हत्या की कोशिश

ऐसा सोचकर वह अपने कुछ साथियों को इकट्ठा करता है और सब अपने अपने हथियार लेकर जंगल में शिकार करने के बहाने गर्व की हत्या करने के लिए निकल पड़ते है जंगल में जाते ही वह सबको कहता है की हमे सबसे पहले गर्व को ढूंढना है कोई भी किसी भी जानवर की शिकार नही करेगा इतना कहकर वह सबको अलग अलग दिशा में भेज देता है इधर गर्व अपनी थकान मिटाकर तक्षक पहाड़ी का निरीक्षण करने लग जाता है और उसे वाह पर कई सारी गुफाएं नजर आती है उन गुफाओं में उसे कई सारे जंगली जानवर भी नजर आते है वह वाहपर एक छोटी गुफा में जाता है वाह पर कोई भी जंगली जानवर मौजूद नही होते है और उस गुफ़ा में वह एक पैर पर खड़े होकर ध्यान करने लग जाता है और वह वहा पर लगातार चार दिनों तक ध्यान करते रहता है ध्यान करने के बाद उसे महसूस होता है की उसकी शक्तियां पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई है और वह इसके कारण खुश हो जाता है और वह गुफा से बाहर निकल जाता है वह आश्रम में  रहकर भी ध्यान कर सकता था पर वहा रखकर वह अपनी पूर्ण शक्ति लगाकर काम नही कर सकता था वह ऐसा करता तो किसी को उस पर शक हो जाता इसीलिए उसको जंगल में आने का निर्णय लेना पड़ा वह फिर अपने आश्रम में जाने का निर्णय करता है क्युकी इस जंगल में ज्यादा दिनों तक रहना उस के लिए खतरनाक साबित हो सकता है दीक्षित पहाड़ी के नीचे उतरकर कुछ दूर चलते ही उसे आवाज आती है अरे वा तुलतुल के बच्चे तू तो बहुत दूर आ गया रे वह यहां वहा देखता हैं पर उसे कोई दिखाई नहीं देता है अरे यह वहा नही इधर इधरगर्व जैसे ही ऊपर देखता है उसे वहा पर एक लड़का बैठा हुआ  दिखता है गर्व उसे पूछता है की तुम कौन हो और तुम्हे मेरे साथ क्या काम है इससे वह लड़का हंसते हुए कहता है इस से कोई फर्क नहीं पड़ता की मैं कौन हु तुम्हे मेरे भाई अक्षय ने याद किया है और तुम्हे उस के पास चलना पड़ेगा फिर गर्व उस से और एक सवाल पूछता है की आखिर तुम ने मुझे ढूंढा कैसे फिर उस लड़के ने कहा उसकी चिंता तुम मत करो की मैने तुम को कैसे ढूंढा तुम्हे तो बस मेरे साथ चलना पड़ेगा और अगर मैं ना कहूं तो गर्व ने उस से कहा तो फिर मुझे तुम्हारे हाथ पैर तोड़कर तुम्हे अक्षय भैया के पास लेकर जाना पड़ेगा उस ने हंसते हुए ही गर्व को  जवाब दिया तो फिर गर्व उसे से कहता है तुम्हे जो करना है वह तुम कर सकते हो और मुझे जो करना है वह मैं करूंगा इतना कहकर गर्व अपने रास्ते से आराम से जाने लगता है यह देखकर वह लड़का आग बबूला हो जाता है और वह पेड़ से छलांग लगाकर सीधा नीचे आ जाता है वह जिस जगह पर नीचे कूदता है उस जगह की मिट्टी चारो तरफ हवा में उड़ जाती है और वह गर्व से कहता है तुम्हारी यह हिम्मत जो की तुम मेरे जैसेभूमि चरण के टॉप योद्धा से ऐसे बात करो उसकी बातो को सुनकर गर्व अपनी ध्यान शक्ति को जागृत कर देता है और अपने आजू बाजू की सौ मीटर के दायरे की हर एक हलचल की जानकारी इकट्ठा करने लगता है दरअसल योद्धयो के अलग अलग चरण होते है पहला भूमि चरण दूसरा वायु चरण तीसरा आकाश चरण और इसके भी आगे कई सारे चरण होते है गर्व भलेही भूमि चरण के निचले स्तर का योद्धा हो पर उसको अपने पिछले जन्म के कई सारे युद्ध के मंत्र याद थे जिसके उपयोग से वह अपने से ज्यादा के युद्ध मंडल के योद्धाओं का भी सामना कर सकता था और उसकी ध्यान शक्ति भी बहुत मजबूत थी और उसने चार दिनों में भी अपनी शक्ति को बहुत ज्यादा बढ़ा लिया था और यह वायु चरण के पहले स्तर के योद्धा का भी आसानी से सामना कर सकता था इस लिए गर्व को उस से डरने की कोई भी आवश्यकता नहीं थी वह लड़का अपनी पचास किलो की तलवार को लेकर गर्व के पीछे दौड़ पड़ता है और उस के पीछे जाकर उस के  पीठ पर वार करता है और फिर गर्व हल्का सा बाजू झुकते हुए पीछे पलट जाता है जिससे की वह उस तलवार के वार से बच जाता है और वह तुरंत ही उस केकलाई को पकड़कर मरोड़ देता है कलाई के मरोड़ते ही उसकी तलवार नीचे गिरने लगती है और उसी तलवार के हैंडल को पकड़कर उस तलवार की नोक को गर्व उस लड़के के गले पर रख देता है और उस से कहता है हा तो तुम क्या कह रहे थे मुझे कुछ सुनाई नहीं आया वह क्या है न मेरे कान की शक्ति कम हो गई है और मुझे कुछ कम सुनाई आता है गर्व की तलवार चलाने की इस तकनीक को देखकर वह लड़का हक्का बक्का रह जाता है किं जो लड़का कलतक पांच किलो की तलवार को भी नही उठा सकता था वह आज एकदम से पचास किलो की तलवार को आराम से उठाकर चला रहा है गर्व तलवार की नोक को इस लड़के कि गर्दन से सटाकर उसको पीछे पीछे लेकर जाता है  और उसे एक पत्थर पर लाकर उसे रोक देता है वह तलवार को हल्की सी उस लड़के के गले के अंदर डालता है और उस से खून की कुछ बूंदे उसके गले से बाहर निकलती है यह देखकर वह लड़का डर जाता है उसके डर को देखकर गर्व उस से पूछता है हा तो मैं अब तुम से कुछ सवाल पूछूंगा और तुम उस के सही सही जवाब दोगे बोलों दोगे या नहीं गर्व चिलाकर कहता है जिस से सन्नाटे भरे जंगल में उसकी आवाज फैल जाती है गर्व का रूप उस वक्त एक दानवी भूत से कम नहीं लग रहा होता हैं यह देखकर उस लड़के के शरीर से खून के साथ साथ पसीना भी बहना चालू होता है गर्व पूछता है की क्यू अक्षय उसे बुलाना चाहता है और उसको मुझसे क्या काम है तो वह कहता है कि मुझे उस के बारे में कुछ मालूम नही मैं तो बस अक्षय के दिए हुए आदेश का पालन कर रहा था क्या तुम उस के नौकर हो जो की तुम उस के आदेशों का पालन करते जाओगे इसपर वह कहता है दरअसल हम इस राज्य के नही है हम दूसरे राज्य के और दूसरे कबीले के जासूस है और इस राज्य की जासूसी करने के लिए ही हम इस राज की सेना में भर्ती होना है आखिर तुम किस कबीले से तालुख रखते हो गर्व ने पूछा उस ने कहा हम तांडव कबीले से तालुक रखते है गर्व को बातो में उलझा हुआ देखकर वह लड़का अपने पीछे से खंजर निकालने की कोशिश करता है यह देखकर गर्व एक झटके मे ही उस के गले की हड्डी को काटकर रख देता है और उसकी तड़प तड़प कर मौत हो जाती है इसके बाद गर्व जल्द ही जंगल में जाकर एक जानवर का शिकार करता है और उसके पंजों को उसके गले में डाल देता है और उसकी तलवार को वापस उसी के हाथ में रखकर उसको उस जानवर के पेट में डाल देता है क्युकी देखते वक्त ऐसा लगे कि उसकी जानवर के साथ लड़कर मौत हो गई है और अपनी वही पंद्रह किलो की तलवार को लेकर वापस आश्रम की तरफ निकल पड़ता है उस लड़के की तरह गर्व अक्षय के बाकी साथियों की भी हत्या कर देता है जिनमें कुछ लड़किया भी शामिल होती है और वह अक्षय   को भी अपनी ध्यान शक्ति की मदद से ढूंढने लग जाता है पर वह उसको ढूंढ नही पाता और फिर वह वापस आश्रम की ओर निकल पड़ता है आश्रम में जाकर वह अपनी तलवार को मनोहर पंडित जी को वापस सौप देता है और जंगल में से इक्कठा किए हुए जानवरो के कीमती अंगो को भी वह गुरु को सौप देता है यह देखकर मनोहर पंडित खुश हो जाते है अरे वा गर्व तुम तो सच में बदल ही गए हो और तुम्हे अब तो सैन्य प्रवेश परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए वह बस कुछ ही हफ्ते दूर है और तुम्हे अपनी पूर्ण शक्ति इस परीक्षा पर लगानी चाहिए तभी आश्रम के बाहरजोर जोर से शोरगुल होने की आवाज होती है तो मनोहर पंडित और गर्व बाहर आकर देखते है की क्या हो रहा है तभी वह देखते है की भरतपुर राज्य के वायु मंडल के सैनिक आश्रम के छह सात लड़के लड़कियों की लाशों को लाकर रखते है यह देखकर गुरु मनोहर पंडित हक्के बक्के रह जाते है दरअसल मनोहर पंडित उन सबको जानते थे वह उनके ही विद्यार्थी थे आखिर इन सबकी मौत कैसे हुई यही सवाल वह उन सैनिकों से पूछते है गर्व अपनी शक्ल पर कोई भी भाव नही लाकर शांत खड़ा रहता है इन सबको तो उस ने हो जंगल में मारा होता है दरअसल उसको हर एक एक कमजोर आदमी ही समझते है भलेही वह कुछ समय से अच्छा प्रदर्शन कर रहा होता है फिर भी उसपर किसी का शक नहीं जाता है तभी गुरु मनोहर पंडित गर्व से पूछते है की क्या तुम्हारी इन लोगो से जंगल में भेट हुई थी तब वह कहता है नही गुरुजी जंगल में इन लोगो से मेरी भेट ही नई हुई थी जरूर इनका किसी बड़े जानवर से सामना हुआ होगा इसीलिए यह सब मारे गए अच्छा हुआ की मेरी इन लोगो से मुलाकात नही हुई नही तो मैं भी इन लोगो की तरह मारा जाता इस वक्त अक्षय को गर्व पर पूरा शक हो रहा था पर उसे पता था कि उसक साथी गर्व से ज्यादा ताकतवर थे और वह आराम से गर्व की हत्या कर सकते थे फिर भी उसको गर्व पर संदेह हो रहा था इतने सारे आश्रम की लोगो की हत्या होने से आश्रम में एकदम डर का माहोल हो गया था इतने सारे विद्यार्थियों की जानवरो के द्वारा हत्या नही हो सकती है उनको जंगल के जानवरो से बचने की अच्छे से शिक्षा प्राप्त थी फिर एक ही दिन में इतनी सारी मौते कैसे हो सकती है यह देखकर सबके मन में गर्व को लेकर एक अजीब सा डर बैठ जाता है क्युकी वह गर्व और जिनकी मृत्यु हुई थी वह एक ही दिन में जंगल में गए थे पर गर्व वापस जिंदा लौटकर आया और बाकी लोग मरकर जंगल से वापस आए यह कोई इतेफाक नही हो सकता है