अब तक
राघव अपने हाथों को झाड, कृती को डाटते हुए कहने लगता है " तुम्हें मैने कितनी बार कहा है की मेरे आस- पास मत घूमा करों और अपने इस गटर जैसे मुँह को हमेशा बंद रखा करों,पर नहीं ,तुम्हें हमेशा मेरे आस - आस ही भटकते रहना , समझा - समझा कर थक चुका हूं मैं लेकिन इतनी सी बात तुम्हारे इस ( कृती के सर की तरफ इशारा करते हुए ) भेजे मैं नहीं घूसती है "
राघव अपनी बात कहे जा रहा था, बिना ये देखें की, उसके शब्दों ने कृती को कितना ज्यादा हर्ट कर दिया था ।
अब आगे
जब राघव की नज़र कृती के आंसुओं पर पडती है, तो वो अपनी बात कहते हुए रूक जाता है,
उसे रूकते देख, कृती जिसने अपना सर निचे की तरफ झुका लिया था, वो एक बार फ़िर अपना सर उठा कर उसे देखने लगती है, इस उमीद मैं की शायद उसे रोते देख राघव को बूरा लगा होगा ,
वहीं कृती को अपनी तरफ देखते देख, राघव एक बार फ़िर कहना शूरू करता है " जरा - जरा सी बात पर मेलो ड्रामा शूरू हो जाता है, इस लडकी का " कह कर राघव, कृती को क्रोस करते हुए वहां से चला जाता है वहीं कृती उसके जाने के बाद जीत से मुँह बना बना कर कहने लगती है " ये जंगली चिम्पेंजी कुछ ज्यादा ही डांटने लगा है मुझे 😭, इसे जंगलों मैं फेक कर आना पडेगा, तब जा कर इसकी अक्ल ठिकाने पर आएगि, और मेरी जिन्दगी मैं शांति आएगि 😌
" मैं अभी गया नहीं हूं 😤 "
कृती पीछे मूडती है, तो उसे राघव दिखाई देता है, जो जीत को अपने साथ ले जाने के लिये वापस आया था ।
राघव को देखते ही कृती अपनी बत्तिसी दिखाते 😁 हुए उससे कहने लगती है " सर आप गये नहीं, मैं बस जीत को बता रही थी की आप कितने अच्छे सर हैं, आप इतने अच्छे सर हैं की मैं तो आपकों ट्रीट के लिये जू घूमाने ले जाना चाहती हूं, ताकी आप अपने साथियों,,, ( अटकते हुए ),, मे,,मे,, मेरा मतलब था की आप जू के जानवरों से मिल सके क्या आप चलना चाहेंगें😁 "
राघव, उसके सवाल का जवाब ना देते हुए ,जीत को अपने पीछे आने का इशारा करता है, फ़िर कृती को एक वार्निंग लूक देते हुए इस बार सच मैं चला जाता है ।
वहीं उसके जाने के बाद कृती एक गहरी साँस लेती है फ़िर वो अपना समान पैक करने लगती है क्यौंकि उसके भी घर जाने का समय हो गया था ।
सिंघानिया मेंशन
डाइनिंग टेबल पर बेठें, सभी खाना खा रहे थें राघव अभी तक आया नहीं था,
सभी खाना खाने मैं व्यस्त थें, सिवाए कनक को छोड कर, वो बस अपने लेफ्ट हेंड मैं मौजूद चम्मच को प्लेट मैं पिछले 15 मिनट से घूमाए जा रही थी और अपने राइट साइड मैं बेठें, कार्तिक को तीरछी नजरों से घूर रही थी जो बिल्कुल शांत चेहरे के साथ अपना खाना खा रहा था।
कनक को खाते ना देख, राधिका जी उसे टोकते हुए कहती है " कनक ,बच्चे आप खाना क्यों नहीं का रही है, मैं कब से देख रही हूं, आप ना जाने कब से प्लेट मैं सिर्फ चम्मच घूमा रही हैं, और आपने चम्मच लेफ्ट हेंड मैं क्यों पकडा हुआ है, राइट हेंड मैं क्यों नहीं पकडा, मैने आपकों सिखाया है ना, लेफ्ट हेंड से खाना, खाना बेड़ मैनर्स होते हैं, चलों राइट हेंड से खाना खाओं ,जैसे कार्तिक खा रहा है बिल्कुल मैनर्स के साथ "
कनक उन्हें बेचारगी ☹ से देखने लगती है, अब वो उन्हें कैसे बाताए की उसके साइड मैं बेठा लड़का जो उनका बेटा है जिसे वों मैनर्स के साथ खाना खाते हुए बता रही हैं ,वो टेबल की आड़ मैं उसके हाथ के साथ कितनी मैनरलेस हरकते कर रहा है 🙄
राहुल जो कार्तिक के राइट साइड मैं बेठा था, जब राधिका जी कनक को टोकती हैं, तब उसकी नज़र पहले कनक पर जाती है, फ़िर उसके राइट हेंड पर जिसे कार्तिक अपने लेफ्ट हेंड मैं जकडे हुए, अपने पैरों के बीच दबाए बैठा था,
उस नजारे को देख, राहुल ,कार्तिक के चेहरे को देखने लगता है, जिस पर इस समय किसी भी तरह के भाव नहीं थें, वो बिल्कुल शांत था, जैसे वो कुछ जानता ही नहीं था ।
कार्तिक को देखते हुए राहुल अपने मन मैं कहता है " तुझसे ये उमीद नहीं थी " 😒 😒
कार्तिक उसे अपनी तरफ देखते देख, अपानी एक आई ब्रो उठा लेता है 🤨
राहुल अपना सर ना मैं हिला कर, वापस खाना खाने जा ही रहा था की उसकी नज़र प्रीती पर पडती है, जो आंखें फाडे 😳 कनक के हाथ को ही घूर रही थी ,
राहुल उसके पैरों पर पैर मारते हुए उसका ध्यान अपनी तरफ करता है, और उसे एक वोर्नींग लूक देता है, 🤨 जैसे की कहना चाहता हो की उल्टी सिधी चीजें देखने से अच्छा है की चूप - चाप अपना खाना खाओं,
राहुल के डर से प्रीती अपनी नजरें वहां से हटा लेती है ।
वहीं कनक सोच ही रही थी की वो राधिका जी को क्या जवाब दे, की तभी उसकी तरफ एक हाथ , चम्मच मैं दाल चावल मिक्स किये हुए बडता है, जब कनक उस हाथ का पीछा करती है, तो उसकी नजरें कार्तिक की नजरों से मिलती है जो अभी भी बिना किसी इमोशन के उसे देख रहा था,
कनक ,उसे देखते हुए ही मन्त्रमुग्ध हुए उसके बडाए हुए खाने को खा लेती है, उसकी आंखें इस समय बहुत से इमोशंश थें, जिन्हें समझ पाना बोहोत मुश्किल था, उसने अपनी अब तक की लाईफ मैं कभी नहीं सोचा था की एक दिन कार्तिक उसे अपने हाथों से खाना भी खिला सकता है ।
इसी तरह से कार्तिक अपने हाथों से उसे पूरा खाना खिलाने लगता है, जिसे कनक बिना कोई नखरा किये खाने लगती है ।
वहीं उन दोनों को पूरा परिवार प्यार से देख रहा था, दादा जी दादी जी से अपनी आवाज धीरी कर मुस्कुराते हुए कहते हैं " हमारा खडूस पोता सूधर रहा है, देख रही हो ना कितने प्यार से हमारी कन्नू को खाना खिला रहा है "
उनकी बात पर दादी जी भी मुस्कुरा देती है, वो दोनों जो चाहते थें वही तो हो रहा था, धीरे - धीरे ही सहिं, लेकिन कार्तिक ,कनक को एक्सेप्ट कर रहा था, उसे अपनी जिन्दगी मैं इम्पोर्टेन्ट्स देते हुए , उसका ख्याल रख रहा था ।