Episode -4

कार्तिक जो फर्श पर लेटे हुए अब भी कनक के 2 बार सॉरी का मतलब समझने मैं लगा था,, वो गेट बंद होने की अवाज से होश मैं आता है,,,, और फर्श से उठते हुए अपनी एक आई ब्रो चडाते हुए खूद से कहता है,, इस बेवकूफ लडकी ने मुझे दो बार सॉरी क्यों बौला,, छोडों मुझे क्या,,, पागल कहिं की,, इतना कह कार्तिक अपनी कमर पर बन्धे टावल को कसने के लिये अपने हाथ बडाता है,, पर उसके हाथ कुछ नही लगता है,, तो कार्तिक अपनी नज़र निचे करता है,,, पर निचे देखते ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी- बडी हो जाती है,, क्यौंकि उसका टावल उसकी कमर से गायब था😂😂

कार्तिक चिल्लाते हुए- टावल चोर😳

चेन्जींग रुम के अंदर

कनक अपने सामने देखती है जहाँ एक तरफ आदमियों के कपडे थें तो दुसरी तरफ औरतों के

कनक औरतों के कपड़ों की तरफ जाती है और उन कपड़ों को ध्यान से देखने लगती है जिनमें शॉर्ट ड्रेसेस, जीन्स टॉप, साडी और तरह- तरह के सूट शामिल थें,,, ये सभी लग्जरि ब्रेन्ड्स के थें जिन्हें आदित्य ने खूद पसंद किया था , और उसने खूद इन कपड़ों को सलीके से रखा था,, लेकिन कनक के लिये नही जूही के लिये,, ये सोच उसकी आँखों मैं उदासी उतर आती है

कनक ये बात बहुत अच्छी तरीके से जानती थी की ये कपडे उसके नही हैं,, पर अभी उसके पास खूद के कपडे नही थें इसलिए ना चाहते हुए भी कनक एक रेड कलर की साडी उन कपड़ों के बिच से निकालती है और उसे पहनने लगती है।

कुछ देर बाद कनक वोश्रूम से बाहर आती है साडी पहन कर, उस लाल साडी मैं कनक काफी खूबसुरत लग रही थी बिल्कुल एक नई नवेली दुल्हन की तरह। उस लाल साडी मैं उसका गोरा रंग और भी निखर गया था।

कनक अपने आस - पास देखती है पर उसे कार्तिक कहिं नज़र नही आता है,,, शायद वो वोश्रूम मैं होगा सोच कर कनक ड्रेसिंग टेबल के सामने चली जाती है, और तैयार होने लगती है। इसी बिच कार्तिक वोश्रूम से निकल कर चेन्जींग रुम के अंदर चला जाता है।

लाईट मेक अप करने के बाद कनक सिन्दूर की डिब्बी उठाती है,, और उसमें से थोड़ा सा सिन्दूर लेकर वो अपनी मांग भर लेती है फिर उस सिन्दूर की डिब्बी को वापस उसकी जगह पर रख ,खूद के अक्स को मिरर के जरिये देखते हुए अपने मन मैं सोचती है " कनक ना ये कपडे तेरे हैं, और ना ही ( खूद के गले मैं मौजूद मंगलसूत्र को देख ) ये मंगलसूत्र और ये सिन्दूर ( अपने माथे पर लगे सिन्दूर को देख ) तेरा है इतना सोचते हुए कनक के होठों पर एक उपहास भरी हँसी आ जाती है। जैसे वो खूद की किस्मत पर हँस रही हो।

कनक अभी अपने ख्यालों मैं ही गूम थी की अचानक उसे मेहसूस होता है की कोई काफी देर से उसे देख रहा है,,,

कनक अपनी नज़र घूमा कर देखती है तो उसे मिरर मैं खूद के अक्श के साइड मैं कार्तिक का अक्श नज़र आता है, जिसने ब्लू और व्हाइट कलर के कॉम्बिनेशन मैं बिजनेस सूट पहना हुआ था, कनक समझ जाती है की कार्तिक ठीक उसके पीछे कुछ कदम की दूरि पर खड़ा है ,जो ना जाने कब से अपलक उसे ही घूरे जा रहा था।

कार्तिक को अपनी तरफ घूरते देख ,कनक अपनी आंखें छोटी कर कहती है।

कनक 😒- क्या है । ऐसे क्यों घूर रहे हो , जैसे तुमने कभी लडकी ही नही देखी।

कार्तिक हडबडाते हुए- मैं,,मैं तुम्हें क्यों देखूँगा,,मुझे कोई शौक नही है तुम्हें देखने का,,, तुम क्या कहिं की हूर की परि हो जो मैं तुम्हें देखूँगा,,, मैं तो बस ये देख रहा था की कोई मेकअप के बाद भी इतना बदसूरत कैसे दिख सकता है😏

कनक अपने मन मैं- झूठा कहिं का,, बोलता है मुझे नही देख रहा था। और इसने मुझे बदसूरत कहा,, खूद की शकल कभी देखी है इसने आईने मैं,,, अरे मनहूसियत टपकती है इसके चेहरे से,, आया बडा मुझे बदसूरत कहने वाला,, हूंह्ह्ह्ह😖 ,,,, कनक पैर पटक कर रुम से बाहर जाने लगती है।

कनक को बाहर जाते देख कार्तिक अपनी नज़र उससे फेर लेता है की तभी उसकी नज़र बैड़ पर पड़ती है,, जिस पर ब्लड के कुछ धब्बे थें,, उन धब्बों को देख कर कार्तिक की आंखें सर्द हो जाती है।

कार्तिक बिना किसी भाव के कहता है - वेश्या

कनक के कदम अपनी जगह पर ही थम जाते हैं।

कनक को रूकते देख कार्तिक उसकी पीठ को देखते हुए आगे कहता है- तुम्हें क्या लगा की, तुम अपनी वर्जिनिटी सर्जरी करवा लोगी तो मुझे पता नही चलेगा की ,तुम कितनी नीच और गिरि हुई लडकी हो ,जिसने ना जाने कितनों की रात रंगीन की है। मैं सब जानता हूं तुम्हारे बारे मे,, तुम्हारी फितरत से मैं काफी अच्छी तरह से वाकिफ हूं , इसलिए कभी भी ये मत समझना की मैं तुम्हारे जाल मैं फ़सूंगाँ, अपनी बात खत्म कर कार्तिक ,आगे बड कनक के साइड़ से होते हुए उस रुम से बाहर निकल जाता है और अपने स्टडी रुम मैं चला जाता है ।

कार्तिक तो जा चुका था, लेकिन कनक वहीं पर आंसू बहाते हुए खडी रह गई थी। कार्तिक के शब्द किसी तीर की तरह उसे चुभें थें, उसने कभी नहीं सोचा था की कार्तिक उससे इतने कडवे शब्दों को कहेगा । क्या वो उसे इतना गिरा हुआ समझता है ये सोचते हुए कनक को अपने दिल मैं एक अन्कहा दर्द महसूस होने लगता है । पर वो किसी तरह से खूद को सम्हालती है और अपने आंसुओं को पोछ कर निचे हॉल की तरफ बड जाती है।

निचे हॉल मैं

हॉल मैं आते ही कनक की नज़र कार्तिक की माँ राधिका जी पर जाती है । जो मन्दिर मैं आरती करने मैं बिजी थी, कनक अपने कदम मन्दिर की तरफ बड़ा देती है और हाथ जोड़ कर राधिका जी के साइड मैं खडी हो जाती है।। कनक को देख राधिका जी मुस्कुरा देती हैं। फिर भगवान की आरती खत्म कर राधिका जी आरती की थाल कनक की तरफ बड़ा देती हैं तो कनक आरती लेकर उस थाल को मंदिर के पास रख देती है ।

कनक - माँ सब कहाँ हैं ?

राधिका जी मुस्कुराते हुए - तेरे दादू तो बाहर बगीचें मैं घूम रहे हैं ,आज तो वो बोहोत खूश हैं,, क्यौंकि उनकी बरसों पुरानी इच्छा जो पूरी हुई है, तू उनके खडूस पोते की पत्नी जो बन गई 😊 और बाकी सब आते ही होंगें ,

उनकी बात पर कनक एक फीकी सी मुस्कुराहट अपने होठों पर ला लेती है।

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