गर्व तो पहले ही नीचे गिरते हुए जंगल की तरफ खुद कर पेड़ों की सहायता से अपनी जान बचाने वाला था क्योंकि कालीचरण का पीछा करते हुए उसको एक साथ खुद के साथ-साथ राजा के पक्षी की रक्षा करना नामुमकिन हो जाता वैसे भी उसके जीवन का एक लक्ष्य था और वह उसे किसी भी हालत में पाना ही वाला था इसके लिए उसको इसके जैसे सौ पक्षी भी कुर्बान क्यों ना करना पड़े पर तभी आसमान में वह प्रकाश की तीर प्रकट हो गए और उन्होंने कालीचरण के पक्षी को घायल कर दिया था इसके वजह से गर्व को समय मिल गया और उसने खुद के साथ-साथ राजा के पक्षी को भी जान बचा ली नीचे सुरक्षित फिसल कर आते ही गर्व ने ऊपर आसमान में देखा कालीचरण अभी भी उन तीरो से अपनी पक्षी की लगातार बचाव करते जा रहा था पर उसके पक्षी के शरीर पर चार से पांच तीर घुसे गए थे यह सब होते ही नीचे खड़े हुए भेड़िया मानव की आवाज उनके गले में ही अटक गई उन्होंने कालीचरण के नाम का जयघोष करना कब बंद कर दिया था कालीचरण के पक्षी को तीर लगता हुआ देखकर वह हक्के बक्के रह गए थे उनके चेहरे देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी ने उन्हें जोरदार चांटा जड़ दिया होगा उनका पूरा उत्साह एक सदमे में बदल गया था नीचे घुटने टेक कर बैठे हुए लोह मानव भी हक्के बक्के रह गए उन्हें यकीन नहीं हो रहा था यह क्या हो रहा है अभी अभी तो बहुत जंग पूरी तरह से हार चुके थे पर अचानक यह कालीचरण का पक्षी अचानक घायल कैसे हो गया यह देखकर उनके हारे हुए मन में फिर से एक उम्मीद की किरण जाग उठी उन सब ने फिर से अपने पैरों पर खड़े होकर यह तीर जहा से आ रहे थे उस दिशा की ओर देखा यह तीर पश्चिम दिशा से आ रहे थे यह वही दिशा थी जहां पर भरतपुर राज्य होता है इसी दिशा से यह तीर कालीचरण की तरफ लगातार आते जा रहे थे और उस दिशा में मौजूद भेड़िया मानव में भगदड़ मच गई थी वह सारे के सारे वहां से भागे जा रहे थे वह भागकर जंगल की तरफ आते जा रहे थे उनके चेहरे पर मौत का डर साफ दिखाई दे रहा था वहां मौजूद बाकी बाकी के भेड़िया मानव पश्चिम दिशा से दूर भाग रहे भागे जा रहे थे गर्व फिर पश्चिम दिशा की तरफ ध्यान से देखता है पश्चिम दिशा में चारों तरफ से भेड़िया मानव की फौज दिखाई दे रही थी और वह डरते हुए उस दिशा से दूर भागे जा रहे थे वह सारे जहां जगह मिलती उस दिशा में भागे जा रहे थे वह जंगलों की तरफ भी भागे जा रहे थे जंगलों में मौजूद लोह मानवों की तरफ दुर्लक्षा करते हुए व उल्टे पाव वहां से भागे जा रहे थे पर वहां पर मौजूद सारे लोह मानव उन पर कोई भी रहम नहीं करते और अपनी तरफ आने वाले सारे भेड़िया मानव को वह मारते जा रहे थे अब तक उन लोह मानवों के टुकडी के कई सारे सैनिक भी मारे जा चुके थे वहां पर अब तक सिर्फ 400 ही लोह मानव की संख्या रह गई थी बाकी सारे लोह मानव या तो मारे या फिर वह भेड़िया मानव हो परिवर्तित हो गए गर्व भी अपने तरफ आ रहे भेड़िया मानव की तरफ निली उर्जा की गोलियों की बारिश कर देता है वह किसी भी भेड़िया मानव को राजा के पक्षी के करीब नहीं आने दे सकता है वह उन पर नीली ऊर्जा की गोलियां बरसाते हुए आसमान की तरफ देखता है तो हो पाता है कि कालीचरण इस वक्त अपने पक्षी को लेकर काफी मुश्किल में फंसा हुआ होता है जो तीर उस पक्षी के शरीर में लगे हुए थे वह लगातार उसके पक्षी के शक्ति को अपने अंदर सोखते जा रहे थे जिसके कारण उस पक्षी की शक्ति लगातार कम होती जा रही थी तभी उसने अपने दोनों तलवारों की मदद से आसमान में बिजलीयो को पैदा किया और इस बिजलीयो को उसने अपने पक्षी के सिर पर गिरा दिया जिसके कारण उस पक्षी के शरीर में फिर से शक्ति आ गई पर इस वक्त कालीचरण के चेहरे पर डर का भाव साफ साफ दिखाई दे रहा था साथ में उसका पक्षी भी काफी हड़बड़ाया लग रहा था उन दोनों का भी लड़ाई करने का कोई भी इरादा नहीं लग रहा था भलेही उसके पक्षी में फिर से ताकत आ चुकी हो पर वह अपने पक्षी को लेकर पूर्व दिशा में तेजी से भागे जा रहा था इस वक्त सूरज आसमान में थोड़ा ऊपर की तरफ आ चुका होता है वह कालिचरन उसी उगे हुए सूरज के कोने से उड़ते हुए जा रहा था जिसके कारण पश्चिम दिशा से उस पर निशाना लगाना मुश्किल हो गया था और जल्द ही कालीचरण अपने पक्षी के साथ उड़ते हुए वहां से गायब भी हो गया पर वहां से वह भेड़िया मानव गायब नहीं हुए थे वह लगातार जंगलों की और पहाड़ों की ओर और पूर्व दिशा में जहां पर कालीचरण का होता है गया होता है उस दिशा में तेजी से भागे जा रहे थे वह बिल्कुल भी वहा मौजूद लोह मानवों की तरफ अपना ध्यान नहीं दे रहे थे जिसके कारण लोह मानवों को भेड़िया मानव को मारने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं आ रही थी पर इन सब के बावजूद भी कई सारे हजारों हत्यारे वहां से जंगल की ओर और पहाड़ों की और पूर्व दिशा में भागने में कामयाब रहे फिर गर्व पश्चिम दिशा की ओर देखता है जहां से यह सारे भेड़िया मानव भागे जा रहे थे वह देखता है की वहा दूर पश्चिम दिशा में एक अग्नि का बवंडर उठा है और वह लगातार उन भेड़िया मानव की तरफ बढ़ते चला जा रहा था गर्व उस बवंडर की तरफ ध्यान से देखता है तो वह पाता है इस बवंडर की के पीछे 30 से भी ज्यादा आदमी खड़े हुए होते हैं और वही इस बवंडर को निर्माण करते हुए उन भेड़िया मानव की तरफ भेज रहे होते हैं जो भी भेड़िया मानव इस बवंडर के बीच में आता वह जलकर अपने जगह पर ही खड़े खड़े मारा जाता उनकी जगह पर तो सिर्फ उनके शरीर का कोयला ही बचा रह जाता इस गर्मी के कारण वहां मौजूद लोहमानव को भी अपने कवच के अंदर रहना मुश्किल हो गया था उनका शरीर जलते जा रहा था वह तुरंत ही अपने कवच को अंदर तरफ से खोलकर बाहर आ गए और वह सारे गर्व के करीब जाने लगे क्योंकि इस वक्त गर्व ने अपने चारों तरफ से एक बर्फ की मोटी चादर बिछा दी थी जिसके कारण वहां पर ठंडक होती है गर्व को जल्द ही कुछ करना होगा नहीं तो यह अग्नि उनकी तरफ भी पहुंच सकती है और इस अग्नि में आकर सारे सैनिकों के साथ साथ गर्व भी मारा जा सकता है फिर गर्व वहां पर मौजूद एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ जाता है और उस ऊंचे पेड़ को पूरी तरह से बर्फ से जमा देता है इस पेड़ की ऊंचाई 70 फीट से भी ज्यादा होती है इस फिर इस पेड़ की मदद से वह बर्फ की एक बड़ी दीवार बनाने लगता है यह दीवार लगातार आसमान में ऊपर की तरफ जा रही थी जब इस दीवार की ऊंचाई 200 मीटर तक पहुंच गई तो गर्व जल्दी से इस दीवार की ऊंचाई पर चढ़ जाता है और इसके ऊंचाई पर पहुंचते ही गर्व स्टोरेज अंगूठी से भरतपुर राज्य का झंडा निकाल देता है और ऊंचाई से ही वह झंडे को लहराने लगता है जैसे ही उसने झंडे को लहराया वह अग्नि की लहर वहां पर आना बंद हो जाती है वहां की गर्मी कम होती जाती है वहां पर मौजूद अग्नि का बवंडर आजू-बाजू छटने लगता है वह बवंडर जैसे ही छठता है वहां मौजूद सारे सैनिक देखते हैं कि इस बवंडर के पीछे तीस की संख्या में केंद्रीय सत्ता के अधिकारी खड़े हैं वहां पर मौजूद 15 अधिकारियों के हाथ में 1 मीटर लंबी तलवार होती है जहां पर सांप की आकृति में नक्काशी की होती है और उस तलवार की धार में से अग्नि प्रज्वलित होते जा रही थी केंद्रीय अधिकारियों का एक विशेष धातु से बना सुरक्षा कवच होता है सारे अधिकारियों ने सुरक्षा कवच को पहना हुआ होता है और बाकी के 15 अधिकारियों के हाथ में तीर धनुष होता है उनके पास जो तीर होते हैं वह तेज प्रकाश के साथ चमकते जा रहे थे उनमें भरतपुर राज्य का अधिकारी आकाश सिंह भी मौजूद होता है अधिकारी आकाश सिंह ने जैसे ही देखा वहां पर गर्व के साथ-साथ लोह मानव की सैन्य टुकड़ी हैं वह तुरंत ही उनके तरफ दौड़ पड़ा वह उन लोह मानव की तरफ पहुंचकर उनसे पूछा तुम सब ठीक तो हो ना और राजा प्रताप सिंह कैसे हैं और कहां पर है वह जिंदा तो है ना या फिर मारे गए गर्व की मदत से राजा वीर प्रताप सिंह सही सलामत है और जिंदा भी है वहां मौजूद एक सैनिक में राजा अधिकारी आकाश सिंह से कहा यह सुनकर आकाश सिंह की आंखें चौड़ी हो गई गर्व की मदत से राजा वीर प्रताप सिंह जिंदा है ऐसे कैसे हो सकता है गर्व तो एक मामूली आश्रम का लड़का है राजा वीर प्रताप सिंह तो उससे कहीं ज्यादा ताकतवर है उनका युद्ध युद्ध मंडल भी गर्व से कहीं ज्यादा ऊपर है राजा वीर प्रताप सिंह चाहे तो गर्व को चुटकी में मसल कर रख सकते हैं अभी तक आकाश सिंह के आसपास बाकी के अधिकारी भी पहुंच गए थे उन सब ने वहां मौजूद सारे भेड़िया मानव को जलाकर मार डाला उन्हें तो चिखने का भी मौका नहीं मिला वहां से कई सारे हजारों की तादाद में भेड़िया मानव भागने में भी सफल हो गए वह सारे वहां मौजूद पहाड़ों की तरफ् पूर्व दिशा में भाग गए यहां पर अब सिर्फ केन्द्रीय अधिकारियों के साथ लोह मानव के सैन्य टुकड़ी के साथ गर्व बचा हुआ था गर्व फिर 200 मीटर की दीवार से नीचे उतर गया और राजा के पक्षी की तरफ् बढ़ने लगा वह राजा का पक्षी इस वक्त काफी ठीक हो चुका था और अपने पैरों पर खड़ा हो चुका था अगर गर्व ने इसके घाव पर वक्त रहते जड़ी-बूटी नहीं लगाई होती तो वह इस वक्त इस दुनिया में मौजूद नहीं होता वह पक्षी भी गर्व के इस एहसान को अच्छी तरह से समझता था गर्व जैसे ही उस पक्षी के पास पहुंचा उसने उस पक्षी के पंजों पर अपने हाथ को थपथपाया फिर उस पक्षी ने अपने सिर को नीचे जमीन की तरफ लाया फिर गर्व ने उसके सिर को भी प्यार से थपथपाया गर्व और राजा के पक्षी के बीच इस संबंध को देखकर अधिकारी आकाश सिंह की आंखें ही चौड़ी हो गई उसे तो अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि यह राजा का पक्षी होता है यह पक्षी राजा के अलावा किसी को भी अपने पास नहीं आने देता अगर कोई भी जबरदस्ती उसके पास जाने का प्रयास करता तो वह पक्षी उसे तुरंत ही उसको मार देता था उस पक्षी ने ऐसे कई लोगों को मार दिया थ आकाश सिंह को यह बात अच्छे से पता थी अगर यह पक्षी अच्छे अच्छे को अपने पास नहीं आने देता तू तो उसने कैसे एक छोटे से आश्रम की लड़के को अपने करीब आने दिया और उसने गर्व को अपने करीब भी आने दिया और अपने पंजों और अपने सिर पर थपथपाने भी दिया