परंतु सबको पता होता है की गर्व एक कमजोर इंसान होता हैवह इतने सारे लोगो की हत्या नही कर सकता है उसके हाथो यह होना असम्भव है यह समझकर आश्रम के सारे विद्यार्थियों के मन में गर्व के नाम का एक अजीब सा डर बैठ जाता है पर अक्षय के मन मे नही तूने भले ही इन सबको एक एक करकर मारा होगा पर उन सब बदला मैं तेरी एक एक हड्डी को तोड़कर चुकता करूंगा अक्षय ने गर्व को देखते हुए अपने मन ही मन में कहा परिस्थिति को संभालते हुए गुरु मनोहर पंडित सारे विद्यार्थियों से कहते है आज हमे बहुत बड़ी हानि हुई है इसलिए मैं निर्णय लेता हु की आज से आश्रम के सभी विद्यार्थियों को जंगल में जाने से मनाई होगी और जब तक इन मौतों की तहकीकात नही हो जाती कोई भी जंगल में नही जा सकेगा दरअसल गुरु मनोहर पंडित इस आश्रम के वरिष्ठ गुरु होते है उन्होंने भरतपुर के लिए कई युद्धो में सहभाग लिया था उनकी बात को काटने की हिम्मत आश्रम के मुख्य अधिकारी भी नही कर सकते है इसके बाद वह उन सैनिकों की तरफ मुड़ते है और उनसे कहते है आपका काम यहि पर खतम हो गया है हम इनका सही से अंत्य संस्कार कर लेंगे और आप अभी वापस जा सकते है जी गुरुजी वह सैनिक उनसे उनसे कहते है और वह वापस चले जाते है इस घटना को देखकर आश्रम के विद्यार्थियों के मन में गर्व के नाम का एक अलग सा अजीब सा डर बैठ जाता है और कोई भी उसको तुलतुल बुलाने कि हिम्मत नही करता बस एक को छोड़ कर और वह है अक्षय अक्षय भले ही अकेला पड़ गया हो पर उसमे अब अपने साथियों की मौत का बदले की आग जल रही होती है गर्व की आंखे उस अक्षय की आखों से मिलती है गर्व उसको देखकर अच्छे से बता सकता था की उस अक्षय के मन में उसके लिए बहुत ज्यादा नफरत का भाव पैदा हो गया है इस के बाद दिन बीतते जाते है और वह दिन भी जल्दी ही आता है जिस दिन भरतपुर राज्य की सैन्य भरती परीक्षा होने वाली होती है परीक्षा उसी आश्रम के एक बड़े से मैदान में आयोजित की गई होती है वहा उसी आश्रम से नही बल्कि भरतपुर राज्य के बाकी के दस आश्रमों से भी विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए आनेवाले होते है परीक्षा के कुल चार चरण होते है हर चरण में पास होने वाले विद्यार्थी ही अगले चरण में जा सकते है अगर कोई किसी चरण को पास नही कर सका तो उसे बाहर कर दिया जाएगा और उसे फिरसे अगले साल इसी परीक्षा के लिए प्रयास करना पड़ेगा गुरु मनोहर पंडित सारे विद्यार्थियों को एकत्रित करके उनको संबोधित करते है मेरे प्रिय शिष्यों आज वह दिन आ गया है जिस दिन तुम्हे अपनी ताकत दुनिया कों दिखा देनी है तुम्हे दिखा देना हैंकी आखिर तुम किस चीज के लिए इस दुनिया में आए हुए हो भलेही तुम्हारे माता पिता इस दुनिया में नही है पर किसी की प्रतिभा उसके माता पिता के पैसे से नही बल्कि उनके खुद के कर्मों से होती है बोलो महाराज अश्वध् की जय उसके बाद सारे विद्यार्थी भी जयघोष करते है महाराज अश्वध की जय महाराज अश्वध की जय यह सुनकर उसकी आवाज उसके गले में ही अटक जाती है यह महाराज अश्वध कबसे इतना बड़ा हो गया की सारे दुनिया के राज्य के लोग उसकी जयजयकर करे दरअसल गर्व के मरने के बाद उसके बही अश्वधने पूरी दुनिया में अपना एक छत्री राज कायम किया होता है उसने कई राक्षसों और पिशाचों और कई राजनेताओं की हत्या कर दी थी और पुरी दुनिया में उसके एक छत्री राज कायम हो गया था जैसे ही महाराज अश्वद का दुनिया ने एक छत्री राज कायम हो गया था पूरी दुनिया के राज्य उन्हे कर के स्वरूप में कई सारी सुवर्ण मुद्राएं देते थे गर्व सोचता है की मेरे भाई ने तो मेरे मरने के बाद काफी प्रगति कर ली है और सारे लोग उसको इतना आदर मान सम्मान देते है उसी मैदान में एक तरफ उसके पिछले जन्म के भाई अश्वद की एक बड़ी पच्चास फीट की मूर्ति लगी हुई थी जिसमे से उच्च दर्जे की जादुई शक्ति निकल रही थी उसको देखकर गर्व ने मन ही मन में कहा अरे वाह बेटे मौज कर दी सारे दुनिया पर तो तू राज करने लगा है तभी मूर्ति के सामने बने स्टेज पर से घोषणा होती है सारे छात्र और छात्राएं इधर अपनां ध्यान दे आज वह दिन है जिससे आपके भविष्य का निर्णय होने वाला है आज की परीक्षा में अपनी पूर्ण शक्ति लगा दे और जिससे की भविष्य में आप एक वीर योद्धा बनकर भरतपुर राज्य का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो जाएं इसी मैदान के बाजू बने इमारत में आपकी पहली चरण की परीक्षा होगी जो पहली चरण के परीक्षा में पासहो गए वह अगले चरण की परीक्षा के लिए उत्तीर्ण हो जायेंगे और जो पहले चरण में सफल नही होंगे उनको निराश होने की कोई जरूरत नहीं है वह अगले साल पूरी तैयारी करकर फिर से प्रयास कर सकते है आपको परीक्षा के लिए मेरे और सैन्य प्रशिक्षण संस्था की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भगवान आपको सफल करे बोलों महाराज अश्वद की जय इतना कहते ही मैदान में महाराज अश्वद कि जय महाराज अश्वद् की जय की ध्वनि गूंज उठी इसके बाद सारे छात्र मैदान के बाजू बने बड़े से इमारत की तरफ जाने लगे दिखाने में वह इमारत भव्य दिव्य थी इसकी ऊंचाई पचास मीटर से अधिक और चौड़ाई बीस मीटर से अधिक थी यहां अलग अलग आश्रम के छात्रों का अलग अलग से पंजीकरण हो रहा था उसके जरिए हिं पहले चरण की परीक्षा होने वाली थी गर्व के आश्रम के छात्रों के बीच एक अलग ही चर्चा होते जा रही थी क्या वह तुलतुल नही नही गर्व भैया इस बार कुछ अलग और बड़ा कर के दिखायेगा गर्व भैया के आजकल रंग ढंग कुछ अलग ही दिखाई दे रहे है एक लड़के ने कहातभी दूसरे लड़के ने कहा अरे वह क्या कर सकता हैं वह भलेही कुछ दिनों से अच्छी प्रगति कर रहा है पर हम यह नहीं भूल सकते हैं की वह एक महीने पहले ही बिस्तर से उठा है इतने कम वक्त इतनी ज्यादा प्रगति करना असम्भव है वह भलेही कम आवाज में इसकी चर्चा कर रहे हो पर गर्व की ध्यान शक्ति बढ़ जाने के कारण उसकी कई सारी जादुई शक्तियां खुल गई होती है और वह अब चोटे से चोटे आवाज को भी सुन सकता ह पर वह इन बातो पर कोई भी ध्यान नहीं देता और अपने पंजीकरण की प्रतीक्षा करता है जल्द ही उसका पंजीकरण होता है और वह परीक्षा देने के लिए एक बड़े से कमरे में पहुंच जाता है और देखता हैं की वहा एक बड़ी काली चट्टान की दीवार होती है और कतार में सबसे आगे वाले छात्र को उस दीवार पर एक मुक्का मारना होता है उस दीवार पर मुक्का मारते ही उस पत्थर के बाजू बने आईने मे एक संख्या आती है जिसकी संख्या पचास से कम आती है वह इस प्रथम चरण में फेल हो जाता है और जो पचास किलो या उस से ज्यादा के अंकलाता है वह अगले चरण के लिए पात्र हो जाता है एक एक करते हुए सारे छात्र उस पत्थर पर मुक्का मार रहे थे किसी का मुक्का चालीस किसी का पचपन तो फिर कोई बीस या तिस किलो ही मुक्का मार रहे थे पच्चास या उस से ज्यादा किलो के मुक्के मरने वाले अगले चरण के लिए पात्र हो रहे थे और बाकी सब निराश हो कर बाहर जा रहे थे जैसे ही गर्व की बारी आई उसको देखकर यह परीक्षा लेने वाला शिक्षक उस से हंसते हुए कहता है अरे इतने सालो से तुम यह परीक्षा दे रहे हो तुम हर बार ही इसमें विफल हो जाते हो तुम यह परीक्षा देना छोड़ क्यूं नहीं देते क्यू अपना और दूसरो का वक्त खराब करतें हो उसके इतना कहते ही गर्व अपना हाथ तेजी से ऊपर उठाता है और उस शिक्षक की तरफ देखता है ऐसा लगता है की वह उस शिक्षक को ही मुक्का मार देगा वह अपना हाथ पीछे खींचता है और बस अपनी आधी ताकत लगाकर ही दीवार पर मुक्का मार देता है उसके मुक्का मारते ही वह दीवार हिलने लग जाती है और आईने मे नंबर आते है सत्तर किलों यह देखकर तो उस शिक्षक को ही पसीने आने लगते है क्युकी इतनी ताकत तो उसशिक्षक की भी नही होती है और उसने अभी अभी गर्व का गंदा मजाक उड़ाया था