पाठ-3(वाचा का जन्मदिन)

सुबह नहा-धोकर सभी नीचे आते हैं, जहां पूजा की तैयारी चल रही है। (HBD girl)जन्मदिन की शुभकामनाएं. Thanku(धन्यवाद) आशीर्वाद, वाचा सभी बड़ों को प्रणाम करती है,थोड़ी देर में वहां गुरु जी भी आ जाते हैं।अरुष आगे बढ़ कर उनका चरण स्पर्श करते हैं- आईए गुरु जी स्थान ग्रहण करें।

 

गुरु जी एक सोफे पर बैठते हैं, तब सभी एक-एक कर प्रणाम करते हैं। कैसी हो बेटी, सब कुशल-मंगल! जी गुरु जी,आपका स्वास्थ्य कैसा है! मै भी ठीक हूं,पुत्री। अरुष..,पूजा का समय हो गया,अपाला को बुलाओ। 

ऐसा कह गुरुजी पूजा के स्थान की ओर चले जाते हैं।

एक कार बहुत ही तेजी से घर के सामने रुकती है।वाचा दौड़ कर आगे बढ़ती है,आशीर्वाद भी देखने को उत्सुक हो आगे बढ़ता है।

 सामने मैरून रंग की साड़ी और सुनहरा ब्लाउज पहने अपाला आती हुई दिखती है।बाल आधे बांधें हुए तो कुछ चेहरे पर आ रहे हैं,गले में सफेद मोतियों में मैरून रंग का चोकर है,कानों में मध्यम आकार के झुमके,ललाट पर मैरून रंग की छोटी सी बिंदी,एक हाथ में घड़ी,पैरों में पायल और हिल की सैंडिल है। वह जल्दी- जल्दी घर की सीढ़ियों पर चढ़ रही है,जिस कारण आंचल हवा में उड रहा है। थोड़ी ही देर में वह सभी के समक्ष उपस्थित हो गई। वह देखने में अत्यंत आकर्षक है। 

अदिति आशीर्वाद के निकट धीरे से- मुंह बंद करो। यह सुन आशीर्वाद उसको आँखें दिखता है। वाचा(अपाला के गले लगकर)- दी.., कैसी हो तुम! 

 अपाला उसे गले से नहीं लगाती और एक झोला देती है।

पूजा का समय हो गया बेटी ,जाओ चेंज कर के जल्दी से आ जाओ। 'ठीक है पापा' वाचा थोड़े दुखी मन से सामान लेकर वहां से चली जाती है।

 थोड़ी देर में वह सुनहरे रंग की साड़ी में सीढ़ीयों से उतरती है।उसके बाल सागर चोटी किए हुए हैं और कुछ बाल चेहरे पर आ रहे हैं। माथे पर लाल रंग की छोटी सी बिंदी,गले में दक्षिण-भारतीय बनावट में छोटा सा हार झुमके के साथ है, हाथ में गुलाबी-सुनहरा कंगन है और पैरों में पायल है। वह भी देखने में सुन्दर लग रही है।

मेरी दोनों बेटियां कितनी प्यारी लग रहीं हैं। 'thanku(धन्यवाद) मां' ,वाचा खुश होते हुए अपाला को देखती है, जिसके मुखमंड पर प्रसन्नता का कोई भाव नहीं है।

'यदि आप सबका हो गया तो पूजा कर लते हैं, मेरे और भी कार्य शेष हैं।' ऐसा कह अपाला पूजा के स्थान की ओर चली जाती है। आरुष बाकी सभी के साथ घर के आंगन में आता है।

 

आंगन बहुत बड़ा है, आस-पास में हरियाली है ,ढेर सारे फूल के पौधो पर फूल खिले हैं।बड़े-बड़े वृक्ष हैं,सरोवर में रंग-बिरंगी मछलियां हैं और कमल के पुष्प खिले हैं,तुलसी जी के ढेर सारे पौधे हैं, केला और रात-रानी का वृक्ष लगा है। वहीं चबूतरे पर पूजा की सभी सामग्री रखी हुई है और गुरुजी अपने स्थान पर बैठ कर पूजा की तैयारी कर रहे हैं।

अपाला और वाचा भी आसान ग्रहण करती हैं।कुछ ही देर में मंत्र-होम होने लगता है।वहां उपस्थित सभी अपने-अपने स्थान पर बैठ जाते हैं।पूजा सम्पन्न होती है और दोनो सभी बड़ों को प्रणाम करती हैं। सभी को प्रसाद वितरण होता है।अपाला प्रसाद लेकर वहां से जाने लगती है।

दी... भोजन कर के चली जाना। समय नहीं है। अपाला रुक जाओ.. ,वाचा बहुत समय बाद घर आई है और तुमको भी कितना समय हुआ साथ भोजन किए। आज नहीं मां..।

अपाला अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से चली जाती है।

वाचा उदास क्यों होती हो, तुम्हें तो ज्ञात है उसके विषय में।आओ भोजन करते हैं,मैने धरे सारे पकवान बनवाए हैं और तुम्हारे पसंद का दाल-पुड़ी,खीर भी बना है। वाचा मुस्करा कर मां के साथ चली जाती है।

पंडित जी भोजन कर रहे हैं और बाकी सभी वही बैठे हैं। अरुष कुंडली में सब ठीक है, बात आगे बढ़ा सकते हो। 

जी गुरु जी।

गुरु जी भोजन समाप्त कर दान-दक्षिणा लेकर चले जाते हैं।

अब सभी साथ में भोजन कर रहे हैं। आप अपाला से बात कीं। प्रयास कर रही हूं, सुनती कहां है किसी की। क्या बात है मां -पापा!? अपाला के लिए रिश्ता आया है। वाचा आज अपाला के ऑफिस चली जाना।'ठीक है पापा।' मै भी दीदी के साथ जाऊंगा। बिल्कुल नहीं, भोजन समाप्त कर स्कूल जाओ। पर मां..। कहा न कुछ नहीं सुनना मुझे।

 

सभी भोजन समाप्त करते हैं।युग स्कूल,अरुष और वसुदा कंपनी के लिए चले जाते हैं।बाबा-ईया, वाचा और उसके दोस्त साथ बैठेकर बाते कर रहे हैं।

मुझे याद आया,दी से मिलने जाना है। 'अपने दोस्तों को भी साथ ले जाओ ये भी तो हमारा नगर देखें।'

ठीक है ईया,आप दोनों भी चालिए। आज नहीं, थोड़ी थकान सी लग रही है। मै विश्राम करूगी, बाबा मेरे साथ ही रहेंगे, तुमलोग जाओ। 

 वाचा ईया-बाबा को गले लगाकर दोनों के साथ निकल जाती है।