पाठ-2(घर पर सभी से मिलना)

फ्लाइट अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरती है,यहां से अभी 300 मिल और जाना है। वाचा और उसके दोस्तो को लेने के लिए ऋजु(अरुष का असिस्टेंट)आया है।

"वाचा बेटी कैसी हो, आओ चले।"

तीनों का सामान ड्राइवर कार में रखते है और सभी घर की ओर निकल जाते है। अदिति और वाचा एक कार में और आशीर्वाद दूसरी कार में बैठ कर बाहर के दृश्य का आनंद ले रहा है। मार्ग के आस-पास बड़े बड़े वृक्ष लगे है,दीवारों पर रामायण के प्रसंग तो कही पात्रों को इस प्रकार चित्रित किया गया है, जिनपर कार के हेडलाइट से प्रकाश पड़ते ही वह क्रिया में आ जा रहे है।वहां के दीपस्तंभ तीर-धनुष की रचना में तो कुछ गदा की रचना में प्रकाश फैला रहे हैं।ढेर सारे मन्दिर दिख रहे हैं। आशीर्वाद को यह दृश्य अत्यंत आनंद दे रहें है।

 घंटों बाद कार पाण्डेय भवन के समक्ष रुकती है,ड्राइवर और ऋजु कार का दरवाजा खोलते हैं,तब वाचा और अदिति बाहर आती है आशीर्वाद भी अभी तक बाहर आ गया है। ड्राइवर कार को लेकर चले जाते है और सभी घर के मुख्य द्वार के सीढ़ियों पर चढ़ने लगते है। चांद की चांदनी में वह भवन पहाड़ों पर पड़े बर्फ की भाती चमक रहा है और मौसम ठंड होने के कारण अत्यंत सुहाना लग रहा है। चारों ओर लाइट जल रही है वहां बागान और तालब है। तालाब में कमल के फूल कई रंगों में खिलकर वहां की शोभा बढ़ा रहे है।रात रानी की खुशबू वहां के वातावरण को अत्यंत मनमोहक बना रही है।तनिक ही देर में वाचा की मां(वसुदा) प्रतीक्षा करती दिखती हैं। वासुदा पर चंद की चांदनी पड़ने से वह देवी के समान प्रतीत हो रही है।

" मां.... कैसे हो आप। "

वाचा वसुदा कि ओर बाहें फैलाए दौड़ती है, वसुदा उसे गले से लगा कर "मै अच्छी हुं मेरी बच्ची कैसी है आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ।" 'नहीं मां,मै भी ठीक हु।'वाचा वसुदा का चरण स्पर्श करती है।"जीती रोहो मेरी बच्ची"। उसके पश्चात वाचा के दोस्त भी वसुदा का आशीर्वाद लेते हैं। सभी भवन में प्रवेश करते हैं और ऋजु वहां से चला जाता है।

 'बाकी सभी कहा है मां'!

अचानक से वहां अंधेरा हो जाता जिससे अदिति और आशीर्वाद डर कर वाचा को पकड़ लेते हैं।

आशीर्वाद मैने सुना है ऐसे जगहों पर भूत प्रेत होते हैं। हे भगवान मेरी रक्षा करो।वो देखो...

एक कोने से थोड़ा प्रकाश आ रहा है जो अब धीरे धीरे समीप आते जा रह है। यह देख आशीर्वाद दुर्गा चालीसा पढ़ना आरंभ कर देता है। तब जन्मदिन की शुभकामनाएं कहते हुए युग के साथ बाबा-ईया,अरुष आते हैं।

अदिति हंसते हुए -कितने बड़े डरपोक हो। आशीर्वाद उसे हल्का मरते हुए ठीक से खड़ा होता है।

युग केक को वाचा के सामने लाकर‌- दीदी कितनी देर की तुम आने में। हमसब तुम्हारी कब से प्रतीक्षा कर रहे हैं। "आले.. मेरा युग कितना बड़ा हो गया। थैंक्यू मेरी प्रतीक्षा करने के लिए।"

 वाचा केक काट कर युग को खिलाती है और उसके गालों पर लगती है जिससे वह बचने लगता है जिसे देख सभी हंस पड़ते हैं।वह बाबा-ईया को प्रणाम करती है। फिर अरुष को प्रणाम कर गले लगती है 'i missed u papa' i 'missed u a lot बच्चा।वसुदा वाचा के दोस्तों को अन्दर आने को बोलती है दोनों सभी बड़ों को प्रणाम करते है।

ईया - रात बहुत हो गई है चलो सभी भोजन करले। कल बहुत कार्य है।

सभी भोजन के लिए हाथ धोकर बैठते हैं तब रसोईये भोजन परोसते है। भोजन में ' रोटी, 4प्रकार की सब्जी,सलाद, धनिया पत्ता की चटनी,रायता,खीर और भी कई प्रकार टेबल पर रखे हुए है,सभी भोजन समाप्त कर राधे-राधे कह सोने चले जाते है।