कीर्ति का डर

एक छोटे से घर मे चहल पहल मची थी। सब खुश थे। तभी वहां किसी की दस्तक हुई। दो आदमी ब्लैक मास्क पहले अंदर आये। और रौब के साथ सोफे पर बैठे हुए बोले हां तो इंस्पेक्टर बोलो क्या सोचा आप ने हमारे डील के बारे मे। जिस पर वहां खड़े एक आदमी जिसका नाम कर्तव्य था। उसने कहा मै तुम लोगो की डील ठुकराता हु।

ये है कर्तव्य एक पुलिस इंस्पेक्टर इनकी वाइफ कीर्ति और एक बच्ची आसी ये तीनो साथ रहते है।खैर आगे इनके बारे मे पता चलेगा।

कर्तव्य की बात सुनते ही वो दोनों आदमी गुस्से मे उबलने लगे।

दोनों आदमी अपनी जगह से उठते हुए कहते हैं, "इंस्पेक्टर साहब, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। सोचिए आपकी छोटी सी बच्ची है। कहीं उसे कुछ...।" वो आगे कुछ कहता, उससे पहले ही कर्तव्य ने अपनी गन निकालते हुए कहा, "तुम लोग यहाँ से निकलते हो या मैं धक्के मारकर दुनिया से ही निकल दूं। तुम जैसे कुत्तों को तो धरती पर बोझ भी नहीं कह सकते।"

कर्तव्य की बातें सुनकर दोनों आदमी गुस्से में उबलने लगे और घर से निकलते हुए बोले, "याद रखना इंस्पेक्टर, ये गलती तुम्हें बहुत महंगी पड़ेगी। तुम्हें ऐसे हमारी डील ठुकरानी नहीं चाहिए थी। अब देखो क्या होता है। तुम्हारे और तुम्हारे इस परिवार का देखते है कैसे बचाओगे तुम इन्हें।" उनकी बातें सुनकर कर्तव्य ने उन्हें इग्नोर कर दिया।

पर वहीं सीढ़ियों पर खड़ी कीर्ति ने जैसे ही उनकी आशी को लेकर धमकी सुनी, उसे डर लगने लगा। वो आशी को रूम में छोड़कर खुद बाहर आई और सारी बातें सुनी। अब उसके मन में एक डर बैठ गया। वो कर्तव्य के पास आई और उससे पूछने लगी, "ये लोग कौन थे? और इन्हें आपसे कौन सी हेल्प चाहिए थी , जिसे आपने करने से माना कर दिया और यह धमकी देते हुए गए हैं.?

उसे परेशान देखकर कर्तव्य ने उसे समझाते हुए कहा, "तुम फिक्र मत करो, मैं देख लूंगा।" लेकिन कीर्ति ने बिना उसकी बात सुने कहा, "क्या आपको समझ भी आ रहा है? हमारी बच्ची को उनसे खतरा है। और आप कहते हैं कि मैं फिक्र ना करूं। ऐसे कैसे? वो लोग दिखने में ही कितने पावरफुल लग हैं। मैं ऐसे शांति से नहीं बैठ सकती। यहाँ बात हमारी बच्ची की है। और उसके मामले में मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती।"

उन्हें पैनिक करता देख कर्तव्य उसे संभालते हुए कहता है, "कीर्ति, कूल डाउन। मैं आशी को कुछ नहीं होने दूंगा। तुम उसके लिए परेशान मत हो।"

कीर्ति को समझाने की कोशिश करते हुए उसने कहा, "कीर्ति, मैं समझता हूँ तुम आशी के लिए परेशान हो। लेकिन मैं इन लोगों को नहीं जानता, और न ही मैं जानता हूँ कि वे क्या चाहते हैं। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि अपनी बच्ची की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाऊँगा।"

कीर्ति ने कर्तव्य की बातें सुनकर कहा, "लेकिन आपने उनका ऑफर ठुकरा दिया है। अब वे हमें धमकी दे रहे हैं। मैं कहती हूँ हम यहाँ से दूर चलें।"

कर्तव्य ने कहा, "नहीं, हम यहाँ से नहीं जाएंगे। मैं इन लोगों से नहीं डरने वाला। अपनी बच्ची के लिए मैं अपने देश से गद्दारी तो नहीं कर सकता। मुझे दोनों की सुरक्षा करनी है।" अगर यह करते हुए मैं मर भी जाऊँ तो मुझे कोई चिंता नहीं है...🫡🫡🫡

अचानक, कर्तव्य के फोन पर एक कॉल आया। उसने कॉल पिक किया और कहा, "हैलो।"

दूसरी तरफ से एक भरी रोबदार आवाज आई, "इंस्पेक्टर कर्तव्य, तुमने हमारे साथ दोस्ती का ऑफर ठुकरा कर अच्छा नहीं किया। अब तुम्हें इसका परिणाम भुगतना होगा।"

कर्तव्य ने कहा, "कौन हो तुम? और क्या चाहते हो?"

दूसरी तरफ से आवाज आई, "तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा। बस इतना कहूँगा कि तुम्हारी बेटी के लिए यह अच्छा नहीं होगा।"

कर्तव्य ने कहा, "तुम्हारे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है कि तुम मेरी बच्ची को छूने की भी कोशिश कर सको। अगर तुमने ऐसा कुछ भी किया तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगा।"

दूसरी तरफ से आवाज आई, "देखते हैं कि तुम कैसे हमें रोकते हो।"

फोन कट गया, और कर्तव्य ने कीर्ति की ओर देखा। उसने कहा, "मैं चलता हूँ। मुझे लेट हो रहा है। तुम फिक्र मत करो, कुछ नहीं होगा।"

कीर्ति जो उससे पूछना चाहती थी कि आखिर कॉल पर कौन था, क्या कहा उसने जिसे सुनकर कर्तव्य को इतना गुस्सा आया, लेकिन वो वहीं खड़ी रह गई।

वहीं दूसरी तरफ आशी स्कूल पहुंच गई थी। ड्राइवर ने उसे अंदर छोड़ा और खुद बाहर आ गया।

वहीं दूसरी तरफ आसी स्कूल पहुंच गई थी। ड्राइवर ने उसे अंदर छोड़ दिया और खुद बाहर आ गया। जैसे ही वह बाहर आया, एक कार उसके सामने आ रुकी। उसने देखा कि सामने कर्तव्य खड़ा था। कर्तव्य उसके पास आया और बोला, "तुम कौन हो, यह किसी को पता नहीं चलना चाहिए। तुम्हें मेरी बच्ची पर नजर रखनी है। उसे किसी अनजान इंसान के पास जाने की परमिशन नहीं है। कोई उसके पास आने न पाए। मेरी बच्ची की जिम्मेदारी तुम्हारी है, राघव। उसे कुछ होने मत देना।"

राघव, जो एक अंडर कवर पुलिस इंस्पेक्टर था, चुपचाप कर्तव्य की बातें सुनकर अपना सिर हिला दिया। कर्तव्य वहां से पुलिस स्टेशन जाने के लिए निकल गया।

उसके जाने के बाद राघव वापस कार में बैठ गया और वहीं से चारों तरफ नजर रखने लगा। आसी अपनी क्लास में थी। कर्तव्य स्टेशन पहुंच गया था। कीर्ति घर में बैठी काम करते हुए अब भी वही सब सोच रही थी।

कुछ दिनों तक कर्तव्य घर देर रात आता सुबह जल्दी चला जाता उसके ऊपर काम का प्रेसर बहुत बढ़ गया। उस पर अपने परिवार की सेफ्टी कर्तव्य काफ़ी परेशान रहने लगा वो बाहर से खुद को भले ही शांत दिखा रहा था। लेकिन अंदर से तो उसका दिल भी बेचैन रहता।

एक एक दिन जैसे बीत रहा था। उनके लिए जैसे कोई मुसीबत टल रही थी। कर्तव्य को इतना परेशान देख कीर्ति भी परेशान रहने लगी। आशी तो बच्ची है। उसे इन सब का क्या ही मालूम वो कर्तव्य और कीर्ति को ऐसे देख एक दिन हॉल मे आ कर सोफे पे मुँह फुला कर बैठ गयी।

उसे ऐसे देख कर्तव्य जो वही बैठा कुछ काम कर रहा था। वो आसी के पास आता है। और पूछता है प्रिंसेस क्या हुआ आप को हमारी प्रिंसेस का चेहरा उतरा क्यूँ है। क्या आप को कुछ चाहिए। उनके पूछने पर छोटी सी आसी अपना मुँह दूसरी तरफ कर बैठ गयी।

कर्तव्य को समझते देर नहीं लगी उनकी प्रिंसेस नाराज़ है। उसके फेस पर छोटी सी स्माइल आ गयी। उसने आसी को अपनी गोद मे उठाया और गोल गोल घुमाते हुए कहा मेरी प्रिंसेस डैडा से कितनी देर तक नाराज़ रह सकती है। जिस पर आसी हस्ते हुए बोली ित्तु सा भी नहीं। आज काफी दिनों बाद घर मे फिर से खिलखिलाहट गूंज रही थी।

कुछ दिन यूँ ही बीत गए। सब ठीक ही चल रहा था।

24 अप्रैल....।

क्या होने वाला है इस दिन कुछ ऐसा जो बदल देंगे एक खुशहाल परिवार की पूरी जिंदगी......?

मिलते हैं अगले भाग में ...., तब तक के लिए आप लोग भी सोचिए.......

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