chapter ५९

इसके बाद कालीचरण के पक्षी के शरीर का रंग काला नीला होते जा रहा था फिर गर्व राजा के पक्षी की पीठ को थप थपाता है और उसके कान में कुछ कहता है गर्व का इशारा समझ कर राजा का पक्षी अपने पंख को जोर से फड़ फडाता है जिससे कि हवा में कंपन उत्पन्न हो जाती है और वह एकदम हवा में ऊपर और ऊपर की ओर उड़ने लगता है उसके पीछे पीछे कालीचरण भी अपने पक्षी के साथ उड़ जाता है राजा का पक्षी तेज गति से हवा में ऊपर की ओर बढ़ते जा रहा था वह ऊपर की ओर बढ़ते हुए आसमान में बादलों के बीच में चले जाता है उसके पीछे पीछे कालीचरण का पक्षी भी बादलों के बीच में चला जाता है कालीचरण का पक्षी राजा के पक्षी को बादलों में बहुत ही ढूंढते जा रहा था पर वह उसे लाख कोशिश करने के बावजूद भी नहीं मिला वह थक कर बादलों के बीच में से नीचे आ जाता है वह जैसे ही बादलों के नीचे आता है वह देखता है कि राजा का पक्षी आसमान में ही दूर पर ही उड़ रहा होता है इस बार तो कालीचरण के पक्षी को भी गर्व पर गुस्सा आ गया था क्योंकि इस बार गर्व ने राजा के पक्षी के साथ मिलकर उसे चुतीया बनाया था वह बादलों के बीच से ही अपने पंखो को जोर से फड़ फडाता है उसके पंख फड़फड़ाने के कारण उसके पंखों से बिजलिया निकल रही थी और वह आसमान में फैल रही थी यह बिजली कालीचरण ही उत्पन्न कर रहा था और अपनी पक्षी के शरीर में भेज रहा था फिर वह सीधा राजा के पक्षी की तरफ तेज गति से बढ़ने लगता है इस वक्त राजा का पक्षी भी एक पहाड़ के ऊपर बैठा होता है कालीचरण के पक्षी को अपनी तरफ आते देख कर राजा का पक्षी भी अपने पंखों को जोर-जोर से फड़ फडाता है जिसके कारण हवा में चारों तरफ कंपन उत्पन्न हो जाता है और पहाड़ों के ऊपर से पत्थर नीचे गिरना चालू होते हैं राजा का पक्षी जंगल से थोड़ी ऊंचाई से ही उड़ रहा होता है कालीचरण का पक्षी आसमान में बादलों में से राजा के पक्षी की तरफ उड़ते जाता है वह अपने पंख फड़फड़ाते हुए हवा से भी तेज गति से उड़ने लगते हैं गर्व राजा के पक्षी को बर्फ के सुरक्षा कवच से ढकता है और कालीचरण अपने पक्षी को बिजली के सुरक्षा कवच ढकता है इस वक्त राजा का पक्षी जमीन से ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उड़ रहा था और देखते ही देखते उन दोनों की जमीन की थोड़ी ऊंचाई पर ही हवा में टक्कर हो जाती है उन के आपस में टकराने से हवा में आठों दिशाओं में उर्जा की तेज लहर फैल गई थी यह लहर नीचे जमीन पर खड़े तांडव कबीले के हत्यारों की तरह बड़ी थी जिसके कारण देखते ही देखते उन हत्यारों के पूरे शरीर की हड्डियां टूट गई थी और हजारों हत्यारे एक झटके में ही मारे गए थे यह देखकर कालीचरण को गर्व की तरफ देखकर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था गुस्से से तो मानो वह रो ही देगा इस गर्व का क्या किया जाए उसे समझ में नहीं आ रहा था कालीचरण का पक्षी अब दर्द से कराह रहा होता है कालीचरण जैसे ही अपने पक्षी की तरफ देखता है उसके पैरों तले जमीन खिसक गई थी क्योंकि उसके पक्षी के छाती पर राजा की तलवार लगी हुई थी भले ही कालीचरण के पक्षी पर उसने कवच बनाया हो राजा की तलवार एक अलग ही वस्तु की बनी हुई थी और राजा वीर प्रताप सिंह के पक्षी ने अपनी पूर्ण शक्ति और पूर्ण गति का उपयोग करके अपने पंजों से कालीचरण के पक्षी के छाती के अंदर राजा वीर प्रताप सिंह की तलवार गाड़ी थी यह परिस्थिति देखकर कालीचरण को सदमा ही लग गया फिर गर्व एक भी क्षण का समय नहीं गवाते हुए कालीचरण के पक्षी पर जिस जगह पर तलवार लगी हुई होती है वहां पर छलांग मारता है और वह उस तलवार को अपनी पूर्ण शक्ति से उसके शरीर के अंदर पहुंचा देता है जिसके कारण वह पक्षी जोर से चीखता है और नीचे गिरने लगता है भले ही वहा हजारों हत्यारे मारे गए थे पर वहा अभी भी कई सारे हत्यारे मौजूद थे चारों तरफ हत्यारे ही हत्यारे दिखाई दे रहे थे अचानक गुफा की प्रवेश द्वार में हलचल होना चालू होती है सारे लोगों की उस जगह पर नजर जाती है गर्व की भी गुफा के प्रवेश द्वार की तरफ नजर जाती है वह जैसे ही वहां पर देखता है तो उसे नजर आता है वहां पर उन हत्यारों के बीच में हड़कंप मचा हुआ था उनके शरीर किसी कीड़े मकोड़ों की तरह कटे जा रहे थे और वह सारे हत्यारे बाहर की ओर भागे चले आ रहे थे थोड़ी देर बाद वहां से लोह मानव निकलना चालू होते उनका पूरा कवच खून के कारण लाल हुआ पड़ा था उन्होंने इतने सारे हत्यारे मारे थे कि उनके पूरे शरीर पर लाल रंग छा गया था वहां से लगातार लोह मानव निकलते जा रहे थे और वह सारे उन हत्यारों के ऊपर टूट पड़े उनको देखकर कालीचरण ने गुस्से से अपने दांत पीस लिए उसने उन लोह मानवों को मारने के लिए अपनी तलवार आगे बढ़ाई पर गर्व ने उस तलवार को हवा में ही रोक दिया तभी एक जोर से चिंघाड़ने की आवाज आती है वह आवाज पूरे परिसर में गूंज गई थी सारे लोग उस आवाज की तरफ देखते हैं तो वह पाते हैं कि राजा के पक्षी ने कालीचरण के पक्षी की छाती पर अपने पंजे घुसाए हुए होते हैं कालीचरण का पक्षी जोर से चीखते जा रहा था पर राजा के पक्षी ने उसे अब तक मारा नहीं था वह उसे तड़पाए जा रहा था वह उससे एक एक सेकंड का हिसाब ले रहा था और फिर उसने एकदम से अपने पूरे पंजों को कालीचरण के पक्षी के छाती के अंदर डाल दिए और उसकी आवाज हमेशा के लिए शांत हो गया उसके मरते ही उसके शरीर में से बिजली की एक लहर वहां पर चारों ओर फैल गई जिसके कारण सैकड़ों हत्यारे एक साथ मारे गए कालीचरण को आज सदमे के ऊपर सदमे लगते जा रहे थे साथ में अभी लोह मानव भी वहां मौजूद हत्यारों का नामोनिशान मिटाते जा रहे थे फिर कालीचरण एक भी क्षण का वक्त नहीं गवाते हुए गर्व पर अपनी दोनों तलवारों से बहुत सारे वार करना चालू कर देता है साथ ही वह अपने पूरे शरीर पर बिजली का सुरक्षा कवच भी बना लेता है इस सुरक्षा कवच के रहते कोई भी कालीचरण को छोटी सी भी खरोच नहीं पहुंचा सकता था गर्व को यह बात समझ में आ गई वह कालीचरण के साथ लड़ते लड़ते ही जंगल की तरफ जाने लगता है उसके पीछे पीछे लोह मानव और राजा का पक्षी भी आ रहे थे पर गर्व उनको उनके साथ नहीं आने का इशारा करते ही वह वहीं पर रुक जाते हैं गर्व इस बार कालीचरण के साथ घने जंगलों में चला गया था कालीचरण लगातार गर्व के ऊपर अपनी तलवार की मदद से बिजलिया बरसा रहा था और गर्व उनका अपनी बर्फीली तलवार से सामना किए जा रहा था अचानक गर्व जंगलों में से गायब हो जाता है दरअसल वह अपने स्टोरेज रिंग के अंदर चला गया था और उसने वह स्टोरेज रिंग नीचे जमीन पर फेकी थी इस वक्त कालीचरण गुस्से के कारण मानो पागल ही हो गया था गर्व के गायब होने के बावजूद भी वह अपनी तलवार को लगातार पेड़ों पर मारते जा रहा था जिसके कारण वह पेड़ टूटकर नीचे गिरते जाते हैं वह अपना पूरा गुस्सा उन निर्जीव पेड़ों पर उतार रहा था गुस्से के कारण उसके दिमाग ने अपना काम करना बंद कर दिया था कई सारे पेड़ों को काटने के बाद वह एक जगह रुक जाता है और आसमान की तरफ देखकर जोर से चिल्लाता है गर्वव्वव तभी एक नीली ऊर्जा की गोली उसके एक आंख पर जाकर लगती है और उसकी एक आंख पूरी अंधी हो जाती है वह नीली रोशनी सीधे उसके आंख से सर के अंदर चली गई थी और सर के पीछे से बाहर निकल गई थी पर फिर भी वह अपने दोनों पैरों पर चल रहा था उसकी जान अभी भी नहीं गई थी गर्व मन ही मन में सोचता है इसका सिर फट गया पर यह कमीना फिर भी अपने पैरों पर चल रहा है यह तांडव कबीले के लोग कितने सारे राज छुपाकर है फिर गर्व एक क्षण का भी समय नहीं गवाता है और कालीचरण के पीछे से जाकर उसकी उसके सिर को धड़ से अलग कर देता है क्योंकि इस वक्त कालीचरण दर्द के मारे तड़प रहा था इसीलिए उसने अपने शरीर के कवच ध्यान नहीं गया था और इसी का फायदा उठाकर गर्व ने कालीचरण के सिर पर वार किया और कालीचरण नाम के अध्याय को यहीं पर खत्म कर दिया फिर वह अपने हाथ में उसका सिर और धड़ लेकर वापस लोह मानवों की तरफ चल पड़ा वह जल्द ही लोह मानव के करीब पहुंच गया उन लोगों के सामने उसने कालीचरण के सिर और धड़ को जमीन पर फेंक दिया उसको देखते ही राजा के पक्षी ने अपने पंख फड़फड़ाते हुए आसमान की तरफ देखकर जोर से चिंघाड़ा यह उसकी खुशी को व्यक्त करने का तरीका था क्योंकि उसने ही राजा को बहुत ज्यादा चोट पहुंचाई थी राजा की जान तक जाने वाली थी उसके सर कटे धड़ को देखकर लोह मानवों ने भी एक ही जल्लोष किया वह खुशी से नाचने लगे और गर्व के नाम का जयघोष करने लगे उनमें ऊप सेनापति वीरसेन भी थे वह गर्व के पास गए और उसकी पीठ को थपथपाते हुए कहा गर्व तुमने सच में बहुत ही बहादुरी का काम किया है तुमने आज जो किया है इसलिए भरतपुर राज्य तुम्हारा सदैव ही ऋणी रहेगा इतना कहकर उन्होंने अपना एक घुटना जमीन पर टिका कर गर्व के सामने अपना शीश झुका दिया इसके बाद वहां मौजूद सारे लोह मानवों ने भी एक-एक करके गर्व के सामने अपना एक घुटना जमीन पर टिकाते हुए अपना शीश गर्व के सामने झुका दिया इसके बाद राजा के पक्षी ने भी अपने अपने पंखों को हवा में उठाकर गर्व के पास जाकर अपना शीश झुका दिया इस वक्त गर्व को अपने ऊपर बहुत ही गर्व की अनुभूति हो रही थी तभी वहां से जोर-जोर से हंसने की आवाज आने लगी वह व्यक्ति लगातार हंसते जा रहा था यह आवाज सुनकर गर्व अपनी गर्व की अनुभूति से बाहर निकलकर एकदम सतर्क हो गया और वहां मौजूद सारे लोह मानव भी खड़े होकर सतर्क हो गए राजा का पक्षी भी सतर्क हो गया और यहां वहां देखने लगा आजू बाजू कुछ भी नहीं था वह सारे यहां वहां देखते हैं तो वह पाते हैं कि यह आवाज कालीचरण के ही सर कटे धड़ से आ रही थी उसके सर कटे धड़ से लगातार हंसने की आवाज आ रही होती है यह देखकर वहां मौजूद सारे लोग सन्न रह गए और उसके शरीर से बाजू हट गए उसका धड़ लगातार हंसते जा रहा था तभी उसके शरीर की नसे मोटी होने लगी वह लगातार बड़ी होती जा रही थी गर्व समझ गया कि यहां पर क्या हो रहा है वह अपनी तलवार लेकर उसके तरफ बढ़ा उसने उसके शरीर पर अपनी तलवार चलाई और तभी उसे किसी ने जोरदार लात मार दी और गर्व बहुत दूर जाकर नीचे गिर गया गर्व ने जब वहां देखा तो वहां पर भेड़िया मानव खड़ा था जिसने अभी अभी गर्भ पर लात मारी थी जिसके शरीर पर फटे कपड़े होते हैं जो कि तांडव कबीले के हत्यारों के होते हैं गर्व सारे लोह मानव की तरफ देखकर चिल्लाता है सारे के सारे तैयार हो जाओ जंग अभी खत्म नहीं हुई है भले ही यह काली रात खत्म होने का नाम नहीं ले रही हो पर हम आज भरतपुर राज्य के योद्धा इस काली रात को खत्म करके नया उजाला इस दुनिया में लेकर आएंगे