राधिका जी मुस्कुराते हुए - तेरे दादू तो बाहर बगीचें मैं घूम रहे हैं ,आज तो वो बोहोत खूश हैं,, क्यौंकि उनकी बरसों पुरानी इच्छा जो पूरी हुई है, तू उनके खडूस पोते की पत्नी जो बन गई 😊 और बाकी सब आते ही होंगें ,
उनकी बात पर कनक एक फीकी सी मुस्कुराहट अपने होठों पर ला लेती है। की तभी राधिका जी कहती है।
राधिका जी - कनक आज तेरी पहली रसोई है ,,, इसलिए तू बस कुछ मीठा बना लेना बाकी सारे नाश्तें मैं बना लूँगि और वानी ( कार्तिक की चाची ) कल काफी ज्यादा थक गई थी इसलिए मैने उसे नहीं बूलाया । उनकी बात पर कनक मुस्कुराते हुए कहती है ।
कनक - नही माँ आज सारा नाश्ता मैं खूद अपने हाथों से बनाऊंगी वो भी सबकी पसंद का ,
राधीका जी - ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी ,, और मीठे मैं गाजर का हलवा बना लेना उस खडूस ( कार्तिक ) को गाजर का हलवा बहुत पसंद है ना ।
कनक - हाँ माँ , मैं बना,,,,, ( तभी कनक को ध्यान आता है की राधिका जी ने कार्तिक को खडूस कहा )
कनक अपनी आंखें हैरानी से बडी - बडी करके
कनक - माँ आपने अपने बेटे को खडूस कहा 😲
राधिका जी - हाँ , अब खडूस को खडूस ही कहूँगी ना , देखा नही तुमने कैसे सडी हुई सी शक्ल बना कर घूमता रहता है ।
कनक उनकी हाँ मैं हाँ मिलाते हुए - बिल्कुल सही कहा आपने माँ ,वो नीम चड़ा हमेशा कडवा ही बोलता है, उस कडवे करेले को देख कर कोई भला कह सकता है की उसे खाने मैं मीठा , गाजर का हलवा पसंद है ,, मुझे तो लगता है की पक्का ये नीम का पत्ता पीस कर अपने प्रोटीन शेक मैं मिला कर पिता होगा ,, वरना कोई इतना कडवा कैसे बोल सकता है, किसी की इतनी सडी हुई शक्ल कैसे हो सकती है बिल्कुल किसी मॉन्स्टर की तरह दिखता है । 🙄
अपनी बात खत्म कर कनक राधिका जी को देखती है जो उसे ही घूर रही थी ।
राधिका जी कनक को घूरते हुए - माना की मेरे बेटे की जुबान कड़वी है ,, लेकिन उसकी शक्ल बोहोत सुन्दर है , इसलिए कभी - भी उसकी शक्ल को सड़ि हुई मत कहना क्यौंकि वो थोड़ा - थोड़ा मेरी तरह दिखता है ,, इसलिए तू उसे उसकी जुबान के लिये कडवा करेला बोल या कुछ और बोल बस उसकी शक्ल को लेकर कुछ मत कहना , इतना कह राधिका जी कनक को बेचारगी से देखने लगती है ।
वहीं उनकी बात सुनते ही कनक एक खिंसियानि हँसी के साथ उन्हें देखते हुए कहती है 😅
कनक - सॉरी माँ वो मैं भूल गई थी की वो मॉन्,,,, मेरा मतलब वो कडवा करेला आपकी तरह दिखता है । अब मैं कभी भी उसे उसकी शक्ल से नही चिडाउन्गी,,
कनक की बात पर राधिका जी उसे मुस्कुराते हुए देखती है और कहती हैं।
राधिका जी - कोई बात नहीं बच्चे, चल अब हम दोनों मिल कर नाश्ता बना लेते हैं,
उनकी बात पर कनक अपना सर हां मैं हिलाती है जिसके बाद वो दोनों किचन की तरफ चले जाते हैं,
राधिका जी कनक के द्वारा चूल्हे की पूजा करवाती है जिसके बाद कनक नाश्ता बनाने मैं लग जाती है ।
भले ही कनक ने राधिका जी की , नाश्ता बनाने में उसकी हेल्प करने वाली बात पर हामी भर दी थी लेकिन , कनक ने अकेले ही सारा नाश्ता बनाया था , राधिका जी तो बस साइड में खड़ी हो कर कनक को घूर रही थी , क्योंकि कनक ने उनकी जरा सी भी हेल्प नही ली थी बल्कि जब भी वो कनक की हेल्प करने जाती , तो कनक वापस उन्हें उनकी जगह पर लाकर खड़ा कर देती।
घर में हर काम के लिए सर्वेंट्स थें, लेकिन कार्तिक को राधिका जी के हाथ का खाना ही पसंद आता था और राधिका जी को भी खाना बनाना पसंद था ,इसलिए घर के नाश्ते से लेकर डिनर तक का सारा खाना राधिका जी और कार्तिक की चाची जी ( वानि सिंघानिया ) अपने हाथों से ही बनाती थी ,जिसमें कभी – कभी कनक भी उन दोनों का हाथ बटा दिया करती थी ,,
कुछ 1:30 घंटे के अंदर कनक सारा नाश्ता बना लेती है ,नाश्ते में उसने सबकी पसंद के समोसे , कचोड़ी, ढोकले, मिर्ची वाले पोहे, छोले भटूरे और गाजर का हलवा बनाया था।
सारा खाना तैयार करने के बाद कनक ,राधिका जी की तरफ देखते हुए कहती है ।
कनक – मां सारा नाश्ता तैयार हो गया है , चलिए इसे हम दोनों मिल कर डाइनिंग टेबल पर लगा देते हैं,, इतना कहते हुए कनक राधिका जी को मुस्कुराते हुए देखने लगती है, तो वहीं राधिका जी उससे अपनी आंखें छोटी कर कहती हैं ।
राधिका जी – कनक , मैं नाश्ता बनाने में तुम्हारी हेल्प करने आई थी ,लेकिन आपने तो मुझे यहां स्टेचू की तरह खड़ा कर दिया ,और खुद किसी सुपर वूमेन की तरह सारा नाश्ता बना लिया ,, इतना कह राधिका जी कनक को शिकाएती भरे लहजे में देखने लगी ।
कनक उन्हें देख मुस्कुराते हुए कहती है।
कनक - मां आप भी ना ,, किसने कहा कि आपने मेरी मदत नहीं की, आज मैंने जो कुछ भी बनाया है, उसे बनाना आपने और छोटी माँ ( वानी जी) ने ही तो सिखाया है। आपकी वजह से ही तो आज मैं ये सारा नाश्ता बना पाई ।
कनक की बात पर राधिका जी कनक के पास जाती है और उसके कान खींचते हुए ,मुस्कुरा कर कहती है ।
राधिका जी - तुझे बातों को घुमाना बहुत अच्छी तरह से आता है न।
उनकी बात पर कनक, जीभ निकाल कर अपनी एक आंख बंद कर लेती है।
राधिका जी - शैतान
कनक - वो तो मैं हूं
राधिका जी प्यार से उसके गालों को थप थपा कर कनक के साथ मिल कर सारा नाश्ता डाईनिंग टेबल पर लगाने लगती है।
इस समय घर में जितने भी सदस्य मोजूद थें वे सभी धीरे - धीरे कर आने लगते हैं सिवाए कार्तिक को छोड़ कर।
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