chapter ५३

यह ध्वनि तरंग जमीन तक आती है इसके वजह से जमीन पर मौजूद लोह मानव भी लड़खड़ा जाते हैं उस गड्ढे से ऊपर कुछ भेड़िया मानव गड्ढे की दीवार से गिर कर वापस गड्ढे के नीचे गिरने लगते हैं यह जो कारागार शहर के सीमा पर बना हुआ होता है उसके 10 किलोमीटर के आसपास कोई भी रिहायशी मकान नहीं होते है नहीं तो यहां पर लोगों के खून की नदियां बह गई होती सुरक्षा कवच के दीवार खुलते ही उस दीवार में से लगातार तांडव कबीले के हत्यारे शहर के अंदर आते जा रहे थे उनके साथ साथ कई सारे पालतू जानवर भी होते हैं यह जानवर बहुत ही घिनौने लग रहे थे उनकी ऊंचाई पाच फीट से लेकर तीस फिट से भी ज्यादा होती है कई सारे जानवरों की पूरी तो कई सारे जानवरों की आधी खाल उधेड़ी हुई होती है कई सारे जानवर तो तीन पैरों से भाग रहे थे और कई सारे पालतू जानवर तो एक ही पैर पर कूदते कूदते भागे चले आ रहे थे और उन सारे जानवरों के पीठ पर वह तांडव कबीले के हत्यारे होते हैं कई सैनिकों के मन में यह बात चल रही होती है कि यह तांडव कबीले के लोग इतने अजीबो गरीब जानवर लाते कहां से है वह सारे हत्यारे नीली ऊर्जा के दरवाजे से निकलकर उस 2 किलोमीटर गड्ढे के पास से तेजी से भागते हुए भरतपुर राज्य के सैनिकों की तरफ तेजी से भागे चले आ रहे थे सारे सैनिक भी उस जमीन पर बने 2 किलोमीटर लंबे गड्ढे के पास से उन सारे हत्यारों की तरफ दौड़े चले जा रहे थे इस राज्य में काफी ऊंची ऊंची इमारत बनी हुई थी वहां पर डेढ़ सौ मीटर ऊंची पत्थर से बनी इमारते थी इस इमारत की बालकनी में से सारे लोग इकट्ठा हो गए थे और वह भी अपने सामने चल रहे इस युद्ध को देखे जा रहे थे इस वक्त उस 2 किलोमीटर गड्ढे के किनारों पर लोह मानव खड़े हुए होते हैं जो गर्व को चिल्ला चिल्ला कर वापस बुला रहे होते हैं उन् लोह मानवों को तो यकीन नहीं हो रहा था कि उनका नायक गर्व सीधा उस नर्क के दरवाजे के अंदर चला गया जहां से यह भेड़िया मानव बाहर की तरफ आने की कोशिश कर रहे थे गर्व उन सबके लिए एक नायक ही था क्योंकि उसने अकेले के दम पर ही उन लोगों की आज रात दो बार जान बचाई थी और इस वक्त मुश्किल की घड़ी में वह गर्व का साथ कैसे छोड़ सकते थे तभी उनमें से एक गहरे गड्ढे में जिसकी गहराई का कोई अता पता नहीं होता है उसमें एकदम से छलांग मार देता है वह लोह मानव कुछ भी हो जाए पर वह इस मुश्किल आर पार की परिस्थिति में गर्व का साथ नहीं छोड़ सकता था उसके पीछे पीछे बाकी के 13 लोह मानवो ने भी उस गहरे गड्ढे के अंदर छलांग लगाते हुए इस उन लोह मानवों को देखकर सैनिकों के साथ साथ वहां पर मौजूद हत्यारों और भेड़िया मानवो को भी आश्चर्य हो रहा था कि कैसे उन्होने अपनी जान की परवाह किए बिना उस गहरे गड्ढे के अंदर छलांग लगा दी उन लोह मानवों ने छलांग लगाने के बाद ही थोड़ी देर बाद अपनी तलवार निकाल दी और नीचे गिरते गिरते ही वहां से ऊपर आ रहे भेड़िया मानवो को काटने लग गए थे वह सारे लोह मानव अपने दूसरे हाथ में चाकू लेकर उस गड्ढे की दीवार पर स्थिर हो गए और अपने दूसरे हाथ की तलवार की मदद से वह वहां से ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे भेड़िया मानव को काटने लग गए वह सारे के सारे एक समूह की तरह काम कर रहे थे वह उस गड्ढे की दीवार पर एक समूह की तरह यहां से वहां घूमते जा रहे थे और रास्ते में आने वाले हर भेड़िया मानव को काट कर नीचे गिराते जा रहे थे उन लोह मानव के साहस को देखकर ऊपर मौजूद सैनिकों के साथ साथ तांडव कबीले के हत्यारे भी आश्चर्यचकित रह गए थे राजा के साथ-साथ आसमान में लड़ाई कर रहे कालीचरण की उन लोह मानव के समूह के तरफ ध्यान चला गया था वह देख रहे थे कि कैसे वह लोह मानव अपनी जान की परवाह किए बिना वहां मौजूद सारे भेड़िया मानव को मारते चले जा रहे थे उस गहरे गड्ढे के आजू-बाजू खड़े लोह मानव भी उनकी तरह इस गहरे गड्ढे में उतर कर उन भेड़िया मानव को मारना चाहते थे पर उन लोह मानवो में उनकी तरह साहस त्वेश जिद और जुनून नहीं था उनको देखकर उनको खुद के ऊपर शर्म आती जा रही थी इसकी वजह से उन लोह मानवों में भी जोश आ गया था और वह भी तेजी से ऊपर की तरफ आ रहे भेड़िया मानवो को मारना काटना चालू करते है इस गहरे गड्ढे में गिरने के कारण गर्व के समर्थक लोह मानवों को लगा था कि गर्व तो अब मर गया और इनकी वजह सिर्फ वह भेड़िया मानव ही है और वह अपनी पूर्ण शक्ति से उन भेड़िया मानव को मारना काटना चालू कर देते है वह एक साथ समूहों में रहकर भेड़िया मानवो पर एक साथ टूट पड़ते थे जिसके कारण उनकी शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ गई थी दूसरी तरफ आसमान में कई सारे तांडव कबीले के काले बाज पक्षी भी शहर के अंदर आ गए थे और वह सैनिकों पर हमला करते जा रहे थे इनका जवाब वहां मौजूद सारे सैनिक उन पर तीर धनुष से निशाना लगाकर दिए जा रहे थे भरतपुर राज्य के पास भी बाज पक्षीयो की फौज होती है तांडव कबीले के बाज पक्षियों को हमला करता हुआ देखकर भरतपुर राज्य के बाज पक्षियों की सेना उन पर हमला कर देते हैं आसमान में चारों तरफ बाज पक्षियों को देखकर ऊंची इमारतों की बालकनी में मौजूद राज्य की जनता वापस अपने घरों में चले जाते हैं और अंदर से दरवाजा बंद कर देते हैं इस समय राजा और कालीचरण भी अपने पक्षियों पर बैठकर आसमान में ही एक दूसरे की ओर हमला कर रहे थे वह जब भी आसमान में एक दूसरे को टकराते पूरे आसमान में आठों दिशाओं में ध्वनि की तेज तरंग पैदा हो जाती उस तरंग के बीच में कोई भी बाज पक्षी आता तो वह उस तरंग के झटके के कारण तुरंत ही आसमान से नीचे जमीन पर गिर जाता फिर चाहे वह पक्षी तांडव कबीले का हो या फिर भरतपुर राज्य का उन दोनों की लड़ाई के 2 किलोमीटर के दायरे में कोई भी पक्षी जाने की हिम्मत नहीं कर रहा होता है कालीचरण और राजा वीर प्रताप सिंह के बाज पक्षी भी आसमान में ही एक दूसरे की तरफ हमला करते जा रहे थे वह अपने बड़े बड़े पंजों से और चोच से एक दूसरे पर टकराते हुए हमला करते जा रहे थे राजा वीर प्रताप सिंह का बाज पक्षी कालीचरण के पक्षी से 10 मीटर छोटा हो पर उसकी ताकत कालीचरण के पक्षी के बराबर ही थी आकाश जमीन और जमीन के अंदर भी जंग का माहौल हो गया था वही गर्व ने इस गहरे गड्ढे में नीचे गिरती हुई कारागार की इमारत में उसके नीचे गिरने के पहले ही प्रवेश कर लिया था वह इमारत लगातार नीचे गहराई में गिरती जा रही थी वह लगातार नीचे की ओर गिरते जा रही थी पाच मिनट से भी ज्यादा का वक्त हो गया था पर वह इमारत लगातार नीचे गिरते ही जा रही थी गर्व को ऐसा लग रहा था मानो इस गहराई का कोई भी अता पता ही नहीं है उस जमीन के छेद में से ऊपर चढ़ रहे भेड़िया मानव इस इमारत पर बिल्कुल भी नजर नहीं दे रहे थे वह सारे के सारे ऊपर की ओर लगातार चढ़ते जा रहे थे गर्व उस नीचे गिरती इमारत में सबसे पहले उस नीली उर्जा को नियंत्रित करने वाले यंत्र की तरफ बढ़ता है और देखता है कि वह उस यंत्र को उसकी जगह से निकाल पाता है या नहीं पर तभी उसे उस इमारत के अंदर एकदम तापमान एकदम से बढ़ने का एहसास होता हो रहा था वह तुरंत ही इसी इमारत के दरवाजे पर जा कर देखता है तो उसे दिखता है यह इमारत नीचे सीधा एक लावा की नदी पर जाकर गिरने वाली होती है वह तुरंत ही अपनी गति का इस्तेमाल करता है और सीधा उस नीली ऊर्जा के यंत्र पर जाकर पहुंचता है वह अपनी पूर्ण शक्ति से उस यंत्र को उसकी जगह से उखाड़ देता है उस यंत्र के अपनी जगह से उखाड़ते ही वहां पर मौजूद सारी नीली ऊर्जा से बने कमरे गायब हो जाते हैं और वह नीली ऊर्जा सीधा इस यंत्र की तरफ आती हैं वह सारी की सारी ऊर्जा इस यंत्र में आकर इसमें जमा हो जाती है और फिर इस कारागार की इमारत की दीवार पूरी लाल होती जा रही थी साथ ही गर्व को भी इस इमारत के अंदर काफी गर्मी महसूस होती जा रही थी वह तुरंत ही इस यंत्र को लेकर कारागार के दरवाजे की तरफ भागता है वह लावा की नदी के काफी नजदीक आ गए थे गर्व तुरंत ही अपनी पूर्ण गति का इस्तेमाल करते हुए लावा की नदी के बाजू में मौजूद एक पत्थर पर छलांग मारता है जिसके बाद वह कारागार की इमारत सीधा जाकर उस लावा की नदी में गिर जाती है अगर गर्व ने यहां पर आधे सेकंड की भी देरी की होती तो वह इमारत के साथ सीधा जाकर उस लावा की नदी में गिर जाता यह देख कर उसके जान में जान आ जाती है वह अपना सर ऊपर उठा कर देखता है तो वह देखता है कि वह जमीन की सतह से काफी नीचे तक आ गया है उसे कहीं पर भी कोई भी भेड़िया मानव नहीं दिख रहे होते हैं उसे जमीन पर चल रहे युद्ध की आवाज भी नहीं आ रही थी वह भले ही लावा की नदी के बाजू में मौजूद पत्थर पर इस वक्त खड़ा होता है पर फिर भी यहां का तापमान बहुत ही ज्यादा होता है उसे जल्द से जल्द यहां से ऊपर की ओर जाना होगा नहीं तो उसकी ज्यादा गर्मी के कारण हालत खराब हो सकती थी वह तुरंत ही उस यंत्र को अपने स्टोरेज रिंग में डालकर उसमें से एक रस्सी को बाहर निकाल देता है जिसको उसने कारागार में रहकर भेड़िया मानवो से चुराई थी वह उस रस्सी को ऊपर की ओर एक पत्थर पर फेंकता है वह रस्सी सीधे जाकर उस पत्थर पर लगती है और उस पर चिपक जाती है उस रस्सी ने पत्थर के ऊपर कोई भी गठान नहीं बांधी थी पर फिर भी वह उस पत्थर पर जाकर बहुत ही मजबूती से चिपक गई थी गर्व उस रस्सी को खींच कर देखता है तो वह रस्सी अपने जगह से निकलती नहीं है इस पर चढ़कर गर्व आराम से ऊपर की ओर जा सकता था इसको देखकर गर्व आश्चर्यचकित हो गया था गर्व की स्टोरेज रिंग में ऐसी ही कई सारी रस्सियां थी गर्व इन रस्सियों का उपयोग करते हुए तेजी से ऊपर की ओर बढ़ने लगता है वह लगातार आधे घंटे तक उन रस्सियो का उपयोग करते हुए ऊपर की ओर बढ़ते जा रहा था आधे घंटे बाद उसे दीवार पर कंपन महसूस होने लगा था वह समझ गया कि वह सारे भेड़िया मानव उसके नजदीक ही है फिर वह सावधानी से ऊपर की ओर बढ़ते जा रहा था उसने अपने ऊपर चढ़ने की रफ्तार पहले से कम कर दी थोड़ी देर बाद ऊपर जाने पर वह देखता है कि यहां पर जमीन के छेद मे अंदर की तरफ कई सारे सुरंगे बनी हुई है और इन्हीं सुरंगों की मदद से वह भेड़ियां मानव इस जमीन के छेद में जा रहे थे और अपने पंजों की सहायता से ऊपर की और बढ़ते जा रहे थे वह देखता है कि यहां पर जमीन के अंदर सुरंगों का बहुत बड़ा जाल है और उन सुरंगों में हर तरफ भेड़िया मानव दिखाई दे रहे थे वह जोर-जोर से दौड़ते हुए सुरंगों से बाहर निकल कर इस जमीन की छेद में से ऊपर की ओर जा रहे थे