों की धड़कन और रिश्तेदारों की खिलखिलाहट अब एक गहरी चुप्पी में बदल गई थी।

अब वो घड़ी आ चुकी थी… बिदाई की घड़ी।

जिस घर में रीतिका ने बचपन से हर खुशी देखी थी, अब उसे उसी घर को हमेशा के लिए छोड़कर जाना था।

रीतिका अपने चाचा के गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगी। उसकी आँखों से आँसू थम ही नहीं रहे थे। यह वही चाचा थे, जिन्होंने उसे गोद में खिलाया था, पहली बार स्कूल छोड़ने गए थे, जब माँ नहीं थी, तब माँ की कमी भी पूरी की थी।

उन्होंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और रुंधे गले से कहा—

 "बेटा, अब तू हमारे घर की मेहमान नहीं, पर हमारे दिलों में हमेशा की बेटी रहेगी। तेरी हर खुशी, हर दर्द हमेशा हमारा रहेगा।"

रीतिका की सहेलियाँ भी अब अपनी सिसकियाँ रोक नहीं पा रही थीं। कुछ देर पहले जो उसे छेड़ रही थीं, अब उसी को गले लगाकर ‘मत जा, मत जा...’ कह रही थीं।

🎶 "बाबुल की दुआएँ लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले…" 🎶

गाना बजते ही माहौल और भी भारी हो गया। कोई भी अपनी आँखों के आँसू रोक नहीं पा रहा था।

रीतिका ने धीरे से नज़रें उठाईं और चारों ओर देखा—हर कोई था, बस उसकी माँ नहीं थी।

उसकी माँ, जो जेल में थी, जिसने इस परिवार को एक दर्दनाक अतीत दिया था।

"काश माँ यहाँ होती… काश वो मेरी खुशी देख पाती…" यह सोचकर उसकी आँखों से और भी आँसू गिरने लगे।

तभी उसके चाचा ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा—

 "तू कमजोर मत पड़, तेरी माँ के बगैर भी तूने ये घर हमेशा रोशन रखा… अब अपने नए घर को भी अपने प्यार से रोशन करना।"

रीतिका ने भारी कदमों से गाड़ी की तरफ बढ़ना शुरू किया। हर कदम के साथ उसके दिल में एक नया दर्द उठ रहा था।

 पहला कदम… वो आँगन छूट रहा था, जहाँ उसने पहली बार चलना सीखा था।

 दूसरा कदम… वो दरवाज़ा छूट रहा था, जहाँ बैठकर वो घंटों अपनी सहेलियों के साथ बातें करती थी।

 तीसरा कदम… वो दहलीज छूट रही थी, जहाँ से उसने पहली बार स्कूल के लिए कदम बढ़ाए थे।

 और आखिरी कदम… वो छत छूट रही थी, जिसके नीचे उसने अपने सबसे प्यारे सपने देखे थे।

जैसे ही वह गाड़ी के पास पहुँची, उसने पीछे मुड़कर देखा—हर कोई रो रहा था।

रीतिका की आँखों से आँसू थम ही नहीं रहे थे।

लेकिन तभी, एक गर्माहट भरा स्पर्श उसकी हथेली पर महसूस हुआ।

साहिर।

उसने हल्के से रीतिका का हाथ थामा और उसकी आँखों से बहते आँसू अपने हाथ से पोंछ दिए। उसकी आँखों में मजबूती थी, प्यार था, एक वादा था—

"अब से तुम्हारे आँसू मेरी जिम्मेदारी हैं, मैं कभी तुम्हें रोने नहीं दूँगा।"

रीतिका ने एक गहरी साँस ली और उसकी आँखों में देखा—एक विश्वास, एक भरोसा।

🎶 "मुझे हर दर्द गवारा है, बस तू साथ निभाना…"

जैसे ही रीतिका गाड़ी में बैठी, पूरे आँगन में फूलों की बारिश शुरू हो गई।

सफेद और लाल गुलाब की पंखुड़ियाँ हवा में बिखर गईं—एक युग की विदाई और एक नई ज़िंदगी की शुरुआत का संकेत।

गाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी।

पीछे छूट रहा था उसका घर, उसके बचपन की यादें, उसके रिश्ते… लेकिन साथ में था साहिल का साथ, एक नया संसार, एक नया परिवार।

साहिल ने मुस्कुराकर उसका हाथ थामा और धीरे से कहा—

 "अब से हम एक हैं।"

रीतिका ने आँसू भरी आँखों से मुस्कुराकर सिर हिला दिया।

यह शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं था।

यह दो कहानियों का मिलन था।

 यह अधूरी तकदीरों का पूरा होना था।

 यह उस प्यार का साक्षी था, जो हर मुश्किल, हर दर्द के बावजूद भी जीत गया।

अब उनके जीवन में आगे क्या होगा? क्या उनका प्यार यूँ ही बना रहेगा?

लेकिन एक बात तो तय थी—

 यह रिश्ता सिर्फ एक जन्म का नहीं… यह जनम-जनम तक कायम रहने वाला था। ❤️✨

साहिल और रीतिका की शादी को कुछ महीने बीत चुके थे। दोनों अपनी दुनिया में खोए हुए थे, मानो ज़िंदगी अब सिर्फ खुशियों से भरी हो। हर सुबह उम्मीदों से भरी होती और हर रात मीठी बातों और प्यार के एहसास में गुजरती। चारों तरफ बस हँसी-खुशी का माहौल था। ऐसा लगता था जैसे समय खुद भी उनकी इस दुनिया का हिस्सा बन गया हो और उनकी खुशियों के साथ बह रहा हो।

समय बीतता गया और फिर वह दिन आया, जब उनके प्यार की एक नन्ही सी कली ने इस दुनिया में जन्म लिया। उसकी पहली किलकारी के साथ ही मानो पूरा घर खुशियों से गूंज उठा। हवाएँ ठंडी और मदहोश लगने लगीं, फूलों की महक और तेज हो गई, और हर तरफ सिर्फ आनंद ही आनंद था।

साहिल ने पहली बार अपनी बेटी को गोद में उठाया, उसकी छोटी-छोटी उँगलियाँ अपनी उँगलियों में फँसाईं और उसके चेहरे को निहारा। उसकी आँखों में नमी थी, लेकिन ये आँसू सिर्फ खुशी के थे। उसने धीरे से फुसफुसाकर कहा, "मेरी बेटी... मेरी आन्या..."

रीतिका, जो अभी-अभी माँ बनी थी, बिस्तर पर लेटी हुई यह दृश्य देख रही थी। उसकी आँखों में अनगिनत भाव थे—खुशी, स्नेह, आश्चर्य और अपार ममता। उसने अपने हाथ बढ़ाकर साहिल से बेटी को अपनी गोद में लिया और उसे सीने से लगा लिया। मानो इस नन्ही सी जान को कभी खुद से अलग नहीं करना चाहती हो। उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन वह मुस्कुरा रही थी।

 

 

क्या रीतिका की माँ कभी वापस आएगी और उनकी खुशी में शामिल होगी? 😢साहिल और रीतिका की शादी के बाद उनके जीवन में कौन सी अनकही मुश्किलें सामने आएंगी? 💔क्या रीतिका और साहिल का प्यार सच में सात जन्मों तक रहेगा, या उन्हें कुछ और चुनौती का सामना करना पड़ेगा? 💫

 

 

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........