5.क़यामत के दिन शुरू हो रहे है

आज फिर से बर्फ पड़ी थी । ये लगातार तीसरे दिन हुआ था। सड़के अभी भी जमी हुई थी। ठंड इतनी थी कि शायद ही कोई आज बाहर निकलेगा फिर भी मंकीटॉपी और फटी जैकेट पहने साइकिल की घंटी बजाते हुए अखबार वाला गली-गली में अखबार बांट रहा था । उसने गली के सबसे अंतिम घर को देखा और एक ठंडी आह भरी । यह आखिरी था। उसने अखबार उस घर के गार्डन में फेंका और चिल्लाया ,"अब के आऊंगा तो पैसा ले जाऊंगा"

उसके जाते ही एक 25 साल का युवक निकला जो अपनी गर्दन खुजाता हुआ । अखबार उठा लेता है और दरवाजा बंद करके अंदर चला जाता है । उसने अखबार टेबल पर रखा और उसे खबर दिख गई ,

 " पुलिस नाकाम देहरादून खतरे से खाली नहीं "

उसे पता था की घटनाएं अपने चरम पर है। वह खबरें पढ़-पढ़ कर थक चुका था। उसका आलस्य या यूं कहे कि उसका घमंड उससे इस चारदीवारी के बाहर जाने से उसे रोक रहा था।

वह गहरी सोच में डूबा था और उसकी चाय उबल रही थी। उसने अपने कमरे को देखा जो पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था कई प्रकार की किताबें और अजीब से खिलौने बिखरे पड़े थे। उसे याद आया कि उसके पिता ने इसी कमरे में खुद को फांसी लगाई थी। यह सब कुछ उसके सामने हुआ था और वह वहीं था जिस कुर्सी पर अभी बैठा था, बंधा हुआ , बेबस...

बायी तरफ गर्दन घुमाई तो उसे रूम की दीवारों पर लगे दर्पण दिखे जिसमें उसका धुंधला चेहरा था और उसकी आंखों में आंसू थे। उसने अखबार फाड़ा और अपना चेहरा साफ करने का नाकाम प्रयास किया। यकायक उसके पिता की आंखें उसे घूरने लगी थी पर वहां कोई नहीं था। उसका हाथ और चेहरा कांपने लगा । वह भागा और बाथरूम में घुसकर दरवाजा बंद कर दिया।

यह पार्थ था लद्दाख के बर्फीले क्षेत्र में जो बेंग्लोर से बहुत दूर था । घर की दीवारों पर उसके सर्टिफिकेट्स थे जो उसकी काबिलियत दिखाते थे । एक कमरा केवल किताबों के ढेर से भरा था । किचन में कॉफी की महक भरी हुई थी ।

 लगभग एक घण्टे बाद पार्थ बाथरूम से शांत होकर बाहर निकला और वो मनहूस किताब बाहर निकाली जिसे वो अनगिनत बार पढ़ चुका था । उसकी किताबों के शीर्षक किसी जनजाति की रिसर्च की और इंगित करती थी ।

' अनसुनी जनजाति की परम्परा '

'प्राचीन कालीन जनजाति '

' भारत की विचित्र जनजातिया '

उसने फिर से कहानी दोहराई । भारत की सबसे पुरानी जनजाति जिसमें सिर्फ औरते हुआ करती है । इस जनजाति की उत्पत्ति के विषय में तथ्यों की कमी है इस जनजाति पर रिसर्च करते एक ब्रिटिश इतिहासकारों के समूह की हत्या कर दी गई और कुछ पागलों की नरभक्षी की तरह घूमे

शुरुआती लक्षणों में ये जनजाति अगली पीढ़ी के लिए किसी व्यक्ति को चुनती है और उससे संतान प्राप्ति कर या तो उसे मार देती है या दयाभाव दिखाकर नरभक्षी बनाकर छोड़ देती है या

ये व्यक्ति खुदखुशी करके स्वयं देह त्याग कर लेते है

पार्थ को अचानक खुद के पिता फांसी लगाते याद आये उसका शरीर ठण्डा पड़ गया

उसने वापस पढ़ना शुरू किया

ये औरते हमेशा लड़की को ही जन्म देती है और यदि लड़का पैदा हो तो उसे कैद रखा जाता है । ये लड़के युवा होकर उम्र के इसी पड़ाव पर रुक जाते है । इस युवा लड़को की आर्मी का कोई न कोई मकसद जरूर लगता है परंतु अज्ञात है क्योंकि ये पूरी कहानी ही बेकार और मनघड़त लगती है हालांकि कुछ मानते है कि ये आर्मी मानव जाति के अंत का कारण बनेगी पर ऐसी आर्मी भारत में बिना दिखे कौनसे कैद खाने में छिपी रह सकती है शायद ये हजारों लाखों हो जो बचपन से कैद है ऐसे कैदियों की मानसिकता क्या होगी जिन्होने रोशनी और बाहरी दुनिया नही देखी । खैर असम की कई जनजाति इन औरतो की श्रृंखला को मानती है और जादू टोने की शिक्षा के लिए इन्हे पूजती भी है

सबसे अजीब बात तो ये है कि ये अपनी कोई भाषा नही इजाद कर पाये है या यू कहे ये कोई भाषा इजाद करना नही चाहते । ये आपस में इशारों में बात करते है और दैनिक कार्य करते है ।

ये जादू टोने में निपुण है ये इनकी सबसे भिन्न खासियत है जो वैदिक काल से चली आ रही है ।

जो इन्हें पूजते है वो कहते है कि ये दुनिया के कयामत के दिन की शुरुआत करेंगें और शुरुआत इनके सबसे खास पसंदीदा जानवर से होगी - कुत्ता

पार्थ ने किताब दूर फेंक दी और बिस्तर पर पेट के बल लेट गया उसके बाल व दाढ़ी काफी समय से कटवाये नही गये थे ।

* *

देहरादून के पहाड़ी इलाके से उतरता एक औरतों का झुंड अपने चेहरे घूंघट से ढककर चला आ रहा था उनकी चाल किसी बेहतरीन पहाड़ी लड़ाकू जैसी थी ।

एक कुत्तो का झुंड उन्हें देखकर अजीब सी आवाज में भौंकने लगे मानो डर की चरम सीमा पर हो । कुछ कुत्ते भाग खड़े हुए पर कुछ को किसी बेरहम जानवर की तरह गर्दन से पकड़ कर मुंह को अलग कर दिया उन औरतों के कपड़े और हाथ खून से भरे थे

उनमें से एक औरत ने इशारे से दूसरों को रोका और लौटने का आदेश दिया ।

 

 ***

जय के घाव अभी भरे नहीं थे। उसे नंदलाल की स्थिति का अंदाजा तो हो गया था पर उस पर गुस्सा भी आ रहा था ।संजना आई और जय को नाश्ता खिलाने लगी।

' जय ' ,संजना ने कहा।

जय ने कोई जवाब नहीं दिया और खिड़की के बाहर की धुंध देखता रहा। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका था। 

" जय सुनो, यह सब कुछ हमारा काम नहीं है ,मेरी बात मानो तो सब पुलिस को बता कर इस मामले को उन पर छोड़ देते हैं ।"

जय ने चुप्पी साध रखी थी।

 ***

"5 दिन बीत चुके हैं, लगभग 10 से ज्यादा मौतें जिसका कोई जवाब नहीं है प्रशासन के पास। जिसने ऐसा किया है और जो पूरे शहर के लिए खतरनाक हैं... वह गायब हैं, जयशंकर। जिसे पकड़ने में भी पुलिस नाकाम है। हालांकि प्रशासन ने मौके पर इंस्पेक्टर राजेश और हवलदार मिश्रा को लापरवाही के चलते इस केस से दूर कर दिया है और सस्पेंड भी। सतर्क रहें ___मैं आराधना ___कल तक से।"

अराधना ने काम पूरा किया, लंबी सांस ली और स्नेह से मयंक को देखा और कहा , "ठीक है , पैर "

"तेरी मेहरबानी से" मयंक ने हंसकर कहा।

अराधना ने उसके कंधे पर हल्के से मारा और माफी मांगने जैसा चेहरा बनाया।

"तुम लड़कियां सीधे सॉरी नहीं बोल सकती ना"

"नहीं" आराधना हंसी और जाने लगी।

"अब कहां ?"

"मानव रायचंद" आराधना ने जाते जाते कहा ।

"मैं भी आता हूं" वह लंगड़ा कर चलने लगा।

"रहने दो मयंक, आराम करो"

"मैं चलूंगा"

आराधना मुस्कुरा दी।

 *

5 दिन बीत चुके थे। मिश्रा ने अपनी पत्नी की फोटो को साफ करते हुए सोचा कि तीन ऐसे लोग हैं जो शहर में कहीं ना कहीं घूम रहे हैं और कभी भी एक और मौत की न्यूज़ आ सकती हैं। लेकिन तीसरा कौन था–जयशंकर,मानव और तीसरा । पूरे शहर में नाकाबंदी तो थी पर किसी का ध्यान मानव रायचंद पर नहीं था जो अभी खुल के सामान्य जीवन जी रहा था। सामने से अमन अंदर आया और सोफे पर बैठ गया।

"मिश्रा जी?" अमन ने कहा,"मानव रायचंद को बेंग्लोर की पुलिस ने 4 हत्या का दोषी मान लिया है"

मिश्रा उत्साहित होकर उछल पड़ा।

"क्या बात कर रहे हो!"

"पर वह लापता है, उसे पकड़ने गए तो वह मिला ही नहीं"

अमन ने कहा ।

मिश्रा वापस ढीला पड़ गया।

अचानक से मिश्रा वापस उछल पड़ा।

"जय"

"कौन जय ?"

"मुझे लगता है, जय बहुत कुछ जानता था। शायद उसे पता हो तीसरा कौन है?"मिश्रा जैसे खुद को ही बता रहा था क्योंकि अमन कुछ समझ नहीं पा रहा था। अमन तो अखबार को पढ़ने में मशगुल था जिसमें कुत्तो के अक्रामक होकर एक व्यक्ति को मारने और 2 को घायल करने की खबर थी ।

" क्या - क्या हो रहा है इस शहर में " अमन ने हैरानी से कहा ।

" कयामत के दिन शुरू हो रहे है " मिश्रा ने मजाक में कहा

 *

इंस्टाग्राम - pj__paras