उनोन्हे कई सारे राज्यो को खतम करकर उनके पूरे संसाधनों पर कब्जा कर लिया था और वह हमेशा से ही दुनिया के केंद्रवर्ती सत्ता को चुनौती देते रहते थे गर्व यह जानता था क्युकी उसके पिछले जन्म में भी यही परिस्थिति थी और इतने नौसों साल बीत चुके फिर भी वही परिस्थिति कायम है वैसे योद्धाओं के कई प्रकार होते है जिनमे तलवारबाजी मुक्केबाजी तीरंदाजी कुश्ती और कई सारे प्रकार होते है जिनमे से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तलवारबाजी और जादुई युद्ध कला थी जादुई युद्ध कला तो दुनिया में सबसे खतरनाक मानी जाती है जिनको यह कला आती है उनको तो पूरे दुनिया में मान दिया जाता है कही कही तो राज्य के राजा से भी ज्यादा मान जादुई युद्ध कला को जाना ने वाले को दिया जाता है वह पलक झपकते ही पर युद्ध का चेहरा बदलने की क्षमता रखते है और हजारों योद्धायो को यमराज के दर्शन करा सकते है गर्व को इन सारे चीजों के बारे में पहले से ही पता था वह निर्णय लेता है की उसे इतना ताकतवर होना है की उसे कभी भी इस जन्म मे अक्षय जैसे लोगो से डरने की जरूरत नहीं पड़े और उस जैसे घमंडियो को वह अच्छे से सबक सीखा सके और फिरवह आश्रम शाला में घूमने का निर्णय लेता है जिस से वह इस आश्रमशाला को अच्छे से समझ सके वहा घूमते घूमते उसे पता चलता है की यह आश्रमशाला बहुत बड़ी है और यह पर कई सारे युद्ध शास्त्र को सीखने के लिए व्यवस्था है भलेही यह पर मौजूद युद्ध शास्त्र के शिक्षक उसके पिछले जन्म की तरह उच्च कोटि के ना हो फिर भी वह ठीक ठाक थे आश्रमशाला में घूमते वक्त वहा ऐसा कोई भी नही था की वाह उसको देखकर मजाक न उड़ाते जा रहे हो दरअसल वह कमजोर होने के कारण ही चेष्टा का विषय बना हुआ था उन सब लोगो को अनदेखा करते हुए गर्व वहपार मौजूद तलवारबाजी के वर्ग में जाने का निर्णय लेता है तलवारबाजी के वर्ग में कई लड़के लड़कियां अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे होते है वैसे तो वह जिस तकनीक का प्रदर्शन कर रहे होती हाइवे गर्व की नजरों में काफी छोटे दर्जे की तकनीक होती है इसे ज्यादा अच्छे अच्छे तकनीकों का वह अपने पिछले जन्म में asni से उपयोग कर सकता था तलवारबाजी के गुरु की जैसे ही गर्व के ऊपर नजर पड़ती है वह उसके पास जाकर उसके सेहत के बारे में पूछते है उनका नाममनोहर पंडित होता है जिसका बैच उन्होंने अपने सीने पर लगाया होता है वह स्वभाव के बहुत ही अच्छा इंसान होते है क्युकी जहा एक तरफ हर लोग उसकी तबीयत खराब होने के बावजूद भी उसका मजाक उड़ाते जा रहे थे वही गुरु मनोहर पंडित उस से अच्छे से बाते करते जा रहे थे उनकी बात सुनकर गर्व कहता है जी मैं अब अच्छा हु और थोड़ा तलवारबाजी का अभ्यास करना चाहता हु गर्व की बात सुनकर वह उसको तलवारों की रैक की तरफ लेकर जाते है और वह अलग अलग तरह के तलवार रखे हुए होते है सबसे भारी पांच सौ किलो की होती है तो सबसे हल्की तीन किलो की होती है गर्व वाहपर दस किलो की तलवार को उठाता है वैसे तो गर्व इस वक्त चालीस किलो की तलवार को आसानी से उठा सकता था परंतु वह अपनी असली ताकत को किसी के सामने आने नही देना चाहता था जिस आराम से गर्व दस किलो की तलवार को उठाता है वह देखकर गुरु मनोहर पंडित खुश हो जाते है और उसे से कहते है अरे वाह तुम तो पहले के मुकाबले अब ठीक हो गए हो और अब मुझे कुछ तकनीकों का प्रदर्शन करके दिखाओ और वह उसेअखाड़े में लेकर आते है पूरा गर्व बहुत ही कमजोर होता है और वह बस कुछ ही तकनीकी को जनता था पर गर्व तलवारबाजी के उच्चतम तकनीकों में माहिर था उसके तलवार चलाने से तो बिजली के कड़कने की आवाज आती थी पर वह अपनी असली शक्ति को किसी के सामने दिखा नही सकता था इसलिए वह वह कुछ काम दर्ज की तकनीकों का प्रदर्शन करने का निर्णय लेता है उसकी तकनीकी को देखने के बाद वह गुरु गर्व से कहते है तुम अब स्वस्थ हो चुके हो और तुम्हे अब धीरे धीरे करते हुए अपनी शक्तियों को बढ़ाते हुए तुम भविष्य में एक अच्छे तलवारबाज बन सकते हो यह सुनकर गर्व आश्चर्यचकित हो जाता है क्युकी जहा एक तरफ सभी उसका मजाक उड़ाते हुए थकते नहीं थे वही दूसरे तरफ कोई उस से इतनी भरोसे वाली बाते कर रहा था यह सुनकर गर्व unse कहता है धन्यवाद गुरुजी मुझपर इन भर्ती करने के लिए यह सुनकर गुरु मनोहर पंडित उस से कहते है अरे मुझको धन्यवाद देने की कोई जरूरत नहीं है मेरा तो कम ही है की अपने विद्यार्थियों को शिक्षा देने का और शूरवीर योद्धाओं को बनाने का इतना कहकरवह उसे से तलवार को अपनी जगह पर रखकर कल वापस आने के लिए कहता है गर्व उनकी आज्ञा का पालन करते हुए तलवार को उसकी जगह पा रखकर वहा से निकल जाता है दरअसल वह इस दस किलो की तलवार को हफ्ता तक बिना रुके हुए चला सकता है पर वह अपनी असली ताकत को किसी को दिखा सकता है क्युकी अगर उसने अपने पिछले जन्म की तकनीकों का प्रदर्शन किया तो उसकी जान को खतरा उत्पन्न हो सकता है वहा से निकलते ही वह ध्यान वर्ग में जाता है और पूरे दिन ध्यान साधना में लगा रहता है क्युकी वह अभी भी उस आश्रम के सबसे ताकतवर लड़के से कमजोर ही होता है वह पानी और ज्यादा बेइज्जती होते हुए नही देख सकता है उसको भी इट का जवाब पत्थर से देना पड़ेगा अक्षय ही क्या दुनिया का कोई भी आदमी हो या औरत पिसाच या राक्षस कोई भी उसकी बेइज्जती करेगा या उसको नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करेगा तो वह अपनी ताकत से सामनेवाले को उसकी जगह का अहसास करा देगा उसकी यह ध्यान शक्ति को देखकरध्यान वर्ग के गुरु रमाकांत बिश्नोई आश्चर्यचकित हो जाते है उसे देखकर उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की यह वही गर्व है जो की पंद्रह मिनट भी ध्यान नहीं कर सकता था और वह आज पर दिन ही ध्यान में बैठा है यही नहीं बल्कि आश्रम के बाकी विद्यार्थी भी यह देखकर आश्चर्यचकित हो जाते है और न चाहकर भी उसकी ध्यान शक्ति की चर्चा सारे विद्यार्थियों मे होने लगती है वह चर्चा अक्षय के कानो तक भी पहुंच जाती है और वह यह सुनकर जल भुन जाता है भलेही उसकी ध्यान शक्ति गर्व से ज्यादा हो वह पूरे हफ्ते ध्यान में बैठ सकता हो पर गर्व का एक ही दिन में ध्यान करने में इतनी प्रगति करना बहुत आश्चर्य की बात होती है जिसके कारण वह जल भुन जाता है और वह चर्चाएं सुनकर उसको गुस्सा आ जाता है नही मेरे जैसा ताकतवर इस आश्रम में कोई नही है मेरा मुकाबला इस आश्रम में कोई भी नही कर सकता है मैं उस तुलतुल के बच्चे को मार डालूंगा पर वह ऐसा कर नही सकता था क्युकी आश्रम के अंदर लड़ाई झगड़ा करना सख्त मना होता है अगर आश्रम में रहकर कोई किसकी हत्या कर देता है तो उस काफी कड़ी सजा दीजाती थी पहले भी आश्रम के विद्यार्थियों द्वारा दूसरे विद्यार्थियों की हत्या हो चुकी थी उनको शिक्षा के तौर पर जंगल में ऊंचे पेड़ो पर बांध दिया गया थाउनको शिक्षा के तौर पर ऊंचे पेड़ो पर जैसे ही बांध दिया गया था फिर जंगल के उड़ने वाले जानवरों ने उनको नोच नोच कर खाया था उनकी चीखे पूरे दो दिनों तक जंगल में घूमती रही दरअसल वह गर्व को भलेही आश्रम में न मार सके पर बाहर जंगल में उसको आराम से मार सकता था और उसकी मौत को जानवरों की साथ हुई लड़ाई का नाम देकर भुला दिया जा सकता था छात्र अलग अलग प्रकार के खतरनाक जानवरो को मार सकते है जो जितने ज्यादा खतरनाक जानवरो को मारता उसको उतने ही ज्यादा अभ्यास संसाधन मिलते है और वह ज्यादा तेज गति से शक्तिशाली बन सकता है अगले दिन गर्व सुबह सुबह ही जंगल में जाकर अभ्यास करने का निर्णय लेता है हालांकि उसे पता था की इस आश्रम में कोई ना कोई उसको मारने की कोशिश कर रहा है वरना कैसे उसे उस युद्ध भूमि में पीछे से उसके सर पर चोट लगती यह काम उसके पास के ही किसी का हो सकता है वह उन हत्यारों को उस युद्ध भूमि से बाहर जाने के लिए मदत कर रहे थे वह तलवारबाजी के वर्ग में जाकर गुरु मनोहर पंडित से पंद्रह किलो की तलवार की मांग जंगल में शिकार करने के लिए करता है उसकी यहमांग सुनकर गुरु चौक जाते है और वह उस से पूछते है क्या तुम यह सच में करना चाहते हो क्युकी तुम अभी अभी बीमारी से ठीक हुए हो और तुम्हारा इतनी जल्दी जंगल में जाना ठीक नही है तो फिर गर्व उनसे कहता है तो फिर आप ही मेरी परीक्षा ले लीजिए अगर मैं आपकी परीक्षा में पास हो जाऊंगा तो ही मै जंगल में शिकार करने के लिए जाऊंगा अगर मैं आपकी परीक्षा में पास नही होता हु तो मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं जंगल में बिल्कुल भी नही जाऊंगा यह सुनकर गुरु उस से कहते है अगर तुम मेरे बीस वार से अपनी सुरक्षा करने मेंकामयाब रहते हो तभी तुम जंगल में शिकार करने के लिए जा सकोगे और मै तुम्हारी ताकत के बराबर ही अपनी ताकत रखूंगा तो यह लो तलवार यह कहकर वह एक पंद्रह किलो की तलवार को गर्व के सामने उछाल देते है और खुद भी एक पंद्रह किलो की तलवार को लेकर उसके सामने आ जाते है दरअसल मनोहर पंडित को शक होता है की सर पर चोट लगने के बाद के गर्व के दिमाग में कुछ गड़बड़ी तो नही आ गई है क्युकी उनकी भी ध्यान शक्ति उच्च स्तर की होती है और वह भी गर्व की परीक्षा लेना चाहते थे गर्व से भी यह बात छुपती नही है की गुरु उसकी परीक्षा लेना चाहते है फिर भी वह अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करके उनके पूरे बीस वार का सामना करने का निर्णय लेता है सावधान कहकर मनोहर पंडित हवा में छलांग लगाकर गर्व पर पहिला वार करते है गर्व तलवार को सर के ऊपर से गोल घुमाकर उनके वार को दूसरी दिशा में मोड़ देता है दूसरी दिशा में अपनी तलवार मुड़ते ही मनोहर पंडित अपनी तलवार को अपने कमर से सीधी पकड़कर गर्व के कमर परनिशाना लेकर सीधा वार करते है यह देखते ही गर्व अपनी तलवार को गोल घुमाकर फिरे उनके वार को दूसरी दिशा में भेज देता है अपने दोनो वार खाली जाते हुए देखकर मनोहर पंडित आश्चर्यचकित हो जाते है और फिर से गर्व पर वार करना चालू कर देते है पर गर्व उनके सभी वारो को आसानी से सामना करता है यह देखकर गुरू मनोहर पंडित आश्चर्यचकित हो जाते है और गर्व से गर्व के कंधो को थपथपाकर कहता है अरे वाह तुम सच में जंगल में जाकर शिकार करने के लायक हो गए हो पर सब से पहल तुम्हे पुस्तकालय में जाकर जंगल का नक्शा ले लेना चाहिए क्युकी भरतपुर के जंगलों में कई जगह पर खतरनाक प्राणी रहते है उनके जगह को वहा पर चिन्हित किया गया है भलेही भरतपुर एक छोटा राज्य है पर भरतपुर के जंगल काफी घने और खतरनाक होते है यह पर अगर तुम ध्यान से नही रहे तो तुम्हे जान भी गवानी पड़ सकती है ठीक है मैं अपना ध्यान रखूंगा इतना कहकर गर्व गुरु मनोहर पंडित जी से विदा लेता है और पुस्तकालय से जंगल का नक्शा लेकर जंगल की ओर निकल पड़ता है जैसे वह जंगल की ओर जाता है वह अपनी गति को एकदम से बढ़ा लेता है क्युकी उसे शक होता है की उसकी जंगल में जाने की बात को सुनकर उसका जंगल में जरूर ही पीछा किया जाएगा उसके जंगल में जाने की बात को सुनकर वह हमलावर उसका जरूर ही पीछा करेगा इसलिए वह अपने पिछले जन्म में याद किए हुए गति मंत्र का इस्तेमाल करता है उस मंत्र को चालू करते ही गर्व महज एक सेकंड में चालीस मीटर की गति को प्राप्त करता है और महज बीस मिनट में चालीस किलोमीटर दूर तक्षक पहाड़ी पर पहुंच जाता है दरअसल गर्व ने भरतपुर के जंगल के नकाशे को अपने दिमाग में पूरी तरह से याद कर लिया था और उसे दस बार नक्शा खोलने की जरूरत नहीं थी तक्षक पहाड़ी पर पहुंचते ही वो वहा पर रुक जाता है और जोर जोर से सास लेने लग जाता है क्युकी इस जन्म में उसने पहली बार गति मंत्र का इस्तेमाल करता है और यह शरीर उस गति को झेलने में इतना सक्षम नहीं होता है पिछले जन्म में तो वह एक ही गति मंत्र का इस्तेमालकरते हुए पूरी दुनिया के दस चक्कर लगा सकता था वह फिर कुछ फल तोड़कर और नदी का पानी पीकर कुछ देर तक आराम करता है और इधर आश्रम मे जैसे ही अक्षय को पता चलता है कि गर्व जंगल में शिकार करने के लिए गया है वह जोर जोर से हंसने लगता है और कहता है छछुंदर पलंग से उठा नही और जंगल में मंगल करने के लिए निकल गया अच्छा हुआ बेटे तू जंगल में गया तूने मेरे साथ जबान लड़ने की हिम्मत की अब तो तेरा मैं जंगल में ही मंगल कर दूंगा