अब तक
कनक ,अपनी जीभ निकाल उसे चिडाते हुए 😛 " मैं तो अपनी जुबान और चलाउंगी, लेकिन आप चाह कर भी इसे काँट नहीं सकते नहीं तो मैं दादू से आपकी शिकायत कर दूँगी " अपनी बात खत्म कर वो फ़िर से अपनी जीभ बाहर निकाल कर कार्तिक को चिडाने लगती है की इतने मैं ही कोई उसे अपनी तरफ खिंच लेता है, जिसके अगले ही पल उसे अपनी जीभ पर तेज दर्द मेहसूस होता है ।
अब आगे
करीब आधे घंटे बाद दोनों कार मैं थें, कार्तिक कार ड्राइव कर रहा था, वहीं कनक उसकी साइड वाली सीट मैं बैठी उसे घूर रही थी, उसके होठ बूरि तरह से सूजे हुए थें, और उनमें काटने के भी निशान थें, जिनमें हल्का सा ब्लड लगा हुआ था, जिन्हें देख कर कोई भी बता सकता था, की कुछ देर पहले उन दोनों के बिच क्या हुआ होगा 😁
" अगर तुम्हारा, मुझे घूरना हो गया है, तो अब अपने होठों को साफ करलो, क्यौंकि हम घर पहुंच चुके, और अगर माँ ने तुम्हारे होठों को देख कर पूछ लिया की इन्हें क्या हुआ है, तो मुझे उन्हें पूरा प्रोसेस बताने मैं कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन मुझे लगता है की शायद तुम ऐसा कुछ भी नहीं चाहती होगी "
कार्तिक की बात पर कनक झेपते 😳 हुए अपने हाथों की मदत से अपने होठों को साफ करने लगती है की इतने मैं ही कार्तिक उसकी तरफ अपना रूमाल बडाता है,
कनक एक नज़र कार्तिक को देखती है, फिर उसके हाथों से उस रुमाल को ले लेती है और अपने होठों को साफ करने लगती है होठों को साफ कर जब वो सामने देखती है तो वो दोनों सच मैं सिंघानिया मेंशन पहुंच चुके थें,
कनक ,कार्तिक की सीट की तरफ देखती है, जो खाली थी फ़िर वो खिड़की के बाहर देखती है तो उसे सामने कार्तिक अपने हाथों को बांधें खड़ा दिखाई देता है, जो उसका ही कार से उतरने का वेट कर रहा था,
कनक खूद से " ये नीम चडा कडवा करेला, सच मैं भूत - वूत है क्या, एक पल मैं यहाँ तो दूसरे पल मैं वहां "🙄
" अब बाहर आना भी है की आज इसी कार मैं रात गूजारने का इरादा है तुम्हारा "
कार्तिक के टोकने पर कनक मुँह बनाते हुए कार से उतर जाती है, और कार्तिक के सामने जा कर, उसका एक हाथ आगे कर ,उसे रूमाल थमा कर मेंशन के अंदर चली जाती है
वहीं कार्तिक अपने हाथ मैं मौजूद रूमाल को देख रहा था, जिसे कनक अभी उसे पकडा के गई थी, उसकी नजरों मैं कुछ तो था, जो समझ पाना मुश्किल था ।
दुसरी तरफ फिल्म सेट पर
राघव ( वानी जी का बेटा ) की एक फिल्म की शूटिंग चल रही थी, उसने कुछ देर पहले ही अपना एक सीन कम्पलीट किया था, और अब वो अपने प्रसनल रुम मैं रेस्ट कर रहा था,
कुछ देर रेस्ट करने के बाद ,उसने अपने अगले सीन की स्क्रीप्ट उठाई ही थी की इतने मैं ही, उसके रुम की लाईट चली जाती है, जिसके बाद वो स्क्रिप्ट को उसकी जगह पर रखते हुए, अपना मोबाइल ढूंढने लगता है, जो उसे कुछ देर मैं मिल भी जाता है, लेकिन वो स्विच ऑफ़ था, जिसे देख वो अपने दातों को भीच लेता है, और अपनी पकड उस पर कंसते हुए उस रुम से बाहर निकल जाता है ।
बाहर आकर वो देखता है की सिर्फ उसके रुम की ही लाईट नहीं गई थी बल्कि पूरे सेट की लाईट चली गई थी, और आस- पास पूरा अंधेरा था, इस समय वहां पर कोई भी मौजूद नहीं था ।
राघव अपने मेनेजर जीत जो उसका दोस्त भी था, उसको अवाज लगाते हुए अपनी कडक अवाज मैं कहने लगता है " जीत,,,, जीत,,, तुम कहाँ पर हो, मैने तुमसे कहा था ना मेरे मोबाइल को चार्ज करने के लिये ,फ़िर तुमने अपना काम किया क्यों नहीं, और इस लाईट को क्या हो गया है, इसे जल्दी से जल्दी ठीक करों वरना तुम्हारी खेर नहीं,,,, जीत,,, "
जब राघव को सामने से जीत का रिप्लार नहीं आता है, तो वो उसे ढूंढते हुए आगे बडने लगता है, लेकिन अंधेरे की वजह से उसे कुछ भी अच्छे से दिखाई नहीं दे रहा था,
अचानक राघव की टक्कर किसी से होती है, टक्कर इतनी तेज थी की राघव पीठ के बल पीछे की तरफ गीर जाता है, जिस्से राघव की टक्कर हुई थी, वो शक्श उसके ऊपर आ कर गिरता है, और इतने मैं ही सेट की लाईट आ जाती है,
राघव जैसे ही अपने ऊपर गीरे शक्श का चेहरा देखता है, वो तो अपना माथा ही पीट लेता है क्यौंकि वो कोई और नहीं, उसके मेनेजर की असिस्टेंत कृती थी, जो हर पल कोई ना कोई गड़बड़ी करती रहती थी,
कृती ,राघव के ऊपर उसी तरह से लेटे हुए, अपने चशमें को ठीक करते हुए अपने सर को हल्के से उठाती है तो उसे राघव नज़र आता है, जिसे देखते ही वो जल्दी - जल्दी कहने लगती है " सॉरी,, सॉरी सर वो अंधेरे की वजह से मैं आपकों देख नहीं पाई,,,
राघव झल्लाते हुए, उसकी बात बीच मैं काट 😖 " सफाइ बाद मैं देते रहना पहले उठों मेरे ऊपर से, कितनी मोटी हो तुम, तुम्हारे भार से तो मैं दब कर ही मर जाऊँगा "
कृती मुँह बनाते हुए 😕 " आपने मुझे मोटा बौला सर ,this is not fair , आपका खूद का शरीर तो गेंड़े जैसा है, और आप मुझे भारी कह रहे हैं, देख नहीं रहे हैं की मैं एक नाजूक सी कली हूं, भले ही मैं आपके ऊपर गीरि हूं, लेकिन फ़िर भी चोट मुझे ही आई है, आपके इस लोहे जैसे शरीर से टकराने की वजह से ,,, हूँ ,,,,"
राघव खिंसियाते हुए " डबल बेट्रि कहिं की, कब से देख रहा हूं, बस बक - बक किये जा रही है, मेरे ऊपर से उठने का तो नाम ही नहीं ले रही है, फेबिकोल की तरफ चिपक गई हो तुम मुझसे, अब उठो भी " कहते हुए राघव कृती को उसके कन्धों से पकड़ता हुआ , उसे अपने ऊपर से हल्का धक्का देता है, जिस्से वो साइड मैं जा कर गिरने ही वाली थी ,की इतने मैं ही वहां पर राघव का असिस्टेंत आता है, और कृती को सम्हाल लेता है, वहीं इस बीच राघव अपनी जगह से उठ चुका था ।
राघव अपने हाथों को झाड, कृती को डाटते हुए कहने लगता है " तुम्हें मैने कितनी बार कहा है की मेरे आस- पास मत घूमा करों और अपने इस गटर जैसे मुँह को हमेशा बंद रखा करों,पर नहीं ,तुम्हें हमेशा मेरे आस - आस ही भटकते रहना , समझा - समझा कर थक चुका हूं मैं लेकिन इतनी सी बात तुम्हारे इस ( कृती के सर की तरफ इशारा करते हुए ) भेजे मैं नहीं घूसती है "
राघव अपनी बात कहे जा रहा था, बिना ये देखें की, उसके शब्दों ने कृती को कितना ज्यादा हर्ट कर दिया था ।