वह रोशनी तलवार से निकलते जा रही थी यह वही है केदार जोर से चिल्ला कर कहता है उसको देखकर गर्व भी सोच में पड़ जाता है यह तो वही दो तलवार है जोकि कालीचरण के पास थी पर एक तांडव कबीले का प्रमुख खुद ही उसकी जान लेने के लिए जंगल में उसका पीछा क्यों करेगा एक अनाथ आश्रम के मामूली लड़के को मारने के लिए वह खुद तो नहीं जा सकता वह इसके लिए अपने यहां मौजूद बाकी के हत्यारों को भेजेगा अचानक वह तलवारें तेज रोशनी से चमकना चालू होती है और उस तलवार की रोशनी में से उस पक्षी के पीठ पर मौजूद उस आदमी का चेहरा भी साफ साफ दिखाई देने लगता है इस आदमी के चेहरे का आधा भाग पूरा काला होता है और उसके चेहरे को देख कर ही गर्व समझ गया कि यही कालीचरण है कालीचरण की नजर जैसे ही आसमान से गर्व की तरफ पड़ती है उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है मानो उसे अपना शिकार मिल गया हो अचानक से वहां मौजूद सारे काले घने बादल तितर-बितर होने लगते हैं और वहां पर सैकड़ों की तादाद में बाज पक्षी मंडराना चालू होते थे यह सारे बाज पक्षी पूरे पैर से लेकर पांव तक काले होते हैं सिर्फ इनकी आंखें ही पूरी सफेद होती है और नीचे जमीन पर हजारों की तादाद में हत्यारे खड़े हो जाते हैं साथ ही उनके साथ उनके पालतू जानवर भी होते हैं कोई कोई जानवर तो 15 फीट से भी बड़े होते हैं ऐसा लग रहा था कि इस बार उन तांडव कबीले के हत्यारों ने अपना पूरा दम आज रात को लगा दिया था वह सारे हत्यारे भरतपुर राज्य के नाम और अस्तित्व को दुनिया से मिटा देना चाहते थे इसके बाद कालीचरण जिस पक्षी पर बैठा हुआ होता है वह नीचे जमीन पर आता है और वह अपने पक्षी को नीली ऊर्जा के सुरक्षा कवच के तरफ लेकर जाता है इसके साथ ही वह कारागार की पूरी जमीन और जोर-जोर से हिलना चालू होती है और उस जमीन पर जगह-जगह दरार उत्पन्न होते जा रही थी यह देखकर कारागार के ऊपर सुरक्षा दीवार पर मौजूद सैनिक जल्दी से नीचे आने लगते हैं और कारागार के बाहर की तरफ भागते हैं तभी गर्व की कारागार की इमारत के अंदर मौजूद उस यंत्र पर नजर पड़ती है जिससे नीली उर्जा को नियंत्रित किया जाता है गर्व तुरंत ही वहां मौजूद सारे लोह मानव को कारागार के बाहर की तरफ भागने के लिए कहता है और वह उन्हें यह भी कहता है कि आज रात कुछ भी हो जाए और वह सारे मेरे पीछे नहीं आएंगे उन्हें अपनी आखिरी सांस तक अपने खून की आखिरी बूंद तक उन हत्यारों से लड़ना है इसके बाद वह सारे लोह मानव कारागार की बाहर की तरफ भागते हैं उन्हें गर्व पर पूरा यकीन था कि वह सारे लोगों के जाने के बाद वह आखरी में कारागार के बाहर आएगा इसलिए वह तेजी से भागते हुए कारागार के बाहर पहुंच जाते हैं वह पीछे पलट कर देखते हैं कि गर्व अभी भी कारागार में मौजूद था और वह कारागार के इमारत के अंदर की तरफ भाग रहा होता है इस वक्त कालीचरण का पक्षी अपने आंखों से नीली ऊर्जा के सुरक्षा कवच पर छेद कर रहा होता है वह सारे नीली ऊर्जा को अपनी आंखों से अपने शरीर में भेज रहा होता है जिससे कि उसके शरीर का पूरा काला रंग बदलकर नीला होते जा रहा था वह नीली ऊर्जा का सुरक्षा कवच कारागार की इमारत के पीछे ही था और इस वक्त गर्व तेजी से कारागार की इमारत के अंदर की ओर भागे जा रहा था इस वक्त वह लोह मानव किसी भी चीज की परवाह नहीं कर रहे थे और जोर जोर से चिल्लाए जा रहे थे गर्व पीछे आओ गर्व पीछे आओ सामने खतरा है सामने खतरा है उन लोह मानव को यह कहते हुए देखकर की गर्व पीछे आओ वहां पर मौजूद आकाश मंडल के सैनिकों की आंखें बड़ी हो गई थी वह सोच रहे थे कि क्या उस गर्व ने लोह मानवों की टुकड़ी में घुसपैठ तो नहीं की है तभी वहां पर ढोल नगाड़ों की जोरदार आवाज होने लगती है राजा अपने पालतू पक्षी के साथ वहां पर उड़ कर आ रहा होता है इस वक्त राजा ने मिश्र धातु का कवच पहना होता है और वह कवच रात के अंधेरे में भी तेज रोशनी से चमकते जा रहा था उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि स्वर्ग से कोई देव मानव धरती पर युद्ध करने के लिए उतर आया है राजा जिस पक्षी पर बैठा हुआ होता है वह भी बाज पक्षी ही होता है पर इस बाज पक्षी का रंग पूरा सफेद होता है और उस पक्षी के शरीर पर भी राजा की ही तरह मिश्र धातु से बना हुआ कवच होता है जो कि रात के अंधेरे में भी तेज रोशनी के साथ चमकते जा रहा था राजा का पक्षी भी 30 मीटर से ज्यादा बड़ा होता है राजा के पीछे पीछे भी कई सारे बाज पक्षियों के ऊपर सैनिक चले आ रहे थे उनके हाथों में तलवार तीर धनुष के साथ-साथ कई सारे हथियार होते हैं नीचे जमीन पर भी कई सारे सैनिक रास्तों से चले आ रहे थे वहां पर हजार से भी ज्यादा लोह मानव चले आ रहे थे जिसके कारण पूरी जमीन हिलते जा रही थी हजारों भरतपुर राज्य के सैनिक भी कारागार की तरफ चले आ रहे थे उन सब ने जैसे ही देखा कि वहां पर कुछ लोह मानव लगातार गर्व के नाम को पुकार रहे थे तो उन्हें गुस्सा आ गया साथ में राजा को भी गुस्सा आ गया वह सैनिक और लोहा मानव की तरफ गुस्से से बढ़ रहे थे पर तभी राजा आसमान से नीचे आकर उन सैनिकों को रोकता है और नहीं का इशारा करता है क्योंकि इस वक्त राज्य पर तांडव कबीले के हत्यारो का सबसे बड़ा खतरा होता है इन लोगों से राजा बाद में भी निपट सकता है पर अभी इस वक्त अपना ध्यान बड़े खतरे पर लगाना जरूरी था वह लोग मानो किसी भी चीज की परवाह नहीं कर रहे होते हैं उन्हें मालूम चल गया कि यहां पर राजा के साथ-साथ बाकी के सैनिक भी उनकी तरफ घूरे जा रही थे फिर भी वह लगातार गर्व को पीछे आने के लिए कहते जा रहे थे इस वक्त कालीचरण अपने बाज पक्षी के पीठ पर बैठा हुआ था उसका पक्षी लगातार उस नीली ऊर्जा के सुरक्षा कवच की ऊर्जा को अपनी आंखों से अपने अंदर सोखते जा रहा था जैसे जैसे वह ऊर्जा को सोखते जाता वैसे वैसे उस पक्षी के शरीर में बदलाव आते जा रहा था उसका शरीर पहले से काफी मजबूत होते जा रहा था उसके शरीर पर नए बाल आते जा रहे थे जो की पूरी तरह से निले थे और वह चमकते भी जा रहे थे उस पर बैठा कालीचरण इस वक्त सुरक्षा कवच के अंदर हो रहे सारे घटनाक्रम को बड़े चाव से देख रहा था दरअसल उसने ही सारे राज्य के लोगों में गर्व के प्रति नफरत के भाव को पैदा किया था अगर गर्व इस राज्य के सैनिकों से मिल जाता तो इस राज्य की शक्ति कई गुना तक बढ़ जाती इसलिए उसने पहले से ही अपने जासूसों की मदद से गर्व के प्रति जनता में नफरत के भाव को पैदा किया कालीचरण राजा के साथ-साथ बाकी के सैनिकों और कारागार के अंदर भाग रहे गर्व के तरफ चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर देखे जा रहा था वह सोच रहा था कि यह टुकड़ा टुकड़ा समुदाय के लोग आपस में ही लड़ मरेंगे तो उन्हें मारने के लिए तो उसे अपने तांडव कबीले के हत्यारो की भी जरूरत नहीं कारागार के परिसर के 30 मीटर दूर राज्य का सुरक्षा कवच था और इसके उस पर से ही कालीचरण अंदर का सारा नजारा देखे जा रहा था पर इन सबसे दूर गर्व लगातार जमीन में अंदर धसती हुई कारागार की इमारत के अंदर दौड़ते जा रहा था वह कारागार के मुख्य इमारत के अंदर भी पहुंच गया था कारागार के परिसर के बाहर वह दस बारह लोह मानव लगातार चिल्लाते चीखते जा रहे थे की गर्व बाहर आओ बाहर आओ यहां तक कि वह अपने पास खड़े राजा और बाकी के सैनिकों की भी बिल्कुल चिंता नहीं करते और लगातार गर्व को बुलाते जा रहे थे अचानक उस कारागार की जमीन पर कि दरारे और बड़ी होती गई और पूरी कारागार की जमीन एक साथ नीचे धंस गई और वह लोह मानव चीखते ही रह गए उन्होंने देखा कि कारागार की पूरी अंदर की जमीन पहले से ही खोकली हो गई थी पूरी कारागार की जमीन 2 किलोमीटर जितनी बड़ी होती है वह पूरी की पूरी एकदम से जमीन के नीचे धस गई और वहां पर 2 किलोमीटर लंबा जमीन में गड्ढा हो गया उस गड्ढे में से कारागार की इमारत नीचे जमीन के अंदर गिरते जा रही थी और वहां खड़े सारे के सारे सैनिक और राजा वीर प्रताप सिंह इस नजारे को देखते ही रह गए उन्हें तो इस बात का दूर-दूर तक पता नहीं था कि यह तांडव कबीले के हत्यारे इतनी बड़ी जमीन के नीचे इतनी जल्दी इतना बड़ा गड्ढा कर सकते हैं नीचे जमीन के धसते ही वह सारे देखते हैं की वहां पर से कई सारे भेड़िया मानव कूद कूद कर जमीन के बाहर आने की कोशिश करते जा रहे थे इनकी संख्या हजारों से भी ज्यादा होती है उन्होंने ही इस कारागार की जमीन के अंदर इतना बड़ा गड्ढा किया था और वह सारे भेड़िया मानव इसी गड्ढे में से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे होते हैं उस गड्ढे की दीवार पर हर जगह भेड़िया मानव ही भेड़िया मानव दिखाई दे रहे थे वह गड्ढे की दीवार पर ऊपर की तरफ चढ़ने की कोशिश करते जा रहे थे यह गड्ढा कितना गहरा था इसका अंदाज कोई भी नहीं लगा सकता था अगर इतने सारे भेड़िया मानव शहर में आ गए तो इनकी संख्या लाखों में जा सकती है उनको देखकर वहां मौजूद राजा के साथ साथ सारे सैनिकों का मुंह खुला का खुला रह गया उनके मुंह के तरफ देखकर कालीचरण अपनी हंसी को रोक नहीं पाया और जोर से ठहाका मारकर हंस पड़ा कालीचरण की हंसी को देखकर राजा का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया पहले तो उन लोहमानवो का गर्व का नाम लेना बाद में भेड़िया मानवो का इस गड्ढे में से निकलना इससे वजह से ही राजा वीर प्रताप सिंह को बहुत गुस्सा आ गया था अगर उसका बस चलता तो वह इन लोह मानवों को अभी के अभी इसी जगह पर मार देता उसके ऊपर कालीचरण का राजा की तरफ देखकर हंसना इससे राजा अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाया और उसने आदेश दिया सुरक्षा कवच के एक हिस्से के दरवाजे को खोल दो आदेश मिलते ही कालीचरण और उसका पक्षी जहां पर खड़ा होता है वहां पर एक 40 मीटर लंबा दरवाजा खुलता है यह दरवाजा उसने सुरक्षा कवच पर 40 मीटर लंबा छेद होता है वह दरवाजा खुलते ही कालीचरण अपने पक्षी के साथ हवा में उड़कर शहर के अंदर आता है और राजा भी अपने बाज पक्षी के साथ हवा में उड़ जाता है वह दोनों भी हवा में एक दूसरे की तरफ बढ़ते हैं उन दोनों पक्षियों के हवा में उड़ने से हवा में कंपन उत्पन्न होते जा रही थी और यह कंपन चारों दिशा में फैलती जा रही थी यह दोनों भी पक्षी उस 2 किलोमीटर गड्ढे के ऊपर से एक दूसरे की तरफ उड़ते जा रहे थे एक तरफ से काला बाज पक्षी और दूसरी तरफ से सफेद बाज पक्षी वह हवा से भी तेज गति से हवा में कंपन पैदा करते हुए एक दूसरे की तरफ उड़ कर जाते हैं और आसमान में ही 2 किलोमीटर के गहरे गुड गड्ढे के 200 मीटर ऊपर एक दूसरे से टकरा जाते हैं इनके आसमान में टकराते ही आसमान के आठों दिशाओं में ध्वनि की एक तेज लहर पैदा होती है और वह आसमान में आठों दिशाओं में फैल जाती है