Episode -7कितनी मक्कार हो तुम

कार्तिक को कुछ ना बोलता देख दादा जी एक और बार उसे टोकट हुए कहते हैं।

दादा जी- आप कुछ कह क्यों नहीं रहे हैं ?

कार्तिक - दादा जी आज एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है, मैं पहले ही लेट हो चुका हूं, अभी मेरा जाना जरूरी है, नाश्ता मैं ऑफिस मैं कर लूंगा ।

दादा जी - लगता है आपकों हमारी बात समझ नहीं आई ? पहले आप नाश्ता करिये फिर चले जाईएगा ।

कार्तिक एक गहरी साँस लेता है, और अपनी चेयर पर जा के बेठ जाता है क्यौंकि वो जानता था की वो अपने दादा जी से नहीं जीत सकता था ।

कार्तिक के बेठते ही दादा जी खाना परोसने का इशारा करते हैं । जिसके बाद कनक, राधिका जी और वानी जी मिल कर सभी के प्लेट मैं खाना परोसने लगती हैं ।

खाना खाते हुए सभी कनक की तारिफ कर रहे थें, सिवाए कार्तिक के ।

कार्तिक कुछ भी नहीं खाना चाहता था, लेकिन दादा जी की वजह से ना चहाते हुए भी बेमन से ही वो एक चम्मच गाजर का हलवा खाता है । लेकिन जैसे ही वो उस गाजर के हलवे को टेस्ट करता है, कुछ सेकेंड के लिये उसकी आंखें अपने आप बंद हो जाती है, क्यौंकि जो स्वाद उसे उस हलवे से आ रहा था, सेम वही स्वाद उसे राधिका जी के द्वारा बनाए गये हलवे से भी आता था, और साथ ही जुह,,,,

अचानक कार्तिक की आंखें खूल जाती है, उसकी आँखों मैं खून उतर आया था, वो अपनी लाल आँखों से कनक को देखने लगता है जो सभी को खाना सर्व कर रही थी ।

कार्तिक मन मैं - कितनी मक्कार हो तुम, माँ से खाना बनवा कर सबकी वाह वाही ले रही हो, मैं तो तुम्हारा असली चेहरा जानता हूं, पर पता नहीं मेरे घर वालों के सामने कब तुम्हारा असली चेहरा आयेगा, पर मेरा खूद से ये वादा है, की मैं जल्द ही तुम्हें सबके सामने एक्सपोज करके इस घर से धक्के मार के बाहर निकाल दूंगा ।

कार्तिक अपनी नजरें कनक से फेर लेता है, और आराम से अपना नाश्ता करने लगता है, क्यौंकि उसे लग रहा था की सारा खाना राधिका जी ने ही बनाया है ना की कनक ने ।

दादा जी ,दादी जी, राधिका जी ,अशोक जी , चाचा जी चाची जी ,राघव ,प्रीती, राघव , केशव , कंचन ,रितु सभी एक - एक करके कनक को उसकी पहली रसोई के लिये उसे तोहफे देने लगते हैं । राजवीर और राहुल इस समय यहाँ मौजूद नहीं थें ।

दादा जी कनक को एक 15 एकड की जमीन पर बना हुआ बंगलों गिफ्ट करते हैं, जिसे पहले तो कनक ने लेने से साफ इंकार कर दिया था, लेकिन राधिका जी के समझाने पर की ये उनका आशीर्वाद है इसे मना नहीं करते हैं, तो कनक भी उनकी बात समझ कर वो प्रॉपर्टी के पेपर्स ले लेती है ।

इसी तरह से सभी कुछ ना कुछ कनक को देते हैं, सिवाए कार्तिक के,

राघव - भाई आप कनक के लिये कुछ नहीं लाए ?

कार्तिक घूर के राघव को देखने लगता है, तो राघव एक खिसियानी हँसी के साथ उसे देखने लगता है ।

राधिका जी - हाँ कार्तिक कनक का गिफ्ट कहाँ है।

कार्तिक बिना किसी भाव के कहता है ।

कार्तिक - मैं बाद में उसे उसका गिफ्ट दे दूंगां, फिलहाल मैं मीटिंग के लिये लेट हो रहा हूं,

अपनी बात खत्म कर कार्तिक सभी को एक नज़र देखता है, और वहां से चला जाता है ।

वहीं कार्तिक के इस तरह से जाने से कनक उदास हो जाती है, लेकिन वो अपनी उदासी को अपनी झूठी स्माइल के पीछे छुपाते हुए, मोहौल को हल्का करते हुए कहती है।

कनक- जाने दो उस खडूस को, भई मुझे तो बोहोत जोरों की भूक लगी है, पहले तो मैं अपनी पेट पूजा करूंगी, इतना कह कनक चेयर पर बेठ जाती है, और भूक्कडो की तरह छोले भटूरे खाने लगती है ।

वहीं उसे इस तरह से खाते देख सभी के होठों पर मुस्कान आ जाती है ।

दादी जी प्रीती से- प्रीती, राहुल कहाँ है ? वो कल शादी मैं भी कहिं नहीं दिखा था । कहाँ है वो अभी ।

प्रीती जो मुस्कुराते हुए कनक को खाना खाते हुए देख रही थी, दादी का सवाल सुनते ही अचानक उसके होठों से मुस्कुराहट गायब हो जाती है, और साथ ही उसकी पलके निचे की तरफ झूक जाती है,

प्रीती को कुछ ना बोलते देख इस बार राधिका जी उससे सवाल करती हैं ।

राधिका जी - हाँ प्रीती राहुल कहाँ है ?

कनक भी प्रीती की तरफ देखने लगती है ।

प्रीती राधिका जी को देखते हुए झूठी मुस्कान के साथ- माँ वो अचानक उन्हें किसी काम से जर्मनी जाना पड़ा, शायद बिजनेस से कुछ रिलेटेड़ है ।

अपनी बात खत्म कर प्रीती एक और बार अपनी नजरें झुका लेती है । इस समय उसकी आँखों मैं एक उदासी थी, जिसे उसने सभी से छूपा लिया था क्यौंकि वो नहीं चाहती थी की कोई उसकी वजह से उदास हो । लेकिन कनक से उसकी उदासी छूप ना सकी, वो समझ गई थी की कोई तो बात है जो प्रीती सबसे छुपा रही है ।

अशोक जी - वीर , राजवीर ने बूलाया है, शायद कुछ इम्पोर्टेन्ट है, हमें चलना चाहिए ।

वीर जी - ठीक है भईया ।

इसके बाद अशोक जी और वीर जी चले जाते हैं ,केशव भी सिंघानिया कोर्पोरेशन चला जाता है ।

राधिका जी, वानी जी और कंचन जी किचन की तरफ चली जाती हैं तो वहीं दादा जी दादी जी भी अपने रुम मैं चले जाते हैं । राघव अपने शूटिंग के लिये तो रितु कॉलेज चली जाती है ।

कनक , प्रीती का हाथ पकड कर उसे अपने रुम मैं ले जाती है । और प्रीती को बेड़ पर बिठा कर खूद उसके साइड मैं बेठते हुए उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों मैं होल्ड किये हुए उससे पूछती है ।

कनक- प्रीती चल अब बता क्या बात है, जीजू की बात आते ही तू इतनी उदास क्यों हो गई थी, क्या तेरे और जीजू के बिच कुछ हुआ है, वो कल तेरे साथ शादी मैं क्यों नहीं आए थें,

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