सुबह का वक्त
अभय उबासी लेते हुए उठता है और जैसे ही चलने को आगे बढ़ता है, कहता है, "पता नहीं, आज बॉडी इतनी हल्की-हल्की क्यों लग रही है।"
तभी उसे सामने दिखाई देता है कि एक लड़की खड़ी हुई है, जिसने अजीब कपड़े पहन रखे हैं। मानो कहीं की राजकुमारी हो।अभय चौंक कर बोलता है, "तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो? और कौन हो तुम?"
लेकिन अभी उसे झटका तब लगता है, जब ध्यान से देखने पर पता चलता है कि वह इस वक्त आईने में देख रहा है।
अभय बुरी तरह से हैरान था और वह आईने में अपनी शक्ल की तरफ देखे जा रहा था। वह सोच रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है, क्योंकि वह अब किसी लड़की के शरीर में था। अपने हाथ और चेहरे को छूते हुए, अभय आईने की तरफ देखता जा रहा था।
अभय रोनी शक्ल बनाकर अपने आप को आईने में ही देख रहा था और घबराते हुए कहता है, "ये... ये... मेरे साथ क्या हो गया? नहीं, मैं कोई सपना देख रहा हूँ!" इतना कहकर वह अपने चेहरे पर जोर से तमाचा मारने वाला था, लेकिन तभी वह धीरे से अपने गाल पर चिमटी काटता है। दर्द से उसे समझ आ गया कि वह कोई सपना नहीं देख रहा।
वह अपने आसपास के माहौल को देखकर भी पूरी तरह से हैरान था। बाहर का नजारा कुछ अलग ही लग रहा था, मानो वह किसी पुराने समय में आ गया हो। उससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह थी कि उसने आग में जलते हुए एक पक्षी (फीनिक्स) को उड़ते हुए देखा।
इसे देखकर अभय के होश उड़ गए। धीरे से कहता है, "क्या मेरे मरने के बाद दोबारा जन्म हो गया है? नहीं, नहीं, यह तो नहीं हो सकता। मुझे अच्छे से याद है कि रात को मैं अपने घर में सो रहा था।"
थोड़ी देर बाद, अपने आप को शांत करने के बाद, वह आराम से बैठकर कल की सारी बातें याद करने की कोशिश करता है। अचानक अभय के सिर में तेज दर्द महसूस होने लगता है और उसकी आँखों के सामने दृश्य चलने लगते हैं।
उसमें एक औरत, जो इस शरीर की असली मालकिन से कह रही थी, "राजकुमारी आशा, आप क्या कर रही हैं? अगर आप इसी तरह इन मंत्रों को पढ़ती रहेंगी, तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो सकती है।"
लेकिन यह सब सुनने के बाद भी वह लड़की, जो पेड़ की जड़ों में लिपटे पत्थर पर लिखे मंत्र पढ़ रही थी, मंत्र पढ़ना जारी रखती है। थोड़ी देर बाद अभय को ये सब दृश्य दिखाई देना बंद हो जाते हैं।
फिर अभय गहरी सांस लेने लगता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ।
एक दिन पहले
अभय अपने कॉलेज से थका-हारा घर आता है। जैसे ही वह घर का दरवाजा खोलता है, देखता है कि उसकी मां ने उसके लिए नोट छोड़ रखा था, जिसमें लिखा था, "बेटा, मैं काम पर जा रही हूँ और खाना फ्रिज में रखा हुआ है। तुम उसे जल्दी से खा लेना और हाँ, गर्म करना बिल्कुल मत भूलना।"
खाना खाने के थोड़ी देर बाद, अभय इंटरनेट पर कोई पार्ट-टाइम काम ढूंढ रहा था क्योंकि उसके घर की हालत काफी खराब थी। उसके पिताजी पिछले पाँच साल से बीमार होकर अस्पताल में बिस्तर पर पड़े हुए थे, और उन पर काफी कर्ज बढ़ता जा रहा था।
ऊपर से, उसके कॉलेज की फीस और बहन की स्कूल की फीस भरने के लिए उसकी मां को कई जगहों पर काम करना पड़ रहा था। कभी-कभी अभय को अपने ऊपर बहुत गुस्सा आता था क्योंकि वह इस स्थिति में कुछ नहीं कर सकता था।
इंटरनेट पर बहुत ढूंढने के बाद, उसे एक जगह पिज्जा डिलीवर करने की नौकरी मिल जाती है। इससे अभय काफी खुश था क्योंकि अब वह अपनी मां की थोड़ी-बहुत मदद कर पाएगा।
तभी अचानक उसे याद आता है कि उसे अपनी बहन को स्कूल से लेने जाना था। भागते हुए वह जल्दी से अपनी बहन के स्कूल के पास पहुंचता है।
उसकी छोटी बहन उसे घूरते हुए डांटती है, "ये कोई टाइम है आने का? स्कूल की छुट्टी हुए एक घंटा बीत चुका है, और तुम अब पहुँच रहे हो!"
यह सुनकर अभय बोलता है, "माफ कर दे, मेरी माँ होगी गलती।"
राधा हंसते हुए कहती है, "माफी चाहिए? ठीक है, निका,निकालरे बाबा डेढ़ सौ रुपया, निकाल! लारे बाबा, जल्दी ला," और अपने हाथ आगे करती है।
इसे देखकर अभय हैरानी से बोलता है, "पता नहीं, हमने घर में ये डकैत कब से पाल लिया," और अपनी जेब में हाथ डालता है जो कि फटी हुई थी।
पैंट की जेब में हाथ डालते हुए बोलता है, "हाँ, मिल गए ये लो पैसे।"
राधा अपनी जगह पर खड़ी अभय के हाथ में पड़े सिक्कों की तरफ देख रही थी और कहती है, "चवन्नी-अठन्नी! सच में, आज के जमाने में इन्हें कौन अपने पास रखता है, कंजूस!"
"मैं तो मजाक कर रही थी," कहकर वह बात को टालते हुए अपने भाई के साथ चलने लगती है। दोनों रास्ते से जा ही रहे थे कि तभी राधा एक बड़े बंगले की तरफ देखती है।
इसे देखकर अभय की भी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं, और उसके मन में किसी के लिए गुस्सा भर जाता है। फिर वह अपनी बहन से कहता है, "जल्दी चलो, वरना हमें घर पहुँचने में देर हो जाएगी।"
राधा हंसते हुए कहती है, "लेट होने की बात तुम रहने ही दो! पूरे 2 घंटे लेट हुए हो। मां को इस बारे में बताऊंगी।"
अभय राधा की तरफ हैरानी से देखता है, "अरे, पर मैं तो सिर्फ एक घंटा लेट हुआ था।"
अभय अपनी बहन के साथ घर पहुँच चुका था। तभी उसने देखा कि उसका मकान मालिक सामने खड़ा था। इसे देखकर वह समझ गया कि वह किराया लेने के लिए आया है।
गज प्रताप ने भी अभय को देख लिया और बोलता है, "ओए! महाराजा! मेरा किराया कब दोगे तुम?" यह सुनकर अभय कहता है कि वह कुछ ही दिनों में किराया दे देगा; उसने एक नई नौकरी भी ढूंढ ली है।
शुरुआत में तो गज प्रताप काफी गुस्से में था, फिर अभी की शक्ल को देखकर हंसते हुए बोलता है , "देखो कैसे मरे हुए जुड़े जैसी शक्ल बना रखी है। मैं पहले ही तुम्हारा तीन महीने का किराया माफ कर चुका हूँ। और रोज आ आकर भी थक गया हूं। तुम अपनी मां से नहीं क्यों नहीं कहते की किराए देने की कोई जरूरत नहीं है मैं उम्मीद करुंगा कि तुम मुझे बना लो। तुम्हारे पिता के मेरे ऊपर काफी एहसान है।"
दूर खड़ा एक आदमी यह सब देख रहा था। वह गज प्रताप के पास जाकर पूछता है, "ये..?" गज प्रताप उसकी बात को बीच में ही टोकते हुए बोलता है, "अगर उसके पिता ने मेरे बुरे वक्त में मदद नहीं की होती, तो मैं भी यहीं आसपास की गलियों में भीख मांग रहा होता। दरअसल, मैं उनसे किराया नहीं लेना चाहता था, लेकिन उसकी मां मेरी बात नहीं मानती है।
रात का समय
घर की सफाई और बाकी काम निपटाने के बाद अब लगभग रात हो चुकी थी। अभय सोचता है कि आज माँ फिर काफी देर से आएगी। थका-हारा अभय अपने बिस्तर पर जाकर सो जाता है।
सुबह
अपने ख्यालों से बाहर आने के बाद अभय अपनी स्थिति के बारे में सोचता है। गुस्से में पास पड़ी एक टेबल पर जोर से लात मारता है और फिर दर्द से चिल्लाते हुए बोलता है, "आह, मेरी टांग!"
आवाज सुनकर बाहर से एक नौकरानी अंदर आती है और बोलती है, "राजकुमारी, आप क्या कर रही हैं? क्या आप ठीक हैं?"
राजकुमारी शब्द सुनते ही अभय के होश उड़ जाते हैं। वह चिल्लाते हुए बोलता है, "कौन राजकुमारी!" और मन ही मन सोचता है, "लगता है कि मैं और बड़ी मुश्किल में फंसने वाला हूँ।"
दूसरी ओर
पृथ्वी पर एक लड़की चिल्लाते हुए किसी को उठा रही थी। यह राधा थी, जो अपने भाई को जगाने की कोशिश कर रही थी, जो कब से सोया पड़ा था।
किसी के चिल्लाने की आवाज सुनकर वह अपनी आँखें खोलती है और देखती है कि एक छोटी लड़की उसे चिल्लाकर उठा रही थी। अपने आसपास की चीजों को देखकर वह कहती है, "हम कहां पर हैं?"
"हमें तो अपने महल में होना चाहिए था, है ना?"
अपने भाई के मुँह से ऐसी अजीबोगरीब बातें सुनकर राधा उसे कहती है, "क्या तुमने रात को सैनिटाइजर के सस्ते नशे किए थे?"
राजकुमारी भी हैरानी से लड़की की तरफ और आसपास के माहौल को देख रही थी, जो काफी अलग लग रहा था। राजकुमारी को समझ में आ चुका था कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है।