प्रलय राणा माफिया किंग

उस लड़के को ऐसे देख उसकी साइड में ड्राइविंग सीट पर बैठा लड़का उसे घूर कर देखते हुए बोला, "इसे क्या हो गया? स्टैचू क्यों बन गया? कहीं इस बेचारी मासूम पर ना भड़क जाए। चल अवि, इस सोते हुए शैतान को जगाने से पहले इस लड़की से पूछ क्या चाहिए इसे।" खुद में ही बड़बड़ाते हुए वो जो लड़का ड्राइविंग सीट पर बैठा है, जिसका नाम अविनाश अग्निहोत्री है, उसने बाहर खड़ी लड़की से पूछा, "क्या हुआ आप को? कोई प्रॉब्लम है?"

उसके पूछने पर उस लड़की ने अपने हाथ में लिए बॉक्स को आगे बढ़ा दिया। जिसे देख कर अवि ने कहा, "अच्छा आप को डोनेशन चाहिए।" इस पर उस लड़की ने धीरे से अपना सर हां में हिला दिया। जिसे देख अवि के चेहरे पर स्माइल आ गई। और उसने कार की डेसबोर्ड से पैसे निकले और दो हजार का एक नोट उस बॉक्स में डाल दिया।

उसके बाद वो लड़की वहां से दूसरी तरफ बढ़ गई। वो तो चली गई, लेकिन वो लड़का जो कब से उसे देखे जा रहा था, उसकी नज़रे अब भी उसी तरफ थी जहाँ से वो लड़की गई थी। लड़के की उम्र लगभग 27, 28 की होगी। उसके साथ में बैठा हुआ लड़का भी इसी उम्र का था। दोनों हम उम्र ही थे।

वहीं जब ड्राइविंग सीट पर बैठे अवि ने देखा उसके बगल वाला लड़का अब भी उसी तरफ देख रहा जहाँ से वो लड़की गई। उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट बिखर गई। उसने धीरे से उस लड़के की आँखों के सामने अपने हाथों को हिलाया जैसे उसे होश में ला रहा हो। उसके ऐसा करने से हुआ भी वही, वो लड़का अपने खयालों से बाहर आया और अवि की तरफ घूर कर देखने लगा। उसके ऐसे घूरने से अवि मुँह बनाते हुए बोला, "देख तो ऐसे रहा है जैसे अभी खा जाएगा।"

उसका बड़बड़ाना सुन दूसरे लड़के ने कहा, "चुप चाप गाड़ी आगे बढ़ाओ, दिखाई नहीं दे रहा सिग्नल ग्रीन हो गया है।" उसकी बात का जवाब देते हुए अवि ने कहा, "मुझे तो दिख रहा है, लेकिन कोई है जिसे लगता है मैं देख नहीं सकता।" उसकी आँखें किसे निहार रही थीं। अवि की बात सुन वो लड़का बोला, "कुछ ज्यादा नहीं दिख रहा तुम्हें? ऑस्ट्रेलिया का प्रोजेक्ट है, अभी सोच रहा हूं क्यों ना तुम्हें भेज दूं।" बस इतना सुनने की देर थी कि बेचारे अवि का मुँह बन गया। और उसने कार स्टार्ट करते हुए कहा, "नहीं मैं क्यों जाऊं? मैं नहीं जाऊँगा, तू ही जा अपनी शासा के पास, मुझे यहीं रहना है।"

अब उस लड़के का चेहरा डार्क हो गया। अवि को गर्मी सी महसूस होने लगी, जिससे उसने जल्दी से बात को बदलते हुए कहा, "अच्छा वो सब छोड़, ये बता कैसी लगी? वैसे आँखों से तो मासूम लग रही थी। तुझे क्या लगता है? इनफार्मेशन निकलवानी चाहिए?" अगर तुझे चाहिए तो बता दें आज ही सारी डिटेल्स तेरे सामने होंगी।

हां उस लड़के का नाम प्रलय सिंह राणा है, प्रलय सिंह राणा जिसके दोस्तों से ज्यादा दुश्मन हैं। दोस्त के नाम पर बस अविनाश अग्निहोत्री, जो प्रलय के एकदम उलट है। जहां प्रलय किसी से कोई मतलब नहीं रखता, बात करना तो जैसे उसे उम्र कैद की सजा लगती है। ना ज्यादा बोलना, बस दिन भर काम में रहना। उसके फेस पर एक अलग रौब रहता है।

वहीं अविनाश के चेहरे से स्माइल कभी जाती ही नहीं, वो खुद में ही मस्त रहने वाला इंसान है। इसके लिए प्रलय से पहले प्रलय के बाद कोई नहीं, दोनों एक दूसरे की जान हैं। प्रलय कभी जताता नहीं लेकिन अविनाश को पता है, वो उसके लिए क्या है। वैसे तो ये दोनों पार्टनर हैं, लेकिन अविनाश , प्रलय का पर्शनल असिस्टेंट भी है, उसका राइट हैंड। काली दुनिया के सारे काम अविनाश ही संभालता है।

अब आप लोगों को अविनाश अग्निहोत्री से मिलाते हैं। गोरा रंग, भूरे बाल जो हल्के लंबे थे, उम्र 28, ब्लू आइस, पिंक लिप्स, कान में सिल्वर इयररिंग, गले में सिल्वर चेन, एक हाथ में ब्रेसलेट जिसमें डायमंड लगे हुए थे। ये ब्रेसलेट प्रलय ने ही दिलाया था, जिस वजह से अविनाश कभी इसे नहीं निकालता। उसकी जान बसती है इस ब्रेसलेट में।

खैर, उनकी कार एक बड़े से मेंशन के सामने आकर रुकी, जिसके ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में अनुप्रिया मेंशन लिखा हुआ था। बॉडीगार्ड पूरे मेंशन को प्रोटेक्शन देते हुए एक लाइन में खड़े हुए थे। ब्लैक ड्रेस में खड़े उन गार्ड्स के लेफ्ट आर्म पर black panther का टैटू बना था, जो यूनिक तरीके से बनाया गया था। जिसे देखकर ही नार्मल इंसान के अंदर एक डर की झलक देखी जा सकती थी।

पूरे मेंशन को कुछ इस तरह उन्होंने घेर रखा था कि एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता। उनमें से एक गार्ड ने जाकर कार का डोर ओपन किया, जिससे प्रलय रौब के साथ बाहर आया। उसके साथ ही अवि भी अपनी साइड से बाहर निकला। दोनों ही फुल स्टाइल से एक हाथ पेंट की पॉकेट में डाले मेंशन के अंदर आते हैं।

जहां हॉल में ही एक आदमी बैठा किसी से बात कर रहा था, लेकिन प्रलय बिना उसकी तरफ देखे वहां से सीधे स्टेयर्स की तरफ जाने लगा। वहीं अवि वो हॉल के दूसरे साइड चला गया। अभी प्रलय ऊपर जाता उससे पहले ही एक रौबदार आवाज़ उसके कानों में पड़ी। "ये क्या कर के आये हो तुम?" उसकी आवाज़ को सुन प्रलय ने अपनी आँखें भींच लीं। वो अब भी पलटा नहीं था, अपनी जगह वैसे ही खड़ा था।

जिसे देख वो आदमी जिसकी उम्र लगभग 50 के आसपास होगी। लेकिन वो इस उम्र में भी काफी हैंडसम और अट्रेक्टिव लग रहा था। देखकर तो कोई नहीं कह सकता ये आदमी 50 का होगा। थोड़ा थोड़ा प्रलय की तरह लग रहा था। लगे भी क्यों ना बाप बेटे जो हैं। हां ये हैं दिग्विजय सिंह राणा प्रलय सिंह राणा के एक लौते बाप। इनकी आपस में बिल्कुल नहीं बनती क्योंकि दोनों एक जैसे ही हैं। कोई किसी से कम नहीं होना चाहता।

दिग्विजय को अपने बेटे के काली दुनिया में कदम रखने से ही प्रॉब्लम थी। वो नहीं चाहते थे कि उनका बेटा उनके नक्शे कदम पर चले। लेकिन उनकी सोच के उलट उनके बेटे ने अपनी ही दुनिया बना ली जहां उसकी हुकूमत चलती है। बिना उसकी इजाजत एक पत्ता भी नहीं हिलता। वो किसी के आगे नहीं झुकता। अंडरवर्ल्ड के बड़े बड़े माफिया उसकी कदमों में झुकते हैं। जहां के लोग उसे ब्लैक पैंथर के नाम से जानते हैं।

ब्लैक पैंथर ये सिर्फ एक नाम नहीं, दहशत है। जो दुनिया के हर इंसान के दिलों में बैठा है। इस नाम से ही लोग काँपते हैं। बस एक नाम और लोग आ गए घुटनों पर। प्रलय की आँखें अब भी बंद थीं, जैसे वो अपने पिता की बातों को सुनने से बचने की कोशिश कर रहा हो। दिग्विजय जी की आवाज़ में एक गहरी नाराजगी थी, जो प्रलय को भी समझ आ रहा था।

"तुम्हें समझ नहीं आता कि तुम्हारे ये काम तुम्हारी जान ले लेंगे?" आप को क्यूँ अपनी जान कि परवाह नहीं है।दिग्विजय की आवाज़ और भी सख्त हो गई। प्रलय ने अभी भी अपनी आँखें नहीं खोलीं, लेकिन उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट आ गई। जैसे वो अपने पिता की बातों को पहले से ही जानते हों और उसका जवाब पहले से ही तैयार हो।

"मैं जानता हू डैड ा। लेकिन मैं अपने रास्ते पर चलूंगा। आपने अपना रास्ता चुना, मैंने अपना चुना है।" प्रलय की आवाज़ में एक ठहराव था, जैसे वो अपने पिता को समझाने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन दिग्विजय की आँखों में कुछ और ही दिख रहा था। उन्हें ये डर हर समय लगा रहता कि कही उनके बच्चे को कुछ हो ना जाए।

आगे जारी....